उमेश और उसकी ज़िन्दगी
उमेश और उसकी ज़िन्दगी
मेरा लड़का बड़ा हो रहा है रमा को पता है रमा उमेश की माँ बिन बाप का उमेश जिसकी माँ ने उसको पाल पोश कर बड़ा किया। उमेश के पास न कोई नौकरी थी बस सरकारी नौकरी की तैयारी में लगा रहता था। उमेश बोलता था आज नहीं तो कल नौकरी जरूर लगेगी इस उम्मीद से उमेश प्राइवेट कंपनी में जॉब भी नहीं कर रहा था। साल पर साल बीत गए और उमेश बड़ा होता जा रहा था माँ को डर था नौकरी नहीं करेगा तो मेरे बच्चे से शादी कौन करेगा। बस रमा और उमेश की उम्मीद ज़िंदा थी रमा फैक्ट्री में काम करती थी और उसी से उसके घर का गुजारा होता था, उसकी माँ काफी परेशान थी फिर उसने अपने मालिक से बात की और बोला - साहब में अपने बच्चे के लिए क्या करूँ जिससे वह आगे बढ़े।
मालिक साहब -तुम अपने बच्चे को मेरे पास लेकर आ जाना। अगली सुबह उमेश मालिक साहब के घर जाता वह बोलता तुम इस फैक्ट्री में काम कर लो अपनी माँ के साथ। उमेश गुस्से से - मैंने शिक्षा जो ली वह आपके यहां काम करने के लिए ली है। उससे कुछ फायदा हो इसलिए की है। उमेश काफी दुःखी रहने लगा। उमेश ने सोचा कोई कारोबार खोला जाए उसने छोटी सी दुकान ले ली और कंप्यूटर लगा दिया और वहीं से उसने साइबर कैफे की दुकान खोल डालीं। रमा ने सब कुछ बेच कर साइबर कैफे खुलवाया। उस साइबर कैफे से भी उमेश का काम धंधा नहीं चला और उसको भी कुछ दिनों बाद बंद करना पड़ा। एक दिन उमेश अपने घर की ओर जा रहा था तो एक कार वाला उसके आगे से निकलता उसी दौरान कीचड़ उसके मुंह पर आकर गिरती तो एक सेठ कार के अंदर से निकलता जो दिखने में बहुत धनी और ईमानदार लग रहा था वह उससे माफ़ी मांगता और उसको बोलता बेटा तुम मेरे घर चलो मैं तुमको साफ सुथरे कपड़े देता हूं उसको कार में बिठा कर अपने घर ले जाता वह घर दिखने में काफी अच्छा लग रहा था। उमेश यह देख कर काफी हैरान हो गया फिर एक कमरे से एक लड़की निकली जो दिखने में बहुत ही गोरी थी बस उसके चेहरे पर चमक नहीं थी वह उमेश के कपड़े लेकर आयी जो 10000/- रूपए के लग रह थे। वह सेठ बोला मेरी बेटी पह
ले बहुत हँसती और खुश मिज़ाज वाली लड़की थी लेकिन एक लड़के ने इसकी पूरी ज़िन्दगी बदल दी। मेरी बेटी किसी भी लड़के से शादी नहीं करना चाहती । तुम मेरी मदद करो कि मेरी बेटी पहले की तरह हो जाए। उमेश बोला - ठीक है मैं आपकी मदद करूँगा और बोला मेरे पास कोई नौकरी भी नहीं है
सेठ बोला- कोई बात नहीं तुम मेरे पास कर लो मैं महीने के तुमको 40000/- दूँगा तुम मेरी बेटी के लिए पर्सनल सिक्योरटी का काम करोगे।
उमेश खुशी से हां बोल देता
भागता- भागता वह घर गया और अपनी माँ को ये खुश खबरी दी। अगले दिन सुबह उमेश सेठ के घर पहुँच गया उमेश ने सेठ की लड़की से बात करने की कोशिश की लेकिन वह उससे बात नहीं कर रही थी। उमेश उसको खुली हवा में ले गया।
वह बिना बोले उसके साथ चलने के लिए तैयार हो गई।
वह उसको चाय की टपरी के पास ले गया। चाय पीते पीते उसने फिर बात करने की कोशिश की लेकिन यह चुप्पी खत्म भी नहीं हो रही थी। फिर वह वहां से सिनेमा हॉल ले गया वहां उन्होंने फिल्म देखी फिर वह थोड़ा हँसने लगी उमेश को भी काफी अच्छा लगने लगा। उसने उमेश का नाम पूछा और बोली तुम्हारी कोई प्रेमिका है वह बोला नहीं। और कुछ दिन यूं ही चलता गया नेहा और उमेश दोनों में रिश्ते जुड़ने लगे। लेकिन सेठ को नहीं पता था कि उमेश और नेहा के रिश्ते मजबूत हो रहे है। एक दिन नेहा ने उमेश से बोल दिया कि तुम मेरे से शादी कर लो उमेश बोला तुम्हारे पापा नहीं मानेंगे तुम पापा की चिंता मत करो उनसे बात में कर लूगी। नेहा ने अपने पापा से बात कि और बोली मुझको उमेश से शादी करनी है चाहे कुछ भी हो जाए। वैसे भी मैं पहले धोखा खा चुकी हूं और अब दोबारा दुःखी नहीं होना चाहती वह अपनी बेटी का दुःख समझते हुए उसकी शादी उमेश से करवाने के लिए हाँ कर दी। राजी खुशी उमेश और नेहा साथ रहने लगे और उमेश पार्टनरशिप में सेठ के साथ काम करने लगा।
शिक्षा - ज़िन्दगी का पड़ाव कही से भी अच्छी खबर ला सकता है.