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Akshat Garhwal

Action Crime

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Akshat Garhwal

Action Crime

ट्विलाइट किलर भाग-2

ट्विलाइट किलर भाग-2

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नए साल की रात ने पूरे शहर की हवा को बदल दिया था, जो शहर कत्लों पर चुप रहा था वो आज चीख चिल्ला रहा था। इतने बड़े और भारी जनसंख्या वाले शहरों में अपराध होना काफी आम था और हर बार पुलिस उन अपराधियों को आसानी से पकड़ लेती थी, पर कल रात के हादसे की खबर मिलते ही न सिर्फ न्यूज़ चैनल वालों का तांता लग रहा था बल्कि लोग सड़कों पर उतर आए थे। समझ नहीं आ रहा था कि पहली बार जनता इतनी वयकुल क्यों थी? ऐसे तो सभी एक्सीडेंट होने पर झगड़ा देख कर मजे लिया करते थे, जो मरने की कगार पर सड़क पर होता था उसे बचाने की जगह एक बार अपना स्मार्टफ़ोन निकाल कर वीडियो जरूर बना लेते थे ताकि सोशल मीडिया को कुछ मनोरंजन दे सके। काफी पुलिस वालों का मानना था कि ये लोग इतनी सारी मौतों पर इकट्ठे नहीं हुए थे बल्कि कल के जश्न का जो मजा किरकिरा हो गया था उसके कारण आज सड़क पर आकर पुलिस की नाकामियों को कोसने के लिए ये सब आये थे।

‘मुंबई पुलिस हाय-हाय....... कानून व्यवस्था

हाय-हाय!’...............’जय अग्निहोत्री हाय-हाय............’

कल रात की खबर कमिश्नर राकेश द्वारा सभी न्यूज़ चैनल तक पहुंच गई थी और इसी सब को सुन कर लोग सड़क पर उतर आए थे। इस तरह के नारे लगा कर वो सभी पुलिस स्टेशनों पर जमा हो रहे थे, देखने पर इस लग रहा था जैसे सड़क न होकर लोगों के सर हों। लोगों ने जब पुलिस की बात मान कर पीछे न हटने की कसम ही कहा ली तो पुलिस को जबरन लाठी चार्ज करना पड़ा, लाठी देखते ही लोग ऐसे भागने लगे जैसे अब उन्हें अपनी इस छोटे से आंदोलन की कोई परवाह नहीं थी। पूरे मुंबई के पुलिस वालों का यहीं हाल था............और अतुल का भी जो कि वाशी थाने का इन चार्ज था। लोगों को भगा कर वो अभी-अभी अपने थाने के अंदर आया था उसके साथ श्यामलाल था

“फूsssss.... इन लोगों ने तो सुबह से परेशान कर रखा था...पर लाठी देखते ही ऐसे भागे जैसे गधे के सर से सींग!” हांफता हुआ श्यामलाल बोला

“ये देख कर अब पता चल गया कि लोगों का दिमाग कितना सनका हुआ है!” अतुल की आवाज में हल्का गुस्सा था, वह अपनी कुर्सी पर पंखे के नीचे बैठ गया “ऐसे तो पुलिस की नाकामियों पर जोर शोर से बोल रहे थे, जय जिसे 1 हफ्ते पहले ये लोग जानते भी नहीं थे अचानक ही अपने जश्न की नाकामी का गुस्सा निकालने लगे...और इतना अच्छा आंदोलन था न इनका की लाती देख कर ही भाग गए? वाह, नहीं मुझे बिल्कुल भी समझ नहीं आता कि समाज को आखिर हो क्या गया है?”

