Twilight Killer Chapter-21
Twilight Killer Chapter-21
कई बार देखा है कि अगर आस-पास कुछ बहुत ही शरारती बच्चे है और उन्हें किसी शांत जगह पर छोड़ दो...क्या बता सकते हो ऐसा करने पर क्या होगा? अजी शांति तो छोड़ ही दो, सबसे पहले शांति ही उस जगह से भागेगी। शरारती बच्चे इतनी धमाचौकड़ी मचाएंगे उस जगह पर की हर किसी की नजर और ध्यान दोनों ही उस शांत जगह पर चला जायेगा, जहाँ आज तक किसी ने कदम भी न रखा होगा ! इसलिए जो जगह जैसी है अगर उसे वेसे ही रखोगे तो किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा पर थोड़ी सी छेड़खानी सभी का ध्यान खींचा लेती है।
पुलिस की बेतहाशा गाड़ियां अपने सायरन को चालू करती हुई सड़कों पर परेड करने निकल पड़ी थी। थाने में हुई पुलिस की मीटिंग के खत्म होने से पहले ही किसी का फोन आया था, जिस से सूचना मिली कि कुछ लोग कार्गो यार्ड के सामने वाले अस्पताल में घुस गए है और वहाँ पर आग लगा दी। अगर यह कोई सामान्य समय होता तो शायद पुलिस इंतजार कर लेती और आम से जगह पर पहुंचती, एम्बुलेंस और फायर डिपार्टमेंट के बाद ! मगर उस अस्पताल का नाम सुनते ही सभी ने मीटिंग कैंसिल की और अपने-अपने पुलिस स्टेशन की ओर जीप से दौड़ लगा दी। उस जगह पर पहले से ही पुलिस की इन्वेस्टीगेशन वाली पीली टेप लगी हुई थी, अचानक उस कॉल के आने से अतुल अपनी पुलिस फ़ोर्स के साथ पूरी रफ्तार में गाड़ी उड़ाते हुए कार्गो यार्ड की तरफ निकल आया था। अभी ब्रिज पर ही हुआ था उर उसे दूर से ही धुंआ उड़ता हुआ दिखने लगा था और ब्रिज पर होते ही आग की छोटी-छोटी चिंगारियां जो लपटों से खेल रहीं थी वह भी दिखने लगी थी। कार्गो यार्ड कि ओर अंदर की तरफ जाने वाले रास्ते पर अभी-अभी अतुल के सामने ही अग्निशामक दल की लाल गाड़ी अंदर को गयी थी। अतुल ने जल्दी से अपनी जीप दरवाजे पर ही रोकी और बाहर आया, नजारा देखने लायक था !
नीचे का अस्पताल का हिस्सा एकदम ठीक था केवल कांच के दरवाजों को छोड़ कर जैसे किसी ने जबरदस्ती उन्हें तोड़ा हो। ऊपर का हिस्सा अब तेज आ ग पकड़ चुका था जैसे बहुत सारी रुई के ढेर पर माचिस की जलती तीली छोड़ दी हो। आग की लपटें किसी कंबल की तरह उस हिस्से से लिपट चुकीं थी और गहराती जा रही थी। फायर डिपार्टमेंट की गाड़ी आगे की ओर बढ़ी और पीछे लगे हुए पाने के मोटे पाइप से पानी की बड़ी धार चला दी। कुछ देर आग और पानी की लड़ाई बराबर चलती रही जैसे वह आग पानी को सुखा ही डालेगी पर आग और पानी की लड़ाई में भला आग कभी जीती है? शायद कहानियों में ! कुछ ही देर में आग बुझ गयी और फायर डिपार्टमेंट वालों ने राहत की सांस ली। अतुल के एक इशारे पर पुलिस फ़ोर्स के कुछ लोग दौड़ते हुए अस्पताल के निचले हिस्से में घुस गए और क्योंकि वहां पर आग का नामों निशान नहीं था, उन की इन्वेस्टीगेशन शुरू हो गयी।
आज सुबह ही हिमांशु ने इस अस्पताल के बारे में बताया था, उसे यकीन था कि इस अस्पताल में कुछ हो सकता है पर अतुल को यह उम्मीद नहीं थी कि कोई इसे जलाने की कोशिश आएगा और वह भी इतनी जल्दी ! आगे बढ़ते हुए अतुल ने हिमांशु को कॉल लगाया, वह अस्पताल के दरवाजे की ओर बढ़ रहा था। एक ओर फोन में घण्टी जा रही थी और दूसरी ओर वह खुद चलते हुए आगे बढ़ रहा था
(हेलो...कहाँ पर है?) अतुल ने थोड़ा रुक कर कहा
(मीटिंग खत्म हो गयी है, हम बस बेस लौटने ही वाले है) हिमांशु की आवाज फोन से आई
(ओके, यहाँ पर एक प्रॉब्लम हो गयी है !) अतुल अभी अपनी पूरी बात कह भी नहीं पाया था कि हिमांशु बोला
(क्या हुआ? जय का कुछ पता चला क्या?...)
