उड़नतश्तरी
उड़नतश्तरी
एक धमाके से रिया की नींद खुल गयी थी। रिया ने खिड़की से बाहर झाँका तो एक तेज़ रोशनी से रिया की आँखें चुँधिया गयी थी। रिया को पेड़ों के बीच कुछ हिलता हुआ सा नज़र आया।
रिया अपने रिसर्च वर्क के लिए जंगल में आयी हुई थी। वह एक फारेस्ट गेस्ट हाउस में रुकी हुई थी। दिन भर जंगल में घुमक्कड़ी करने वाली रिया का जंगल दूसरा घर ही था। रात में ऐसे तो केयर टेकर हमेशा गेस्ट हाउस में ही रुकता था ,लेकिन आज उसके घर में एक शादी होने की वजह से वह रिया से अनुमति लेकर चला गया था। रिया को जंगल से डर नहीं लगता था ,क्यूंकि जंगली जानवरों से ज़्यादा वहशियत तो सभ्य समाज के लोगों में आये दिन देखने को मिलती है।
रिया कुछ देर पहले ही अपनी थीसिस लिखकर बिस्तर पर लेटी थी ,अभी उसकी आँख ही लगी थी कि इस धमाके से खुल गयी। जिज्ञासु प्रवृति की रिया खुद जाने से रोक नहीं सकी ,अतः वह रूम से बाहर बरामदे में आ गयी। गेस्ट हाउस के चारों तरफ दीवार बनी हुई थी। चहारदीवारी के अंदर पेड़-पौधे ,झाड़ियाँ आदि लगे हुए थे। झाड़ियों के पीछे हल्की -हल्की सी कराहने की आवाज़ें भी आ रही थी।
रिया ने बरामदे में रखी हुई लालटेन जलाई। फारेस्ट गेस्ट हाउस में विधुत का कनेक्शन नहीं था। एक छोटा सा जनरेटर था ,उसी से आवश्यकता की पूर्ति हो जाती थी। विधुत उपलब्ध न होने के कारण जंगल में बुद्धुबक्सा अर्थात टीवी की अनुपस्थति रिया को बड़ी सुखद लगती थी। यहाँ पर रखी हुई लालटेन आदि वस्तुएँ इस गेस्ट हाउस की आन्तरिक साजसज्जा में चार चाँद लगा देती थी ,ऐसा रिया को लगता था।
रिया पुराने जमाने की बॉलीवुड हीरोइन के जैसे अपने हाथ में लालटेन लिए पेड़ों के झुरमुट के बीच ,झाड़ियों के पीछे चल दी थी। जैसे ही रिया वहाँ पहुँची ,वहाँ का नज़ारा देखकर रिया के पैर वहीँ ज़मीन पर चिपक गए और उसकी आँखें फैलकर चौड़ी हो गयी तथा उसके शरीर में एक झुरझुरी सी ,कम्पन सा उत्पन्न हो गया था।
उसके सामने एक मानव शरीर जैसा शरीर था ,मानव जैसा इसीलिए क्यूंकि वह मानव नहीं था। उसके दो हाथ थे ,दो पाँव थे लेकिन चेहरे पर से नाक नदारद थी ,दोनों आँखें बिल्कुल पास-पास थी। आँखों पर न तो पलकें थी और न ही भौहें थी। आँखों से नीचे एक छेद जैसा कुछ था ,अब उसे नाक मानें या मुँह। उसकी चमड़ी मेंढक जैसी थी।
रिया को देखते ही उसके हाथ रिया की तरफ बढ़े और उसकी आँखों में रिया को कातरता दिखी। आँखों की भाषा बड़ी आसानी से समझ आ जाती है। उसकी आँखों की सहायता की पुकार रिया देख सकी थी ,अतः डरने के बावजूद भी रिया ने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया था। वैसे भी जंगल में अकेले रहते -रहते रिया की हिम्मत काफी बढ़ गयी थी। रिया के हाथ का सहारा पाकर वह साया उठ खड़ा हुआ था ,उसके शरीर पर कहीं -कहीं पर कुछ हरा सा रसीला द्रव था ;शायद वह उसका रक्त था।