“अरे साहब मैं तो आपको कल रात भी बताया था” श्यामलाल अब अतुल के बगल में ही खड़ा हुआ था किसी पर्सनलअसिस्टेंट की तरह “उन्हें तब तक किसी से कोई भी फर्क नहीं पड़ता जब तक कि उनकी मौज-मस्ती पर बात नहीं आ जाती...हूँssss”

श्यामलाल की बात सुनने के बाद अतुल ने भी गहरी सांस ली और अपनी बाईं तरफ लगे हुए क्रिमिनल बोर्ड की ओर टकटकी लगा कर देखने लगा। वहाँ पर सबसे बड़ी फ़ोटो जय की लगी हुई थी जिसके नीचे वांटेड लिखा हुआ था, फ़ोटो में एक कुछ भरे गालों वाला 22-23 साल के लड़के की तस्वीर लगी हुई थी और उसने नारंगी रंग के कैदियों वाले कपड़े पहने हुए थे जो सी बी आई ने उसके लिए स्पेशल तौर पर बनवाये थे। काले सामान्य बाल और गोरा रंग उसके चेहरे पर जंचता अगर वो मुस्कुरा रहा होता, तो! इस तस्वीर में उसका चेहरा सदमे में सफेद पड़ चुका था आंखों में अंधेरा ही अंधेरा था....वह सच में जिंदा लाश लग रहा था

“क्या आप ........जय अग्निहोत्री को करीब से जानते थे?”

श्याम लाल के इस सवाल पर अतुल ने श्यामलाल को देख पर कुछ कहा नहीं, अतुल श्यामलाल को घूर रहा था

“व..वैसे...अगर आप नहीं बताना चाहते तो...मैं जबरदस्ती बिल्कुल भी नहीं करूंगा साहब” श्यामलाल हकलाया

अतुल ने उसे घूरना बंद किया और सर ऊपर करके बोलने लगा

“अभी कुछ एक महीने पहले ही मेरी उस से मुलाकात हुई थी, जिसे आज सभी क्रिमिनल कह रहे है कल को वो एक बहुत ही शांत स्वभाव का इंसान था” अतुल के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गयी, श्यामलाल भी उसे ध्यान से सुनने लगा “यहीं पास मैं जो ‘नोटबुक कैफ़े’ है ना? वहीं पर हर शाम को वो आया करता था और मैं भी वहीं पर जाता था क्योंकि वो अकेला ही आता था और कैफे में जगह कम ही रहती थी सो हम दोनों एक ही टेबल पर बैठा करते थे। वो वहां पर कॉफी पीते हुए हमेशा लोगों को बहुत ही ध्यान से देखा करता था। एक दिन मैने ऐसे ही उत्सुकता पूर्वक उस से पूछ लिया कि वो इस तरह सभी को क्यों देखता है?.........”

“तो क्या कहा उसने सर.....?” अब तक सभी अतुल के पास आ चुके थे और उसकी बात बहुत ही गौर से सुन रहे थे पर अतुल को इस सब का बिल्कुल भी ध्यान नहीं था

“उसने कहा कि वो बॉडी लैंगुएज सीख रहा है और यहाँ पर आकर लोगों का व्यवहार देखा करता था.....और तभी से मैं उस से हर शाम मिला करता था और हम दोनों इसी तरह लोगों को देखा करते थे और वह मुझे भी लोगों के व्यवहार को समझना सिखा दिया करता था.........कभी लगा नहीं था कि उसकी मुस्कुराहट इतनी याद आएगी, दोस्त नहीं था पर दोस्त से कम भी नहीं था.........पर उसका यह कातिल वाला रूप उसकी मुस्कुराहट के बिल्कुल ही विपरीत है”

अब तक सभी बहुत ही ध्यान से उसे सुन रहे थे, थाने में सभी को समझ आ गया था कि अतुल साहब आखिर जय के खिलाफ कुछ कह क्यों नहीं रहे थे? बाकी पूरी पुलिस फ़ोर्स ने कल रात को जो कत्लेआम का वीडियो देख था उनके लिए जय को जानना बहुत ही मुश्किल था क्योंकि उनकी नजरों में अब वो सिर्फ एक कातिल था जो खुलेआम घूम रहा था, अब उसके अतीत से उन्हें कोई मतलब ही नहीं था।

“अरे सर, मैंने सुना था कि जब वो सी बी आई की पकड़ से छूट कर भाग था तब आप भी वहाँ पर थे क्या आपने उसे देखा था?......” अतुल के एक जूनियर अफसर ने सवाल किया

“हां..... क्योंकि सी बी आई ने हमें जय को ले जाने का कोई भी नोटिस नहीं दिया था इसलिए मैं कमिश्नर सर से बात करके वो ही लेने गया था...!”