(वो जिस अस्पताल के बारे में जांच करने की बात तुमने कहि थी न? वहीं सुबह वाला......हाँ दरअसल यहाँ पर ऊपर वाले माले पर आग लग गयी थी, अब क्योंकि यह वही अस्पताल है जो ह्यूमन ट्रैफिकिंग से जुड़ा हुआ माना जा रहा था, मुझे लगता है कि कोई यहां पर आग लगा गया है..वेसे भी आज सिक्योरिटी कम ही थी सर जगह) अतुल ने पूरी बात की और आगे की ओर बढ़ा
(इसका मतलब वहाँ ऊपर जरूर ह्यूमन ट्रैफिकिंग से जुड़े हुए सबूत थे ! इस से पहले की किसी को वो सबूत मिलते, इस सब के मास्टरमाइंड ने उन्हें जलवा दिया।) हिमांशु ने ज्ञापन दिया (पर अगर उन्हें सबूत ही खत्म करने थे तो पूरी बिल्डिंग को क्यों नहीं उड़ाया? केवल ऊपर का हिस्सा जलाने से तो पता चल ही जायेगा कि ऊपर कुछ जरूरी था ! क्या यह एक गलती थी या फिर....)
हिमांशु साफ-साफ नहीं सोच पा रहा था, पर उसकी बात एकदम सही थी ! केवल एक ही जगह पर आग लगाने से साफ पता चल रहा है कि ऊपर वाले हिस्से में ही कुछ जरूरी सबूत थे...इस से तो सभी का ध्यान उसी ओर जा रहा था। अभी अतुल थोड़ा ही आगे बढ़ा था कि उसका पैर किसी धातु की छोटी चीजों पर पड़ा, उसके पैर ठिठक गए !
“सर !” अभी अतुल झुक कर देखने ही वाला था कि उसके पैर के नीचे क्या है? एक पुलिस अफसर दौड़ता हुआ अस्पताल के अंदर से आया। उसके पसीने छूटे हुए थे,वह कुछ घबराया हुआ लग रहा था...अतुल सामने आकर रुक गया और हफ्ते हुए बोला,
“सर..सर..हम्म....अंदर बहुत सारे C-4 एक्सप्लोसिव्स सीरीज में लगे हुए है पर किसी ने सीरीज को डैमेज कर दिया है....हम से पहले ही !” अभी अतुल ने काल नहीं रखा था, हिमांशु यह सब सुन रहा था। उसने अतुल से सवाल नहीं किया बल्कि चुप-चाप सुनता रहा।
अतुल नीचे झुक और अपने पैर के नीचे आयी उस चीज को उठाया, गोल छोटे सिलिंडर जैसी उस संरचना को वह तुरंत ही पहचान गया। ये गोलियों के शेल थे जो अभी-अभी चली हुई लग रहीं थी, उनकी गर्माहट सबूत थी। वह पूरी सिचुएशन समझ गया, उसके होंठ हिले हिमांशु को बताने के लिए.,
(तुम्हारा शक सही है हिमांशु !) अतुल ने ध्यान से उस शेल को देखते हुए कहा (वो लोग पूरी बिल्डिंग उड़ाने वाले थे पर किसी ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया...यहाँ पर जरूर कोई लड़ाई हुई थी और.....वो फोन करने वाला ! शायद हम दोनों जानते है कि ‘वो’ कौन था? !......)
अतुल ने सामने उस जगह को घूरते हुए, फोन काट दिया..........
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हिमांशु और उसके साथी वापस ही आ रहे थे मीटिंग से की बीच मे ही अतुल का कॉल आ गया था। उसकी बात सुनते ही हिमांशु को समझ आ गया कि अब बहुत हो चुका ! जरूर ‘वू’ में से किसी ने इस काम को अंजाम देने की कोशिश की होगी और जय ने उन्हें रोक दिया होगा। अतुल एक हिसाब से पुलिस को किया गया वो अनजान फोन भी....जय की ही करामात रही होगी, उसने बिना किसी बड़े नाटक के पुलिस को ही काल करना ठीक समझा होगा। फिर भी हिमांशु के दिमाग में एक बात चल रही थी ! ‘क्या वो सच मे जय ही था, पर जय को तो गोली लगी थी ! क्या वो सच मे अपनी हालात जानते हुए भी बाहर आया था?’
