Priyanka Saxena

Inspirational

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Priyanka Saxena

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तुम्हारी हां का इंतज़ार है

तुम्हारी हां का इंतज़ार है

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"सिया की शादी तय होने की बधाई,दीदी।"सुधा ने भानजी की शादी तय होने की शुभकामनाएं देते हुए कहा

"सुधा,15 मार्च की शादी है।"माला ने बताया

"दीदी,मैं आज ही फ्लाइट बुक कर देती हूॅ॑।" सुधा बोली

यह बात जनवरी माह की थी।फरवरी के आखिरी सप्ताह में सिया की होने वाली दादी सास की तबीयत बिगड़ गई,उनको दमा का जानलेवा अटैक पड़ा।शादी प्रीपोन करनी पड़ी।दादीजी के हाॅस्पिटल में रहते-रहते शादी साधारण से समारोह में कर दी गई।कुछ दिन पश्चात दादीजी की मृत्यु हो गई।

सुधा कनाडा रहती है,वह अपने बेटे सुदर्शन और बेटी सुमति के साथ भारत मार्च में आ पाई।सुधा के पति काम की अधिकता की वजह से नहीं आ पाए।सिया इसी शहर में अपने सास,ननद व पति के साथ रहती है।

अगली सुबह माला,माला के पति मनोज,सुधा, सुदर्शन व सुमति के साथ सिया के घर पहुंची।

माला ने समधन सरलाजी को फोन पर कल ही सिया की मौसी सुधा के आने के बारे में बता दिया था। सरलाजी ने सभी का दिल खोलकर स्वागत किया।सिया मौसी से मिलकर बहुत खुश हुई।सिया के पति सार्थक ने आज छुट्टी ले ली है।माला ने सिया की ननद सुकन्या के बारे में पूछा तो सरला जी ने बुलाया।सुकन्या ने सभी को अभिवादन किया।सिया और सुकन्या ने नाश्ता लगाया।हलवा,पकौड़ी,सैंडविच, पोहा,अप्पे और मिनी उत्तपम नारियल चटनी के साथ थे।

उधर बड़े लोग बातें कर रहे थे,इधर सुदर्शन, सुमति, सिया और सार्थक की चौकड़ी जम गई।

सरलाजी ने मनुहार कर सबको दोपहर का भोजन करने के लिए मना लिया।

तभी सुकन्या ने आकर कहा,"मम्मी,अब मैं चलती हूॅ॑। "

माला ने पूछा तो सुकन्या ने बताया कि वह आज हाॅफडे लीव पर थी,अब ऑफिस निकलना है।

सुधा ने सुकन्या के जाने के बाद सरलाजी से कहा कि उनकी बेटी बहुत प्यारी है।

सरलाजी ने सुधा को बताया कि सुकन्या एक फर्म में चार्टेड एकाउंटेंट है।इन्कम टैक्स रिटर्न की तारीख नजदीक आने से काम ज्यादा है।

सुधा को माला ने आने से पहले बता दिया था कि सुकन्या सार्थक से दो साल छोटी है।तीन वर्ष पहले सुकन्या का विवाह हुआ था परन्तु उसके पति का विवाह के आठ महीने बाद एक्सीडेंट में आकस्मिक निधन हो गया।ससुराल वालों ने उसे मनहूस कहकर घर से निकाल दिया था।अब वह अपने मायके में रहती है।स्वभाव की बेहद सरल है,सिया और सुकन्या बहनों की तरह रहती हैं।

सबने दोपहर का भोजन खाया।सुकन्या सभी सब्जियां व खीर बनाकर रख गई थी,रोटी सिया ने गरमागरम सबको सेंक कर खिला दी।

खाने के बाद सभी खीर का लुत्फ़ उठा रहे थे कि पड़ोस में रहने वाली सिया की चाची सास रीताजी आ गईं।

अभिवादन के आदान-प्रदान के बाद रीताजी ने पूछा,"सुकन्या नहीं दिखाई दे रही है?"

सरलाजी ने बताया,"सुकन्या ऑफिस गई है।"

रीताजी ने मुंह बनाते हुए कहा,"पता था,आप सब आने वाले हों ,फिर भी सारा काम सिया पर छोड़ कर ऑफिस चली गई।वैसे अच्छा ही किया जो चली गई।ऐसे लोगों की छाया भी अशुभ होती है।सरला भाभी,आप मुझे बताती मैं काम्या को भेज देती।वह चुटकियों में काम निबटा देती।"बोलते हुए फोन कर काम्या को बुलवा लिया।

सुधा ने देख लिया कि सरलाजी की आंखें डबडबा गईं।

सुधा ने पूछा,"ऐसे लोग!मतलब?"

