Akshat Garhwal

Crime Thriller

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Akshat Garhwal

Crime Thriller

ट्विलाइट किलर भाग-23

ट्विलाइट किलर भाग-23

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ऊपर से देखने पर वो शहर किसी रंग-बिरंगी लाइट से जगमगाता हुआ वायर लग रहा था जो कि कुंडली मार कर बैठा हुआ था। अलग-अलग रंग की वो लाइट्स बहुत ही मचला देने वाला लालच था जैसे बच्चों के सामने बहुत सारी चॉकलेट रख दी हो! फ्लाइट से उतरते ही हवा की खुशबू बदल गयी थी, एयरपोर्ट भी बहुत ही अच्छे से मेंटेन किया हुआ था, लोग उस जगह का ऐसे ह्यां रख रहे थे जैसे उनका खुद का घर हो,....इसे अनुशाशन नहीं तो और क्या कहते है! सच मे, जापान की हिस्ट्री ने ही आज उन्हें इतना सक्षम बनने को मोटीवेट किए था। टाइट सूट-बूट में हिमांशु के लिए यह जगह भी नईं नहीं थी पर आखिरी बार वो यहां तब आया था जब कुछ चीनियों ने यहां पर कब्जा करने के लिए बॉर्डर पार करके अपनी सेना के अंडरकवर एजेंट्स को भेजा था। 4 साल पहले की बात थी और इस मिशन के लिए जापान की मदद के लिए ही हिमांशु को भेजा गया था हालांकि टोक्यों के याकुजा के साथ मिलकर यह काम बहुत आसान हो गया था। इसी मिशन के दौरान हिमांशु को इस बात की सच्चाई पता चली थी कि याकुजा बिना बात के खून बहाने वाले निर्लज्ज क्रिमिनल्स तो बिल्कुल भी नहीं थे ऊपर से ये एक सिक्योरिटी फ़ोर्स की तरह काम करते थे इसलिए जापान का क्राइम रेट बहुत कम हो गया था। इसका मतलब यह नहीं था कि वो लोग कोई गलत काम नहीं करते थे या अपराधी नहीं थे! इल्लीगल वेपन्स सप्लाई, रेयर मेटल माफिया, लैंड माफिया, मनी लांड्री और फाइटिंग एरीना जैसी आपराधिक गतिविधियां होती ही थी पर एक हद तक, सरकार को भी इस से कोई खास परेशानी नहीं है, उनके हिसाब से उजाले और अंधेरे का संतुलन होना जरूरी है।

एयरपोर्ट से निकल कर उसने टैक्सी ली और निकल पड़ा टोक्यों की भीड़ की ओर, उसकी मंजिल वो दोस्त ही थे जिनकी मदद से उसे आसुना और जय के बारे में जानकारी मिलने वाली थी। ‘इनागावा-काई’ शीर्ष के तीन याकुजा गैंग्स में से एक था जिस से आज हिमांशु की मुलाकात होने वाली थी, वे लोग टोक्यो के होटल वाले एरिया में अपना बेस जमाय हुए थे।

जैसे ही टोक्यो के शहरी इलाका आया तो हर जगह बस उस रात में जैसे रंगीन हो उठी थी। यह वहीं देश था जो पूरी तरह से वर्ल्ड-वार 2 में तबाह हो गया था और खुदके बल पर फिर से उठ खड़ा हुआ था, यकीन करना मुश्किल था कि आज के समय में दुनिया का सबसे बड़ा टेक्नोलॉजी एम्पायर जापान था। बहुत सारी सड़कों की लाइन शुरू हो गयी थी, रात को लोग अपने काम से फुर्सत होकर घर लौट रहे थे, स्कूल की ड्रेस पहने हुए बच्चे 12-20 साल की उम्र वाले उन रास्तों से बस्ते लटकाये कभी रेस्टोरेंट में जा रहे थे तो कभी आर्केड के अंदर। बहुत ही चहल-पहल वाला माहौल था, जगह जगह पर वेंडिंग मशीनें लगी हुई थी, सीफूड के होटल और रामेन-नूडल की दुकान भी बहुत सारी थी.....और इनकी इमारते टोक्यो के सेंटर में जाते हुए और भी बड़ी होती जा रहीं थी। टैक्सी से देख रहा सब कुछ हिमांशु इस सब नजारे को अपनी आंखों में समा रहा था

“क्या आप पहले बेस पर ही चलना पसंद करेंगे?” वो टैक्सी ड्राइवर जो कि टकला था और उसकी शक्ल से ही किसी फिल्म का सी_ग्रेड विलेन लग रहा था।