वह साया बार -बार पेड़ों की तरफ इशारा कर रहा था। रिया ने वहां पर एक बॉक्स देखा। रिया ने उस बॉक्स को दूसरे हाथ में उठा लिया था। रिया के हाथ में बॉक्स देखकर ,उस साये की आँखों में चमक आ गयी थी।
रिया उस साये का हाथ थामे ,धीरे -धीरे उसे अपने गेस्ट हाउस की तरफ ला रही थी। रिया समझ गयी थी कि कहानियों में पढ़ी -सुनी एलियन की बातें उसके साथ सच हो गयी है। अपने कमरे में पहुंचकर रिया ने उस साये को बिस्तर पर लिटा दिया तथा उसका बॉक्स पास ही की टेबल पर रख दिया था । उसके बाद रिया ने कपड़े से उसके शरीर पर लगा हुआ हरा द्रव पोंछ दिया था।
उस साये ने बॉक्स की तरफ इशारा किया ,रिया वह बॉक्स लेकर आ गयी थी। उसने अपना हाथ बॉक्स के ऊपर रखा और बॉक्स खुल गया। बॉक्स में कई सारी टेस्ट ट्यूब जैसी ट्यूब रखी हुई थीं। उसने उनमें से एक ट्यूब उठाई और उसे अपने घाव पर रखा ,वह ट्यूब बर्फ के जैसे पिघलकर उसके घाव को भरने लगी। ऐसे करके उसने अपने शरीर के सभी घाव ठीक कर लिए थे। उसके बाद उस साये ने एक ट्यूब निकाली और उसे अपने मुँह पर लगा लिया और देखते ही देखते वह पूरी ट्यूब निगल गया। अब वह साया खुद को काफ़ी बेहतर महसूस कर रहा था।
अब उस साये ने अपनी आँखें रिया पर टिका दी थी। वह भी शायद आँखों की भाषा समझ सकता था। उसे रिया की आँखों में कई सवाल दिखाई दे रहे थे। उसने अपना हाथ आकाश की तरफ उठा दिया था ,शायद वह बताना चाहता था कि वहाँ उसका घर है। उसका घर आकाश में है ,यह तो रिया समझ गयी थी। लेकिन वहाँ वापिस कैसे जाएगा ,यह रिया की समझ से बाहर की बात थी। कल जब केयर टेकर आ जाएगा तो कैसे इस साये को छिपाकर रखेगी ,रिया को यह सवाल बड़ा ही सता रहा था।
फिर साये ने अपना हाथ रिया की तरफ बढ़ा दिया था और रिया ने उसका हाथ थाम लिया। साये ने दूसरे हाथ से रिया को बिस्तर पर बैठने का इशारा किया। रिया उसके पास आकर बैठ गयी थी। फिर साये ने अपने बॉक्स को दोबारा खोला और उसमें से गाड़ी के चाबी के आकार जितनी एक चीज़ बाहर निकाली। उसे वह देखने लगा और फिर रिया की तरफ देखा। रिया भी उसे देखने लगी ,वह एक स्क्रीन थी ;जिस पर उसके जैसे कुछ लोग थे। रिया को देखते ही वह लोग अपने हाथ गोल -गोल घुमाने लगे ,जैसे हम व्यायाम करते हुए करते हैं। वह साया बार -बार रिया की तरफ इशारा करते हुए ,कुछ बड़बड़ा भी रहा था। शायद वह अपने प्रियजनों से बात कर रहा था और उन्हें रिया के बारे में बता रहा था। रिया को ख़ुशी थी कि उसकी थोड़ी सी हिम्मत और मदद ने उस साये परिवार से दूर होने से बचा लिया।
कुछ ही देर में फिर से धमाके आवाज़ आयी ,रिया और उस साये ने बाहर देखा तो वहां पर एक उड़नतश्तरी थी। यह एक डिस्क के आकार की थी ,साया ज़ोर -ज़ोर से कूदने लगा। उसके लोग उसे लेने आ गए थे। रिया का हाथ पकड़कर वह बाहर आया और बॉक्स से एक ट्यूब निकालकर रिया को दे दी तथा वहाँ से अपने लोगों की तरफ बढ़ चला। रिया उसे जाते हुए देख रही थी।
