ट्विलाइट किलर भाग-19
ट्विलाइट किलर भाग-19
ये ठीक वैसा ही था जैसे किसी शान भरी महफ़िल में अलग-अलग सौदागर बैठे हो और सभी बैठ कर मौत की तौहीन कर रहे हो, पर उनमे से एक नए इस महफ़िल में मौत की तौहीन करने के बाद ‘मौत’ को ही आमंत्रित कर लिया। ऐसे में जिस तरह का चेहरा वो सौदागर बनाते, ठीक वैसा ही चेहरा इस वक्त हिमांशु और उसके साथियों का था। पर वो लोग अकेले नहीं थे जिनके चेहरे पर 12 बजे हुए थे, अंडरवर्ल्ड के वो 2 हेड जो आज उपस्थित नहीं थे उनके आये हुए आदमियों के भी यहीं हाल था, कहो तो हिमांशु के साथियों से कहीं ज्यादा बिगड़ा हुआ था।
उनके कांपते हुए शरीर हिमांशु की नजरों से नहीं बचे थे पर शेली और उसके साथी ठीक थे जैसे उन्होंने उस खूंखार आदमी की उपस्थिति को नजरअंदाज कर दिया हो....रूबी तो उल्टा मुस्कुरा रही थी जैसे ‘वू क्लान’ के लीडर की उपस्थिति उसके लिए किसी दोस्त से ज्यादा और कुछ नहीं थी। पर हर कोई रूबी जितना सुकून में नहीं था,
“यह किस तरह का मजाक है रूबी !” हिमांहसु ने सख्त लहजे से पूछा “अभी तुमने ही कहा कि चायनीज अंडरवर्ल्ड की नीयत के पीछे ‘वू क्लान’ है और अचानक ही यहां पर ‘वू क्लान’ का मुखिया आ जाता है !....क्या तुम सच में चायनीज अंडरवर्ल्ड से मिली हुई हो?”
हिमांशु की आवाज में रत्ती भर भी मजाक नहीं था और ऐसे वक्त में भला वह मजाक कर भी कैसे सकता था? !...रूबी ने एक बार को शेली की ओर देखा और फिर नजरें ‘शियाबेई’ पर डाली ! पर एक जोरदार अट्टहास हुआ और रूबी, शेली, शियाबेई ! जोर जोर से हंसने लगे..कारण पता नहीं था पर हिमांशु को इस सब मे कुछ गड़बड़ लग रही थी। उन सभी का इस तरह हंसना उसे कुछ समझ नहीं आया, हिमांशु के अलावा प्रभु और श्रेय के आदमी भी इस वाकये से हैरान-परेशान थे। हिमांशु ने पुनीत की ओर देख कर 3 बार पलकों को झपकया, यह हथियार निकला कर लड़ने को तैयार होने वाला इशारा था...पुनीत ने अपने सूटकेस पर पकड़ मजबूत कर ली। हिमांशु इस वक्त लड़ाई बिल्कुल नहीं करना चाहता था क्योंकि यहां से बच कर निकलना बहुत मुश्किल था, पर अगर हालात हाथ से निकलने लगें तो फिर कोई दूसरा चारा नहीं था।
“ओके...ओके ! मैं समझ गयी कि तुमने ऐसा क्यों कहा कि मैं चायनीज अंडरवर्ल्ड से जुड़ी हुई हो” रूबी ने अपनी हंसी को धीमे करते हुए कहा “तो मैं एक बार फिर से सभी को हमारे मेहमान का परिचय देती हूँ; मिलिए ‘वू क्लान,वेस्टवार्ड फैक्शन’(Westward Faction) के लीडर ‘शियाबेई वू’ से !”
