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Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

4  

Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

Twilight Killer Chapter 28

Twilight Killer Chapter 28

15 mins
374

जापान में रहे उसे अभी 5 दिन गुजर चुके थे, उसने काफी कुछ देखा था वहाँ पर। जिस समय वो वाहन पर गया था तब ‘श्राइन’ फेस्टिवल शुरू हो चुका था जिसमें लोग मंदिरों की झांकिया बनाये हुए कोई ठेले पर तो कोई छोटे ट्रक पर सवार पूरे शहर में घुमाया करते थे। बहुत ही अच्छी सजावट के साथ लोग भी उन झांकियों के पीछे इकट्ठे होकर जाया करते थे। यह सारे नजारे देख कर हिमांशु को ‘नवरात्रि’ की झांकियों की याद आ गयी, लोग इसी तरह दुर्गा जी की अलग-अलग मूर्तियों को देखने के लिए निकलते थे, मेला लगता था और जोर-शोर से लोग सुबह शाम की पूजा में इकट्ठे होते थे। इन 5 दिनों में हिमांशु केवल झांकियां ही देखा था पर आज वो मेले में जाने वाला था। इतने दिनों में जय और आसुना के बारे में उसने काफी कुछ जान लिया था और अब वो जय से भिड़ने के लिए तैयार था। उसे फिर भी इस बात की चिंता थी कि कहीं जय उतना ही ताकतवर हुआ जितना कि वो ‘उस’ रात था, तो हिमांशु को पूरा यकीन था कि वोई उसे रोक नहीं पायेगा। एक तरफ मुम्बई में ईस्टर्न फैक्शन खुला घूम रहा था दूसरी ओर वो यहाँ पर केवल जय को रोकने का तरीका ढूंढने आ या था?.......हाँ भी और नहीं भी!

हिमांशु केवल जापान जय और आसुना के लिए नहीं आया था, उसके पास एक सफेद पट्टियों से बंधा हुआ चॉपर*(एक बड़ा और चपटा चाकू जो कि प्रायः मांस काटने के प्रयोग में लाया जाता है) था, जिसके ऊपर लकड़ी का एक कवर भी था। उसने गाओ-पेंग की सहायता से उस चॉपर को एक पुरातनवादी को जांच के लिए भेजा था, जब भी वो उसे हाथ मे पकड़ कर लड़ने के लिए सोचता था तो ऐसा लगता था जैसे वह लड़ने के लिए उतावला हुआ जा रहा है! 2030 चल रहा था और इस समय में हिमांशु किसी भी तरह की अदृश्य शक्तियों में भरोसा नही करता था पर, वह निश्चिन्त नहीं था। इसलिए उसने वह चॉपर गाओ-पेंग के द्वारा बताए हुए पुरातनवादी को जांच के लिए भेज दिया था...गाओ-पेंग ने बताया था कि वो पुरातनवादी पुरानी चीजों की बहुत ही सटीक जानकारी रखता है और उसके पास पहले भी ऐसे ही केस आये है जब किसी की कोई पुरानी वस्तु ‘श्रापित’ साबित हुई है....हिमांशु ने इस पर भरोसा नहीं किया था।

बूढ़े सतोशी का वह घर पत्थरो की कटाई हुई ईंटों से बना हुआ था जिसकी निचली आधी दीवारों पर पुट्टी नहीं लगी हुई थी और छत पर लगे हुए कवेलू नीले रंग के थे। वो घर इतना बड़ा था कि उसमें आराम से 20-25 लोग बन सकते थे, हिमांशु के अलावा बूढ़े सतोशी के साथ उसके 8 स्टूडेंट्स भी रहते थे। घर के बीच एक बड़ी सी खुली जगह थी जहां पर किनारों पर छोटी-छोटी क्यारियों में कुछ पौधे लगे हुए थे। वो क्यारियां नीचे की ओर थी तो ऊपर वाली जगह को पार की तरह इस्तेमाल किया जाता था। हिमांशु ने उन स्टूडेंट्स को वहाँ पर बैठ कर चाय पीते हुए देखा था। वह खुद अभी चाय पीकर घर के बाहर ही खड़ा हुआ था, ठंडी-हवा के मजे ले रहा था

“लगता है भारत में ठंडी हवाएं नसीब नहीं होती अब?”