“हाँ, गाओ-पेंग से मिलने की बहुत इच्छा है...पहले वही ले लो” कुछ देर की सवारी के बाद बड़े-बड़े होटलों की लाइन शुरू हो गयी...फिर एक संकरी सड़क आ गयी जो बहुत सारे होटलों से घिरी हुई थी। गुलाबी और पर्पल लाइट से जले हुए इलेक्ट्रिक बोर्ड जो कि होटल का नाम दर्शा रहे थे, हर जगह बस वे ही दिख रहे थे। और उसी संकरी सड़क के एन्ड में एक बहुत बड़ा काले रंग के खपडो से ढंका हुआ पुराना पर साफ-सुथरा पारंपरिक घर था जिसके सामने काले रंग के सूट में बहुत सारे पहलवान खड़े हुए थे। रंग का तो अंतर था ही, शरीर पर बहुत सारे बड़े-अजीब से टैटू भी गुदवाए गए थे...ज्यादातर की उम्र आराम से 40 के पार थी, वे सभी ‘इनागावा- काई’ के मेंबर थे। हाथ बांधे हुए उनका खड़ा होना ऐसा प्रतीत करवा रहा था जैसे बहुत सारे खूंखार शेर अपने राज्य की सुरक्षा के लिए खड़े हुए थे, कोई डर नहीं चेहरे पर, बस एक छोटी सी मुस्कान..और कमर पर लटके हुए धातु के हथियार, बस इतना ही काफी था किसी के भी पैर ठिठकाने के लिए।

हिमांशु ने टैक्सी का दरवाजा खोला, उसके साथ मे वो ट्रेवलिंग बैग था। चेहरे पर वह भी एक छोटी सी मुस्कान लिए हुए था, उसके कदम उन लोगों की ओर बढ़ रहे थे। आखिर वो उनके पास तक पहुंच गया

“हू आर यू?” उनमे से के टकले गार्ड ने कहा जो कि बाकियों से ज्यादा बड़ा लग रहा था, करीब साढ़े 6 फिट और गाल पर एक लंबे कट का निशान था। उसकी आंखें तीखी थी

हिमांशु की मुस्कान बड़ी हो गयी, आम तौर पर कोई भी याकुजा के सामने खड़ा नहीं हो पाता था और हिमांशु तो उनके बहुत करीब खड़ा हुआ था, वह मुस्कुराते हुए बोला

“दोबारा मिलकर अच्छा लगा ,मिनातो!”

हिमांशु के मुख से निकले शब्दों ने माहौल का टेंसन गायब ही कर दिया। उनकी किलकारियां निकल पड़ी जैसे खुशी की बात हो और मिनातो के साथ ही सभी ने उसे गले लगा लिया जैसे बरसो पुराने दोस्त मिले हो। उत्साह की लहर ऐसी थी जैसे किसी का जन्मदिन हो, जो कुछ देर पहले खूंखार, बेभाव दरिंदों की तरह दिख रहे थे अगले ही पल उनके दिल की सारी गर्माहट हिमांशु के स्वागत में उमड़ पड़ी। बाहर ही सभी से मिलकर मिनातो उसे अंदर ले जाने लगा। जमीन पर पत्थरो की फर्श ऐसे गड़ी हुई थी जैसे उसे तोड़ कर टुकड़ों में लगाया गया था, उठी हुई दीवारों के ऊपर भी कवेलू लगे हुए थे जिनके ऊपर छत नहीं थी।

“मुझे लगा नहीं था कि अब तुम यहाँ पर कभी लौटोगे, तुम्हे यहाँ देख कर बहुत अच्छा लगा हिमांशु” मिनातो ने हिमांशु के गले मे हाथ डालते हुए कहा, मिनातो का शरीर इतना बड़ा था की जब हिमांशु को उसने गले लगाया था तो हिमांशु उसके अंदर समता हुआ जान पड़ रहा था।

“इतनी जल्दी आने का प्लान तो बिल्कुल भी नहीं था पर आना बहुत जरूरी हो गया था” हिमांशु ने उसके वजनी हाथ को कंधे पर संभालते हुए कहा “गाओ पेंग कैसा है? कल उस से बात हो ही नहीं पाई थी?”

“सब कुछ अच्छा ही चल रहा है, काम मे कोई दिक्कत नहीं है। चीन से अब भी बुरी खबरें आती रहती है पर हम सब संभाल लेते है...हमेशा ही संभाल लेते है” मिनातो ने मुस्कुरा कर कहा

“अच्छा तो फिर पिछली बार मुझे क्यों बुलाया था?....तुम सब तो संभाल ही लेते..” हिमांशु ने आंखें बदलते हुए कहा

“वो..अलग बात थी!” उसने नाक ऊंची करते हुए कहा

“हमने पहली बार बॉर्डर पर मदद की थी न, इसलिए एक्सपीरियंस नहीं था पर अब। हम खुद ही सब कुछ संभाल लेते है”

बातों में मग्न उन्होंने कब घर की दहलीज पर कर ली, परदों से टकराते हुए कब वो घर के अंदर सीढ़ियों से चढ़ कर ऊपर वाले फ्लोर पर आ गए..पता ही नहीं चला। वो कमरा गाओ पेंग का था, इनागावा-काई का रूलर! अंदर की दीवारों पर एक तरफ स्टैंड के ऊपर 5 कटाना तंगी हुईं थी जिनमें हर एक कि म्यान अलग रंग और आकृति से भरपूर थी। उस पूरी दीवार से नीचे की ओर दराजे लगी हुई थी जो अगली दीवार से लग कर खत्म होती थी। सामने की दीवार पर एक बड़ी सी खिड़की थी पर उसमे कोई पर्दा नहीं था और वह खुली हुई थी। दांयी दीवार पर कुछ तस्वीरें थी, परिवार की, गैंग की, फाइट्स की और दोस्तों की...और उसी से लग कर कुछ हैंडगन और असाल्ट। राइफल्स भी लग हुई थी। कमरे के कोने में एक अगरबत्ती से भरा हुआ स्टैंड भी था जिसमे कुछ अगरबत्तियां जली हुई थी जिनकी सुगंध से पूरा कमरा भरा हुआ था। वहीं नीचे एक गोल तकिये पर घुटनो के बल एक छोटे बालों, छोटी आंखो को लिए नीले रंग के ‘यूकाता’ को पहने हुए एक 25-30 साल का नोजवान बैठा हुआ था जिसके उभरे हुए शरीर को नकारा नहीं जा सकता था। उस शरीर की हर के बनावट ऐसी थी जैसे समय से उसे तराशा गया हो...पर उस सुंदरता की मूरत ताकत और कट्टरता से हर कोई परिचित था।

“वेलकमssss.... हिमांशु....” उसकी आवाज बहुत ठंडी महसूस हो रही थी जैसे अंदर से कोई भाव निकल ही नहीं रह था। हिमांशु थोड़ा सा हैरान रह गया क्योंकि गाओ-पेंग को उसने पहले कभी इस तरह नहीं देखा था, शायद पिता की मौत के बाद इनागावा-काई को संभालने की जिम्मेदारी ने उसे थोड़ा बदल दिया था। हिमांशु और मिनातो दोनों ही झुक कर उसे ग्रीट करते है और सामने लगी छोटी सी टेबल के सामने लगे हुए गोल तकियों पर बैठ जाते है, हिमांशु पैर अच्छे से मोड़ कर बैठा था, पालती मारकर!

“वापस मिलकर बहुत अच्छा लगा गाओ-पेंग!” हिमांशु ने अपनी मुस्कान बनाये रखी “पहले से काफी बदले लग रहे हो...आर यू आल राइट?”

गाओ-पेंग के मूवमेंट बहुत धीमी थे पर वह पहले से ज्यादा ताकतवर लग रहा था। ताकत एक ऐसी चीज है जो जिसके भी पास होती है उसकी उपस्थिति मात्र से हर किसी को उसका आभास हो जाता है। हिमांशु के हिसाब से गाओ-पेंग अब सच मे एक याकुजा कि तरह लग रहा था, खौफ पैदा करने वाले रूप में।

“जिंदगी के कई मोड़....बदलने को मजबूर कर देते है! चिंतन मत करो मैं ठीक हूँ बस थोड़ा सा स्वभाव बदल गया है और कुछ नहीं” उसके चेहरे पर बड़ी देर बाद मुस्कान आई जो सच मे उसके चेहरे पर सूट कर रही थी।

“अच्छा है। वैसे तुम्हारा ज्यादा समय नहीं लेना चाहूंगा...मुझे बस कुछ लोगों के बारे में जानना है जिनसे तुम पिछले 6-7 सालों में मिले होंगे”

“कितने ही लोग आते-जाते रहते है दोस्त, भला किन-किन को याद रख सकता हूँ” गाओ-पेंग ने कंधे उचकाते हुए कहा “फिर भी जिसका भी नाम बोलोगे एक फ़ाइल निकलवा देंगे, पूरी जन्मपत्री ही खोल कर रख देंगे..अब जब आये हो तो खाली हाथ नहीं जाने देंगे”

गाओ-पेंग अब मुस्कुरा कर बोल रहा था पर उसकी उपस्थिति अब पहले की तरह खुशमिजाज नहीं रही थी जैसी उसने 3 साल पहले देखी थी। अब उसके हाथ भी खून से रंगे हुए थे.....