शियाबेई ने हल्के से सर नवाते हुए सभी को अभिवादन किया, बदले में सभी ने उसके अभिवादन का जवाब भी अदब से सर झुका कर दिया। वेस्टवार्ड फैक्शन सुनते ही हिमांशु को अहसास हुआ कि शायद यह वू दुश्मन नहीं है।
“दरअसल ‘वू क्लान’ एक बहुत ही प्राचीन समय से चला आ रहा, असेसिंस का बहुत बड़ा दल है जो पॉलिटिकल मर्डर और क्रिमिनल मर्डर करता है। पहले यह एक बहुत बड़ा दल था जो पूरे चीन पर फैला हुआ था। पर करीब 200 साल पहले क्लान के आंतरिक कारणों की वजह से क्लान 3 हिस्सों में बंट गया था। वेस्टवार्ड फैक्शन बर्फीली पहाड़ीयों में चला गया, ईस्टर्न फैक्शन वू क्लान का सबसे बड़ा हिस्सा था जो कि चीन के मध्य में ही बना रहा और सदर्न फैक्शन समुद्र से लग गया...और अपने काम अपने तरीके से करने लगा। पर सदर्न फैक्शन के छोटे होने के कारण ईस्टर्न फैक्शन ने उसे खत्म करके अपने अंदर मिला लिया और रही बात वेस्टवार्ड फैक्शन की तो भले ही वो ईस्टर्न फैक्शन के मुकाबले छोटा है पर बर्फीली पहाड़ियों में रहने से सामान्य से कहीं ज्यादा ताकतवर हो गया जिस से ईस्टर्न फैक्शन इन पर कब्जा नहीं कर पाया पर अब भी इनके बीच लड़ाई जारी है” शेली ने सभी का शक दूर करने के लिए समझाया, सभी को यह बात समझ आ गयी कि असली दुश्मन ‘ईस्टर्न फैक्शन’ है।
“ईस्टर्न फैक्शन अपनी ताकत का उपयोग दुनिया को अपनी मुट्ठी में करके, अपने तरीके से नियंत्रित करना चाहता है और यहीं कारण था कि ‘वू क्लान’ 3 हिस्सों में बंट गया था” आखिर इतनी देर बाद भर्राई हुई आवाज में शियाबेई ने कुछ कहा तो पर उसके बोलने का तरीका बहुत ही अजीब और रुक-रुक कर था जिसका कारण यहीं था कि वो हिंदी बोल रहा था जबकि उसकी मातृभाषा चायनीज थी “अभी कुछ समय पहले ही एक अजीब घटना में ईस्टर्न क्लान ने अपने काफी सारे लोगों को खो दिया जिसका साक्षात्कार खुद मिस रूबी ने किया था।....पर इसके बाद बाद भी उसकी संख्या में बहुत ज्यादा गिरावट नहीं आयी बल्कि एक अद्भुत हार से उठ कर उन्होंने फिर से अपना अस्तित्व उजागर कर लिया ! एक ‘वू’ होने के नाते उनके इस अद्भुत जज्बे पर गर्व होता है पर वो जो अब करने जा रहे है उसे अगर नहीं रोका गया तो पूरी दुनिया खतरे में पड़ सकती है”
“आखिर वो है कौन जो ईस्टर्न फैक्शन को कंट्रोल कर रहा है और उसका उद्देश्य क्या है?” एक साधारण सा सवाल हिमांशू ने पूछा
“बर्नाड वू !” एकाएक शियाबेई ने एक नाम लिया, यह नाम उसका था जो पूरे ईस्टर्न फैक्शन को कंट्रोल कर रहा था
“कुछ समय पहले बर्बादी के बाद अपने फैक्शन को बचा कर उसने उन्हें इकट्ठा किया और सबसे पहले पूरे चीन के अंडरवर्ल्ड को अपने सामने घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया, उसकी पहुंच इतनी तगड़ी हो गयी कि चीन की सरकार भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। फिर अपनी सेना बढ़ाने के लिए, मजदूरों के लिए और ह्यूमन ट्रैफिकिंग के लिए....उसने बर्मा(म्यांमार) और पाकिस्तान के अंडरवर्ल्ड पर कब्जा कर लिया, यह सब आसान था। पर वह इस बात को अच्छे से जनता था कि भारत उसके लिए खतरनाक साबित हो सकता है, इसलिए उसने धीरे-धीरे अपने पैर यहाँ पर पसारने शुरू किए...ताकि उसका काम आसानी से हो भी जाये और वो अंदर से भारत को कमजोर कर दे...जो कि उसने करना शुरू कर दिया है और जब उसे पता चला कि भारत के एक रिसर्चर ने एक ऐसा ड्रग बना लिया है जिस से डर तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है, जिस से फिर कभी कोई बीमार नहीं होगा, रोग मुक्त जीवन लोगों को मिलेगा...तो उसने अपना पहला बड़ा कदम बढ़ाया और...”