रीताजी बोली,"अरे आपको नहीं पता!सुकन्या विधवा है।साल भर के अंदर ही अपने पति को खा गई।"

रीताजी की अनर्गल बातें सुनकर अब तक वहां बैठे सभी लोगों को बहुत गुस्सा आने लगा था।

सुधा से रहा न गया,बोली,"हद है!आप अपनी भतीजी के बारे में अपशब्द कहे जा रहीं हैं।"

रीताजी तिलमिलाकर बोली,"मैं क्या झूठ बोल रही हूॅ॑?उसके ससुराल वालों ने उसे मनहूस कह धक्के मारकर घर से निकाल दिया था,आपको शायद मालूम नहीं है।"

सुधा बोली,"मुझे सब मालूम है,सुकन्या पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।आपको ऐसी बातें करना शोभा नहीं देता है।"

फिर मुड़कर सरलाजी से सुधा ने कहा,"माफ कीजिएगा सरलाजी पर मैं गलत बात सहन नहीं कर पाती हूॅ॑।"

सरलाजी ने आंखों ही आंखों में सुधा का शुक्रिया अदा किया।

रीताजी जो बिल्कुल झेंप चुकी थीं,बात पलटते हुए बोली,"चलिए,रहने दीजिए मेरी बेटी काम्या से मिलिए।इसने एम बी ए किया है।"

काम्या ने सबको अभिवादन किया।

अपनी आदत से मजबूर रीताजी बोली,"आपने मेरी बात काट दी पर सुकन्या सिया का हाथ बंटाने के लिए छुट्टी तो ले ही सकती थी।"

सुधा ने बताया,"सुकन्या अभी गई है।उसने आधे दिन की छुट्टी ली थी।"

अब तो रीताजी से कुछ कहते न बना।आखिरकार वह अपने मतलब की बात कहने से खुद को रोक न सकी।दरअसल सिया से उन्हें पता चल गया था कि सिया की मौसी कनाडा में रहती हैं,वह आज अपने बेटे और बेटी के साथ मिलने आने वाली हैं।

उन्होंने कहा,"मेरी बेटी बहुत गुणी है,आपके बेटे के साथ बिल्कुल राम सीता की जोड़ी लगेगी।"

यह सुन सुधा और सुदर्शन ने आंखों आंखों में ही कुछ बातें कर ली।

सुधा ने कहा,"रीताजी,सुदर्शन ‌के लिए हमें लड़की मिल गई है।"

रीताजी ने सिया को ताने मारा,"अरे!तुम तो कह रहीं थीं,तुम्हारी मौसी लड़की ढूंढ रही है।"

सिया हड़बड़ा गई।

सुधा ने मुस्कुराते हुए कहा,"रीताजी,उसे नहीं मालूम है।सही बात तो यह है कि सुदर्शन और मेरे अलावा किसी को नहीं पता है।स्वयं लड़की को भी नहीं,वह हां कहें तो बात आगे बढ़ेगी।"

सभी ने प्रश्नवाचक निगाहों से सुधा को देखा।

इतने में घंटी बजी,सुकन्या अंदर आ गई।वह हाथ मुंह धोकर किचन में जाकर चाय और स्नैक्स लेकर आई।

सुकन्या के बैठने के बाद सुधा ने कहा,"सुकन्या, मैं बिना लाग-लपेट के तुमसे कुछ पूछना चाहती हूॅ॑।"

"जी आंटी,कहिए।"सुकन्या बोली

"सुदर्शन माइक्रोसॉफ्ट में प्रोजेक्ट मैनेजर हैं।क्या तुम इससे शादी करना चाहोगी?तुम्हारी इच्छा है,हां या ना कह सकती हों।हमें बुरा नहीं लगेगा।"

सुदर्शन की सहमति थी तो उसे तो पता ही था।सुमति और सिया की तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

सुकन्या हतप्रभ रह गई,बोली,"आंटी,मैं विधवा हूॅ॑।"

सुधा ने कहा,"बेटा,मैं और सुदर्शन तुम्हारे बारे में सब जानते हैं।"

सुदर्शन ने कहा,"मुझे देखते ही बहुत अपनी सी लगी हों,सुकन्या।तुम्हारी हां का मुझे इंतज़ार है।वैसे जो तुम कहोगी,हमें स्वीकार होगा।"

रीताजी तुनक कर काम्या के साथ चलती बनीं।

सुकन्या ने माॅ॑,भाई और भाभी को देखा।सभी ने हां का संकेत दिया।सुकन्या भी समझ गई थी‌ कि वे दिल के साफ़ और सच्चे लोग हैं।

सुकन्या ने सिर झुके झुके हां में हिलाया।घर भर में खुशी की लहर दौड़ गई।


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