Vimla Jain

Action Classics Inspirational

4.7  

Vimla Jain

Action Classics Inspirational

वह पुराने दिन वह सुनहरी यादे

वह पुराने दिन वह सुनहरी यादे

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यूं तो इतनी लंबी जिंदगी में बहुत सारी यादें हैं। मगर मेरी बचपन की बहुत सुनहरी यादें हैं ।उनमें से मैं एक आपके साथ में शेयर कर रही हूं, जो मेरे लिए बहुत ही सुनहरी है। इसको मैं कहानी रूप में आपको शेयर कर रहीहु।

हमारे घर के पड़ोसी 5,6 घर परिवार के सारे बच्चे मिलकर बहुत ही धमाल मस्ती करते थे ।और हम लोग हमेशा साथ रहते थे ।पढ़ते भी साथ में, खेलते भी साथ थे ।काम भी साथ करते थे।

कभी-कभी तो सब बोलते थे कि टोपलो भरीया छोरा छौरीहै ।

आखोदिन मस्ती रे सिवाय कहीं नहीं। पर हम सभी का आउटडोर, इंडोर गेम ,शैतानियां सब चलता रहता था          खेलना कूदना, उसी समय की बात है ।

मैं और मेरे बड़े भैया उत्तम भाई साहब हम दोनों बहुत प्यारे दोस्त थे. भाई बहन तो थे ही ,तो हम को जब भी मौका मिलता था।

हमारे बाईजी बाबू साहब बाहर जाते ,और मैदान साफ होता तो हम दोनों मिलकर के हलवा बनाते थे ।और सारे बर्तन धो कर किचन को भी अच्छी तरह से जैसी थी वैसी रखकर ,फिर खेलने लग जाते थे

। एक बार की बात है हमारा जैन तीर्थ स्थान बरखेड़ा में जैन मेला लगता है। घर के सब लोग वहां गए हुए थे मैदान साफ था।

 हम दोनों ने मिलकर के हलवा बनाया, और बर्तन अच्छी तरह साफ करके रख दिए।

किचन जैसे थे वैसे ही कर दी ,और हम लोगों ने जैसे ही हलवा बनाकर प्लेट्स में लिया ही था, की घंटी बजी ।

हम दोनों एक दूसरे का मुंह देखने लगे कि क्या करें। भाई साहब बोले मैं दरवाजा खोलता हूं ।

तु सारे बर्तन साफ करके ठिकाने कर दे ,और हलवा बुआ सा के कमरे के अंदर पट्टे के नीचे छुपा देना ।मैंने वैसा ही करा पर हलवे की खुशबू छिपाए नहीं छिप ती।

उसी समय दरवाजा खोला तो देखा मेरे बाबू साहब घंटी बजा रहे थे ।वह बोले खुशबू बड़ी अच्छी आ रही है ।तुम लोगों ने कुछ बनाया है क्या हलवेकी खुशबू आ रही है।

हमने तो सोचा आजतो पिटाई बहुत पक्की है हम दोनों कि।भाई साहब ने बोला कि हां हमने हलवा बनाया है। पर हमारी आशा के विरुद्ध बाबू साहब ने हंसकर कहा की थोड़ा हलवा मुझे भी दे दो, मुझे भी बहुत इच्छा हो रही है खाने की।

और हमको हंसकर के गले लगाया फिर हम सब ने बैठकर के शांति से हलवा खाया मिलजुल कर के ।उस दिन कोमैं आज तक नहीं भूल सकती हूं । वह हलवा कितना अच्छा था उसकी याद आज भी आती है ।

यह मेरे बचपन की सुनहरी यादों के पिटारे में से एक याद थी।आज ना तो भाई साहब है।ना पापा जी हैं। बस यादें ही रह गई हैं ।उस दिन जितना मधुर हलवा कभी भी नहीं लगा।

पुराने दिनों की यादें ,

आज सब अपने 2भाई ,2भाभी, बहन, मां बाप सभी साथ छोड़ गए हैं उनके साथ में बिताए हुए पूरा बचपन और सुनहरे पल जिंदगी में बहुत याद आते हैं ।और सब की कमी बहुत खलती है

सच कहा है मधुर यादें ही जिंदगी में रह जाती है आज बच्चे भी सब अपने अपने नौकरियों के और जिंदगी के अंदर से व्यस्त हो गए हैं एक समय पूरा घर भरा हुआ था उस समय के लिए बहुत मधुर स्मृतियां हैं आज जब भी आते हैं तो वापस घर भर जाता है और मन खुशी से झूम उठता है। मगर पुराने दिन की स्मृतियां ही रहती हैं पुराने दिन लौट कर कभी नहीं आते

जिनको हमने खोया है उनकी याद में कुछ भी लाइन जो पूर्व प्रसारित है

जब कोई अपना चला जाता है ।

तो खाली उसकी यादें ही रह जाती हैं।

यादें याद आती हैं हमको बहुत तड़पाती है।

जब भी तुम सब याद आते जो धीरे-धीरे कर हमको छोड़ गए।

मां बाप, भाई ,बहन, भाभी,

सासु मां, जेठानी दोस्त जब भी तुम्हारी बातें याद आती है।

तुम बहुत याद आते हो।

हम भूल नहीं पाते हैं

तुम बहुत याद आते हो।

वह मायके का खालीपन,

वह बचपन वह साथ।

आशीर्वाद वाली छत्रछाया।

जो हमने खोया वो हम भी जानते हैं। हम तुमको भूल नहीं पाते हैं।

बहुत याद आते हो।

यादों के इस भंवर को हम भुला नहीं पाते हैं।

तुम सब की याद में आंसू बहा लेते हैं। जैसे अभी लिखते हुए बहा रहे हैं।

तुम सब हमको बहुत अजीज थे।

बहुत याद आते हो

यादें जो याद आती है

मन को बहुत तड़पाती है।


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