हिमांशु पीछे मुड़ा और बूढ़े सतोशी को देख कर मुस्कुराया, वो आकर हिमांशु के बगल में खड़े हो गए..उनकी ऊंचाई हिमांशु ने थोड़ी ऊंची थी।

“ऐसी बात नहीं है” हिमांशु मुस्कुराया “मेरे काम मे चैन की सांस कम ही नसीब होती है”

“क्या तुम कल जा रहे हो?.....मेरे स्टूडेंट्स ने बताया कि तुम कल जाने की बात कर रहे थे”

“हाँ, कल पूरा एक हफ्ता हो जाएगा मुझे यहाँ पर आए हुए, मेरी टीम मुम्बई में अकेली है। मेरा दोस्त भी अपनी ड्यूटी में बहुत व्यस्त होगा..पता नहीं वह घर आ भी पाया होगा या नहीं। जय पता नहीं किन कामों में संलग्न होगा और फिर.....सबसे बड़ा डर ईस्टर्न फैक्शन का है!” हिमांशु की आंखें आसमान घूर रही थी

“समझ सकता हूँ, अपनो की चिंता होना जायज है...और एक देश प्रेमी होने के कारण अपने देश की चिंता होना भी तुम्हारी कृतज्ञता है। उम्मीद है जब तुम यहाँ से जाओगे तो तुम्हारे मन मे कोई सवाल नहीं होगा...केवल लक्ष्य होगा”

हिमांशु ने गर्दन घुमा कर नरम मुस्कान से उन्हें एक बार देखा और फिर गर्दन घुमा ली।

“वैसे जो चाय आपके स्टूडेंट्स पी रहे है वह अलग सी है! उसकी खुशबू बहुत ही......उम्म....”

“बहुत ही शांति देने वाली है? क्या यहीं कहना चाहते हो” वो बोले

“हाँ पर मुझे जो चाय पीने को मिली वो कोई दूसरी थी। मतलब वो लोग जो चाय पी रहे थे वो मुझे नहीं मिली। ऐसा क्यों?” हिमांशु सवाल बहुत करता था

“क्योंकि वो कोई चाय नहीं है, 1st ब्रांच की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद ‘शिनिगामी स्टाइल’ को अच्छे से सीखने के लिए कठिन अभ्यास के साथ ही सालों से एक काढा हमारे पूर्वज पीते आये है..वो लोग भी वहीं काढा पी रहे है”

“अच्छा.....वेसे वो काढ़ा है कैसा? मतलब किसलिए...?” हिमांशु के मन मे इसका थोड़ा बहुत जवाब था पर वह बूढ़े सतोशी से जानना चाहता था

“त्रिफला और गिंको*(Ginko biloba- एक प्राचीन समय से इंदियों को तेज करने वाली औषधि पौध है) और कुछ खास तरह की औषधियों से तयार किया जाने वाला काढ़ा है। इसके इस्तेमाल से तंत्रिका तंत्र और आंखों में जबरदस्त बदलाव आता है..अच्छा बदलाव जिसके जरिये ‘शिनिगामी स्टाइल’ की पूरी 13 तकनीकों को सीखने में मदद होती है” बूढ़े ने एक सांस में बता दिया

“ओह.... फिर तो आपके पास बहुत से शिनिगामी स्टाइल के सफल स्टूडेंट्स होंगे” हिमांशु उन तकनीकों के बारे में और जानना चाहता था “यहाँ आपके स्टूडेंट्स को तो पूरी तकनीकें आती होंगी न, क्या मैं उन सारी तकनीकों का इस्तेमाल देख सकता हूँ?”

हिमांशु की आंखों में साफ पानी सी चमक थी, कभी कभी समझ नहीं आता था कि आखिर हिमांशु का असली चरित्र किस तरह का है? बूढ़े सतोशी को फिर भी हिमांशु पसंद आया था और इसका कारण हिमांशु का ना पहचान में आने वाला चरित्र ही था। वे हिमांशु की बात पर कुछ बोले नहीं बल्कि अंदर चल दिये, उसे भी पीछे आने का इशारा किया। काढ़ा पीकर वो आठों स्टूडेंट्स वहाँ बीचे में खड़े होकर सुबह के सूरज की रोशनी ले रहे थे।