हिमांशु ने अपनी ट्रेवलिंग बैग की ऊपर वाली ही चैन खोली और एक हाथ बराबर की तस्वीर निकाली जिसमे जय और आसुना दोनों ही थे। उसने कहते हुए तस्वीर टेबल पर आगे की ओर सरका दी

“वो विंटर पब्लिकेशन हाउस नहीं है, मेन स्ट्रीट के पास...वह पहले उसी जगह पर काम करता था” विंटर पब्लिकेशन सुनते ही जैसे उन दोनों को ही अंदेशा हो गया कि यह बात कहा जा रही है। मिनातो के माथे पर पसीना आ गया, गाओ-पेंग के हाव-भाव अजीब हो गए “फिर वहाँ काम करने वाली ही एक लड़की से उसे प्यार हो गया और पता नहीं उसने ऐसा क्या किया कि विंटर पब्लिकेशन की मालकिन ने उसे अपनी पूरी कंपनी ही दे दी!...अरे मैं नाम तो बताना भूल ही गया...उसका नाम ‘जय अग्निहोत्री’ है और उसकी बीवी का नाम...!

“आसुना एहिनार.....!” अपनी सांसो को थामते हुए मिनातो ने नाम पूरा किया, हिमांशु के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान टेढ़ी हो गयी।

“तुम...उसे जानते हो?” हिमांशु पहले थोड़ा हैरान था पर फिर वह सामान्य हो गया “यह तो अच्छा है है, मुझे इन दोनों की पूरी फ़ाइल ही चाहिए”

गाओ-पेंग ने उसे हाथ दिखाते हुए चुप रहने का इशारा किया, गाओ-पेंग और मिनातो दोनों के ही हाव-भाव ऐसे थे जैसे किसी डर ने उन्हें लपेट लिया था। उन दोनों का माथा पसीने से भरा हुआ था,

“इनकी फ़ाइल की कोई जरूरत नहीं है! पूरा जापान ही इन दोनों की फ़ाइल है...तुम्हे ढूंढने की जरूरत नहीं पड़ेगी पर तुम्हें उन दोनों के ही बारे में क्यों जानना है?” गाओ-पेंग ने पूछा

हिमांशु ने उन्हें पूरी की पूरी अब तक कि कहानी सुना दी जिसने उन्हें कुछ खास हैरान नहीं किया पर उनका पसीना उस ठंडी हवा ने भी सुखाने पाई थी। जिस गाओ-पेंग और मिनातो के अंदर की ताकत और खून को हिमांशु ने महसूस किया था, जानता था... एक इनागावा-काई का सबसे ताकतवर याकुजा था तो दूसरा उसी याकुजा गैंग का लीडर जिसके अंडर में 1000 से भी ज्यादा लोग काम करते थे, वे सभी जय और आसुना के नाम को सुनकर ही ऐसे घबराए गए थे जैसे कोई बच्चा भूत का नाम सुनकर डर जाता है।

“वेल...अगर वो सच में फिर से अपने हाथ खून से रंग चुका है तो मेरी यहीं सलाह है कि तुम जय से दूर ही रहो” गाओ-पेंग ने शांतिपूर्ण रूप से कहा

“क्या? यह क्या कह रहे हो गाओ। वो अब एक अपराधी हो चुका है और तुम मुझे उस से दूर रहने के लिए कह रहे हो।...कम से कम तुम से तो मुझे यह सुनने की उम्मीद नहीं थी, उसे रोकना जरूरी है वरना मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता” हिमांशु थोड़ा गुस्से में बोला, वह से-पेंग से जानकारी लेने आया था और गाओ खुद उसे जय से दूर रहने की सलाह दे रहा था।

मिनातो अब भी सर झुकाए किसी पुरानी याद में खोया हुआ था,वह चुप ही रहा ज बक़त हिमांशु ओ रास नहीं आयी।

“मैं तुम्हारी जिम्मेदारियों और मोराल को समझ सकता हूँ पर यकीन मानो, तुम मेरे साथ केवल 3 महीने रहे थे तब भी हम दोनों एक दूसरे के बारे में काफी कुछ जान गए” गाओ ने गर्दन टेढ़ी की “जबकि जय को मैं पिछले 7 सालों से जनता हूँ, 3 साल उसके साथ काम भी किया है...विंटर पब्लिकेशन में। उसे मैने हर तरह से देखा है। एक सीधे-साधे चुप रहने वाले लड़के से एक शैतान तक...मैंने दोनों ही रूपों को बहुत पास से देखा है, एक बार जब उसके मुह में खून लग जाता है तो फिर उस से ज्यादा क्रूर इंसान कोई नहीं रह जाता”

इस बार उसने हिमांशु की आंखों में देखा और बोलना शुरू किया,

“3 साल पहले जब हर जगह करप्शन इतना बढ़ गया था। सरकारी कामकाज हो या सामान्य काम...हर काम के लिए मुह फाड़े अजगर बैठे हुए थे। उन्ही अजगरों ने पूरी जापान की सबसे ताकतों पर भी अपना राज कायम करने की कोशिश की थी, यकूजाओ पर। ऐसी ही गहराती हुई रात में जब उन अजगरों ने याकुजा गैंग्स के अंदर ही हमला किया था तब पहली बार मैंने उसे बारिश की सर्द बूंदों में भीगते हुए देखा था। यू तो मैं उसे रोज ही देखता था, पब्लिकेशन में अपनी पर्सनल टेबल पर बैठे टाइपिंग करते हुए..दोस्तों से बात करते हुए...आसुना के साथ खाना खाते हुए, पर उस रात सब कुछ अलग था। याकुजा के अंदर इतनी बड़ी लड़ाइयां थी कि अकेले उन सभी से निपटना बहुत मुश्किल था। जब वो सभी अजगर सड़को पर अगर अपने जबड़े फैलाय खड़े हुए थे....वो किसी शांत हवा की तरह आया, काली बड़ी सी कोट, सर पर गोल टोपी और पूरे शरीर पर ऊपर से नीचे तक सब कुछ काला। उस अंधेरी रोती रात में जो उसकी कटाना चलनी शुरू हुई किसी को गोली चलाने का भी मौका नहीं मिला उसने गाजर मूली की तरह उन सभी अजगरों को काट दिया, फिर जब तलवार गिर गयी तो सभी को लगा अब वो उसे खत्म कर पाएंगे पर यह उनकी गलाक़त फहमी थी, उसे किसी हथियार की जरूरत नहीं थी....वह खुद ही एक खतरनाक हथियार था जिसकी आंखों में उस रात बहुत सारे जख्म थे.........”

गाओ-पेंग की बात सुनकर वो एकदम अवाक रह गया, उसे उम्मीद नहीं थी कि जय का पास्ट इतना खतरनाक होने वाला था। मिनातो का सर अब जाकर उठा, वह हिमांशु को देखा

“उस दिन हमने इतने समय मे पहली बार मौत के कदम साफ-साफ सुने थे। वह हमसे कुछ हाथों की दूरी पर था, सामने ही खड़े होकर उसने एक आदमी की स्वाशनली हाथ से खींच कर निकाली हुई थी...कई लाशों के खून उसके शरीर पर कुछ ऐसे जम गया था कि बारिश की तेज पड़ती हुई बूंदे भी उसे धो नहीं पायीं थी। वह खून से लथपथ था बरसात के बावजूद। वह रात उन अजगरों की आखिरी रात थी उसके बाद जो बच भी गए थे जय के डर से उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया था,....वह रात थी और उसके बाद से ही सभी को उसका नाम रटा गया, उसकी कहानियां लोगों की जुबान पर चढ़ गई, पर फिर उस हादसे के कुछ समय बाद ही वो जापान छोड़ कर चला गया। तुम पूरे जापान में कहीं भी उसका नाम लो...उसे गली का बच्चा बच्चा भी जानता है, बहुत कुछ सुन् नेको मिल जाएगा”

“तो क्या तुम मुझे उसके बारे में कुछ नहीं बताओगे?” हिमांशु ने निराश होकर पूछा

“हमारे मुह से सुनोगे तो सब कुछ पता नहीं चलेगा!...इसलिए तुम्हें एक पता देता हूँ,,वहां जाओ...सं कुछ साफ हो जाएगा” गाओ ने एक कागज पर एडरेस लिख दिया और हिमांशु को थमाया

हिमांशु ने पढ़ा तो उसमें जो पता था वो ‘क्योटो’ का था जो कि जापान का एक पहाड़ी शहर था,वहाँ बहुत सारे गांव थे।

“क्योटो? वहाँ पर क्या है?”

“होरस आय-शिनिगामी स्टाइल मार्शल आर्ट्स के मास्टर का पता है यह......” गाओ-पेंग ने अपने चेहरे से हंसी मिटाई और पीछे झुक कर हिमांशु को ऐसे बताया जैसे वो कोई चैलेंज फेस करने वाला है,

एहिनार श्राइन...आसुना का घर!” 



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