जब तक वो बेस पहुंचे, तारीख बदल चुकी थी..रात की गहराई सबसे तेज होने को थी। बेस के अंदर जाते ही उन्हें वहां पर कोई भी नहीं दिखा। न ही आसुना वहाँ पर बैठी इंतजार कर रही थी और ना ही निहारिका कंट्रोल रूम में टहल रही थी, जब उन्होंने अंदर जाकर देखा तो वे दोनों अपने ही कमरों में थी...साथ मे रेशमा भी थी। कमरों की लाइट बहुत कम थी, काफी देर की सोई हुई लग रहीं थी। वेसे भी आज दोनों ने ही खाना बनाया था और काफी देर तक वे सभी बातें भी करते रहे थे। वे सभी अपने अपने कमरों में गए और कपड़े बदले....वापस कंट्रोल रूम में इकठे हुए। सभी के मन मे सवाल थे, आखिर आज की मीटिंग कोई सामान्य मीटिंग नहीं थी...अंडरवर्ल्ड की मीटिंग थी
“मुझे लगता है कि हमे हायर-अप्स में अधिकारियों को बता देना चाहिए” राघव ने पहली बार सबसे पहले कोई बात कही थी “हम 5-6 लोग उन ‘वू’ की सेना के लिए कम पड़ जाएंगे। देखा नहीं आप ने !...कैसे उस वेस्टवार्ड फैक्शन के लीडर ने अपनी राक्षसी ताकत से उस पिस्टल को मक्खन की तरह मसल दिया था। अगर ऐसे बहुत सारे लोगों से हमारी भिड़ंत हुई तो हमारा जीतना बहुत मुश्किल हो जाएगा”
सभी खड़े उसकी बात सुन रहे थे, हर किसी का चेहरा असमंजस में था। ये फैसला जो अब ही होने वाला था बहुत बड़ी जिम्मेदारी रखता था, लड़ाई जब तक अंडरवर्ल्ड तक सीमित होगी तब तक तो ठीक है...पर उसके ऊपर आते ही पूरा शहर एक युद्धक्षेत्र में बदल जायेगा और कोई भी यह नहीं चाहेगा।
“मैं राघव की बात से पूरी तरह सहमत हूँ। मानते हुए बहुत बुरा भी लग रहा है और क्रोध भी आ रहा है पर सत्य तो यहीं है कि वो हम से ज्यादा ताकतवर है...वो लोग इंसान नहीं है, उनका सामना हम नहीं कर पाएंगे” राम ने भी राघव की बात में सहमति जताई। हिमांशु अब भी निशब्द खड़ा हुआ था जैसे उसने कुछ सुना ही न हो
“यह बात सही है कि ‘वू’ हम से...मतलब इंसानों से ज्यादा ताकतवर है पर आखिर में है तो इंसान ही। राक्षस कहो या दानव.... अगर उन्हें ‘शी-ज़िये’ इस्तेमाल करने से पहले ही मार दिया जाए तो हमें असल मे उन राक्षसों का सामना करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एक बुलेट...और काम खत्म !” टीना हार मानने वालों में से नहीं थी, उसे हिमांशु की काबिलियत पर पूरा विश्वास था। पूरी स्पेशल फ़ोर्स में हिमांशु की वीरता और ताकत का बोलबाला था, एक मिशन के दौरान करीब 80 आतंकियो ने एक एयरपोर्ट पर कब्जा कर लिया था तब स्पेशल फ़ोर्स ‘सिल्वर स्टार’ से केवल हिमांशु अकेला ही मिशन पर गया था। आतंकियों के पास ak-47 जैसे हथियार थे और हिमांशु के पास केवल एक मिलिट्री नाइफ था। उस दिन कहा जाता था कि 80 में से एक भी आतंकी ट्रिगर नहीं दबा पाया था..और हिमांशु ने सभी को मौत के घाट उतार दिया था। जिसके एक ही चश्मदीद गवाह थे, हेड ऑफ ‘सिल्वर स्टार’ मिस्टर नवीतम प्रताप ! ऐसे इंसान पर टीना अपना भरोसा बिल्कुल भी कम नहीं करना चाहती थी
“ मुझे लगता है कि टीना का कहना सही है। हमने अभी तक अपना बेस्ट काम नहीं किया है। इस बार हम सब कुछ प्लान करेंगे और पूरी जानकारी के साथ उसे एक्जिक्यूट भी करेंगे” पुनीत की भिंची हुई मुट्ठियाँ कांप रहीं थी पर उसने अपने मन की बात कह दी थी