बूढ़े सतोशी ने उन्हें एक लाइन में खड़े होने को कहा, हिमांशु ने जो देखा उसकी आंखे चकरा गयीं! वो लोग जो दूर-दूर खड़े थे एक सेकंड में एक लाइन में खड़े हो गये, वो भी एक-एक हाथ के अंतर पर। हिमांशु पहले ही ‘शिनिगामी स्टाइल’ से सतर्क था और अब तो वह देख कर ही समझ गया था कि वे आठों एक दूसरे पर पहले से ही नजर रखे हुए थे जिस से वे मार्शल आर्ट्स के *पूर्व पहल* आयाम का बिजली की फुर्ती से इस्तेमाल कर पाए।

पूर्व पहल*(पूर्व पहल या pre-initiative-Japanese martial arts in which a combatant takes the initiative in an encounter when the opponent has just started an attack)

आठों इस तरह से लाइन में खड़े हो गए थे जैसे उनके मास्टर का आदेश ही उनके लिए सब कुछ था। चेहरा सामने हाथ पीछे, आंखें सामने बूढ़े सतोशी पर टिकी हुई जैसे अगले आदेश के इंतजार में बस राह देख रहीं हो। उनका अनुशासन अलग ही लेवल पर था,

“स्टूडेंट्स!.....तुम्हें मार्शल आर्ट्स का अभ्यास करते हुए कितने साल हो गए?” सख्त आवाज में उन्होंने जवाब मांगा

“पूरे 9 साल मास्टर!” उनकी आवाज एक साथ गूंजी

“शिनिगामी स्टाइल की कितनी तकनीक तुमने सीख ली है, इतने सालों की मेहनत ने तुम्हें क्या फल दिया है...मुझे बताओ?” किसी आर्मी जनरल की तरह उन्होंने आदेश दिया।

“शुरुआत की 5 तकनीक मास्टर!” वो लोग पूरे जोश में एक साथ बोले “इतने सालों की मेहनत में हमने एक ही बात सीखी है ‘अभ्यास करने से हम ताकतवर बनते है पर अनुशासित रहने से हम खतरनाक बन जाते है”

हिमांशु उनकी बातों को बहुत ध्यान से सुन रहा था, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि 9 साल के अभ्यास के बाद भी 13 में से वो केवल 5 ही तकनीकें सीख पाए थे! उसके मन में उसी वक्त सवाल आ गया, क्या बूढ़े सतोशी पूरी 13 तकनीकों को जानते होंगे? क्या वो पूरी 13 तकनीकें सीखे हुए है? उन्होंने विद्यार्थियों को विश्राम करने कर वापस अभ्यास के लिए अभ्यासगार में जाने के लिए कहा। वे लोग योग अभ्यास के लिए वहीं जमीन पर बैठ गए और बूढ़े सतोशी एक बार फिर बाहर आ गए, हिमांशु भी उनके पीछे बाहर चला आया...आखिर उसे सवाल जो पूछने थे!

“क्या आपको पूरी 13 तकनीक आती है?” हिमांशु ने बेझिझक पूछ लिया, यह ठीक वैसा ही था जैसा किसी शिक्षक से पूछना की जो वो पढा रहे है क्या वो खुद भी उन्हें आता है?

बूढ़े सतोशी हिमांशु की नादानी पर मुस्कुराए, एक गहरी सांस ली.......

“अगर मुझे नहीं आती तो क्या मैं इन सभी का मास्टर कहलाने लायक होता?” बूढ़े सतोशी ने हिमांशु से नजरें मिलाई

“फिर आपको कितना समय लगा था पूरी तकनीकें सीखने में?”

“20 साल, जब 5 साल का था तभी से मैं अपने दादा के साथ मार्शल आर्ट्स सीखने में जुट गया था”

“20 साल! ओह. माय. गॉड.....मुझे यकीन नहीं होता कि केवल 13 तकनीकों के मार्शल आर्ट्स को सीखने में किसी को 20 साल लग सकते है। आपको मेरा सादर प्रणाम...”

हिमांशु खुद ब खुद उनके सामने हाथ जोड़ कर झुक गया जिस पर बूढ़े सतोशी को हंसी आ गयी।

“कभी कभी लगता है जैसे यहीं कारण था कि आसुना शिनिगामी स्टाइल नहीं सीखना चाहती थी। उसके पास भी बचपन का समय बहुत जरूरी था, कोई भी अपना बचपन अनुशासन में नहीं जीना चाहेगा” बूढ़े सतोशी ने थोड़ा मुस्कुरा कर कहा “पर इसका यह मतलब नहीं था कि वो मार्शल आर्ट्स बिल्कुल भी नहीं सीखना चाहती थी। महारा ने आसुना की मार्शल आर्ट्स ट्रेनिंग के लिए हमारी 1st ब्रांच के 3 में से एक मास्टर को अपने पास बुला लिया था ताकि आसुना को बिना जोर दिए ही अभ्यासरत किया जा सके”

हिमांशु के लिए यह बहुत ही नई बात थी, क्योंकि आसुना ने कभी भी किसी तरह का आक्रामक भेष धारण नहीं किया था। बल्कि वह तो बहुत ही शांत रहा करती थी, जब राजन उसके साथ मार-पीट कर रहा था तब भी वो बिल्कुल चुप थी जैसे उसे गुस्सा बिल्कुल नहीं आता हो। ‘इसका मतलब आसुना लड़ना जानती है पर लड़ती नहीं है...क्योंकि उसे कभी लड़ने की नोबत नहीं आयी’।

“वैसे आपके हिसाब से आसुना कितनी ताकतवर होगी?” हिमांशु के मुंह से सहसा ही निकल पड़ा, बूढ़े सतोशी ने उसे गर्दन टेढ़ी कर घूरा तो उसने नजरें फेर ली।

“वो दिखती नहीं है पर है काफी कुशल योद्धा!” उन्होंने हिमांशु को यूं ही देखा “इस बात का अंदाजा तुम इस बात से लगा सकते हो कि...हथियारों के इस्तेमाल में उसे जय भी मात नहीं दे सकता!”

जय और आसुना कि तुलना करना ही काफी था और हिमांशु के मन में साफ हो गए कि आसुना कोई सीधी-साधी लड़की नहीं है, उसकी समझदारी से यह तो पता चल ही गया कि वो कितनी इंटेलिजेंट है, उसे हर परिस्थिति में शांत रह कर परेशानी का हल निकालना आता है। और अब यह भी पक्का हो गया है कि इस वक्त हिमांशु की टीम आसुना और निहारिका की रक्षा नहीं कर रहीं, इसका उल्टा....वहाँ पर आसुना उन सभी की रक्षा कर रही है। हिमांशू को कुछ-कुछ समझ आ रहा था कि आखिर वो निहारिका के साथ CBI की कैद में रहने को कैसे तैयार थी, वह हिमांशु के बेस में भी आखिर क्यों अब तक टिकी हुई है? अगर उसे जय की मदद करनी होती तो वो कब की उसके साथ मिल चुकी होती?

हिमांशु के पास इन सवालों के कच्चे-पक्के जवाब थे क्योंकि आसुना भी बिल्कुल उसकी तरह ही थी। सामने से कोमल और अंदर से सख्त, खुद की असलियत छुपा कर लोगों के साथ घुल मिल सकने वाली...उसकी पर्सनालिटी भी हिमांशु की तरह ही समझ के परे थी। बूढ़े सतोशी उसे देख कर इतना मुस्कुराते क्यों थे? शायद इसलिए कि कही न कहीं हिमांशु उन्हें अपनी पोती की याद दिलाता था और उसकी याद अब उन्हें तकलीफ नहीं देती थी।

********************

पूरे शहर में सुबह होते ही रात हो गयी थी, बम धमाकों के बाद तो जलती लाशों के धुएं ने पूरा आसमान भर दिया था की सूरज भी उनकी ओट से खुद की रोशनी को पार नहीं करा पा रहा था। पूरे दिन पुलिस एक चौराहे से दूसरे चौराहे पर गाड़ियों और फ़ोर्स के साथ घूमते रहे। एक बहुत बड़ा इलाका उनके ‘पुलिस’ वाले पीले टेंपो से बंध गया था, एम्बुलेंस सबसे पहले घायल लोगों को लेकर अस्पताल की ओर भाग रही थी। मृतकों के परिवार वालों की भीड़ बहुत ज्यादा था, उनका रोना-चिल्लाना हृदय विदारक था, उन्हें देख कर पुलिस बलों के सीने में आग सी लग रही थी.....वे इस शहर की सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद के सर पर लिए हुए थे और आज उन्हें एक बार फिर इतना गहन अफसोस हो रहा था कि वे एक बार फिर अपनी ड्यूटी को निभा नहीं पाए। सुबह से रात हो जाती है, सूरज के गयाब होते ही ऐसा लगा जैसे आज सुबह से ही छाया हुआ अंधेरा पूरी रात रहने वाला था। जो लोग इस सब से बचे हुए थे उनके घरों में TV पर केवल इसी बारे में न्यूज़ चल रही थी...

“आज सुबह हुए बम धमाकों में बहुत सारे लोगों ने अपनी जान गंवा दी है, सूत्रों के मुताबिक मरने वालों की संख्या 10 हजार से भी ज्यादा है। वाशी से लेकर ठाणे तक जाने के मुख्य रास्ते पर स्थित पूरे 10 चौराहों पर एक ही समय पर बम ब्लास्ट हुए थे जिसके कारण पुलिस को मौक़ा-ऐ-वारदात पर पहुंच कर सब कुछ संभालने में बहुत ज्यादा समय लग गया, मरने वालों के परिजनों का गुस्सा पुलिस और सरकार पर फुट पड़ा है। लोग सड़कों के किनारे जमा होकर पुलिस और प्रशासन की लापरवाही का कड़ा विरोध कर रहे है। पर अब भी सवाल वहीं के वहीं है! आखिर इन बम ब्लास्ट के पीछे किसका हाथ है? कोई आतंकवादी संगठन, ISI या हाल ही में हुई ह्यूमन ट्रेफिकिंक के दलालों का। कहीं अंडरवर्ल्ड तो नहीं है इसके पीछे? पुलिस और प्रशासन को इस तरह के हमलों की कोई जानकारी कैसे नहीं मिली? CBI की इन्वेस्टीगेशन को रोकने के लिए ही तो कहीं यह धमाका नहीं किया गया?

जी हां, अभी अभी पता चला है कि ठाणे के चौराहे पर आज सुबह ही CBI अफसर राजन नागराज अपनीं टीम के साथ Twilight killer के इन्वेस्टीगेशन के लिए गए थे और पूरी CBI की टीम भी इन धमाकों की चपेट में आ गयी जिसके कारण CBI के 3 अफसर शहीद हो गये। बाकी सभी सदस्य कुछ चोटों के साथ इस वक्त ठाणे के अस्पताल में मौजूद है जहाँ पर उनका इलाज किया जा रहा है। अफसर राजन का कहना है कि इस सब के पीछे भी उसी Twilight killer का हाथ है जिस पर अभी जांच जारी है।

इस तरह के हर सवाल का जवाब आपको हमारे न्यूज़ चैनल और रिपोर्टर के जरिये जल्दी से जल्दी दिया जाएगा इसलिए देखते रहिये, खबरदार रहिये। जल्द मिलते है, एंकर ऋचा शर्मा के साथ न्यूज़ चैनल ‘इंडिपेंडेंस इंडिया’.....”

न्यूज़ चैनल काफी कुछ बता रहे थे पर सभी लोगों की नजर यहीं पर थी, इंडिपेंडेंस इंडिया पर। आखिर हर क्राइम से जुड़ी हुए खुलासे सबसे पहले इस चैनल के द्वारा ही हुए है तो लोगों का सारा ध्यान इसी चैनल पर था।

वहीं ठाणे के अस्पताल की छत पर राजन खड़ा हुआ शहर की चकाचौंध के बीच उन तबाह हुए इलाकों को देख रहा था जो किसी खंडहर की तरह लग रहे थे पर उनके आसपास अब भी लाइट जल रही थी। उस रात को उजाला करने के लिए अब शहर की रोशनी कम पड़ चुकी थी।

राजन की निगाहें आसमान को चीरे जा रहीं थी। उसके माथे और दांये हाथ पर पट्टी बंधी हुई थी, माथे की पट्टी में कुछ खून के धब्बे दिख रहे थे..शायद हाथ जल गया था इसलिए हाथ पर भारी पट्टियां बंधी हुई थी। जैसे ही उसकी नजरें आसमान से नीचे आयी उसने अपना स्मार्टफोन निकाला और किसी को कॉल किया

