Akshat Garhwal

Crime Thriller

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Akshat Garhwal

Crime Thriller

ट्विलाइट किलर , भाग 31

ट्विलाइट किलर , भाग 31

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जो इस वक्त उन लोगों ने अपनी आँखों के सामने देखा था, वह बिल्कुल ही अचानक और हैरान कर देने वाला था। उन सभी को, जो हत्यारे वहाँ आए थे और हिमांशु के साथियों को अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि उस लड़की ने जिस हाथ से चाकू लेकर आसुना को मारना चाहा था॥ आसुना ने उसी हाथ को पकड़ कर उसी लड़की के पेट में मार दिया था, सभी का आश्चर्यचकित होना जायज था। उन्हे नहीं मालूम था की आसुना इतनी ताकतवर है, टीना को हमेशा ही लगता रहा कि आसुना, जय से काफी अलग है पर अब उसे लग रहा था जैसे जो कुछ भी उसने सोचा था वो सब एक छलावा था। उस लड़की के पेट से भारी मात्रा में खून बहने लगा और वो दर्द से कराहती हुई जमीन पर गिर पड़ी, बाकी चारों की सिट्टी-पिटटी गुल हो गई। वो सभी आसुना से लड़ने को तैयार हो गए। उन लोगों ने अपनी पीठ पर बंधी हुई तलवारों को निकाल लिया, असल में आसुना ने उस लड़की को अचरज में घेर लिया था जिस कारण वो आसानी से आसुना के चंगुल में आ गई और यह बात वो चारों भी समझ गए थे इसलिए वे ये गलती नहीं करने वाले थे। एक बार उन्होंने सोचा कि इस से पहले की ये लड़की उन पर हमला करें उन्हें उसे जल्दी से मारना होगा। आसुना के चेहरे पर कोई खास भाव नहीं था, उसके दोनों हाथ पीछे थे और कमरे में एक खुशबू फैल गई थी।

“लेट्स अटैक हर बीफॉर शी फाइन्ड एनी वेपन!” उस लंबे आदमी ने कहा

उसके इतना कहते ही सभी एक साथ उसकी ओर दौड़ पड़े, वो चारों तरफ से घिर गई थी पर उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी। यह देख कर एक पल के लिए उन हत्यारों का बॉस एक पल के लिए हिचक गया था पर अब जब उन्होंने हमला कर ही दिया था तो पीछे मुड़ कर नहीं देखा जा सकता था।

उन लोगों की रफ्तार तेज थी पर आसुना तब तक हिली भी नहीं जब तक की वो लोग उसके एक हाथ की दूरी पर नहीं आ गए! इस से पहले की उनकी तलवार चलती, आसुना ने चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान आ गई, उसने धीमे शब्दों में कहा

“इडियट्स!” उनके बॉस ने जब यह सुना तो एक अजीब सी घबराहट ने उसे घर लिया की तभी.. आसुना थोड़ा नीचे झुकी और अपने पीछे के हाथों को उन चारों की ओर घुमा दिया!

“आहssss……!” उन लोगों की चीख एक के बाद एक बढ़ कर नील आई क्योंकि आसुना ने अपने हाथों के पीछे एक लंबा, चोंच वाला, ढक्कन लगा हुआ जग लिया हुआ था जिसके अंदर कॉफी भरी हुई थी, वो भी गर्म! और आसुना के हाथ घुमाते ही वो कॉफी की लंबी धारा, गर्म-गर्म उन लोगों की खुली आँखों में जा घुसी। यह सच में चीखने वाली स्तिथि थी, वो चारों तड़पते हुए जमीन पर पीछे की ओर जा गिरे। वो कुछ भी नहीं सोच पाए, टीना जो की जमीन पर गिरे हुए यह सब देख रही थी उसे याद आया कि आसुना किचन में उनके लिए कुछ बनाने गई थी......

“तो वो खुशबू.....कोsss फी की थीssss…..” टीना के सर में छूट आई थी जिस कारण उसे बेहोशी सी आ रही थी, वह बड़बड़ाई।

आसुना ने जल्दी से टीना के पास जाना सही समझा, वो उसके पास गई और उसे अपने कंधे के सहारे उठाया और फिर उसे एक कुर्सी पर बिठाया।

“तुम यहीं रुकों मैं अभी दवाइयाँ लाती हूँ...” आसुना ने इतना कहा ही था कि निहारिका अपने कमरे से बाहर आई और उसके हाथ में दवाईयों का बक्सा था, वह दौड़ी चली आई।

“यह सब मैं देख लूँगी पहले उन लोगों का कुछ करों!” निहारिका मेडिकल बॉक्स खोलते हुए बोली “इस से पहले की वो उठ जाएँ!”

आसुना ने सर हिलाया और पास रखी हुई पोंछा लगाने वाली डंडी उठाया ली जिसका पाइप धातु का बना हुआ था। तभी उनमे से एक उठ कर खड़ा हो गया पर अब भी वो अपनी आँखें मल रहा था, उसे तकलीफ हो रही थी वो आगे बढ़ कर आसुना को ढूँढने के लिए लड़खड़ाया। आसुना आराम से उसकी ओर गई तो वो आसुना की तरफ लपका!

“धाड़!” और आसुना ने इतनी जोर से उसके सर में वो धातु वाला डंडा मार कि उस का सर सीधे जमीन से जा टकराया और उसकी नायक फूट गई, वो बेहोश हो गया था। फिर आसुना आगे बढ़ी और उन बाकी के तीनों के भी सर के पीछे इतनी जोर से डंडा मारा की वे सभी दर्द से बहुत तेज कराहे और बेहोश हो गए। इतनी देर में होश में आ चुके राम-राघव और पुनीत ने जब यह नजारा देखा तो हो सभी हक्के बक्के थे यह देख कर। किसी को भी उम्मीद नहीं थी की आसुना भी जय की ही तरह ताकतवर थी, जिन लोगों ने उन सभी को आसानी से हरा दिया था वो आसुना के सामने कुछ भी नहीं थे।

“क्या आपने उन्हें मार दिया?” पुनीत ने घबराते हुए कहा

“नहीं केवल बेहोश किया है।“ आसुना का यह जवाब सुन कर उन लोगों को यकीन नहीं हुआ पर यह बात सच थी की अगर आसुना उन हत्यारों को मारना ही चाहती तो उनकी तलवारों से सर काट देती पर उसने यह करने की बजाए डंडे से उनके सरों को पीट कर बेहोश कर दिया था। वो सभी अब भी आसुना को इस तरह देख रहे थे जैसे सामने कोई भूत खड़ा हो।

“आसुना को खून-खराबे से सख्त नफरत है, वो केवल सेल्फ डिफेन्स में ही किसी को मार सकती है। पर उसके लिए सामने वाले का इतना खतरनाक होना जरूरी है कि आसुना के पास उन्हे मारने के अलावा कोई चारा ना बचे” निहारिका ने टीना को एक इन्जेक्शन लगाते हुए कहा

“हाँ, पर अगर जल्दी से उस लड़की को इलाज नहीं मिला तो वो जरूर मर जाएगी” आसुना की बात सुनते ही सभी की नजर उस लड़की की ओर गई जिसने सबसे पहले आसुना पर हमला किया था। जमीन पर लहूलुहान पड़ी हुई थी वो, पेट में से काफी खून बह चुका था जो फर्श पर भी दिख रहा था। उसका हाथ उसके पेट पर ही था पर वो बेहोश थी.....पुनीत दौड़ कर गया और उसे उठा कर उसी मेडिकल रूम में ले गया जहां पर उस ने पहले उन खोपड़ियों की जांच की थी और वहाँ ले जाकर उसने उसे टेबल पर लिटा कर उसका ऑपरेशन शुरू किया।

निहारिका और आसुना ने मिल कर राम-राघव की भी मरहम पट्टी की और उन फिर कहीं जाकर उन होने चैन की सांस ली। राम-राघव ने उठते ही उन बाकी के हत्यारों को इलेक्ट्रिक शॉक वाली हथकड़ियाँ पहना दी, हाथ और पैर दोनों पर।

“मुझे कभी नहीं लगा था कि तुम इतनी ताकतवर हो, इतने समय से तो हम तुम्हें केवल एक सामान्य पत्नी मान रहे थे जो की बहुत अच्छा खाना बनाती है, मैं हैरान हूँ” टीना ने कुर्सी पर बेठे हुए कहा

आसुना कुछ समय के लिए चुप रही, वो बेशक ताकतवर थी पर उसे बचपन से ही लड़ाई झगड़ा पसंद नहीं था। उसे मार्शल आर्ट्स भी इसलिए नहीं सीखना था क्योंकि लड़ाई-झगड़े लोगों की जान ले लेते है, वह किसी को भी चोट नहीं पहुंचाना चाहती थी। जब उसकी दादी को मार दिया गया था तब भी वो उस मैटर को लड़ाई झगड़े से नहीं सुलझाना चाहती थी। गुस्सा उसे केवल खुद पर ही था क्योंकि वह ताकतवर होने के बावजूद भी अपनी दादी को नहीं बचा पाई थी। जय उस समय भी बहुत गुस्से में था पर केवल इसलिए नहीं की दादी को मारा गया था बल्कि इसलिए भी क्योंकि आसुना अपने गुस्से के बाद भी अपने उसूलों के खिलाफ नहीं गई थी। आसुना और जय में केवल यहीं फर्क था.....

“एक बात मुझे हमेशा ही मेरी दादी समझाया करती थी” आसुना ने टीना के पास आते हुए कहा “कभी भी अपने सारे रहस्यों को उजागर मत करों और अगर उजागर कर दो तो फिर हमेशा सबसे बुरे हालात के लिए भी तैयार रहो।....वैसे मुझे कतई उम्मीद नहीं थी की हमारा बेस ही टारगेट कर दिया जाएगा पर में फिर भी आतीं लड़ाई के लिए तैयार थी”

“आसुना को अगर तुम जय से परखने की कोशिश कर रहे हो तो..... यह सच में बहुत गलत बात है” निहारिका की बात सुनकर टीना का चेहरा नीचे हो गया, कंट्रोल पैनल की कुर्सियों पर बेठे राम-राघव भी बहुत शर्मिंदा हुए। जब उन्होंने आसुना को उन हत्यारों से लड़ते हुए देखा था तो वो बहुत सुन्न रह गए थे, एक पल के लिए उस ख्याल ने उनके मन में घर कर लिया था कि आखिर एक हत्यारे की पत्नी दूध की धुली कैसे हो सकती थी!? पर अब सच्चाई जानने के बाद उन्हे अपने जजमेंट पर शर्मिंदगी महसूस हो रही थी।

“अब जब हमारा बेस उजागर हो ही गया है तो यहाँ रहने का कोई फायदा नहीं है!” निहारिका ने कहा “उन्हें यह जगह पता है तो अब तो वो लोग यहाँ पर हमला करने के लिए पहले से भी ज्यादा मात्रा में आएंगे, हमें यहाँ से कहीं और चले जाना चाहिए”

निहारिका की बात सहीं थी, टीना और राम-राघव सोच में पड़ गए। यह जगह बहुत मजबूत और ज्यादा सुरक्षित थी, खासकर बाहर के मुकाबले....पर अब जब इस जगह के बारे में दुश्मन को पता चल चुका था तो यहाँ रुकना मुसीबत को न्यौता देने जैसा था। ईस्टर्न फैक्शन के लोग बहुत बड़ा खतरा साबित हो रहे थे, अगर बम ब्लास्ट में भी उनका ही हाथ था तो पक्का वो लोग इस जगह को इस तरह से नहीं छोड़ेंगे।

अभी वो सभी सोच ही रहे थे कि पुनीत ऑपरेशन करके बाहर आया तो उसे भी यहीं बात बताई गई जिस पर वो सीधे बोला

“उसकी जरूरत नहीं है!”

और यह सुन कर सभी को झटका लगा, मतलब पुनीत इस जगह को छोड़ कर नहीं जाना चाहता था जानते हुए भी कि दुश्मन को अब हमारी लोकैशन के बारे में पता चल गया था। सभी का मानना था की यह मूर्खतापूर्ण बात थी!

“आखिर तुम यह क्यों कह रहे हो? जानते हो ना कि दुश्मन को इस जगह के बारे में पता चल चुका है!” टीना ने सभी की ओर से पूछा

“इसलिए क्योंकि अभी तक हम बेसिक सिक्युरिटी सिस्टम का उपयोग कर रहे थे पर अब हम सिक्युरिटी सिस्टम का अड्वान्स फॉर्म उपयोग करेंगे ताकि कोई भी हम पर हमला करे तो हम उसे पूरी तरह से खत्म कर दें” पुनीत की बात ने सभी को इस बात पर विचार करने को समय दे दिया था की तभी उसके अगले शब्दों ने सभी को ऊपर से नीचे तक कांपने को मजबूर कर दिया!

“तो चलो इस से पहले कि मैं अड्वान्स सिस्टम ऑन करूँ हम चल कर रेशमा जी को ले आते है। अतुल भैया तो घर पर है नहीं, वो इस व्यक्त घर पर अकेली होंगी......!”

मानो सभी को 440 वॉल्ट का झटका लग गया हो, उनके कान जैसे सुन्न पड़ गए हो..उन्हें यकीन नहीं हो रहा था की वो आखिर रेशमा को कैसे भूल गए थे! वो बेचारी घर पर अकेली होगी और इतनी देर हो गई है तो कहीं उसके साथ कोई अनहोनी न हो गई हो। वैसे भी ये हत्यारे अकेले थे या नहीं इस बात की कोई पुष्टि नहीं थी पर इतना साफ था कि रेशमा और अतुल के बारे में अगर उन लोगों को पता चल गया होगा तो.......

“पुनीत तुम अड्वान्स सिक्युरिटी सिस्टम ऑन करों और बाहर नजर रखो, हम अभी आते है” टीना ने जल्दबाजी में अपनी गन उठाई और राम-राघव के साथ ऊपर की ओर जाने लगी।

“मैं भी साथ चलती हूँ!” आसुना ने पास वहीं पोंछे वाला स्टील का डंडा उठा लिया और उन लोगों के पीछे चली गई। पहले टीना उसे रोकना चाहती थी पर क्योंकि अब वो जानती थी कि आसुना हम सब से ज्यादा ताकतवर है तो उसने आसुना को अपने साथ बाहर आने दिया। दौड़ कर लॉबी में गए और कबर्ड के छोटे-लंबे खांचों में जा घुसे, अंदर एक्सिट का एक बटन था। उन सभी ने लगभग एक साथ उसे दबाया और वो लोग सीधे ऊपर की ओर निकल गए, जैसे कोई लिफ्ट हो! ऊपर जैसे ही लिफ्ट रुकी आसुना ने दरवाजा खोला तो पाया की वो ऊपर उस टूटी पुरानी ट्रेन के अंदर बने हुए बाथरूम में आ गई है। उसके साथ ही बगल की बाथरूम से टीना भी निकली और आगे की ओर बढ़ चुके राम-राघव के पीछे जाने लगे।

बाहर अमावस्या के कारण बहुत अंधेरा हो गया था, अभी ज्यादा रात नहीं हुई थी यहीं कुछ 10-11 के आसपास का समय हुआ था। राम राघव अपनी बंदूकें ताने हुए आगे बढ़ रहे थे, उन दोनों ने नाइट-विज़न ग्लासेस पहले हुए थे जिस से उन्हे काफी हद तक दिख रहा था। फिर उन्होंने ग्लासेस के थर्मल्स को चालू किया और देखते हुए जल्दी से रेशमा के घर की ओर भागे। रेशमा के घर तक की दूरी वहाँ से 500 मीटर करीब थी इसलिए कुछ दूर चलने पर ही उन लोगों को रेशमा का घर दिख गया........वहाँ आसपास कोई भी नहीं था यह देख कर कुछ पल के लिए उन्होंने राहत की सांस ली पर यह सांस एक बार फिर अटक गई जब वो घर के करीब आ पहुंचे! यहीं कुछ 50-60 मीटर की दूरी पट आते ही राम-राघव के हाथ-पाँव फूल गए। उन्हें इस तरह रुकते और उनके काँपते हाथ देख कर टीना और आसुना को बहुत बुरा अंदेशा होने लगा, वो दोनों भी घबरा गईं

“क्या हुआ? तुम दोनों इस तरह कांप क्यों रहे हो?” टीना ने तुरंत ही पूछा

बदले में कोई जवाब नहीं आया पर धीरे से उन दोनों की उंगली घर की चार दीवारी के अंदर जाने वाली शुरुआत की तरफ पड़ी तो आसुना और टीना दोनों ही थोड़ी आगे गईं क्योंकि रात में साफ नहीं दिख रहा था और स्ट्रीट लाइट भी चालू नहीं था। आगे जाते ही जैसे नजर साफ हुई तो उन दोनों के चेहरे सफेद पड़ गए क्योंकि जिसका उन्हे डर था शायद वहीं घटित हो गया था! उनकी आँखों के सामने लाश पड़ी हुई थी जो की घर के अंदर जाने वाली चारदीवारी से आधी बाहर की तरफ गिरी दिख रही थी। उसके लंबे काले बाल थे और गोरी कलाई जिस पर ताज खून लगा हुआ था........ वह लाश किसी लड़की की थी!

उनके मन में बहुत ही बुरे ख्याल आने लगे! आखिर यह क्या हो गया था? उन लोगों से देरी कैसे हो गई थी? अब वो लोग अतुल को क्या जवाब देंगे। आसुना ने होंठों को दांतों तले दबा लिया, उसके चेहरे पर अफसोस चला आया था। अभी उन्होंने एक-दूसरे से कुछ कहा भी नहीं था की अंदर की तरफ से, उस चारदीवारी के अंदर से एक काला साया बाहर आया जिसके हाथ में खून से सनी तलवार थी.....पर आवाज जरा भी नहीं हुई।

आसुना का चेहरा गंभीर हो गया, जिसे देख कर टीना और राम-राघव टेंशन में आ गए क्योंकि आसुना का गंभीर होना मतलब किसी शक्तिशाली प्रतिद्वंद्वी का सामने आना था.....................



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