Savita Verma Gazal

Romance

4  

Savita Verma Gazal

Romance

उस हादसे ने

उस हादसे ने

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"तुम्हें जी जान से चाहता हूँ निधि और जी नही पाऊंगा तुम बिन" रितिक एक सांस में बोले जा रहा था।

उधर निधि भी मोबाइल पर रितिक की आवाज़ सुनकर उसकी प्रेम भरी लच्छेदार बातों में इतना खो जाती कि उसे भी रितिक से मिलने की तड़प उसके दिल में बढ़ती जा रही थी ।निधि का एम.बीए. का फाइनल ईयर था और रितिक का पहला ही साल था।निधि की सादगी व खूबसूरती थी ही ऐसी कि जो भी देखे बस उसे देखता ही रह जाता था।मृगनयनी सी उसकी बड़ी-बड़ी कजरारी आंखें,गुलाबी शबनमी से उसके होंठ लगता था बिन बोले ही फूल बरसा रहे हों।

उस पर उसके लंबे,घने व काले बाल जिन्हें वो हर समय आज़ाद यानि खुला हुआ ही रखती थी।

पूरा कॉलेज दीवाना था निधि का , मगर निधि वो खुद कभी किसी को आंख भर देखना भी पसन्द नही करती थी क्योंकि उसे पढाई के अलावा कुछ और भाता भी तो नही था।

उस दिन कॉलेज से पीजी तक आते हुए अचानक से बारिश तेज हो गयी और निधि लगभग पूरी तरह से भीग चुकी थी।भीगे कपड़ो में उंसका बदन शीशे की मानिंद चमक रहा था ।

वो अपनी बस के आने का इन्तज़ार कर रही थी लेकिन शाम के पाँच बजे तक भी कोई बस नहीं आयी।

शायद अचानक से मौसम खराब होने की वजह थी या कुछ ओर।तभी उधर से एक गाड़ी आयी और निधि के बिल्कुल बराबर में आकर रुकी।निधि कुछ सोच पाती कि उससे पहले ही रितिक ने बिना कुछ कहे उंसका हाथ पकड़कर उसे अपनी गाड़ी में बैठाने लगा । "अरे रुको तो सही ..मैं नही जाऊंगी गाड़ी में और तुम मेरे लिए परेशान मत होओ ।अभी बस आती ही होगी तो मैं उससे ही चली जाऊंगी।

"तुम्हें क्या लगता है निधि कि आज बस आएगी"? रितिक ने निधि की तरफ एक सवाल उछाला

"हां.. हां आएगी क्यों नही और मैं हर रोज बस से ही तो जाती हूं ,आज भी चली जाऊंगी तुम प्लीज जाओ" वो थोड़ा गुस्से भरे अंदाज में बोली।

"देखिए मैं कोई अनजान तो नही हूँ तुम्हारा जूनियर हूँ और तुम जानती भी हो, फिर इस वक्त जिद मत करो क्योंकि आज बस नही आएगी इधर से रास्ते मे एक एक्सीडेंट हो गया है और मैं खुद भी दूसरे रास्ते से ही होकर आ रहा हूँ ।"

अब निधि ने सोचा कि सर्दी का मौसम है और अंधेरे की चादर भी पूरी तरह से फैल चुकी है इस में यहां खड़े रहना भी तो सुरक्षित नहीं और फिर रितिक उसी के कॉलेज में ही तो पढ़ता है।

"अरे क्या सोच रही हो अब जल्दी से गाड़ी में बैठो मैं तुम्हें तुम्हारे पीजी तक छोड़ देता हूँ" ।

"आं हां..." कहकर निधि गाड़ी में रितिक के बराबर में बैठ गयी ।

दोनों के बीच अचानक से एक खामोशी सी पसर गयी कुछ ही देर बाद अचानक से निधि की ही आवाज़ रितिक के कानों में पड़ी।

"हां बस थोड़ा इधर से लेफ्ट लो और बस मेरा पीजी आ गया समझो" 

"ओह तुमने कुछ कहा? (थोड़ा हंसते हुए) मुझे तो लगा कि गाड़ी में बैठते ही शायद तुम अपने मुंह मे दही जमाकर बैठी हो ।"

रितिक ने गाड़ी को निधि के कहे जगह पर सड़क के एक साइड में रोक दिया ।निधि गाड़ी से उतर कर रितिक की तरफ देखते हुए कहने लगी।

" थैंक्स रितिक आज तुम न आते तो जाने कैसे क्या होता और मुझे कब तक यूँ अकेला सड़क पर ही खड़ा होना होता।सॉरी पीजी में तुम्हे नहीं बुला सकती वरना ..." 

