वड़वानल -56

वड़वानल -56

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‘‘कल से हम गलतियाँ ही किये जा रहे हैं, ’’  खान के स्वर में उद्विग्नता थी। ‘‘हमने राष्ट्रीय पार्टियों के, विशेषत: कांग्रेस के नेताओं पर भरोसा किया और उनसे नेतृत्व करने की गुज़ारिश की - यह पहली ग़लती थी; और आज गॉडफ़्रे से मिले यह दूसरी गलती थी।’’

‘‘असल में अंग्रेज़ हमसे चर्चा करने के लिए मजबूर हो जाएँ ऐसी परिस्थिति हमें बनानी चाहिए थी, ’’  कुट्टी ने कहा।

कुट्टी का विचार सबको सही प्रतीत हुआ ।

‘‘यदि कांग्रेस अथवा किसी अन्य राष्ट्रीय दल का समर्थन नहीं मिला तो, ऐसा लगता है कि सरकार हमारे विद्रोह को शस्त्रों के बल पर कुचल डालेगी ।’’

खान भविष्य के बारे में आशंकित था।

 

 ‘तलवार’ में इकट्ठा हुए सैनिक पटेल और गॉडफ्रे से मिलने गए प्रतिनिधियों की राह देख रहे थे। गॉडफ्रे से मिलने गए प्रतिनिधि जब ‘तलवार’ पर लौटे तो सैनिकों ने उन्हें घेर लिया। हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक था कि हुआ क्या है।

‘‘दोस्तो! हम गॉडफ्रे से मिले। कोई आशाजनक बात तो नहीं हुई। मौजूदा हालात में क्या करना चाहिए यह निश्चित करने के लिए हमने सेंट्रल कमेटी की बैठक बुलाई है। हमें थोड़ा समय दो । घण्टेभर में हम तुम्हें लाइन ऑफ एक्शन देंगे,’’  खान ने समझाया ।

 

 खान ने गॉडफ्रे से हुई बातों का वृ़त्तान्त पेश किया। सेंट्रल कमेटी के सदस्य बेचैन हो गए।

‘‘सैनिकों के अपने–अपने जहाज़ों पर लौट जाने की शर्त हम स्वीकार नहीं करेंगे। इसका सीधा–सीधा मतलब है - पीछे हटना, ’’  ‘अकबर’  के रामलाल ने विरोध किया।

‘‘हमारा लड़ने का इरादा है। हम लड़ेंगे - बिलकुल आख़िरी साँस तक लड़ेंगे, ’’ ‘तलवार’ के सूरज का जोश अचानक प्रकट हुआ।

खान ने सबको शान्त किया और वह ऊँची आवाज़ में कहने लगा, ‘‘हमने गॉडफ्रे की किसी भी शर्त को स्वीकार नहीं किया है । यदि हम यह समझने की कोशिश करें कि गॉडफ्रे यह शर्त क्यों लादना चाहता है तो हमें उसकी चाल का पता लग जाएगा और हम अपनी व्यूह रचना निश्चित कर सकेंगे।’’

‘‘सैनिकों को उनके जहाज़ों और तलों पर भेजकर उन्हें विभाजित करने की यह कोशिश है, ’’ यादव ने स्पष्ट किया। ‘‘हम विभजित हो गए तो हमारी ताकत कम हो जाएगी; और फिर जहाँ सैनिक कम हैं, ऐसे जहाज़ों का विद्रोह कुचल देने का उसका विचार होगा,  बल्कि उसने ऐसी योजना भी बना ली होगी ।’’

‘‘यादव के अनुमान से मैं सहमत हूँ,’’ मदन ने कहा। ‘‘गॉडफ्रे विद्रोह को कुचलने के लिए क्या–क्या कर सकता है; इन सारी सम्भावनाओं को ध्यान में रखकर हमें निर्णय लेने होंगे और इन निर्णयों से हमारी एकता न टूटे इसका ध्यान रखना होगा ।’’

सैनिक अपने–अपने जहाजों पर लौटें या नहीं, इस प्रश्न पर चर्चा आरम्भ हुई। अधिकांश सदस्यों ने मदन की राय का समर्थन किया।