“उसने नवल सरकार को ड्रग के लिए मार-डाला !” शियाबेई की बात को हिमांशु ने पूरा किया, वह किसी सोच में डूब गया जैसे किसी पजल के हिस्से ढूंढने की कोशिश कर रहा हो। शेली और रूबी ने एक बार नजरें फिराई
“और उसके ठीक बाद दोस्त के गम में घायल एक योद्धा ईस्टर्न फैक्शन के आड़े आ गया ! ‘Twilight killer’, उसने अब तक काफी वू को मारा है पर उसे भी सावधान रहने की जरूरत है। जरूरत से ज्यादा खून बहाना अक्सर अपने ही पतन को निमंत्रण देता है। ‘वू’ आम इंसान नहीं होते...अभी तो उनका असली आतंक शुरू भी नहीं हुआ है...” शियाबेई की अजीब सी आवज और बोलने का तरीका थोड़ा चुभ रहा था इसलिए उसकी शांति में कहीं गयी बातें भी काटने को दौड़ रहीं थी
“वू हो या कोई हथियारों से लैस योद्धा, जब गोली दिमाग को भेद देगी तो मौत उसे भी आएगी ही ना” हिमांशु अपने देश के लिए समर्पित था, जब उसने यह जाना कि किस तरह ईस्टर्न फैक्शन उसके देष को खोखला करने की कोशिश कर रहा है वह गुस्से से तमतमा गया। उसके साथी उसे इतने गुस्से में देख कर हैरान नहीं थे क्योंकि अब तक जो हिमांशु उन्होंने देखा था और ‘जिस’ हिमांशु के बारे में उन्होंने अपने अधिकारियों से सुना था वह वाकई 2 अलग इंसान मालूम होते थे।
हिमांशु का गुस्सा सभी समझ सकते थे, रूबी और शेली के अंदर भी गुस्सा था पर उन्होंने सबके सामने उसे जाहिर नहीं किया था।
“अगर तुम ‘वू’ को केवल एक जान लेने वाला इंसान समझ रहे हो तो अपनी इस भूल के कारण मारे जाओगे !” शियाबेई की बात सुनते ही सभी को थोड़ा अचंभा हुआ, इतनी बात तो सभी जानते थे कि ‘वू’ असेसिंस क्लान है जो लोगों की जान लेने में माहिर है इसलिए उनमे और आतंकवादियों में हिमांशु और वहाँ मौजूद कर किसी को भी कोई अंतर समझ नहीं आया था। शियाबेई खड़े हो गए और अपने लंबे सफेद चोगे जैसे वस्त्र को हाथ के ऊपर से हटाया, उसके होंठ हिले
“वू....जीते-जागते राक्षसों का उदाहरण है,...नहीं बल्कि राक्षस ही है !” उनके शब्द खत्म होते ही अचानक से शियाबेई के हाथ असामान्य होने लगे, हाथों का साइज ऐसे बढ़ने लगा जैसे किसी ने उनके अंदर हवा भर दी हो, मांस और नसों का जाल बड़ा होकर उभरने लगा जैसे त्वचा फाड़ कर बाहर आ जायेगा, साथ ही हल्की पीली उनकी त्वचा अब एकदम लाल हो गयी थी। यह देखते ही सभी के होश उड़ गए, उन्हें उनकी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था। केवल रूबी ही ऐसी थी जिसे कोई आश्चर्य नहीं था, आनंद भी ऐसे देख रहा था जैसे यह सब बहुत सामान्य था।
शियाबेई ने पास में टेबल पर रखी एक हैंडगन उठायी और...उसे ऐसे मसल दिया जैसे वो मक्खन की टिकिया हो। इस असाधारण शक्ति को देखने पर भी आंखे सच मानने को तैयार नहीं थी, यह राक्षसी ताकत अगर वू के अंदर है तो उनसे मिपटना लगभग नामुमकिन ही हो जाएगा। इस खतरे को अब समझ पाना बहुत आसान था, अगर ईस्टर्न फैक्शन ने एक साथ अंडरवर्ल्ड पर हमला किया तो....उन्हें रोक सकना किसी के बस की बात नहीं होगी। पर इसी को लेकर एक सवाल भी था हिमांशु और हिमांशु की टीम के मन में ! आखिर जय ने ईस्टर्न फैक्शन के लोगो का सामना कैसे किया होगा?.......राज और भी गहरे होते जा रहे थे, साथ ही दुश्मन की ताकत को जान कर अब बिना योजना के लड़ना न मुमकिन था।
