Twilight Killer Chapter-9
Twilight Killer Chapter-9
पांचों टेबल के पास लगी हुई कुर्सियों को गर्म किये हुए थे और अभी-अभी हिमांशु की बात गंभीर हुई थी। वो चारों भी हिमांशु की तरह ही स्पेशल फोर्स के ऑफिसर्स थे जो कि सीधे प्रधानमंत्री के अंडर काम करते थे पर हिमांशु कभी भी किसी टीम के साथ काम नहीं करता था और न ही वो चारों ने कभी भी हिमांशु के अंडर काम किया था। हिमांशु एकलौता स्पेशल अफसर था जो कि सीधे प्रधानमंत्री से जुड़ा हुआ था बाकी हिमांशु के अलावा भी 3 ऑफिसर्स थे जो कि एक पूरे 50 स्पेशल सोल्जर्स के स्क्वाड को कमांड करते थे जिनमें इस से पहले ये चारों काम करते थे। उनके इस स्पेशल फ़ोर्स का नाम ‘सिल्वर स्टार’ था जो मुख्य तौर पर आतंकवादियों से डील करते............और 2 ऐसे कारण थे कि हिमांशु बाकी के 3 कमांडर से भी ज्यादा प्रभावशाली था!
पहला तो यह कि वो पहला सोल्जर था सिल्वर स्टार का जिसने 18 साल की छोटी उम्र से एक स्पेशल सोल्जर की तरह काम किया था। और दूसरा यह कि हिमांशु ने कई सारे छोटे बड़े आतंकवादी संगठनों को तबाह किया था, उसने इतने सारे आतंकवादियों को मारा था कि पूरे अंडरवर्ल्ड में हिमांशु को एक अनोखे और डरावने नाम से जाना जाता था..... “ब्लैक हॉक”!
“ओके सर! आप अपनी बात कहिए” टीना ने सभी मेंबर्स की तरफ से कहा
“क्या तुम लोग जानते हो कि मैं इस मिशन से पहले कहाँ पर था?” एक सामान्य सवाल पूछा गया
“हाँ सर” टीना ने जवाब दिया “आप एक सीक्रेट मिशन के लिए....चीन गए थे!”
सभी ने एक दूसरे के चेहरे को देख कर कंफर्म किया कि वो सभी इतना तो जानते ही थे,
“ली-जियांग! अरुणाचल प्रदेश से काफी पास का इलाका है जहाँ पर मैं अपने मिशन के लिए गया था। मेरा काम था वहाँ के उस संगठन का पता लगाना जो कि दूसरे देशों में घुस कर वहां के क्रिमिनल्स को सपोर्ट कर रहे थे और.....ये लोग भी ह्यूमन ट्रेफिकिंग से जुड़े हुए थे”
यह बात सुनते ही सभी की आंखे एकदम फटी की फटी रह गईं, उन्हें इस बात का जुड़ाव दिखने लगा!
“क्या आप यह कहना चाहते है कि जिन लड़कियों से भरा हुआ कंटेनर हमने पकड़ा है वह भी किसी तरह से उस संगठन से जुड़ा हुआ है?” राम ने सबसे पहले सब के मन की बात कह दी
हिमांशु ने केवल हामी भरी और अपनी बात को आगे बढ़ाया
“ली-जियांग बहुत बड़ी जगह नही है और न ही वहाँ पर शहरीकरन अभी बढ़ा है इसलिए वाहन पर इस तरह के संगठन का होना बहुत ही आम था और मैं उस संगठन को पूरी तरह से खत्म करने के लिए गया था!” इतना कह कर हिमांशु एकदम चुप हो गया, उसने नीचे देखते हुए सांस छोड़ी।
“तो फिर क्या हुआ सर?” हिमांशु की खामोशी ने इतना तो समझा दिया था कि वो मिशन अच्छा नहीं गया था।
“इतने सारे संगठनों को तबाह किया है कि मैं गिनती ही भूल गया हूँ, कत्लेआम तो कुछ भी नहीं मैंने हजारों की संख्या में लाशें बिछाई है.......और पिछले मिशन में पहली बार मुझे एहसास हुआ कि यह दुनिया कितनी बड़ी है!.........उस दिन मैं पहली बार अपने मिशन में फेल हो गया.......” हिमांशु के अंदर गुस्सा था पर वह शांति से सब कुछ बता रहा था “आतंकवादी केवल बंदूक चलाना जानते है,....कम से कम मैं तो यहीं जानता था पर उस रात, मेरा यह भ्रम टूट गया.....एक पुरानी इमारत में मैंने बहुत सारे लोगों को बंदी बना कर ले जाता है देखा, वो एक पहाड़ी क्षेत्र था। मैंने देखा कि किसी के पास भी कोई बंदूक नहीं थी तो मुझे लगा कि शायद उनका डर ही इतना ज्यादा यही कि उन्हें हतियारों की जरूरत ही न हो, हालांकि उनके पास चाकू और तलवारें थी”
“चाकू और तलवारें,...याकूजा वगेरह थे क्या?” राघव ने गर्दन सहलाते हुए पूछा
“नहीं, मैं याकूजा से एक दो बार भिड़ा हूँ इसलिए मुझे अंतर पता है” हिमांशु ने जवाब दिया
“जब मैं उस इमारत में घुसा और देखा तो लोगों को पिंजरे में बंद किया हुआ था और उन्हें बेहोशी के इंजेक्शन लगाये जा रहे थे। उनके जाते ही मैं अंदर चला गया पर.......उन लोगों ने मुझे घेर लिया। वो जानते थे कि मैं वहीं पर हूँ पर उन्होंने नाटक किया ताकि मुझे कुछ भी पता ना चले। और जब मैं उन सभी से भिड़ा तो समझ आया कि वो कोई आम लोग नहीं थे....वो सभी चाइनीज मार्शल आर्ट्स में ट्रेनेड थे और फिर जब मैं उन से लड़ने लगा तो पता चला कि वो ताकतवर थे...बहुत ही ज्यादा ताकतवर। हर एक को मारना बहुत ही ज्यादा मुश्किल था ऐसा लग रहा था कि मैं इंसानों से नहीं जंगली जानवरों से लड़ रहा था पर आखिरकार मैं उन सभी को मारने में सफल हुआ, कुछ घायल भी हुआ। पर यह सब तो कुछ भी नहीं था, असल में उनका टारगेट वो लोग नहीं थे जिन्हें ह्यूमन ट्रैफिकिंग के लिए पकड़ा गया था बल्कि उनका निशाना मैं था! कुछ ही सेकण्ड्स में उनके लीडर से लड़ते हुए मुझे पता चला कि उस पूरी इमारत को बम से उडाया जाने वाला था और उन्होंने ऐसा ही किया....उस पूरी इमारत और उनके अंदर के लोग बम ब्लास्ट में मारे गए........और मैं फेल हो गया”
सभी ने हिमांशु की बात ध्यान से सुनी और इस बात का अहसास हो गया की वो आतंकवादी संगठन बहुत ही ज्यादा ताकतवर लोगों से भरा हुआ है। जब हिमांशु को उन से निपटने में इतनी दिक्कतें हुई तो अगर उन लोगों को समय पर नही रोक गया तो बहुत बड़ी परेशानी हो जाएगी। वे सभी हिमांशु की बात से थोड़ा सा हिल गए थे
“तो क्या......” टीना कुछ कहना चाह रही थी जिसका जवाब हिमांशु ने उसके शब्दों को पूरा करते हुए कहा
“ हाँ, कल की घटना उस संगठन से ही जुड़ी हुई है” हिमांशु ने कहना जारी रखा “मुझे ली-जियांग में ही पता चल गया था कि उनका एक बहुत ही खास मुंबई गया है, इसलिए मैंने मुंबई आने का फैसला किया....और फिर मुझे जय का केस भी दिखा, जिस से मुझे समझ आ गया कि नवल की मौत भी इस संगठन से जुड़ी हुई है!”
“तो क्या तुम्हें पता चला कि वो कौन सा संगठन है?”
सभी की नजर पीछे से आई उस आवाज पर गयी, जहाँ पर दरवाजे से टिकी हुई आसुना और निहारिका यह सब सुन रही थी,......वह सवाल आसुना का था। हिमांशु ने उन्हें अपने पास सीट लेने का इशारा किया। वो दोनों सीधे आकर उन खाली कुर्सियों पर बैठ गए।
“तुम्हारे सवाल का बहुत ही कठिन जवाब है!....” हिमांशु ने थोड़ी बचकानी आवाज में कहा, सभी की नजर फिर एकदम हिमांशु पर ही टिक गईं। “ और जवाब है....नहीं!”
सभी बहुत ही आस के साथ कान लगाए उसे सुन रहे थे, ‘नहीं’ सुनते ही वो सभी पीछे हटते हुए कुछ हताश से दिख रहे थे। आखिर हर कोई जानना चाहेगा कि हिमांशु जैसे ताकतवर अफसर को किस आतंकवादी संगठन ने मात दी थी,
“पर इतनी बात तो पक्की थी कि ये आतंकवादी संगठन हमारी कल्पना से भी ज्यादा ताकतवर है और इस वक्त कुछ बेहद ही खतरनाक लोग..रिसर्चर नवल के द्वारा बनाये गए उस ड्रग के पीछे पड़े हुए है। अगर वो ड्रग इनके हाथ लग गया तो.......!?”
हिमांशु को आगे कुछ भी कहने की जरूर नहीं थी, वह ड्रग इतना एडवांस था कि उसे उपयोग करने वाला फिर बीमार नहीं पड़ेगा! ऊपर से वह लोगों को ताकतवर बनने में भी मदद कर सकता था.....गलत हाथों में जाने से पूरे दुनिया में किसी प्रलय जैसी आफत आ सकती थी।
“पर वो ड्रग है कहाँ पर?...इस बारे में कुछ पता है क्या?” निहारिका ने पूछा
“मुझे लगा तुम दोनों को पता होगा!?” हिमांशु ने एक तक कहा
“अगर पता ही होता तो अब तक वो ड्रग ‘जय’ के पास होता!” निहारिका ने भी 2-टूक जवाब दिया
“फिर आखिर वो ड्रग नवल ने छुपाया कहाँ होगा? और छुपाया भी होगा तो ऐसी जगह ही ना जहाँ पर कोई और नहीं तो कम से कम उसके अपने ढूंढ सके?”
“फिर तो वो कोई ऐसी जगह होगा जो जय को अच्छे से मालूम हो?” निहारिका ने कहा
“हाँ, यह हो सकता है...तो फिर क्या जय ने उसे ढूंढ लिया है? या फिर वो पहले अपने दोस्त के कातिलों को ढूंढ रहा है?” हिमांशु के सवालों से वहाँ सभी सहमत थे क्योंकि पक्का अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता था “अगर मेरा शक सही है तो जय कातिलों के पीछे..आतंकवादी जय के पीछे...और हम आतंकवादियों के पीछे......अरे ये तो वैसा ही हो गया न जैसा वो गाना है!..क्या बोल थे उसके...., हाँ.....;
“तेरे पीछे मैं मेरे आगे तू
रन रन
कभी आगे तू कभी पीछे मैं
फन फन
देखेगा जलवा अब तो तू
विद माय गन गन
एक ही तो बच के निकलेगा
ये तो डन डन........../
मेरा फेवरेट है “ हिमांशु ने जब वो गाना गाया तो सुनने में काफी अच्छा लगा.......
“तो फिर आगे क्या करने वाले हो?....क्या जय का पीछा करोगे?” निहारिका ने कहा
“पहले तो हम यह जान लेते है कि कल हुई घटना की क्या रिपोर्ट है!” हिमांशु ने पुनीत को इशारा किया, रिपोर्ट दिखाने के लिए “उसके बाद ही हम अपनी चाल चलेंगे”
पुनीत की तबियत भले ही ठीक नहीं थी पर वो अपना काम भली-भांति करना जानता था। उसने कल रात को ही इनफार्मेशन मिलते ही अपनी रिपोर्ट तैयार कर दी थी क्योंकि अगला कदम बहुत ही जरूरी होने वाला था। निहारिका और आसुना....हिमांशु को देखते ही रह गईं।
पुनीत ने अपने टैब पर उस रिपोर्ट को खोला और उसे टेबल के बीच में रख दिया। तब के होलोग्राम की वजह से सारी जानकारी हवा में दिखने लगी...नीली रोशनी से भरी हुई उस जानकारी को पुनीत समझाने लगा,
“कल रात को जिन लड़कियों को पुलिस ने रेस्क्यू किया था, उन सभी को वाशी के अस्पताल में भेज दिया गया था जहाँ पर उनका इलाज बिना किसी पैसे के हो रहा है। उन सभी को पिछले तीन दिनों से ड्रग्स के रेगुलर डोज दिए गए थे इसलिए उन्हें रिकवर करने में काफी समय लगने वाला है, और इस सब में गौर करने वाली बात यह है कि यह घटना नवीमुम्बई अस्पताल के पीछे घाटी थी पर फिर भी उनकी एक भी एम्बुलेंस वहाँ पर नहीं आयी थी.......” सभी पुनीत की बात ध्यान से सुन रहे थे, ऊपर होलोग्राम में उन्हें वीडियो और कुछ न्यूज़ रिपोर्ट भी दिख रही थी..सब कुछ हवा में चल रहा था। पुनीत ने बोलना जारी रखा,
“दूसरी बात यह कि वो जो कार्गो यार्ड है उसके मालिक का नाम पता चल गया है!.....” यह बात थी जिसने हिमांशु के साथ- साथ सभी का ध्यान खींचा था “वो और आसपास की काफी सारी इमारते भी “प्रसाद कंस्ट्रक्शन’ के अंतर्गत है जिसके मालिक का पूरा नाम करन प्रसाद है। आज मीडिया भी उसके आफिस गयी थी पर उसकी जगह उसके मैनेजर ने सभी से बात की और कहा कि वो कारगोयार्ड उन्होंने ‘कुंभ नाम के शख्श को बेच दिया था। और यह कुम्भ वहीं है जिसे जय सर ने उस रात सबसे आखिर में मारा था”
“इस करन से मीटिंग फिक्स करवाओ, जरूरत पड़े तो किसी भी अधिकारी से परमिशन ले लो। जरा इस करन की खबर लेते है....और....!”
करन प्रसाद का नाम सुनकर निहारिका और आसुना के चेहरे पर असमंजस और....ऐसे भाव थे जैसे किसी ने उन्हें कुछ बुरी यादें दिख दी हो।
“क्या हुआ निहारिका....? क्या तुम इसे जानती हो?”
“हाँ, दसअसल यह हमारे ही साथ स्कूल में पढा हुआ है.....और ये उन लोगो में से एक है जिनकी जय से पटती नहीं थी!” निहारिका ने दांत पीसते हुए कहा
“फिर तो इस तक हमें जय से पहले पहुंचना होगा...अगर हमें यह बात पता है तो जय को भी पता चल गई गयी होगी.... पुनीत जल्दी से इस करन से कांटेक्ट करो”
पुनीत ने अपना काम करना शुरू कर दिया और इसी बीच आसुना के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान आयी, उसने अपनी कुर्सी पर बैठे हुए ही हिमांशु को देखा जो उसके बोलने का ही इंतजार कर रहा था;
“तुमने पूरी रात इस सब को पता करने में लगा दी और......” आसुना ने कुर्सी से टिकते हुए कहा “अब तक तो जय ने एक्शन भी ले लिया होगा!”.................
