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Kunda Shamkuwar

Abstract Drama Others

4.5  

Kunda Shamkuwar

Abstract Drama Others

वह 100 रु

वह 100 रु

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आज मुझे मेरे बचपन की एक पूरानी बात याद आयी हैं।जब हम छोटे थे तब मैं और मेरा भाई चौक की दुकान में लेने जाते थे तो हम एक दुसरे को पूछते थे की तुम्हे अगर 100 रु रास्ते पर गिरे हुए मिलेंगे तो तुम क्या करोगे? और फिर उस समय हम अपने सारे अभावों को भुलाकर ख्वाबों की दुनिया मे खो जाते थे।

हमारी अभाव भरी जिंदगी में जो चीजें हमें मयस्सर नही होते थे उन चीजों की बात करते थे जैसे की हम समोसा खाएँगे,लड्डू खाएँगे और न जाने क्या क्या।उस समय हमारी उम्र के बच्चों के लिए 100 रु भी बड़ी रकम हुआ करती थी।


जब जब माँ हम दोनों को चीजें खरीदने के लिए भेजती थी तब तब हमारा यह 100 रु वाला यह सवाल वाला खेल हम खेला करते थे।पता नहीं हमने यह सवाल कितने बार किया लेकिन हमें एक बार भी वह 100 रु का नोट नहीं मिला।


आज मैं और मेरा भाई दोनो नौकरी करते हैं और दोनो की अच्छी पोजीशन है।आज की तारीख में हमारे पास 500 रु या 2000 रु के कितने सारे नोट हाथ मे और बैंक में भी होते है।लेकिन वह सवाल कभी नहीं आता है।आज की इस महंगाई में उस 100 रु की क्या वैल्यू है?आज के डिजिटल पेमेंट वाले paytm जैसे युग में कौन पैसे जेब मे लेकर चलता है?फिर लोगों के पैसे रास्तो में कैसे गिरेंगें भला?


समय के इस मोड़ पर आकर महसूस हो रहा है कि हम कितने बड़े भी हो गए।और बहुत बदल भी गए है।शायद आज हमारे लिए 100 रु की कोई अहमियत भी नहीं रही है।


हाँ, लेकिन उन 100 रु की यादें हमारे लिए किसी कुबेर के खजाने से कम नही है.....


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