VIVEK AHUJA

Horror Tragedy Fantasy

4  

VIVEK AHUJA

Horror Tragedy Fantasy

वैसटन मैरी का मकबरा

वैसटन मैरी का मकबरा

5 mins
280


यह उन दिनों की बात है जब देश के प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री थे और देश पर पाकिस्तान से युद्ध का खतरा मंडरा रहा था। क्योंकि हमारी सेना काफी मजबूत थी लेकिन शास्त्री जी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते थे। इसलिए उन्होंने सभी युवा वर्ग को एनसीसी की ट्रेनिंग लेना अनिवार्य कर दिया

जगह-जगह मिलिट्री के अधिकारियों द्वारा एनसीसी की ट्रेनिंग दी जाने लगी इसी क्रम में नई दिल्ली स्थित विभिन्न कॉलेजों यूनिवर्सिटी आदि में भी एनसीसी ट्रेनिंग के लिए आग्रह किया गया। वहीं नई दिल्ली में एक मेडिकल कॉलेज में भी एनसीसी ट्रेनिंग के लिए वहां की मैनेजमेंट को एक पत्र आया अब एनसीसी की ट्रेनिंग के लिए कुछ छात्रों ने डॉ आहूजा व डॉ विश्वास के नेतृत्व में ट्रेनिंग लेने का मन बनाया।

ट्रेनिंग से संबंधित सभी लिखित प्रक्रिया पूरी होने पर करीब 20/25 छात्रों को ट्रेनिंग के लिए शिमला के निकट डिक साई में ट्रेनिंग के लिए जाना था। निर्धारित तिथि पर सभी छात्र दिल्ली से कालका होते हुए ट्रेनिंग के लिए डिक्स आई के लिए रवाना हुए कालका जी से आगे धर्मपुर स्टेशन के पास करीब दो-तीन किलोमीटर अंदर घने जंगलों के बीच मिलिट्री ट्रेनिंग सेंटर बना हुआ था। वहां सभी को गाड़ियों द्वारा ट्रेनिंग हेतु पहुंचाया गया और चार्ज एंड अटैक की ट्रेनिंग दी गई ।इसके अतिरिक्त सभी छात्रों ने एनसीसी के बी सर्टिफिकेट की ट्रेनिंग भी वहां पूरी करी।

अंतिम दिन जब ट्रेनिंग की समाप्ति की घोषणा हुई तो मेडिकल के छात्रों ने ट्रेनिंग सेंटर के चौकीदार से पूछा कि भाई यहां कोई घूमने की जगह भी है ।चौकीदार ने अपनी पहाड़ी भाषा में बताया के शाब जी यहां पर कोई घूमने की जगह नहीं है बस एक मकबरा है जहां कोई आता जाता नहीं आप वहां जाकर क्या करोगे।

मेडिकल के छात्रों ने उस मकबरे के बारे में चौकीदार से जानने की कोशिश की तो चौकीदार विफर गया और बोला वहां कोई नहीं जाता और आप भी ना जाए क्योंकि रात को वहां पर परी आती है।

परी का नाम सुन मेडिकल के छात्रों में परी को देखने की उत्सुकता और बढ़ गई और उन लोगों ने मन ही मन विचार कर लिया कि अब तो मकबरे पर जरूर जाना है। डॉ आहूजा व डॉ विश्वास ने अपने घनिष्ठ मित्रों संग उसी दिन शाम को वहां जाने का प्रोग्राम बना लिया शुरू में तो करीब-करीब सभी छात्र वहां जाने को मान गए लेकिन जब जाने का नंबर आया तो 8 छात्र ही वहां जाने को तैयार हुए।

सभी आठों छात्र अपने हाथों में टॉर्च लिए मकबरे की तरफ को बढ़ने लगे करीब एक डेढ़ किलोमीटर चलने के पश्चात एक लकड़ी की टाल पर वह लोग रुक गए और वहां पर उपस्थित मुंशी से उस मकबरे के बारे में जानने की कोशिश की कि वह कितनी दूर है ।मकबरे का नाम सुनकर टाल का मुंशी सकपका गया और बोला आप लोग वापस चले जाएं वहां जाकर अपनी जान जोखिम में ना डालें लेकिन सभी लोग वहां जाने का पक्का मन बना चुके थे लिहाजा किसी ने मुंशी की बात को नहीं मानी हार कर मुंशी ने बताया के सामने पहाड़ी के पीछे मकबरा है और टाल से मकबरे पर जाने के लिए पहाड़ी के बराबर बराबर 4 फिट का ही रास्ता है उस 4 फीट के रास्ते के नीचे 100 फीट गहरा नाला है यह कहकर मुंशी बोला अब आप जाने कि जाएंगे कि नहीं लेकिन मेडिकल के छात्र मानने वाले कहां थे वे सभी लोग हाथों में टॉर्च लिए पहाड़ी के बराबर 4 फिट के रास्ते पर एक दूसरे का हाथ पकड़े पहाड़ से चिपक चिपक कर मकबरे की तरफ को चलने लगे रात घनी हो चुकी थी। 

