तुम कौन हो मुझे टोकने वाली?
तुम कौन हो मुझे टोकने वाली?
"दादी क्यों आप लाल रंग की साड़ी पहनकर मेरे दोस्तों के सामने आ गई। मुझे बिल्कुल नहीं अच्छा लगा। आपको अपने उम्र के हिसाब से कपड़े पहने चाहिए।" रिया अपनी दादी पर भड़कते हुए बोल रही थी। रिया अक्सर ही कुछ ना कुछ बोलती अपनी दादी को। उर्मिला जी को अपने बेटे के घर आए अभी एक महीना ही हुआ था पर उनकी पोती रिया बदतमीज हो गई थी और उलटे सीधे ढंग से उन से बात करती। आज तक दादी उसकी हर बात को नजरंदाज कर देती थी उसका बचपना समझ कर। उसको माफ कर देती थी। पर आज वह चुप नहीं रही। उन्होंने बोल ही दिया कि मैं एक सुहागन हूं। ठीक है मेरी उम्र है पर मेरे को यही रंग पसंद है। जब हम चूड़ी, बिंदी लाल पहन सकते हैं, तो साड़ी अपनी उम्र के हिसाब से क्यों पहने? मैं और रंग की साड़ी भी पहनती हूं। पर मुझे व तेरे दादाजी को लाल रंग ही साड़ी ज्यादा पसंद है। तुम कौन होती हो मुझे टोकने वाली? तुमने देखा है सारे भगवान की मूर्ति पर लाल वस्त्र व पूजा पाठ में भी लाल रंग का प्रयोग होता है। कहते हुए दादी रुंवासी हो गई। तभी शालू, रिया की मां रिया से गुस्से में बोली "सॉरी बोलो दादी को, और आगे से बोलने से पहले सोच समझकर बोलना। और हां... कभी भी किसी का दिल ना दुखाना अपनी वजह से।" रिया ने दादी को सॉरी बोला और वहां से मुंह बनाए चली गई।
उर्मिला जी छोटे से कस्बे में रहती थी। उनके पति अमर जी आर्मी से रिटायर्ड थे। उनका एक ही बेटा समर, बहू शालू और पोती रिया है। समर मुंबई में अपने परिवार के साथ एक अच्छी सोसाइटी में रहता है। उर्मिला जी एक महीने पहले ही अपने बेटे के घर आई हैं। रिया, उनकी पोती अब बड़ी हो गई और कॉलेज में पढ़ती है। रिया के दादा, दादी छोटे कस्बे में रहते हैं तो उसे लगता है कि उन्हें शहर के हिसाब से पहनने- ओढे़ने की तमीज नहीं है।
कुछ दिनों बाद रिया अपनी दोस्त सीमा
के घर उससे मिलने गई। सीमा के घर में सीमा की बूढ़ी दादी भी लाल रंग का सूट पहनी हुई थी। और सीमा अपनी दादी को अपने दोस्तों से बड़े प्यार से मिलाई। साथ ही उनसे बड़े प्यार से बातें कर रही थी। रिया को देख बड़ा अटपटा लगा पर वह कुछ बोली नहीं।
कुछ दिन बाद रिया, सीमा से बातों ही बातों में बोली
"अरे सीमा तेरी दादी तो बहुत बूढ़ी हो गई है।"
"हां यार ....पूरे ६०साल की है। अपने जमाने में बहुत ही सुंदर हीरोइन जैसी थी। । 4 साल पहले ही हमारे पास रहने आई। कहकर सीमा हँस दी।
रिया सकुचाते हुए बोली "एक बार पूछूँ"
"हां बोल"
" तेरी दादी का इतने चटक रंग का कपड़ा पहनना तुझे अखरता नहीं है।"
"नहीं बिल्कुल नहीं"
सीमा रिया को समझाते हुए बोली "जो चीज हमें करने का मन होता है। वह हम करते हैं। तो दादी को भी जो करने का मन होता है वह वो करती हैं। जीने का तो हक हम सभी को है, वह भी अपनी खुशी से। दादी की खुशी में हमारी खुशी है।" कहकर सीमा हंसी ...."और हां .... जब मैं पैंट टीशर्ट पहनते हैं तो दादी हमें कुछ नहीं कहती। तब हमें भी उन्हें कुछ कहने का हक नहीं है। वह हमें कभी डांटती भी नहीं। इस तरह हमारे घर में सब एक दूसरे का ध्यान रखते हैं। इसी वजह से हमारे घर में प्यार और आदर की गंगा बहती रहती है, और एक दूसरे के प्रति स्नेह ही बना हुआ है।"
आज रिया को ही अपनी गलती पर पछतावा हुआ। वह घर लौटते समय अपनी दादी के लिए लाल रंग का सूट खरीद कर ले गई। दादी को जब सूट दिखाया तब दादी की आंखों में खुशी के आंसू तैर गए। उन्होंने नम आंखों के साथ रिया को गले से लगा लिया। रिया भी दादी से सॉरी दादी कहती हुए गले लग गई। बेटी की समझदारी पर शालू भी मुस्कुरा दे और उसे एहसास हुआ कि मेरी बेटी अब बड़ी व समझदार हो गई है।