आखिरकार निशब्द हिमांशु मुस्कुराया, उसने दोनों पक्षों की बात सुनी थी...दोनों ही जवाब अलग थे पर वो सभी अपनी जगह पर सही थे। हिमांशु ने जब चेहरा उठाया तो उसके चेहरे का तेज उसकी आँखों की चमक से मेल खा रहा था, वह दृढ़ निश्चय का भाव था।
“मैं दोनों ही बातों से सहमत हूँ, हम उनका सामना नहीं कर सकते जो इंसानी दायरों को पार कर जाते है पर हम हर भी नहीं मान सकते बिना प्रयास किये” हिमांशु बोला “इसलिए इस बार तुम सभी को बहुत ही जबरदस्त होमवर्क मिलने वाला है तो बेहतर होगा तुम सभी तैयार हो जायो क्योंकि असली ‘सिल्वर स्टार’ का मिशन तो अब शुरू होने वाला है”
हिमांशु की शब्दमाला ने सभी को एक बार फिर जैसे हिम्मत के भंवर में डुबो दिया था, राम-राघव थोड़े शर्मिंदा महसूस कर रहे थे पर गलती करके मिलने वाली सीख...गलती के डर से कोशिश न करने से कहीं बेहतर होती है।
“हम शेली और वेस्टवार्ड फैक्शन की मदद लेंगें ! उनसे सीखेंगें.... मिलकर काम करेंगे और ‘ईस्टर्न फैक्शन’ के इरादों को पूरी तरह से कुचल देंगे” हिमांशु की मुट्ठी बंध गयी “कल ही बेस से दूर शेली से बात करके तुम चारों अपनी असली ट्रेनिंग शुरू करोगे। कुछ ही समय मे दुनिया बदलने लगी है अगर हम पीछे रह गए तो हमारा अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा”
हिमांशु को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कोई राज अपने सिपाहियों का आत्मविश्वास बढ़ाने की कोशिश में लगा हुआ था,
“पुनीत ! तुम एक बहुत ही जरूरी काम करोगे”
“यस सर !” वह जोश में बोला
“जय और सौरभ को बाद में देखना, पहले आसुना का पूरा कच्चा चिट्ठा निकालो। जो ‘जय’ के बारे इतना सब कुछ जानती है, वह खुद कितने राज लिए हुए है यह पता करना जरूरी है। मुझे पूरा विश्वास है कि अगर आसुना के बारे में जानने की कोशिश करेंगे तो ‘जय’ का भी कुछ पता चल ही जायेगा”
“क्या आपको सच मे आसुना पर शक है?” टीना ने आश्चर्य से पूछा
“बिल्कुल ! जब जय उस पब्लिशिंग कंपनी का मालिक होते हुए भी कत्ल करने में ऐसे माहिर है जैसे बरसों से खून में ही खेला हो..तो उसी कम्पनी में काम करने वाली ‘आसुना’ भी कोई सामान्य लड़की तो होगी ही नहीं !” हिमांशु बहुत विश्वास से बोला जिस पर किसी ने भी कोई सवाल नहं उठाया पर वह हिमांशु की चेष्ठा को समझ नहीं पाए थे।
“बाकी तुम सभी कल से ही अंडरवर्ल्ड के साथ मिलकर काम करना सीख लेना...आखिर एक पूरा साम्राज्य जो उखाड़ना है !” हिमांशु के चेहरे पर शैतानी हंसी थी, पर उस मुस्कुराहट में एक देशभक्त की छवि भी आसानी से देखी जा सकती थी।
“तो चलो अब सो जायो, कल से बहुत काम करना है” कहते हुए हिमांशु अपने कमरे की ओर जाने लगा। पर टीना के कदम एकाएक ठिठक गए। जैसे किसी बात को लेकर उसे झवाब नहीं लिया हो..वह बोल उठी
“पर सर...आप क्या करने वाले हो?” यह सवाल एकदम सही था ! उसने अब तक अपने काम के बारे में नहीं बताया था
“मैं कुछ दिनों के वेकेशन पर जाने वाला हूँ...जापान” हिमांशु ने बिना मुद्दे ही जवाब दिया
“आखिर दुश्मन को जानने के लिए....वहाँ से शुरुआत करनी चाहिए जहां से उसके बारे में कम पता हो !”
हिमांशु ने अपना निर्णय ले लिया था...वह इस सब की तह तक जाने वाला था। ‘जय’ के राज को जानने के लिए वह आसुना की कहानियों का इंतजार नहीं कर सकता था। ...अब तो बिल्कुल नहीं....
