STORYMIRROR

Akanksha Gupta (Vedantika)

Abstract

3  

Akanksha Gupta (Vedantika)

Abstract

ऊपर

ऊपर

1 min
393

कहाँ से आये थे

ऊपर से।

कहाँ जाना है

ऊपर जाना है।


किसलिए

पेशी है आज।

अदालत कहाँ है

ऊपर।


जुर्म क्या है

कानून तोड़ दिया।

कौन सा कानून

इंसान होने का।


तुम्हारा वकील कहाँ है

मैं अपना वकील खुद हूँ।

तुम्हारी दलील क्या है

मेरी मज़बूरियां मेरी दलील है।


तुम्हारे पक्ष में कौन है

मैं स्वयं ही अपने पक्ष में हूँ।


सभी गवाह और सबूतों को

मद्देनजर रखते हुए यह

अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि

मुलजिम ने ईश्वर के द्वारा

दिये गए शरीर का दुरुपयोग किया है।


वह चाहता तो इसका इस्तेमाल

संसार के प्रति अपने दायित्वों को

निभाने के लिए कर सकता था

लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।


अतः अदालत मुलजिम को

आजीवन आत्मग्लानि से

ग्रस्त रहने की सजा सुनाती है

और जब तक यह सुधरने का

प्रयास नहीं करता तब तक

इसको मानसिक शांति नहीं दी जाएगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract