बदलते रिश्ते
बदलते रिश्ते


विनय अपने परिवार के साथ गोवा जाने का प्रोग्राम बना रहा था । गर्मी की छुट्टियां भी नजदीक थी ,विनय ने दिल्ली से गोवा की फ्लाइट की 4 टिकट बुक करवा ली । गोवा की फ्लाइट दिल्ली से सुबह 4:00 बजे थी सो विनय ने सोचा की राजन जो उसका फुफेरा भाई है, के घर गाड़ी खड़ी कर देंगे वही राञि आराम करके सुबह 4:00 बजे की फ्लाइट पकड़ लेंगे ।क्योंकि राजन का घर एयरपोर्ट के नजदीकी था अतः विनय ने इसी प्रोग्राम को फाइनल कर दिया और राजन को फोन द्वारा सूचना दे दी कि हम निर्धारित तिथि पर उसके घर पहुंचेंगे।
निर्धारित तिथि पर विनय अपने परिवार के साथ राजन के घर पहुंच गए। गाड़ी से लंबा सफर होने की वजह से वह काफी थक चुके थेऔर रात भी काफी हो चुकी थी। राजन ने विनय का काफी स्वागत किया, दिल्ली में राजन का काफी बड़ा फ्लैट था जिसमें एक कमरे में राजन और उसकी पत्नी दूसरे में उसका बेटा व पालतू कुत्ता और तीसरा गेस्ट रूम बनाया हुआ था । राजन का घर काफी आलीशान था अपने बेटे के कमरे में उसने काफी फैंसी डबल बेड रखा हुआ था जो काफी कीमती था । राजन ने विनय के लिए गेस्ट रूम निर्धारित किया गेस्ट रूम में सिर्फ एक डबल बेड था यह देख विनय को बड़ा अटपटा लगा कि उसके परिवार के चार सदस्य एक डबल बेड पर कैसे रात कटेंगे।
विनय राजन के पास गया और बोला मेरा बेटा तुम्हारे बेटे के साथ उसके कमरे में सो जाएगा और हम तीनों गेस्ट रूम में डबल बेड पर जैसे-जैसे रात काट लेंगे । यह सुन राजन ने बीच में ही बात काटते हुए विनय से कहा मेरा बेटा अभी बीमार हो कर चुका है और डॉक्टर ने उसे एहतियात बरतने को कहा है इसे कहीं इंफेक्शन ना हो जाए अतः आप चारो गेस्ट रूम में ही विश्राम करें।
सुबह 4:00 बजे तो आपकी फ्लाइट ही है मैं ओला कैब बुक करा देता हूं जो आपको 2:00 बजे यहां से ले जाएगी यह सुन विनय निरुत्तर हो गए और वापस गेस्ट रूम में जैसे तैसे एक डबल बेड पर परिवार के चारों सदस्यों ने रात्रि काटी रात्रि 2:00 बजे ओला कैब वाला आ गया और विनय परिवार सहित एयरपोर्ट पहुंच गए। विनय अपनी गाड़ी राजन के पास ही छोड़ आए थे और वापसी पर उसे उठाने का कह दिया था। इस प्रकार विनय परिवार सहित गोवा भ्रमण कर जब वापसी कर रहे थे तो रास्ते में उन्होंने राजन से संपर्क करना उचित समझा क्योंकि उन्हें राजन के घर जाना था । विनय ने जब राजन से संपर्क किया तो राजन बोला "मैं जरूरी काम से अपने परिवार सहित फरीदाबाद जा रहा हूं , आप अपनी गाड़ी सोसाइटी की पार्किंग से उठा लेना, मैंने गाड़ी की चाबी गार्ड को दे दी है "यह सुन विनय अचरज में पड़ गया की राजन उसके साथ ऐसा कैसे कर सकता है ।जबकि उसे तो हमारा सारा प्रोग्राम पता था
और उसने हमें सूचित करना भी जरूरी नहीं समझा ।विनय ने चुपचाप हामी भरी व दिल्ली पहुंच कर गार्ड से गाड़ी की चाबी ली और परिवार सहित अपने घर की ओर चल पड़ा। विनय मन ही मन सोच रहा था कि रिश्तो की गर्माहट कहां चली गई है पता ही नहीं चल रहा ।उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह वही राजन है जिसके परिवार सहित घर आने पर विनय और उसकी पत्नी अपना बेड छोड़ खुद जमीन पर सो जाया करते थे दिल्ली की ट्रेन में बैठाने के लिए कई किलोमीटर दूर अपनी गाड़ी से स्टेशन खुद छोड़ने आया करते थे। क्या धन की वृद्धि स्वभाव में इतना परिवर्तन ला देती है यह साक्षात देखने को मिल रहा था।