गुरु ये सारी चर्चा शान्ति से सुन रहा था । उसके मन में अलग ही विचार उठ रहे थे। ‘‘भावना के वश न होकर हम निर्णय लें ऐसा मेरा ख़याल है। हम वस्तुस्थिति पर गौर करें।’’  गुरु पलभर को रुका,  उसने सदस्यों की टोह ली। सब शान्त हो गए थे। ‘‘हमारे प्रतिनिधि सरदार पटेल से मिले। उस प्रतिनिधि मण्डल में मैं भी था । अब यह स्पष्ट हो चुका है कि कांग्रेस अथवा उसके नेता हमारा साथ नहीं देंगे। हम अकेले पड़ गए हैं। कांग्रेस सरकार से सम्बन्ध बिगाड़ना नहीं चाहती इसलिए वह हमारा विरोध कर रही है। कांग्रेस के नेता सरकारी समाचारों और अधिकारियों पर विश्वास रखे हुए हैं। अब हमें सिर्फ एक–दूसरे का साथ है। गॉडफ्रे ने हमें विभाजित करने की ठान ली है। उसकी इस योजना का उपयोग हम अपने लिए किस तरह कर सकते हैं यह देखना चाहिए। समझ लीजिये कि यदि हम सबके सब ‘तलवार’ पर या कैसल बैरेक्स’ में या ‘फोर्ट बैरेक्स’ में रुके रहे तो हम गॉडफ्रे का काम आसान कर देंगे। इन तीनों तलों को घेर लेने से उसकी समस्या हल हो जाएगी। उसकी सेना बड़े अनुपात में बँटेगी नहीं और उसके लिए हम पर ज़ोरदार हमला करना सम्भव हो जाएगा, मगर हम जाल में फँस जाएँगे। मेरी राय यह है कि यदि हम अपने जहाज़ों और तलों पर वापस लौट गए तो उसकी सेना बँट जाएगी। हर जहाज़ और ‘बेस’ पर मौजूद गोला बारूद तथा शस्त्रों का प्रयोग समय आने पर कर सकेंगे। दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह, कि 19 तारीख से हमारी रसद रोक दी गई है। पानी की सप्लाई भी बन्द है। आज के दिन तलवार पर सिर्फ एक दिन की रसद बाकी है और पानी तो करीब–करीब खतम ही हो गया है। ऐसी परिस्थिति में यदि यहाँ और सैनिक आए तो हम सभी भूखे रहेंगे। ध्यान दो, यह तो लड़ाई की शुरुआत है। असली लड़ाई तो आगे है और हमें उसे लड़ना है। सेन्ट्रल कमेटी का कार्यालय ‘तलवार’ में रहें। सेंट्रल कमेटी सभी जहाज़ों और तलों से सम्पर्क बनाए रखे। हम यदि एकदिल से रहे, तभी हमारा उद्देश्य सफल होगा, फिर चाहे शरीर से हम अलग–अलग जगहों पर ही क्यों न रहें। सेन्ट्रल कमेटी के आदेशों का यदि हम ईमानदारी से पालन करेंगे तो हममें एकसूत्रता आएगी। भूलो मत, हमारा अन्तिम लक्ष्य स्वतन्त्रता है। जय हिन्द!’’

हालाँकि गुरु की राय से काफ़ी सैनिक सहमत थे, फिर भी कुछ लोगों को यह पीछे हटने जैसा प्रतीत हो रहा था। गुरु के सुझाव पर काफी चर्चा हुई और सेन्ट्रल कमेटी ने अपना निर्णय दिया। ‘‘सैनिक अपने–अपने जहाज़ों पर लौट जाएँ। यदि एकाध जहाज़ पर अथवा ‘बेस’ पर आक्रमण हुआ तो वे लोग सेन्ट्रल कमेटी से सम्पर्क करें। सेन्ट्रल कमेटी यथोचित निर्देश देगी।’’

निर्वाचित सेंट्रल कमेटी की आज्ञाओं का पालन करने का उन्होंने निश्चय किया। इस आपात्काल में भी वे अनुशासित रहने वाले थे।

 

 

 

घड़ी ने तीन घण्टे बजाए। बिअर्ड ने गॉडफ्रे को ट्रकों और भूदल सैनिकों के तैयार होने की सूचना दी। गॉडफ्रे ने रॉटरे को बुला लिया और उसे आदेश दिये,  ‘‘भूदल की गाड़ियाँ और सैनिक तैयार हैं। एक–दो जीप्स पर लाउडस्पीकर लगवाकर रास्तों पर घूमने–फिरने वाले सैनिकों को अपने–अपने जहाज़ों और ‘बेसेस’ पर पहुँचने की अपील करो। यदि वे जाने के लिए तैयार न हों तो उन्हें उठाकर गाड़ियों में ठूँस दो और उनके जहाज़ों पर ले जाकर छोड़ दो।’’

‘‘यदि एकाध सैनिक ने गड़बड़ की, विरोध किया तो क्या उसे गिरफ्तार करूँ ?’’

