Sangita Tripathi

Inspirational

1  

Sangita Tripathi

Inspirational

उम्मीद

उम्मीद

1 min
88


धीरे धीरे सब्र का पैमाना कम हो रहा कोशिश जारी हैं जंग जीतने की, पर मन का क्या करूँ... जो आषाढ़ के दिन की तरह धूप छाँव की तरह हो जाती हैं रोजमर्रा के कामों से ऊब हो रही है.... हर सुबह एक उम्मीद से नींद खुलती है..दिन -रात कभी इतने लम्बे नहीं लगे जितना अब लगते हैंसड़क पर आवाजाही कम है... रात का सन्नाटा ज्यादा गहराने लगा... पर हिम्मत नहीं हारनी हैदेश की आवाज़ हैं हम साथ हैं... यहीं हिम्मत है आज की परिस्थितियों से निपटने की .... प्रकृति की छटा निखरती जा रही क्योंकि अभी प्रदूषण नहीं हैबीते सालों में आकाश कभी इतना नीला नहीं दिखा जितना अब दीखता हैं... उम्मीद हैं सब जल्दी ठीक होगा


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational