तुम जो मिले:-8
तुम जो मिले:-8
Part:-8(रोशनी का गुस्सा)
रोशनी नीचे आते ही उसकी नजर रागिनी पर गयी। शायद रागिनी उसका ही इंतज़ार कर रही हो। रागिनी रोशनी को देखते ही पूछी, “बेटा, सृस्टि का मूड़ कैसा है अब।” रोशनी को पता चल गया रागिनी आज परेशान है। रोशनी बोली, “आंटी वो तो ठीक है, पर आप परेशान है। मुझे बताइये क्या हुआ।” रागिनी मुस्कुराई और रोशनी के चेहरा अपने हाथों में लिए बोली, “कुछ नहीं बेटी बस सृस्टि इतना जिद्दी है कि ......(oh).... आज तो खाना भी नहीं खाई है।” रोशनी अपने चेहरे से रागिनी का हाथ पकड़ कर बोली, “इसीलिए आप भी नहीं खाये है।” बस बोल कर जल्दी जल्दी फिर से सृस्टि के कमरे की और बढ़ गयी।रागिनी रोकना चाही पर रोशनी एक न सुनी। इतने दिन सृस्टि के साथ दोस्ती में रोशनी का उनका घर आने जाने के बीच रोशनी रागिनी को भी अच्छी तरहा पहचान गयी थी।
“सृस्टि तुमने आज खाना नहीं खाया?” रोशनी कमरे में पहुंचते ही सवाल किया। “अरे रोशनी तुम गयी नहीं अब तक।” सृस्टि अचानक ही मुड़ कर रोशनी को देख कर बोली। रोशनी थोड़ी सी सख्त आवाज में बोली, “सृस्टि जो पूछ रही हूं सही सही बताओ।” “हां नहीं खाया पर तुम ये सवाल क्यों कर रही हो। पहले तो कभी नहीं किया।” सृस्टि ऐसे बोली जैसे वो सृस्टि से ये सवाल की उम्मीद नहीं की हो। रोशनी बोली, “हां नहीं किया पर तुम्हें ये कब समझ में आएगा रागिनी आंटी कितना प्यार करते है। और तुम हमेशा अपने जिद पे अड़े रहते हो। तुमको उनका परवाह न दिखता है ना तुमने देखने की कोशिश किया। हमेशा मन मर्जी - जब चाहे खाओगी जब चाहे नहीं खाओगी । पर तुम्हें ये पता नहीं चल रहा तुम जब नहीं खाती हो तो किसको क्या झेलना पड़ता है। मुझे पता है तुम जब जब खाने से इनकार करती रागिनी आंटी भी नहीं खाती। क्या ये तुम्हें पता था। तुमने क्यों कभी उनका care को ध्यान नहीं दिया ...... क्यों हमेशा ऐसे ही करते हो।” रोशनी बात धीरे धीरे गुस्से से आँसू में बदले जा रहे थे। रोशनी अपनी आँसू छुपाने के लिए रूम से भाग कर चली गयी। सृस्टि को अब उसकी गलती का एहसास हो रहा था। जो चीज़ हमारे पास होता है हम उसकी कदर नहीं करते और जब वो चीज़ खो जाता है तब उसका जरूरत समझ आती है। रोशनी व तो अपनी माँ को खोई थी _ 6 साल पहले।