तुम जो मिले-2
तुम जो मिले-2
Part:-2(सृस्टि की जिद्द)
सृस्टि रोते रोते उसकी आंख लग गयी।
(आज का शाम)_ "बेटी, तबियत ठीक तो है ना। किसी बात का टेनसेंट तो नहीं।" रागिनी की प्यारी सी आवाज उठती हुई सृस्टि के कानों में पड़ी। "हम्म,कुछ नहीं।" बात न करने की चाहत से बस इतना ही बोप पायी।"तुम तो दोपहर से कुछ नही खाया, क्या खाओगे बताओ; में अभी बना देती हूं।" रागिनी बोल पड़ी। सृस्टि अलसाए हुए बोली, "मा मेरा अब खाने का मन नही है, मेरा कॉलेज का कुछ काम है, आप जाइये मुझे मेरे काम करना है।" शायद ये बात रागिनी को कितना दुख दे सकता है सृस्टि की पता नहीं था। पर सृस्टि की हर जिद्द को पूरा करना रागिनी अपना काम समझती; इसीलिए न चाहते हुए भी एक प्यारी सी मुस्कान लाये सृस्टि की सैर पर हाथ रखी फिर चली गयी।
सृष्टि फ़्रेश हो कर अपनी कुर्सी पर आ कर बैठ गयी और सामने लैपटॉप ऑन कर के हैडफोन लगा ली। लैपटॉप का पासवर्ड था 'love sriraj'। पासवर्ड टाईप करते हुए उसको ये यकीन ही नही हो रहा था कि वो राज जिसके नाम इस लैपटॉप का पासवर्ड है वो अब उसका नहीं रहा। फिर भी पासवर्ड बदलने की हिम्मत सृस्टि में न आई। हेडफोन में सैड सॉंग(sad song) लगा के अपने और राजवीर के पुरानी यादें को एक तस्बीर के रूप में देखने लगी।उसकी आँखें नम हो चुके थे। लैपटॉप बंद करके वो रोने लगी और डेस्क से दो डायरी निकाली। एक पर लिखा था _from-rajvir और दूसरे में _from-ragini। पहले वो राजवीर का डायरी खोली........