“इसे हम ‘वू क्लान’ की सीक्रेट तकनीक कहते है जो हमारे पूर्वज होंग झांगयुई द्वारा विरासत में दी गयी है....वैज्ञानिक भाषा में यह तकनीक इस्तेमाल करने वाले को दिमाग के वह लिमिटर हटाने में मदद करती है जिस से पूरे शरीर मे कितनी शक्ति का संचार करना होता है, उसका फैसला किया जाता है। आम इंसान अपनी शक्ति का 1 से 2 प्रतिशत ही उपयोग कर पाता है और अच्छे से ट्रेन किये हुए इंसान अपनी शक्ति का 10 प्रतिशत तक इस्तेमाल कर सकते है पर जब एक वू इन लिमिटर्स को हटाता है तो वह अपनी पूरी शक्ति का 50,....,60,.....70,....80........90,.....या 100% तक उपयोग कर सकता है जो कि विनाशकारी ही है”
सभी इस बात को ध्यान से सुन रहे थे और यह जान गए थे कि असल मे पूरी दुनीया कितने बड़े खतरे का सामना करने वाली थी ! इस पर विश्वास करना मुश्किल था पर अभी जो उन्होंने आंखों से देखा था उसे झुठलाया नहीं जा सकता था !
“और इस तकनीक को हम कहते है...’शी-ज़ेह’.....” शियाबेई की आवाज उस शांत माहौल में गूंज गयी जैसे आहट......
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महानगरों की रात अक्सर बहुत शोर करती है, हर जगह रोशनी ही होती है। कभी- कभी इस रोशनी को देख कर लगता है कि रात की खूबसूरती और उस शांति का अब कोई भी मतलब नहीं रह गया है। पर वो कहते है ना, ‘दिए तले अंधेरा होता है’ ठीक वैसे ही पूरा महानगर कितने ही विकट रोशनी से नहाया हुआ हो...अंधेरा अपनी जगह ढूंढ ही लेता है, आखिर हार मानना न ही अंधेरे का स्वभाव है और न ही रोशनी का।
ठीक वैसा ही अंधेरा यहाँ पर भी था, उल्टा उस रात के बाद से यहाँ पर कभी सुबह हुई ही नहीं थी जैसे सूरज ने रोशनी से मुंह फेर लेने को कहा था। कार्गो यार्ड के पास का वो सरकारी अस्पताल जो कि ब्रिज से काफी पास था, बड़ी चौड़ी सड़के उस के जुड़ी हुई थी, विशालकाय भवन था, अच्छी सुविधाएं थी पर फिर भी लोग इसे खून खून चूसने वाली जगह ही कहते थे। फिर भी यह चल रहा था, अजी दौड़ रहा था ! आखिर लोगों की सेवा न कर सका तो क्या हुआ? लोगों का इस्तेमाल अच्छे से कर रहा था इसलिए पहले जगमगाहट आंखे चोन्ध्याने वाली थी और आज.......पूरा का पूरा अस्पताल अंधेरे में डूब हुआ था, जैसे अभी का बना और भी खंडहर हो गया। पर इस अंधेरे में भी साये पीछा कहाँ छोड़ते है? अस्पताल के ऊपर वाले फ्लोर पर केवल 2 ही डिपार्टमेंट थे, ब्लड बैंक और सीमेन रेफ्रीजरेटर ! और उन दोनों के बीच की दूरी जरूरत से कहीं ज्यादा थी। 2 कोनो में ये डिपार्टमेंट थे जबकि बीच में इतनी बड़ी दीवार बना रखी थी कि पूछो मत, आखिर क्या जरूरत थी इस्तनि जगह खाली छोड़ने की? एक और वार्ड बन जाता इतनी जगह तो आराम से थी।
