Priyanka Saxena

Inspirational

4.4  

Priyanka Saxena

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उड़ान

उड़ान

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आरती अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी, इसके लिए उसने अपनी सहेली चारु को पापा को मनाने के मिशन‌ पर लगाया। चारु आरती की पक्की वाली सहेली थी बचपन से ही साथ पढ़ी खेली थीं। एक ही सरकारी ऑफिस में दोनों के पिता काम करते थे तो एक ही काॅलोनी में रहते हैं। बस चारु के पापा सीनियर मैनेजर हैं और आरती के क्लर्क तो मकान के टाइप अलग है, चारु के पापा को ऑफिसर्स बंगला मिला है और आरती के पापा टाइप चार के फ्लैट में रहते हैं लेकिन आर्थिक असमानता आरती और चारु की दोस्ती में नहीं झलकती है और इसका कारण चारु के माता-पिता का सज्जन होना और दूसरों को कमतर नहीं समझना है।

इसी वर्ष चारु और आरती दोनों ने बीए पास किया है, यूनिवर्सिटी में प्रथम स्थान आरती ने और चारु ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया है।आगे दोनों ही सिविल सर्विसेज की तैयारी करना चाहती हैं परंतु आरती की मम्मी ने उसके दोनों छोटे भाई-बहन का वास्ता देकर आरती के पापा से उसके लिए जल्द ही लड़का ढूंढ़ कर हाथ पीले करने की जिद पकड़ ली। बहुत समझाया आरती ने कि मुझे बस दो साल और दे दो मैं आपको कुछ बनकर दिखाना चाहती हूॅ॑ लेकिन मम्मी टस से मस नहीं हो रही हैं।

जब चारु ने यह सब बातें अपने घर बताई तो चारु के पापा ने कहा," चिंता न करो चारु। आरती मेहनती और बुद्धिमान लड़की है मैं भी चलता हूॅ॑ तुम्हारे साथ शाम को और मनाने की कोशिश करता हूॅ॑।"

शाम को सीनियर मैनेजर साहब को घर आया देखकर आरती के पापा हैरान रह गए।चारु के पापा ने इतने अच्छे तरह से आरती के माता-पिता को समझाया कि उन्हें मानना ही पड़ा।

चारु के पापा बोले," रामदीन और भाभी आपको आरती पर गर्व होना चाहिए और आगे कम्पटीशन की तैयारी के लिए समय देना चाहिए। चारु और आरती दोनों बच्चियां मिलकर तैयारी करेंगी और देखना एक दिन हम सबका नाम रोशन करेंगी।"

"साहब हम सोच रहे थे लड़की जात है शादी समय से कर दें आगे उसके छोटे भाई बहन भी हैं।"

"भाभी, आरती की शादी के लिए लड़के खुद आएंगे उसका हाथ मांगने, इतनी काबिलियत है उसमें बस आपको उस पर‌ विश्वास रखना होगा!'

"ठीक है बिटिया, हम तुम पर विश्वास कर समय देते हैं, हमारे भरोसे को कायम रखना।" मम्मी ने सिर पर हाथ रखकर आरती को आज्ञा दे दी। मम्मी का वो स्पर्श मानो आरती में आत्मविश्वास की ज्वाला को प्रज्वलित कर गया और एहसास उसमें कि मम्मी का भरोसा बनाए रखना है, लक्ष्य प्राप्ति में माॅ॑ का वो स्पर्श जादू सा काम कर गया।

अनुमति मिलते ही दोनों सहेलियों ने ना दिन देखा ना रात, बस पढ़ाई में अपने को झोंक दिया।एक साल की निरंतर तैयारी के बाद सिविल सर्विसेज की प्रारंभिक ( प्रिलिम्स ) परीक्षा उत्तीर्ण कर दोनों ने मुख्य ( मेन्स) परीक्षा भी पास कर ली। कुछ समय बाद साक्षात्कार ( इंटरव्यू) हुआ और आज उसका रिजल्ट आने वाला है ...

चारु के घर सभी मौजूद हैं- चारु, आरती, दोनों के माता-पिता और भाई बहन सभी को बेसब्री से इंतजार है...रिजल्ट घोषित हुआ और परिणाम आते ही सभी के मुख खिल उठे।चारु ने ऑल इंडिया रैंक इक्कीस और आरती ने सातवींं रैंक हासिल किया.... वास्तव में दोनों बेटियों ने माता-पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। अब खुला आसमां है दोनों के सामने और मनमुताबिक उड़ान भरने के लिए वे स्वतंत्र हैं।

आरती की मम्मी ने कहा," साहब ,आपका बहुत आभार, उस दिन आपने हमारी बेटी का भविष्य मेरे हाथ बिगड़ने से बचा लिया। हमारी बिटिया भी अफसर‌ बनेगी, भर‌ लो उड़ान बिटिया तुम, हम मानते हैं गलत थे उस वक्त हम जब तुम्हें रोककर , तुम्हारे हौसला तोड़कर शादी करवाना चाह रहे थे। बेटा हो या बेटी दोनों को अपने पैरों पर खड़े होने का हक है।"

चारु के पापा बोले," भाभी, ये तो आरती बेटी की मेहनत और कड़ी लगन का फल है और उसकी चाहत और सपना कि वह अपने पैरों पर खड़ी हों का परिणाम है। देखिए, हमारी बच्चियां बहुत सी लड़कियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई है।"

सभी ने सहमति में सिर हिलाया और दोनों बेटियों को सीने से लगा लिया। ज़िन्दगी ने सफलता के सुनहरे रंग से परिचित करा कर आरती की मम्मी की ऑ॑खें खोल दी, पता चल‌ गया उनको कि कुछ धैर्य, थोड़ा विश्वास और पूरा साथ देकर बच्चों की प्रतिभा को निखारा जा सकता है क्योंकि हिम्मत करने वाले की कभी हार नहीं होती है बस बच्चे में वो जज्बा होना चाहिए...

दोस्तों, मुश्किलें बहुत आती हैं पर जीत उसी की होती है जिसके इरादों में दम होता है। आरती अपनी बुद्धि, लगन और मेहनत से अपने लक्ष्य को हासिल करके ही मानी।


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