तुम जो मिले:-4
तुम जो मिले:-4
Part:-3(सृस्टि की fellings)
सृस्टि का कमरा- सृस्टि राजवीर की डायरी खोली। उसमे सृस्टि और राजवीर के यादें थे। जिन्हें सृस्टि हमेशा से कैद करते आए थी। जिस दिन जो भी नया करती उस डेयरी में राजवीर को लेके दिखती पर राजवीर इन सब मे कोई intrest नहीं था। जब ये सब सृस्टि दिखा री होते है तो वो बस बोलता, "अच्छा है पर क्या तुम्हें नही लगता ये सब बकवास काम है। Anyway अब ये डेयरी छोड़ो और मेरे साथ चलो।" तभी सृस्टि को थोड़ा दुख होता था फिर भी वो खुद को समझ कर राजवीर के हाथ थामे चली जाती। वो सोचती थी राजवीर उसे और उसकी फीलिंग्स(feelings) को समझता है। सब तो ऐसे ही पार्टनर चाहते है ना कि बिना बोले वो अपना मन की बात जान ले। पर राजवीर कभी भी सृस्टि के feelings को न ही समझ न ध्यान दिया न ही कभी समझने की कोशिस किया। फिर भी सृस्टि को लगता कि राजवीर उसे अच्छी तरहा से समझता है। यही सोच कर वो खुश हो जाती और अपने feelings के बारे में कभी राजवीर को नही बताती। ये सब वो अपनी माँ की दी हुई डायरी में लिखती। ऐसे डायरी लिखने की आदत सृस्टि को नही थी_ रोशनी जैसी प्यारी बेस्ट फ्रेंड जो थी।पर रोशनी राजवीर को बिल्कुल पसंद नही करती थी। इसीलिए सृस्टि अपने मन की बात बताने को अपनी माँ की दी हुई डेयरी चुनी। बस यही थी उसकी डेयरी लिखने की बजह।
सृस्टि हमेशा से चाहती थी उसका कोई बड़ा भाई हो _जो हमेशा उसे सही गलत चुनने में मदत करे और सायद बागवान राहुल को भेजा था सृस्टि का ख्याल रखने और रोशनी का दिल भरने।
राहुल भी बहुत अच्छा था और सृस्टि को अपने बेहेन से बढ़ कर मानता था। सृस्टि चाहती तो वो अपनी मन की बात राहुल को बता सकती थी पर वो चाहती थी कि राहुल और रोशनी एक दूसरे को ज्यादा से ज्यादा टाइम दे।
उसने अपनी नजर फिर से उसके हाथों में थी डेयरी की तरफ घुमायी। उसे आज फिर से अपने हाथों लिखी डेयरी पढ़ने का मन किया।