यहीं इन्हीं दोनों डिपार्टमेंट के आपपास वो साया घूम रहा था !....फिर जैसे वह साया टुकड़ों में बैठने लगा, धीरे-धीरे वो एक साये से बहुत सारे साये बन गए और वे ऊपर के उन दोनों डिपार्टमेंट में जा घुसे। अंदर रेफ़्रिजरेटर में ब्लड पाउच रखे हुए थे, सीमेन रेफ्रिजरेटर तो बहुत बड़ा और धातु का बना लग रहा था। वो लोग उस डीएवकर की ओर बढ़े जिसके पार कुछ भी नहीं था, उस दीवार के कोने में एक खाली स्टील की प्लेट लगी हुई थी जो धातु की गोल छड़ों से दीवार में फिक्स थी। उस साय ने अपना हाथ उस पर रखा और....कुछ ही पलों में वो दीवार एक दरवाजे की आकर में थोड़ी अंदर की ओर गयी और सरक गयी ! उस पर एक कमरा था बहुत बड़ा जहाँ पर कोई आपरेशन थिएटर जैसा था, खून से लथपथ वहाँ की सर्जरी टेबलें थी पर वो खून सूख चुका था। कोने में कुछ कंप्यूटर्स और बहुत बड़े-बड़े रेफ्रिजरेटर थे, उनमे से एक जो सबसे बड़ा था वो कंप्यूटर के पास गया और कुछ हार्डडिस्क में डेटा कॉपी करने लगा।
“धड़ss..... !” कमरे के बाहर से आई हुई इस आवाज ने सभी को अपनी ओर खींच लिया पर, उस बड़े साये ने 2 लोगों को बाहर भेजा। अभी वो बाहर गए ही थे कि जिस दरवाजे की जगह से वो बाहर गए थे, धड़ल्ले से ऐसे अंदर आ गए जैसे किसी ट्रक ने टक्कर मारी हो....और आकर अंदर गिर पड़े। छाती में एक सीधा चपटा छेद था और किसी खुले नल की तरह खून बहने लगा, पीछे खड़े उस बड़े साये के पीच जो भी साये थे सभी घबरा कर पीछे हट गए।
उनका डर एकदम सही था क्योंकि अगले ही पल जैसे हवा का झोंका अंदर आया, एक काला से भी किसी सांप की तरह उस बड़े काले साये की ओर बढ़ा, उसके हाथ मे थमी हुई छोटी कटाना की धार चाँद की हल्की रोशनी में भी चमक रही थी और उसका निशाना उस बड़े काले साये का दिल था...और हमेशा की तरह वह इस बार भी नहीं चूका !
“धाssssड़.......” पर अगले ही पल वो बड़ा साया और बड़ा हो गया, कटाना का निशाना सही था पर वह उस बड़े से की मांसपेशियों में अंदर तक नहीं घुस पाई। और इस बार तो ऐसा लगा जैसे सच मे किसी ट्रक ने पूरी रफ्तार से टक्कर मारी और वो कटाना धारी साया दरवाजे के पास दीवार से जा टकराया ! पीछे दीवार में दरारें आ गयी और मुह से खून का फव्वारा निकल पड़ा। बेसुध सा शरीर दीवारसे चिपक हुआ नीचे आ गया।
जोर से हंसने की आवाज हुई जैसे कोई शैतान हंसा हो, चंद की रोशनी में जैसे ही उसका साया बदन में दिखा तो वो बेहद डरावना नजारा था। उस बड़े साये के बाल बिखरे हुए थे,पीछे एक चोटी थी....बदन सख्त लाल पड़ा हुआ था, मांसपेशियों की कसावट ऐसी की वह इंसानी शरीर लग ही नहीं रहा था। आंखों की धमनियां काली पड़ने लगी थी....किस विकृत मानव...नहीं ! किसी विकृत राक्षस के जैसा उसका स्वरूप मौत की आहट पैदा कर रहा था ! उसकी ताकत में भयंकर इजाफा हुआ था...यह एक वू था...और इस्तेमाल कर रहा था वू क्लान की सीक्रेट तकनीक का !......’शी-ज़ेह’ का !
यह चेहरा भला कोई कैसे भूल सकता था?
वो बड़ा सा विकृत राक्षस.....’किंक्स-सा’ था !...जिया-ये का साथी....... !
