ट्विलाइट किलर
ट्विलाइट किलर
कमरा शांत था पर Ac की ठंडी हवा ने पूरे माहौल को और भी शांतचित्त कर दिया था। सामने कुर्सी पर एक दूसरे को चेहरा दिखाए हुए वो चारों बैठे हुए थे, आसुना सोफे की कुर्सी पर पीछे की ओर टिकी हुई थी उसने कहना शुरू किया;
“17 दिसंबर के दिन जय और मैं जापान से वापस आ रहे थे, जापान में ही हमारे विंटर पब्लिकेशन का हेड आफिस है। इस बार भी हर साल की तरह हमारा पब्लिकेशन कॉमिक बुक्स के पब्लिकेशन में पहले स्थान पर आया था और उसी का जश्न मनाने के लिए हम वहां पर मौजूद थे। आफिस में सभी ने बहुत ही धूम-धाम से हमारा स्वागत किया था और वो लोगों ने मिल कर जय के लिए एक बहुत ही अच्छी गिफ्ट तैयार की थी....” आसुना के होंठों पर मुस्कान आ गयी, उसने आंखें बंद की और सब कुछ जैसे मन में देखते हुए बताने लगी
“जय ने कभी भी किसी पर बोझ नहीं डाला था इसलिए सभी का व्यवहार उसके प्रति बहुत ही प्रेम भरा था, उन लोगों ने जय और मेरी एक पुरानी फ़ोटो को बहुत बड़ी बनवा कर आफिस की अंदर वाली दीवार पर लगवा दिया था। वो तस्वीर तब की थी जब जय ‘विंटर में काम करता था और उसकी बदौलत पहली बार ‘विंटर पब्लिकेशन को ‘बेस्ट पब्लिकेशन ऑफ द ईयर’ अवार्ड मिला था। उस तस्वीर में हम दोनों अपने सभी साथियों के साथ थे जो उस वक्त वहाँ पर काम करते थे.......वैसे तो जय बहुत ही कम मुस्कुराता था पर उस दिन मेरे लिए वो मुस्कुराया था.....बहुत यादगार पल थे वो..”
कहते-कहते आसुना के आंसू उसकी बंद आंखों से लुढकते हुए गालों को तर करने लगे, उसकी आवाज में दर्द था...ऐसा दर्द की सिर्फ उसकी आवाज को सुन कर ही उसे महसूस किया जा सकता था.......अतुल और हिमांशु भी इसे महसूस कर रहे थे
“हम 17 दिसंबर को दोपहर तक घर आ गए थे, जैसे ही घर पहुंचे तो जय ने नवल को फ़ोन किया। नवल की जगह नित्या, नवल की वाइफ ने फ़ोन उठाया। उसने बताया कि अगर नवल से बात करनी है तो पहले अपना TV चालू करो। वह बहुत ही खुश लग रही थी, उसकी आवाज खिली हुई थी, हमने भी जल्दी से TV चालू किया तो TV पर जय। भाषण दे रहा था- ‘ये 2030 है, हम सभी जानते है...पर आप सभी को यह भी जान लेना चाहिए कि पूरी दुनिया में आज की डेट में सबसे खतरनाक आतंक क्या है? मैं आप सभी के उत्तर जनता हूँ...इसलिए खुद ही बता देता हूँ। कोई कहेगा आतंकवादी सबसे बड़ा आतंक है, कोई कहेगा कि परमाणु हथियार रखे देश एक आतंक है और लोग तो यह तक कहते है कि जिसके पास ताकत है वह आतंक है! आप लोग सही भी है पर दुनिया का सबसे बड़ा आतंक ये तीनों नहीं है, वह कुछ ऐसा है जो हमारे आसपास है, हम उसके शिकार भी है, वो हर किसी की जिंदगी में आ सकता है और अगर खुल छोड़ दिया जाए तो सब कुछ सफा चट भी कर सकता है....दुनिया का वह सबसे बड़ा आतंक बीमारी है, जो किसी को नहीं छोड़ती- उसके लिए आतंकवादी भी बराबर है और आम लोग भी। और इसी आतंक को कम करने के लिए हमारे इंस्टिट्यूट ने एक ऐसे ड्रग पर काम करें शुरू किया है जो शरीर की इम्युनिटी को किसी भी रोग से बचने में सक्षम होगा, यहीं नहीं यह इलाज की प्रक्रिया को कई गुना तेज कर देगा जिस से सभी को एक स्वस्थ शरीर प्राप्त हो सकेगा। वह दिन दूर नहीं जब दुनिया का सबसे बड़ा आतंक हमारे सामने घुटने टेक देगा...और हम फिर ये छोटे मोटे आतंकों की क्या बिसात जो हमें परेशान करें, जल्दी ही आप सभी को यह चमत्कार देखने को मिलेगा’। नवल ने उस दिन अपने सालों की मेहनत को दुनिया के सामने उजागर किया था, और मैं बता नहीं सकती कि जय कितना खुश था। उछल-उछल कर वह अपने दोस्त की कामयाबी की खुशियां मना रहा था, मुझे भी अपनी बाहों में भर कर काफी देर तक अपना चेहरा छुपाए रखा...फिर उसका फ़ोन आया और नवल ने कहा कि वो कल एक छोटी सी पार्टी रख रहा है जहाँ पर सिर्फ हमारे परिवार और स्कूल के दोस्त होंगे। जय को भी यह आइडिया पसंद आया, उसने नवल से मिलने के लिए कहा पर उसने बताया कि आज प्रधानमंत्री के साथ उसकी बैठक है और उसके बाद उसे इस नए ड्रग को फाइनल टच देने के लिए काम करना है.....जय उसकी बात मान गया”
आसुना सांस भरने के लिए रुक गयी, अतुल और हिमांशु बहुत ही ध्यान से आसुना को सुन रहे थे।
“पर जो कुछ उसने प्लान किया था वो हुआ ही नहीं! रात को 8 बजे नवल का फ़ोन आया और उसने जल्दी से जय को अपनी लैब में बुलाया। उसकी आवाज सुनने के बाद जय बहुत परेशान हो गया और जब मैंने उस से कारण पूछा तो उसने कहा कि नवल बहुत ही ज्यादा परेशान है इसलिए वो उस से मिलने जा रहा है और जल्दी से वहाँ से निकल गया.......मैं रात भर उसका इंतजार करती रही पर कुछ वह वापस नहीं आया, उसका फ़ोन बंद था, नवल का फ़ोन बंद था। नित्या को फ़ोन किया तो उसने बताया कि वो घर पर ही है और नवल लैब सके अब तक वापस नहीं आया है उसने बताया कि नवल ने उसे कहा कि वो जय के साथ ही लैब में है और वो दोनों रात भर वहीं रुकने वाले है तो फ़ोन नहीं करे। मैं बात मान गयी क्योंकि नवल को यह बिल्कुल भी पसंद नहीं था कि जब वो और जय बात कर रहे हो तो फ़ोन के कारण कोई भी परेशानी हो। उस के बाद सुबह जब पुलिस मेरे घर आई तो मुझे झटका लग गया, उन्होंने बताया कि जय ने नवल का खून कर दिया है और उसे जेल में ले गए है” यह बताते-बताते आसुना की आवाज तेज और गुस्से से भर गई, वह सीधी बैठ गयी
“ये लोग जानते नहीं थे कि वो क्या कह रहे है? जो जय नवल के लिए अपनी जान कुर्बान कर सकता था....उसने अपने जान से प्यार दोस्त का कत्ल कर दिया! सब बकवास थीsssss.... मीडिया पुलिस और नवल की हत्या का गवाह लैब का चौकीदार, सब बेमतलब की बात कह कर जय को गुनहगार घोषित कर रहे थे। मैंने निहारिका को फ़ोन करके वाशी पोलिस स्टेशन बुला लिया जहां पर जय को कैद कर रखा था, मीडिया और पुलिस की भीड़ के बावजूद अतुल ने जय को सुरक्षित रखा था और मुझे उस से मिलने भी ले गया......मेरा जय, हाहsssss.....” -बड़े मोती से आंसू आसुना की आंखों से झरने की तरह बहने लगे, बहुत ही दुख से उसका चेहरा भर गया जैसे किसी ने कोई अंदरूनी घाव खोल दिया हो। उस सिसकियां भरके रोती रही, पर उन तीनों ने उसे चुप नहीं कराया। जब से जय गिरफ्तार हुए था तब से ही आसुना गुमसुम हो गयी थी, कोई भी भाव उसके चेहरे पर नहीं आ रहे थे....जो भाव अब तक देखे थे वो सिर्फ एक मुखोटा था। असल में उसका सारा दुख उसके अंदर सिमटा हुआ था और आज इतने दिनों बाद वह सब आंसुओ के साथ बाहर आ रहा था तो कोई भी इसमें बादः नहीं बनना चाहता था इसलिए तीनों अपनी जगह से नहीं हिले। आसुना ने जय की गिरफ्तारी के बाद से ही सारी भावनाओ को दबा कर रखा था और आज किसी प्रेशर कुकर की तरह उसने सब कुछ सीटी की तरह बाहर निकाल दिया था......
उसे रोता हुआ देख कर, उस की आवाज में पीड़ा को महसूस करते ही सभी का दिल दहल गया था। अतुल ने रोना रोकने के लिए अपने होठ दांतों से काट लिए थे, निहारिका अपनी आंखों सिनिकल रहे आंसुओ को रुमाल से पोंछे जा रही थी पर आंसू रुक नहीं रहे थे। यहाँ तक कि हिमांशु की सांसे भी तेज ह गयी थी जैसे अंदर से कोई ज्वालामुखी फटा जा रहा हो, वह भी अपने आंसुओ पर लगाम लगाए बैठा हुआ था पर उसके चेहरे पर पीड़ा साफ देख रही थी
“जय से मैंने बहुत पूछा तो तब जाकर उसने घबराते, कांपते हुए मेरे हाथों को पकड़ कर बताया कि..... जब वो वहां लैब में पहुंचा तो एक अजीब सी खुशबू वहाँ पर फैली हुई थी, सामने नवल बैठा हुआ था, ऐसा लग रहा था जैसे उसने नशा कर रखा था इलसिये जब जय ने उस से पूछा कि क्या परेशानी है तो वह कहने लगा कि कोई वह फार्मूला उस से चुराना चाहता है और वो लोग उसे मारने की धमकी भी दे रहे थे! पर उसके इतने कहते ही जय को चक्कर से आने लगे, सब कुछ धुंधला दिखने लगा। किसी ने नवल को पीछे से लोहे की रॉड से मारा नवल सामने जमीन पर गिर पड़ा, जय ने उस आदमी की जैकेट पकड़ ली, वो 3 थे उनके चेहरे पर मास्क लगे हुए थे, वो मास्क जो जहरीली गैसों से बचाव के लिए पहनते है पर चेहरा वह देख नहीं पाया। उन बेरहमों ने जय के सामने ही नवल को टॉर्चर किया, जगह-जगह एसिड डाल कर उसे जलाया, उसकी चीखें वाहन पर गूंजती रहीं जय बेहोश नहीं था पर खुद को हिला नहीं पा रहा था। जब नवल पूरी तरह से बेचाल नहीं हो गया तब तक उसे टॉर्चर करके वो ड्रग मांगते रहे...... और जब वो कुछ भी नहीं। बोला तो उसके सर रॉड से पीट-पीट कर फोड़ दिया और मार दिया....... और जय को फंसा दिया। फिर 1 हफ्ते बाद वो लोग, CBI वाले जय को ले गए, हमे मिलने नहीं दिया, पता नहीं उन्होंने जय के साथ क्या किया?.....पर उन्होंने उस बेचारे को अपने दोस्त का अन्तिम संस्कार भी नहीं देखने दिया...वह अपने दोस्त को देख भी नहीं पाया, देख भी नहीं पाया...वो उसे देख कर रो भी नहीं पायाsssss...”
आसुना के आंसू नहीं रुके, वह चीख-चीख कर सब कुछ बता रही थी, उसकी आंखें सूज कर लाल हो चुकीं थी और अब वो सिसकियां भरने लगी थी। नित्या ऊपर की सीढ़ियों पर बैठी हुई सब कुछ सुन रही थी, उसे अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था......उसकी आंखें भी अश्रु बहा रहीं थी, आसुना की बातें सुन कर और उसकी हालत देख कर नित्य का दिल कचोटता रह गया। वह सीढ़ियों से दौड़ पड़ी जैसे कोई माँ अपने बिछड़े हुए बच्चे से सालों बाद मिल रही हो, उसने आसुना को गले से लगा लिया, उसके सर पर हाथ फेरकर कहा
“ना जाने कब से इतना दर्द लेकर तुम चुप रहीं, समझ नहीं आता तुमने यह कैसे किया?......जब तुम पहले खाने से झिझक रहीं थी तो लगा था, लगा था कि कोई बात तुम्हे परेशान कर रही थी पर जब तुम मुस्कुराई तो मेरी आँखों पर पर्दा पड़ गया” नित्या ने अपने आंसुओ को संभाला “पर अब चिता की कोई बात नहीं है, हम सब ने तुम्हारा बोझ संभालने का फैसला किया है और अब तुम...बिल्कुलभी अकेली नहीं हो। सब कुछ ठीक हो जाएगा, सब कुछ ठीक हो जाएगा.....”
आसुना के आंसू रुक गए, पर सिसकियां अभी भी चल रहीं थी बस उसकी गति कम हो गयी थी। नित्य ने अपनी कलाई से अपने आंसू पोंछे,
“मैं आसुना को जरा सुला कर आती हूँ...” वह आसुना को कंधे से पकड़ कर खुद से सटा ते हुए पास के कमरे में ले गयी।
आसुना का रोना देख अभी थोड़े सहमे हुए थे, उनकी आंखों में आंसू थे जरूर पर उन्होंने अपने आंसुओ को वापस खींच लिया। सब लोग चुप थे, शायद नित्या का इंतजार कर रहे थे...इस तरह की दिल को तड़पा देने वाली कहानी सुननी पड़ेगी इसकी उम्मीद हिमांशु को बिल्कुल भी नहीं थी। हिमांशु ने भी उस दिन TV पर नवल का भाषण देखा था, जहाँ पर खुद प्रधानमंत्री उपस्थित थे ‘जरूर नवल और प्रधानमंत्री के बीच काफी बातें हुईं होंगी, इसलिए तो उस से प्रभावित होकर उन्होंने मुझे यह केस सौंप दिया’, हिमांशु के मन में यहीं बात आ रही थी। नित्या कमरे से भर आयी, उसने दरवाजा लटका दिया
“उसे अच्छी नींद की जरूरत है, मैंने उसे पानी पिला कर सुला दिया है” नित्य आकर निहारिका के पास बैठ गयी
“आसुना की बात मैं रत्ती भर का भी झूठ नहीं है, मतलब कि नवल के केस को फिर से छान-बीन की जरूरत है....यकीन नहीं होता हो इतना सब कुछ छुपाए बैठी थी, उसने किसी के भी सामने अपना मुंह नहीं खोला। ना CBI के सामने न ही मीडिया के सामने.....” हिमांशु ने अपना काला चश्मा उतार कर जेब में रख लिया
“वो जय से बहुत ज्यादा प्यार करती है, अगर उसे जरा भी लगता कि हम भरोसे लायक नहीं है तो वह.....अपने दिल की भड़ास नहीं निकालती” गहरी सांस लेती निहारिका बोली
“सच कहा तुमने” अतुल ने कहा “अब क्या करना है हिमांशु?..क्या कोई प्लान है?”
सभी की नजरें हिमांशु पर ही गड़ी हुई थी, वो सभी एक संतोषजनक उत्तर चाहते थे, और वो चाहते थे कि हिमांशु सही कदम ले। उस कमरे में बैठे हुए किसी को भी हिमांशु की काबिलियत पर जरा भी संदेह नहीं था, निहारिका को भी नहीं!
“मैं नवल के मर्डर और जय के केस दोनों को ही फिर से इन्वेस्टिगेट करना चाहूंगा” हिमांशु से सीधे जवाब दिया “यह केस आसान नहीं होने वाला, शायद नामुमकिन हो इसे कानूनी तरीके से सॉल्व करना पर........”
उसकी आवाज दृढ़ निश्चय से भरी हुई थी
“पर मैं इस केस को सॉल्व भी करूंगा और नवल को न्याय भी दिलवाऊंगा!”
सभी के चेहरे उदास से संतुष्टि के भाव पर आ गए, वो लोग जानते थे कि हिमांशु कभी भी किसी भी मिशन में फेल नहीं हुआ है, इसलिए उन्हें भरोसा था कि हिमांशु जरूर सब कुछ ठीक कर देगा।
“इस सब मे मुझे तुम सभी की मदद चाहिए...हालांकि मैंने अपनी टास्क फोर्स से कुछ बेहतरीन अफसरों को मुंबई बुला लिया है और अब तक तो उन्होंने मेरा पुराना बेस ठीक भी कर दिया होगा।...हम अपना काम वहीं रह कर करेंगे!”
सभी ने हामी में सर हिलाया।
“वैसे मुझे लगता है जय के बारे में मुझे और भी ज्यादा जानने की जरूरत है, इसके लिए आसुना और तुम्हारी मदद की जरूरत होगी”
“हाँ, हम दोनों जितना हो सके पूरी मदद करेंगे” निहारिका ने जवाब दिया
“मैं जरा चाय बना कर लाती हूँ” नित्या उन लोगों की बात में ज्यादा दखल नहीं देना चाहती थी। वैसे भी वो एक सामान्य घरेलू महिला थी
“यार चाय मत पिला! इतनी गर्मी में मारने का इरादा है क्या? .....वैसे ही पूरा माहौल गर्म हो गया है, प्लीज़ssss जूस ले आना” हिमांशु ने रिक्वेस्ट की जिस पर एक पल में सभी के चेहरे खिल उठे, ऐसे दुखी माहौल में काम थोड़े ही किया जा सकता था
“हाँ, हाँ,.. मैं जूस ही लेकर आती हूँ” नित्या आंखें मिचमिचाती हुई रसोई में चली गयी।
“जहाँ तक मैंने सुना है जय बहुत ही अच्छा इंसान है...वह इस तरह के कदम उठा रहा है मतलब उसकी सटक गयी है” हिमांशु की आवाज में चिंता थी “जिस तरह से उसने कत्लेआम किया, वैसा करना किसी पहली बार जुर्म कर रहे मुजरिम की निशानी नहीं है,.......जय का कैरेक्टर बहुत ही रहस्यमयी है!”
“ओ हेलो! मेरा भाई कोई मुजरिम नहीं है, वो तो वो काम कर रहा है जो कानून को करना चाहिए था” निहारिका भड़क गई, उसके दांत किटकिटा गए
“माफ करना निहारिका पर मैं जज्बातों मैं भ कर केस सॉल्व नहीं कर सकता, मंटा हूँ कि जय एक अच्छा इंसान हो सकता है पर जैसे ही उसने कत्लेआम किया.....वह एक मुजरिम बन गया”
“वैसे तो निहारिका की बात सही है पर इस वक्त जज्बातों में रह कर कोई फैसला नहीं किया जा सकता.......हिमांशु को उसके तरीके से काम करने देंगे तो सभी के लिए अच्छा होगा” अतुल की बात मैं हिमांशु के ऊपर उसका भरोसा झलक रहा था।
नित्या इतनी ही देर में मैंगो जूस लेकर आ गयी, कांच के गिलास में वह गर्मी को बुझा देने वाला अमृत था। सभी ने जूस ले लिया
“तो अब क्या करने का इरादा है, हिमांशु?” नित्या ने बैठते हुए पूछा
“मुझे राजन और CBI वालों पर भरोसा नहीं है! और कोई तो है जो जय के नाम से इस सब से छिप रहा है, हमे सब कुछ शुरुआत से पता करना होगा। तो शुरू हम नवल की लैब से करेंगे”
अभी निहारिका कुछ कहने ही वाली थी कि हिमांशु का फ़ोन बजा, उसने उठाया देखा कि कोई मैसेज है। उसे पढ़ते ही उसके चेहरे पर छोटी सी मुस्कान आ गयी
“शाम होते हई निहारिका और आसुना मेरे साथ चलेंगी, वो मेरे साथ ज्यादा सुरक्षित रहेंगी”
सभी आश्चर्य से उसे देखने लगे, वो समझ नही न पा रहे थे कि हिमांशु क्या कह रहा है?
“पर तुम इन दोनों को लेकर कहाँ जाने वाले हो?” अतुल ने पूछा
“हमारे सीक्रेट बेस पर!....” उसकी मुस्कान देखने लायक थी......