‘‘नहीं, बिलकुल नहीं। ऐसी ग़लती न करना। हालाँकि हमारा अन्तिम उद्देश्य इन सैनिकों को चिढ़ा–चिढ़ाकर हिंसा के लिए प्रवृत्त करना है, फिर भी यह सब इस तरह से होना चाहिए कि किसी को कोई शक न हो। इसीलिए सुबह आए हुए प्रतिनिधियों को मैंने गिरफ़्तार नहीं करवाया।’’ गॉडफ्रे ने अपने निर्णय को स्पष्ट करते हुए कहा।                     ''P.R.O. को भेज दो।’’

P.R.O. अदब से भीतर आया। ''Yes, sir,'' सैल्यूट करते हुए उसने पूछा ।

‘‘अखबारों और रेडियो को भेजने के लिए एक प्रेस रिलीज तैयार करो, ’’ गॉडफ्रे ने कहा ।

P.R.O. नोट्स लेने लगा। गॉडफ्रे ने लिखवाया।

‘‘मंगलवार को शहर में गुंडागर्दी की कई हिंसात्मक घटनाएँ हुईं। उन्हें ध्यान में रखते हुए न केवल सामान्य जनता के बल्कि रॉयल इण्डियन नेवी के सैनिकों के भी हित के मद्देनज़र सैनिकों को अपने जहाज़ों और ‘बेसेस’ पर लौटने की अपील करते हुए लाउडस्पीकर लगी गाड़ियाँ मुम्बई में घूम रही थीं। सैनिकों को दोपहर के साढ़े तीन बजे तक वापस लौटने की मोहलत दी गई थीं। साढ़े तीन बजे के बाद यदि शहर में कोई सैनिक नज़र आया तो उसे गिरफ़्तार कर लिया जाएगा ऐसी सूचना भी दी गई थी।‘’

P.R.O. प्रेस रिलीज़ तैयार करने के लिए बाहर निकला। गॉडफ्रे ने एचिनलेक से सम्पर्क किया और की गई कार्रवाई की रिपोर्ट दी ।

''That's good!'' एचिनलेक की आवाज़ की प्रसन्नता गॉडफ्रे से छिपी न रह सकी ।

दोनों खुश थे। परिस्थिति के सारे सूत्र धीरे–धीरे उनके हाथों में आ रहे थे। यह लड़ाई वे जीतने वाले थे। साम्राज्य पर छाया संकट दूर होने वाला था। अंग्रेज़ों को यदि हिन्दुस्तान छोड़ना भी पड़ा तो वे उसे उनकी अपनी शर्तों पर छोड़ने वाले थे, अपमानित होकर नहीं।

नौसैनिक करीब पौने चार बजे अपने–अपने जहाज़ों पर लौट गए और चार बजे नौसेना दल पर पहरे बिठा दिए गए।  गॉडफ्रे सैनिकों का बाहरी दुनिया से सम्पर्क तोड़ने में कामयाब हो गया था। गॉडफ्रे अपने नियत कार्यक्रम के अनुसार ही चल रहा था। हालाँकि सैनिकों को बन्द करने में उसे सफ़लता मिल गई थी फिर भी वह बेचैन था।

 

 ''Good noon, Sir. लगभग सभी सैनिक अपने–अपने जहाज़ों और ‘बेसेस’ पर चले गए हैं, और ख़ास बात यह हुई कि उनमें से किसी ने भी विरोध नहीं किया।’’

‘‘कितने सैनिकों को जहाज़ों और बेसेस पर छोड़ा गया?’’

‘‘करीब आठ हजार।’’

‘‘मुम्बई में सैनिकों की संख्या है करीब बीस हज़ार। इनमें से आठ हज़ार हमने वापस भेज दिए। अब शहर में कितने सैनिक हैं ?’’   गॉडफ्रे ने पूछा।

‘‘ठीक–ठीक संख्या बताना कठिन है।’’

‘‘इन सैनिकों ने यदि शहर में गड़बड़ की तो?’’ गॉडफ्रे ने चिन्तायुक्त स्वर में पूछा।

‘‘सैनिक अपनी मर्ज़ी से लौटे हैं, इसका मतलब उन्होंने जवाबी हमले की योजना बनाई होगी ।’’

‘‘मैं ऐसा नहीं सोचता।’’  रॉटरे ने कहा।

‘‘हमने,  हालाँकि ‘बेसेस’ को घेर लिया है फिर भी हमारा उन पर नियन्त्रण नहीं है; वहाँ विद्रोहियों का नियन्त्रण है। ‘बेसेस’ पर गोला–बारूद और हथियारों का जख़ीरा उनके हाथों में है। वे उनका इस्तेमाल कर सकते हैं। फिर जहाज़ों पर भी हमारा नियन्त्रण नहीं है, और वैसा करना भी हमारे लिए कठिन है।’’ गॉडफ्रे ने अपनी चिन्ता जताई।

 

 सेन्ट्रल कमेटी के सदस्य अभी ‘तलवार’ पर ही थे। ‘तलवार’ के चारों ओर भूदल के सैनिकों का पहरा बिठा दिया गया था। अन्य ‘बेसेस’ पर भी भूदल के पहरों के बारे में सन्देश आने लगे थे। इन ‘बेसेस’ के सैनिक अस्वस्थ थे।

