VIVEK AHUJA

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डाक्टर बहना

डाक्टर बहना

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आज रक्षाबंधन के दिन विनय सुबह जल्दी उठ गया था, स्नान आदि से निपट कर वह जल्दी तैयार हो गया, माता जी भी हैरान थी कि सुबह 10:00 बजे उठने वाला विनय आज इतनी जल्दी कैसे उठ गया । माताजी ने विनय से कहा "आज रक्षाबंधन का मुहूर्त दोपहर 2:00 बजे के बाद है इसलिए राखी की रसम तभी करेंगे" यह सुन विनय अपने कमरे में चला गया और पलंग पर लेट गया। लेटे-लेटे विनय ख्यालों में खो गया और उदास मन से यह सोचने लगा ...........

विनय ने आवाज लगाई "आराधना जल्दी आओ, आज तुम्हारा दसवीं का रिजल्ट आ रहा है, उसे देखने चलना है, जल्दी से तैयार होकर आ जाओ" आराधना ने पलट कर जवाब दिया "भैया आप गेट तक पहुंचे मैं अभी आती हूं!" असल में आराधना विनय की लाडली बहन है जिसका दसवीं का रिजल्ट आज आना था ,विनय के पिताजी के बीमार होने के कारण उन्होंने आराधना की पूरी जिम्मेवारी विनय को ही सौंप रखी है । विनय और आराधना की उम्र का अंतर करीब 8 वर्ष है , लिहाजा आराधना भी अपने भाई की बहुत इज्जत करती है और उसके द्वारा कहे गए हर बात को ब्रह्म वाक्य ही मानती है ।घर के बाहर विनय की एक छोटी जनरल स्टोर की दुकान है और उसके परिवार का उद्देश्य आराधना को एक मुकाम हासिल कराना है ।

आराधना तैयार होकर बाहर आ गई और विनय के साथ दसवीं का रिजल्ट देखने चली गई, इंटरनेट कैफे पर पहुंचकर जब आराधना का रिजल्ट आया तो यह देख विनय हैरान रह गया कि आराधना 96 प्रतिशत नंबरों के साथ तहसील टॉपर बन गई थी। इतनी अच्छी रैंक पाकर आराधना बहुत प्रसन्न हुई और अपने भाई से गले लग गई दोनों आराधना का रिजल्ट लेकर घर पहुंचे , रिजल्ट देख विनय के माता-पिता बहुत प्रसन्न हुये ।अब घर में आराधना की आगे की पढ़ाई की चर्चा होने लगी कि उसे अब आगे क्या करना है । काफी विचार-विमर्श के बाद यह तय किया गया की 11वीं में आराधना बायो ग्रुप लेगी और साथ ही मेडिकल की कोचिंग भी करेगी, विनय के पिताजी ने विनय को बुलाया और उससे कहा "बेटा मैं अब काफी बीमार रहने लगा हूं और इतनी भागदौड़ नहीं कर सकता, लिहाजा तुम आराधना की पूरी पढ़ाई का जिम्मा संभालो" विनय ने फौरन आदर्श पुत्र की भाँति छोटी बहन की पढ़ाई का जिम्मा संभाल लिया । 11वीं की स्कूल की कक्षा के उपरांत मेडिकल कोचिंग हेतु शहर ले जाना व लाना पूरी जिम्मेवारी विनय की थी ।धीरे-धीरे समय बीतता गया आराधना 11वी से 12वीं में आ गई और उसकी स्कूल की पढ़ाई व मेडिकल कोचिंग दोनों बहुत अच्छी चल रही थी, अब वह समय भी आ गया जब आराधना ने 12वीं की परीक्षा व मेडिकल प्रवेश परीक्षा दी । परीक्षाओं के करीब 1 माह के पश्चात 12वीं का रिजल्ट आया जिसमें आराधना ने तहसील टॉप किया , कुछ दिनों के पश्चात नीट का रिजल्ट भी आ गया । आराधना अपने भैया के साथ रिजल्ट देखने इंटरनेट कैफे पहुंची और जैसे ही अपना रोल नंबर नीट की साइट पर डाला तो देखा कि उसने नीट की परीक्षा बहुत अच्छे नंबरों से उतीर्ण कर ली थी ,यह देखते ही विनय व आराधना की आंखों से अश्रु की धारा बह निकली, क्योंकि उनकी 2 वर्षों की मेहनत सफल हो गई थी। घर में तो जैसे त्यौहार का माहौल था बधाई देने वालों की लाइन लगी हुई थी । काउंसलिंग की काफी लंबी प्रक्रिया के बाद आराधना को आगरा मेडिकल कॉलेज में गवर्नमेंट सीट पर प्रवेश मिल गया । विनय एडमिशन की सारी प्रक्रिया पूर्ण करें आराधना को हासटल में ही छोड़ आया, 3 दिन पश्चात रक्षाबंधन का त्यौहार था तो आराधना ने घर चलने की जिद की, लेकिन विनय ने उसे समझाया और कहा "आराधना तुम्हारा नया नया एडमिशन हुआ है एकदम से छुट्टी लेना ठीक नहीं है" यह कह विनय आराधना को हॉस्टल में ही छोड़कर घर आ गया ।

विनय ख्यालों में खोया ही हुआ था कि दरवाजा खटकने की आवाज आई और माताजी ने विनय से कहा "विनय बाहर जाकर देखो कौन आया है" विनय ने जैसे ही दरवाजा खोला तो एक छोटे से बैग के साथ आराधना जोर से चिल्लाई "भैया मैं आ गई, हैप्पी रक्षाबंधन" विनय ने पूछा कॉलेज की पढ़ाई छोड़ कर वह कैसे आ गई तो उसने बताया "कॉलेज में रक्षाबंधन की 3 दिन की छुट्टी हो गई है, और मैं आपके साथ रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने आई हूँ " यह सुन परिवार के सभी लोग आराधना को घर में पाकर बहुत खुश हुए। विनय ने शुभ मुहूर्त में आराधना से राखी बनवाई आज का त्यौहार उसके लिए बहुत विशेष था क्योंकि "डॉक्टर बहना" ने उसकी कलाई पर राखी जो बांधी थी।



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