Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Inspirational

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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Inspirational

वेंकट सूर्यनारायण मूर्ति

वेंकट सूर्यनारायण मूर्ति

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आपका जन्म विशाखापट्नम के पास पुर्ली गाँव में 26 फरवरी 1947 को हुआ था। आपके पिता का नाम श्रीरामलु एवं माता का नाम वराहलम्मा था। आपके पिता कृषक थे। 

गाँव की कृषि पृष्ठभूमि वाले परिवार के होने के कारण, आप में प्रतिभा होते हुए भी, आप कक्षा ग्यारह तक पढ़ने के बाद आईटीआई, विशाखापट्नम से प्रशिक्षण ले पाए थे। कुछ अन्य जॉब करने के बाद, आपका चयन इंडियन नेवी में ग्रेड II, फिटर के पद पर हुआ था। नेवी में सेवा पूरी करने के बाद, आप नेवी से सेवा निवृत्त हुए थे। अब आप एट्रिया हैदराबाद में निवास कर रहे हैं। 

आपमें विशेषताएँ एवं सद्गुण अनेक हैं। मेरी लेखनी उन सभी को लिपिबद्ध करने में असमर्थ है। आपके कुछ मुख्य गुणों को लिखा जाए तो शुरुआत इस बात से करना उचित होगा कि आपके दो बेटे हैं। आपके शिक्षा का समय पुराना था और पारिवारिक पृष्ठभूमि कृषि होने से आप आईटीआई ही कर पाए थे। फिर नेवी में सेवा देते हुए जब आपके बेटे हुए तब उनके लिए पारिवारिक पृष्ठभूमि भारतीय सेना की हो गई थी और समय भी बदल गया था। लड़के-लड़कियाँ उच्च शिक्षा प्राप्त करने लगे थे। आपने दोनों बेटों को उच्च शिक्षा के सभी प्रबंध किए थे। इसका परिणाम यह है कि आपके दोनों बेटे उच्च शिक्षित हुए हैं। आपका एक बेटा आईआईएस बेंगलुरु से पढ़ाई करने के बाद वैज्ञानिक हुआ है, जबकि दूसरे बेटे ने आईआईटी खड़कपुर एवं आईआईएम बेंगलुरु से पढ़ाई पूरी की है। आज दोनों अमेज़ॉन कम्पनी में कार्यरत हैं। 

आपके परिवार में अनुकरणीय एवं प्रशंसनीय विशेषता यह है कि आज के नुक्लिएर फैमिली के समय में आपके दोनों बेटे आप एवं अपनी माँ की छत्र छाया में, सयुंक्त परिवार में रहते हैं। 

आप बताते हैं आपके दोनों बेटों में विलक्षण गुण/प्रतिभा हैं। दोनों ही दसवीं तक 100% अंकों के साथ उत्तीर्ण होते थे। कक्षा बारहवीं में भी उनके प्राप्तांक 99% से अधिक रहे थे। एक बेटा आईआईटी खड़कपुर में टॉपर भी रहा है। 

दोनों बेटे अपने पापा-मम्मी के आज्ञाकारी हैं। उनका आदर भगवान जैसा करते हैं। आपके साइंटिस्ट बेटे ने तीन वर्ष तक यूक्रेन में भी जॉब किया है। वह यूक्रेन में ही सेटल हो सकता था मगर आपके कहने से कि विवाह भारत में करना है, वह यूक्रेन का जॉब छोड़कर भारत वापस आ गया था। 

दोनों बेटे अब विवाहित हैं। दोनों की पत्नियाँ भी जॉब करती हैं। एक बेटे के दो बच्चे एवं दूसरे के एक बेटा है। आप सपत्नीक अपने पोते-पोतियों सहित अपने परिवार में आनंद से रहते हैं। 

आपके बारे में हमारे कॉमन फ्रेंड सत्या दुवारी जी बताते हैं, आपको संस्कृत सहित जीवन के अनेक क्षेत्र का अच्छा ज्ञान है। सत्या नित दिन आपके साथ प्रातःकालीन भ्रमण करते हुए आपकी बताई बातों से ज्ञान वर्धन करते हैं। सत्या जो स्वयं प्रोफेशनल ट्रेनर होने से स्वयं अच्छे ज्ञानी पुरुष हैं, वे आपके ज्ञान से इतने प्रभावित हैं कि आपके अनुभव सुनने के लिए वे आपके साथ नित दिन 1 घंटे भ्रमण करने का अवसर नहीं चूकते हैं। 

मैंने, सत्या जी की चर्चा करते हुए आपको बताया - सत्या, आपके बड़े प्रशंसक हैं। आपको अत्यंत अच्छा व्यक्ति बताते हैं। 

आपने उत्तर मुस्कुराते हुए दिया - भगवान सभी को अच्छा बनाते हैं और अच्छे को अच्छों से मिलाते हैं। देखिए आप जबलपुर के और मैं विशाखापट्नम का, हमने कभी सोचा था हम हैदराबाद में कभी साथ होंगे! 

आपकी बात सही है। मैंने नहीं सोचा था, कभी मैं हैदराबाद में रहने आऊँगा। 

एक समय आता है जब कोई कितना योग्य था, इससे अधिक महत्वपूर्ण उसने अपने बच्चों को कितना योग्य बनाया है, हो जाता है। आज आपके दोनों बेटे अत्यंत योग्य हैं, आपकी प्रशंसा, आप क्या थे, से अधिक अब इस बात में होती है, आपके दोनों बेटे उच्च शिक्षित और योग्य हुए हैं।  

आलेख के अंत में यह लिखूँगा, कोई मुझसे पूछे, बॉलीवुड के किसी प्रसिद्ध हीरो एवं वेंकट सूर्यनारायण मूर्ति में से आप किसके प्रशंसक होना चाहेंगे। 

मेरा उत्तर होगा - मेरे लिए वेंकट सूर्यनारायण मूर्ति साहब, हीरो हैं। 

वास्तव में आप ऐसे हीरो हैं जो राष्ट्र एवं समाज निर्माण में ख्याति पाने की भावना बिना जीवन भर समर्पित रहते हैं। 

गलत है यह प्रचलन, जिन्हें राष्ट्र बनाता है, वे राष्ट्र के लिए कुछ विशेष नहीं करते हैं। इसके विपरीत जो राष्ट्र निर्माण के लिए जीवन भर ईंटें जोड़ते हैं, उन्हें राष्ट्र साधारण मानता है। 

भारत की स्वतंत्रता जितनी उम्र आपकी है, आप भी भारत के जैसे अपना अस्तित्व हमेशा बनाए रखें।  


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