(हेलो, जय हिंद सर!) राजन को पहली बार किसी से आदर के साथ बात करते हुए सुना था (मुझे आज हुए हादसे को लेकर आपसे कुछ बात करनी है)

(बोलो राजन, क्या कहना चाहते हो?) उधर से किसी 50-60 साल के बूढ़े की भर्राती आवाज आई

(मुझे पूरा यकीन है कि Twilight killer जय अग्निहोत्री ही है और अंडरवर्ल्ड के साथ मिलकर कोई बड़ी साजिश कर रहा है...यह सब उसी का किया धरा है) सख्त आवाज में वो बोला

(तुम जानते हो राजन, बिना सबूत के इस बात पर यकीन करना नामुमकिन है)

(जानता हूँ सर पर मेरे पास सबूत है) राजन पूरे भरोसे के साथ बोला (मेरे कुछ अंडरकवर एजेंट्स ने जय अग्निहोत्री को Twilight killer के लिबास में अंडरवर्ल्ड के लोगों से मिलते हुए देखा है। ये सभी अंडरकवर डायरेक्टली आपके ही अंडर में काम करते है, आप चाहे तो उनसे बात करके इस बात की पुष्टि कर सकते है)

राजन की बात ने उस अधिकारी को थोड़ा सोचने को मजबूर कर दिया था

(अगर यह सच है तो मैं अभी जय अग्निहोत्री के नाम को 1st क्रिमिनल एक्ट* के तहत ‘मोस्टवांटेड’ घोषित कर देता हूँ।)

(नहीं सर, हम इतने खतरनाक मुजरिम को पकड़ने का खतरा मोल नहीं ले सकते) असली थी या नकली कहना मुश्किल था पर राजन के चेहरे पर चिंता का भाव झलक रहा था (वह अंडरवर्ल्ड के साथ मिलकर ना जाने किस तरह के खतरनाक कामों को अंजाम देने की साजिश में लग चुका होगा, हम उसे इस तरह का कोई मौका नहीं दे सकते)

कुछ पल की शांति के बाद फोन में आवाज आई

(आखिर तुम कहना क्या चाहते हो ऑफिसर राजन?!)

(‘शूट एट साइट’ का आर्डर चाहिए सर, हम उसे कोई मौका नहीं दे सकते। वह बहुत ही शातिर है, पकड़ में आने के बाद वो फिर किसी तरह भाग जाएगा) राजन की आवाज में गर्म खून था, उसके सर पर जय को मारने का भूत सवार था।

(मुझे लगता है उसे पकड़ कर पूछ ताछ करना जरूरी है। बहुत सारे सवालों के जवाब हमे चाहिए वरना लोगों का गुस्सा एक बार फिर फ़ूटट पड़ेगा) उस आदमी ने हिचकिचाते हुए कहा

(फिर तो आप भूल ही जाइये सर, उसे पकड़ने पर वह पहले तो कुछ बताएगा नहीं और अगले ही पर मक्खन की तरह हमारे हाथ से फिसल जाएगा। और मैं आपको बता देता हूँ कि उस वक्त मैं उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लूंगा) राजन की आवाज बेपरवाह थी

(ठीक है अगर तुम इतने ही निश्चित हो तो मैं ‘शूट एट साइट इफ रेसिस्ट’ का आर्डर दे देता हूँ। पहले उसे पकड़ो, उस से जानकारी लो और अगर वो कोई उल्टी सीधी हरकत करे या नुकसान पहुँचाने की कोशिश करे तो.......उसे मारने का आदेश है तुम्हें। अब जल्दी से पकड़ो और मुझे गर्व कराओ)

(थैंक यू सर, आई विल मेक यू प्राउड!) चौड़ी मुसकान उसके होंठों पर थिरक गयी जी ही उसने फोन कट करके अपनी जेब में रखा।

जय वो मारने का आदेश जारी होने वाला था और इस सब का कारण राजन था। कुछ कहा नहीं जा सकता था कि आखिर उसे जय पर ही क्यों शक था पर अब बात हद से आगे बढ़ चुकी थी। पहले भी राजन ने जय को मारने की कोशिश की थी जब वो करन की बिल्डिंग से भाग रहा था पर इस बार बहुत कुछ बदल गया था...इस बार उसकी मौत का फरमान....सरकारी होने वाला था!



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