ऊँचा घराना
ऊँचा घराना
गरीब मनोहर की बेटी गौरी का रिश्ता उसके अद्वितीय सौन्दर्य के कारण एक बहुत ऊंचे घराने में हो गया था।इस रिश्ते से मनोहर की हैसियत इतनी बढ़ गई थी। कि अब वो समाज मे जहां भी जाता,बहुत सम्मान पता।इक पल को तो गौरी भी अपने भाग्य पर इठला गई थी।पर जब वो वहाँ पहुँची,तब कुछ ही दिनों में उसका ये गुमान चूर चूर हो गया।क्योंकि जुआ,शराबखोरी से लेकर दुनियाभर के कई ऐब।उसके उस निहायत शरीफ कहलाने वाले पति में थे।वो बेचारी सारा दिन हवेली में नोकरों की तरह काम करती।ओर फिर रात को अपने शराबी पति के द्वारा प्रताड़ित की जाती।उसके लिये वहाँ न किसी मन मे कोई मान था।ना ही रिश्तों की कोई मर्यादा,अभी वहाँ गए उसे कुछ ही महीने बीते थे पर घर के पुरुषों के भद्दे मजाक सुन सुन कर उसके कान थक चुके थे।फिर महीनों बाद जब वो अपने मायके आई तो उससे मिलने वालों का जैसे वहाँ तातां लग गया।मनोहर भी खुशी से अपनी बेटी के ससुराल वालो कि बड़ी तारीफ किये जा रहा था।जिसे सुन कुछ ही देर में गौरी की आँखे भर आईं।तब वो अपनी कीमती साड़ी के पल्लू से अपना चहरा ढक दूसरे कमरे में चली गई।और वहाँ उपस्थित लोगों को लगा कि वो बेचारी अपने ससुराल व पति की इतनी तारीफ से शर्मा गई होगी।