“पर आखिर सी बी आई वाले बिना नोटिस के उसे ले ही कैसे गए थे?.......जहाँ तक मैं आपको जनता हूँ आप बिना नोटिस के तो उसे हाथ भी नहीं लगाने देते..” जूनियर ने एक ओर सवाल किया जिसका जवाब जानने को सभी कान लगाए बैठे हुए थे

अतुल ने अपनी आंखों को मला, और जूनियर की ओर देख कर जवाब दिया

“सी बी आई का जो अफसर उसे लेने आया था वो सी बी आई का बेस्ट अफसर था” अतुल के चेहरे पर कुछ असंतोष भाव थे

“उसका नाम तो तुम सभी ने सुना ही होगा?....राजन नगराज़, वो बहुत ही सख्त लहजे का आदमी है”

राजन नागराज का नाम सुनते ही सभी पुलिस वाले हैरान रह गए, आखिर कौन था जिसने राजन नगराज़ का नाम नहीं सुना था। बड़े से बड़े अपराधियों के सच उगलवाने में वह सभी का उस्ताद था, उसका नाम सुनकर लोग कांप उठते थे। क्रिमिनल्स के खिलाफ उसका व्यवहार बहुत बर्बर था, इसलिए सी बी आई में उसे ‘डेथ एडर’के नाम से भी जाना जाता था।

“क्या बात कर रहे है सर?!” सभी एकसाथ हैरानी में चीखे “वो सफेद से भूत जैसे चेहरे वाला राजन नगराज़

था!...अरे..आ...हम तो उसे पहचानते ही नहीं थे। हमें लगा कोई और बड़ा अधिकारी है इसलिए आपने उसे ले जाने दिया”

“ऐसे ही थोड़े जाने दिया था?” अतुल ने निराशा वाले स्वर में कहा “उसने कमिश्नर से बात करवाई थी और कमिश्नर के कारण ही मैंने उसे जय को ले जाने दिया था वरना....मैं जय को कहीं और नहीं जाने देता! खासकर उस हरामजादे राजन के साथ तो बिल्कुल भी नहीं!”

गुस्से में अतुल ने अपने दांत पीस लिये, अभी उसने शांति भी नहीं धरी थी कि न्यूज़ चैनल पर एक ब्रेकिंग न्यूज़ आयी जिसे देख कर अतुल के साथ साथ सभी की नजर फटी की फटी रह गयी, न्यूज़ की एंकर बहुत ही जबरदस्त आवाज में कह रही थी

“कल रात के कत्ल को लेकर हमे अभी-अभी एक नई खबर मिली है!” टी वी पर अचानक ही एक वीडियो धीनयी जाने लगी जो कि लाइव थी “खतरनाक कातिल जय अग्निहोत्री की बीवी ‘आसुना अग्निहोत्री’ को जय के साथ मिले होने के जुर्म में सी बी आई के द्वारा गिरपफ्तार किया गया है और उन्हें पूछताछ के लिए सी बी आई के हेड आफिस ले जाया जा रहा है, सूत्रों से पता चला है कि जय की बहन निहारिका मेहरा को भी सी बी आई गिरफ्तार करने वाली है”

सभी की नजरें उस एंकर की बातों पर नहीं थी बल्कि उस लाइव वीडियो में उस अफसर के ऊपर थी जो सी बी आई की तरफ से आसुना को गिरफ्तार करके ले जा रहा था। सभी का दिल सहम सा गया....वो अफसर राजन नगराज़ था!



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