‘‘भूदल नाविक तलों का घेरा डालने वाले हैं यह तुम्हें मालूम नहीं था?’’ चाँद ने पूछा ।

‘‘गॉडफ्रे ने भूदल सैनिकों के पहरे के बारे में कुछ भी नहीं कहा था। यदि उसने इस ओर हल्का–सा भी इशारा कर दिया होता तो हम उसका कड़ा विरोध करते। हम अपनी आज़ादी कभी भी न गँवाते।’’  खान तिलमिलाहट से बोल रहा था। मानो उसके साथियों ने उस पर अविश्वास दिखाया था।

‘‘चाँद ने जो प्रश्न पूछा वह तुम पर या गॉडफ्रे से मिलने गए प्रतिनिधियों पर अविश्वास व्यक्त करने के लिए नहीं था, बल्कि इसलिए किया था कि यदि हमारे हाथ से कोई गलतियाँ हो गई हों तो उन्हें कैसे सुधारा जाए।’’ चट्टोपाध्याय ने स्पष्ट किया।

‘‘ठीक है। मेरी किसी के भी ख़िलाफ कोई शिकायत नहीं है। अब, इस परिस्थिति में हमें कौन–सा कदम उठाना है यह तय करना होगा।’’ शान्त स्वर में खान ने जवाब दिया।

‘‘दत्त, तुम्हारी क्या राय है?’’ गुरु ने पूछा। दत्त, हालाँकि सेंट्रल कमेटी का सदस्य नहीं था, फिर भी उसकी सलाह सभी सदस्य समय–समय पर लिया करते थे।

‘‘कारण चाहे जो भी हो, सैनिक अपने–अपने जहाज़ों और नाविक तलों पर वापस लौट गए हैं; मतलब, गॉडफ्रे की शर्त हमने पूरी कर दी है। हमारा पक्ष अधिक मज़बूत हो गया है; इससे समझदारी और सामंजस्य से यह सब समाप्त करने की तीव्र इच्छा प्रकट होती है। हमारे इस निर्णय से हमें जनता की सहानुभूति प्राप्त करना आसान होगा। इस सन्दर्भ में हमारी भूमिका और लिए गए निर्णयों के बारे में अख़बारों को रिपोर्ट भेजी जानी चाहिए। यह सब जनता तक पहुँचना चाहिए, उसे पता चलना चाहिए। गॉडफ्रे से मिलकर भूदल सैनिकों का पहरा तत्काल उठाने की माँग करनी चाहिए। उसके द्वारा उठाए गए गलत कदम से सैनिक चिढ़ गए हैं। यदि परिस्थिति बदतर हो गई तो इसके लिए गॉडफ्रे और उसकी सरकार ही ज़िम्मेदार होगी यह भी साफ़–साफ़ कह देना चाहिए।’’ दत्त ने सुझाव दिया।

मदन, दत्त और गुरु रिपोर्ट का मसौदा तैयार करने में लग गए और बैनर्जी, कुट्टी, असलम और खान गॉडफ्रे से मिलने के लिए निकले ।

‘‘नौदल–विद्रोह की सेंट्रल कमेटी को यह ज्ञात हुआ है कि,” मदन रिपोर्ट का प्रारूप पढ़कर सुना रहा था, ‘‘सरकार ने मुम्बई के प्रमुख नाविक तलों पर सशस्त्र भूदल सैनिकों का घेरा डलवा दिया है। आज तक शान्त और संयमित सैनिकों के विरुद्ध सरकार की इस हरकत से विद्रोह में शामिल सैनिक अस्वस्थ हो गए हैं। कमेटी इस कार्रवाई को अनावश्यक मानती है। सैनिकों के मन में यह भय निर्माण हो गया है कि सरकार सैनिकों को औरों से अलग–थलग करके इस विद्रोह को शस्त्रों के बल पर कुचल देना चाहती है। पिछले दो दिनों से सरकार ने जहाज़ों और नाविक तलों को खाने–पीने की रसद बन्द कर दी है। 18 तारीख से पानी की सप्लाई भी रोक दी गई है। सरकार द्वारा की गई नाकेबन्दी के कारण अब सैनिक बाहर से भी खाना और पानी प्राप्त नहीं कर सकते।

‘‘सेन्ट्रल कमेटी सरकार पर दबाव डालकर सशस्त्र घेराबन्दी को उठवाने के सभी प्रयत्न कर रही है। कमेटी ने सैनिकों से अपील की है कि सभी सैनिक पूरी तरह से शान्ति बनाए रखें, और एकता बनाए रखें, भावनावश होकर किसी भी प्रकार का हिंसात्मक व्यवहार न करें। परिस्थिति कितनी भी विकट क्यों न हो जाए, हमारा आज तक का अहिंसा का मार्ग और अनुशासन न छोड़ें।’’

 

 



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