तुम्हारे साथ साथ

तुम्हारे साथ साथ

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तुम्हारे साथ साथ तुम्हारे साथ भर होने से कितना अच्छा लगता है ,लगता है इससे सुंदर सिर्फ कल्पना ही हो सकती हैऔर अगर कहीं स्वर्ग तो यहीं है।सुबह जब सूरज निकलता है कितना मोहक नजारा होता है।होती है रौशनी और लगता सूरज सोना लुटा रहा है।

कभी कभी तो लगता ये सूरज उजाला फैलाने के बहाने हमें देखने आता है तुम्हारे साथ।दुनिया नहा उठती है उसकी रौशनी में। लग जाते हैं लोग अपने अपने काम में।चल पड़ते हैं अपनी अपनी मंजिल की ओर।परिंदे चहचहाने लगते हैं और करते हैं आसमान की सैर और जुटाते हैं दाना घोसले में चीं चीं करते हुये अपने बच्चों के लिये।कभी कभी जब आसमान में बादल होता है सूरज ढलान की ओर होता है कितना सुंदर इंद्रधनुष टँग जाता है आसमान में।

नदियाँ कल कल की आवाज करती हुयी कितनी अच्छी लगती हैं।फूल मुस्करा उठते हैं।तब हम सौंदर्य और आकर्षक दृश्यों की हलचल से अलग सूरज को देखने लगते हैं और हमे लगता ये हमें साथ साथ देखने के लिये ही आया हुआ है और दुनिया को गति मिल रही है।जीवन को जीने का सन्देश मिल रहा है।कभी कभी मन करता हैं कि सवाल करूँ सूरज से क्या तुमने कभी हमारे जैसा आदमी नहीं देखा है।जबसे आये हो हमे ही घूर घूर कर देख रहे हो। पर समझ नहीं पाता कैसे करूँ सूरज से अपने सवाल। तुम साथ होते हो तो सब कुछ अच्छा लगता है और कभी कभी मैं विस्मित हो जाता हूँ तुम्हारे साथ से।जानता हूँ कितने चाहने वाले हैं तुम्हारे और तुम्हारी एक झलक देखने के लिये क्या क्या करते हैं।करते ही रहते हैं कुछ न कुछ, चलते ही रहते हैं लोगों के बताये हुये रास्ते पर तुम्हारी एक झलक पाने की उम्मीद में।

कभी कभी मैं अपने को भग्यशाली समझता हूँ कि तुम मेरे साथ हो।कभी कभी मैं खुद को धन्य समझता हूँ तुम्हारे साथ होने से।कभी कभी मैं खुद को अपना भविष्य समझता हूँ तुम्हारे साथ होने से।कभी कभी मैं जीवन का मतलब समझता हूँ तुम्हारे साथ होने से। सच बताऊं तो कभी कभी मुझे लगता है कि तुम मेरे साथ इसलिये हो कि मैं जीवन का मतलब समझता हूँ।मुझे नहीं लगता ऐसा कुछ है मुझमें जो औरों में नहीं है और लोग तुम्हारी एक झलक पाने के लिये तरस जाते हैं और तुम मेरे साथ हो और इस तरह से हो कि इस जन्म में तो नहीं छूटने वाला है हमारा साथ। सच कहूँ तो जब दुनिया चाँद पर घर बनाने की कोशिश में है,दूरियां सिमट रही हैं और ये विशाल दुनिया एक छोटे से गांव में तब्दील हो चली है,इस तेजी सी बदलती हुयी दुनिया से बेखबर मैं तुम्हारे साथ होने भर की सफलता से अभिभूत हूँ।कुछ कर नहीं पाता अपने लिये तुम्हारे सम्मोहन में खोये खोये।कुछ सोच नहीं पाता तुम्हारे सिवाय।कुछ अच्छा नहीं लगता तुम्हारे सिवाय।

मैं तुमसे कुछ पूछ नहीं पाता तब भी जब एक भयानक किस्म के अभाव में रहते हुये तुम्हारे होने भर से भरा भरा सा लगता है।कुछ कह नही पाता क्योंकि जब नफरत और हिंसा के केंद्र में अपने जीवन को पाता हूँ तो वहां भी अजीब सा सकून और प्रेम सा महसूस होता है तुम्हारे साथ होने भर से। जब घोर निराशा बलात आकर मुझे घेर लेती है तब लगता है आशा दस्तक दे रही है तुम्हारे होने से। जब अपने आप को नितांत अकेला पाता हूँ कोई परछाई भी नही फटकती है मेरे पास,हवायें सांय सांय करती हुयी डराती हैं मुझे तो लगता अब तक का सबसे सुंदर प्रेम गीत बज रहा है तुम्हारे साथ होने से। न सूरज से उसके मुझे घूरने की वजह पाता हूँ न तुमसे अपने साथ का सबब पूछ पाता हूँ।

कभी कभी मुझे लगता है तुम्हे पता है सूरज क्यों मुझे देखने चला आता है और जब तक रहता है घूर घूर कर देखता रहता है कभी कभी मुझे लगता है उसे भी घमंड है कि वो दुनिया मे रौशनी फैलता है इसलिए पूजा जाता है। होना भी चाहिये लेकिन दुनिया मे जो अंधेरा है आदमी के मन में जिसका बिम्ब देखा जा सकता अस्थिर और बेचैन दुनिया की हलचल में उसकी रौशनी क्या कर सकती है।

यहाँ तो तुम्हारी ही रौशनी काम आ सकती है जो तुमने रख दिया मेरे ही अंदर।शायद सबके अंदर और मुझे बार बार उस रौशनी की तरफ ले जाती हो ताकी मैं अंधेरे से मुक्त हो सकूँ।अंधेरा जीवन विरोधी है और मैं जीवन को प्यार करने वाला हूँ। शायद कोई और हो जीवन को प्यार करने वाला मेरी तरह ।अपना सब कुछ गवां कर,लुटकर भी चैन से जी पाने में समर्थ और जीवन के कल्याण के लिये हृदय से पुकार लगाने वाला।जीवन युद्ध के मैदान में विशिष्ट प्रकार की शांति की अनुभूति करते हुये बेख़ौफ़ लड़ते हुये अपना जीवन युद्ध।

कितना अच्छा लगता है तुम्हारे साथ होने भर से।लगता है हर आने वाला पल इस गुजरते हुये पल से और खूबसूरत आने वाला है।कभी कभी मुझे लगता है मैं पूछ ही लूंगा अपने सवाल सूरज से रोज आकर मुझे घूरते रहने का,औऱ यह भी कि तुम भी बोल पड़ोगे मेरी खामोशी की तरह जिसे मैं अक्सर सुना करता हूँ तुम्हारे साथ रहते हुये।


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