"वरना वरना क्या मेरी कॉफी उधार रही ' कहते हुए रितिक और निधि अपने अपने रास्ते चल दिये।

अब तो हर रोज ही रितिक निधि को अपने साथ गाड़ी में कॉलेज लेकर आने-जाने लगा।दोनों के बीच कुछ पनपने सा लगा और दोनों के दिलों की धड़कन अब एक-दूसरे को देखते ही बढ़ने लगती थी।

निधि भी अब पहले जैसी सीधी सादी नहीं रही थी क्योंकि उसका दिल भी अब रितिक को चाहने लगा था।

"हे हैल्लो कहाँ खो गयी "

अचानक से निधि का ध्यान भंग सा हो गया उसने रितिक से कहा।

"कहीं नहीं रितिक तुमने ही तो अपना फोन होल्ड किया हुआ था।"।

"हाँ अच्छा सुनो निधि यार यूँ आखिर हम कब तक तड़पते रहेंगे ? तुम्हारे पीजी में मैं आ नहीं सकता और कॉलेज टाइम में हम ज्यादा बात नही कर पाते ।ऐसा करते है आज सन्डे है और मैं आ रहा हूँ तुम्हे लेने क्यों न हम मेरे रूम पर आराम से बैठकर बातें करें ?" 

निधि रितिक को ना नहीं कर सकी ।

दोनो रितिक के रूम पर में आज दिनभर बातें करते रहे और खाना पीना भी ।बातों बातों में कब दिन ढल गया पता ही नहीं चला और रात हो आयी थी ।अब पीजी भी ठीक आठ बजे बन्द हो जाता है।

"रितिक कब से कह रही थी कि समय रहते मुझे छोड़ आओ अब देखो न रात के आठ बजे गये और पीजी भी बन्द हो गया होगा ।मुझे बड़ी टेंशन हो रही है रितिक ।

"अरे टेंशन क्यों लेती हो कल सुबह ही चलते है न " 

उस रात निधि और रितिक दोनों ही रितिक के रूम में थे एक ही बिस्तर पर ।निधि फिक्र और घबराहट के मारे सो नही पा रही थी ।

आखिर नींद ने उसकी आंखों में डेरा जमा ही लिया और वो बेसुध हो सो गयी तभी रितिक की आंख खुल गयी और वो निधि को देखकर खुद को रोक नहीं पाया और उसके बहुत करीब आकर उसे अपनी बांहों में भर लिया ।

निधि भी खुद को रोक नही पायी अधजगी सी निधि भी कब उसके आगोश में समा गयी पता ही नहीं चला।दोनो अब एक-दूसरे में खो गये।

सुबह दोनों ही एक दूसरे से नजर नही मिला पा रहे थे।निधि की आंखों में आंसू भर आये।

आखिर रितिक ने ही बोलने की पहल की ।

"निधि सुनो! गलती हम दोनों से हुई है तुम रो ओ मत प्लीज और कोई इस बात को जान नहीं पायेगा ।थोड़ा इंतज़ार करो मेरा फाइनल हो जाये फिर हम शादी कर लेंगे ।हम प्यार करते है एक-दूसरे से निधि हमने कोई पाप नहीं किया ।" 

निधि थी कि बस रोये जा रही थी ।

"अरे रोना बन्द करो मेरी जान ,तुम अब मेरी जिंदगी बन गयी हो औऱ मैं जीवन भर हर कदम पर तुम्हारा साथ निभाउंगा।चलो अब वरना आज कॉलेज पहुंचने में भी देर हो जाएगी।"

निधि ने खुद को संभाला और गाड़ी में रितिक के साथ बैठ गयी ।लेकिन शायद वक्त तो कुछ और ही चाहता था ।

कुछ दूरी पर जाकर एक ट्रक रितिक की गाड़ी से टकराया और बस गाड़ी चूर-चूर हो गयी साथ ही रितिक और निधि भी इस दुखद हादसे में बहुत दूर जा चुके थे ।


उस हादसे ने दोनों को एक-दूसरे की बाहों में हमेशा -हमेशा के लिये सुला दिया उफ्फ! दोनों ने मानों सात जनम जी लिए हों उस एक पल में ही।आज सोचती हूँ कि क्या इतना अमर था निधि औऱ रितिक का प्यार ? 

कि दोनों पल भर साथ जिये और साथ साथ ही इस दुनिया को छोड़कर चले भी गये।।



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