डॉक्टर आहूजा डॉ विश्वास आदि मेडिकल के छात्र धीरे धीरे मकबरे की तरफ को बढ़ रहे थे कभी-कभी तो उनका हाथ पहाड़ी के किसी गड्ढे में पड़ता और उसमें से चमगादड़ या उल्लू का घोंसला छू जाता और उसमें से चमगादर और उल्लू निकल जाते यह देख सभी लोग काप जाते ।

आखिरकार डरते डरते सभी लोग सफलतापूर्वक मकबरे पर पहुंच गए तब तक चंद्रमा भी अपनी पूरी रोशनी बिखेर चुका था चंद्रमा की रोशनी में सफेद संगमरमर का वेस्टर्न मेरी का मकबरा दूध की तरह चमक रहा था ।उस मकबरे पर वेस्टर्न मैरी की लेटी हुई प्रतिमा थी और उनके निकट एक परी की मूर्ति बनी हुई थी। परी की गोद में एक बच्चा था दृश्य बहुत अनूठा था ।क्योंकि वहां काफी लंबे समय से कोई नहीं आया था लिहाजा वहां काफी झाड़ झंकार हो गए थे।

सभी छात्रों ने मिलकर पूरे क्षेत्र की ढंग से सफाई की व कुछ समय वहां व्यतीत करने के पश्चात सभी लोग वापस ट्रेनिंग सेंटर की ओर चल दिए ।

असल में वेस्टर्न मैरी की कहानी वहां प्रचलन में इस प्रकार थी कि वह ब्रिटिश हुकूमत के समय एक ब्रिटिश अधिकारी की पत्नी थी वह डिकसाइ ट्रेनिंग सेंटर के आसपास सरकारी बंगले में रहती थी। एक बार उनके पति जो कि एक ब्रिटिश अधिकारी थे किसी सरकारी कार्य से कुछ माह के लिए इंग्लैंड को रवाना हुए उस समय वेस्टर्न मैरी गर्भवती थी वह सरकारी आवास पर अकेली रहती थी।

उस समय लोगों का यह मानना था की एक परी वेस्टर्न मैरी से रोज मिलने आती है ।वह उनसे बहुत देर तक बातें करती है वह परी वेस्टर्न मैरि को अपनी बेटी समान मानती थी। कुछ समय पश्चात गर्भ काल पूर्ण होने पर प्रसव के दौरान वेस्टर्न मेरी का देहांत हो गया उसी समय उनके पति जो ब्रिटिश अधिकारी थे इंग्लैंड से वापस लौटे थे और उन्हें परी से संबंधित सारी बात पता चली की एक परी वेस्टर्न मैरी से रोज मिलने आती थी और और उन्हें अपना बेटी मानती थी ।यह सुन वेस्टर्न मैरी के पति ने डिक्सआई के निकट ही एक सफेद संगमरमर का वेस्टर्न मैरी का मकबरा बनवाया और उनके मकबरे के साथ एक परी का भी बहुत बड़ा बुत बनवाया।

सभी छात्र मकबरे से लौटकर अपने ट्रेनिंग सेंटर वापस आ गए जहां पर ट्रेनिंग इंचार्ज अपने पूरे स्टाफ के साथ बड़ी बेसब्री से डॉक्टर आहूजा व डॉ विश्वास के साथियों का इंतजार कर रहा था ।उनके पहुंचते ही ट्रेनिंग इंचार्ज ने सभी छात्रों को बहुत डांटा और उनसे कहा कि अगर उन्हें कुछ हो जाता तो इसकी जवाबदेही किसकी होती इसके अतिरिक्त ट्रेनिंग इंचार्ज ने सभी छात्रों को कोनी के बल 1 किलोमीटर चलने की सजा भी सुनाई।

आज भी डॉ आहूजा व डॉ विश्वास के घनिष्ठ मित्र जब उस मकबरे पर जाने के प्रकरण को याद करते हैं तो शरीर में एक रोमांच पैदा हो जाता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Horror