ट्विलाइट किलर ,भाग-18
ट्विलाइट किलर ,भाग-18
एक समय में बड़े बुजुर्ग कहा करते थे कि ‘एक सज्जन व्यक्ति हमेशा अपने सारे जरूरी काम सूरज के उजाले में ही करता है’ क्योंकि रात को छाए हुए उस अंधेरे को अशुभ माना जाता था। वही एक और कथन था उन्ही बुजुर्गों का रात को लेकर! कुछ ऐसा था...’रात के अंधेरे हमेशा बुरे साये होते है क्योंकि इस अंधकार में खोया हुआ इंसान अपनी बुद्धि क्षीण कर बैठता है और यह अंधेरा ही उसके अंदर की बुराइयों को बाहर लाता है, इसलिए सज्जन व्यक्ति अंधेरे से पहले ही अपने जरूरी काम पूरे कर लेते है’........अब तो रात क्या और दिन क्या! हर समय एक ही समान है पर रात की वो बदनामी अभी भी कम नहीं हुई है। एक ओर लोग रात को जश्न किया करते है दूसरी ओर कुछ लोग इसी रात को अपनी साथिन मान .अपराध भी करते है....पर क्या रात सच में इतना अंधेरा कर देती है?....या फिर इंसान अपनी गलतियों और क्रूर स्वभाव को छुपाने के लिए रात को अपराधी ठहरता है! ठीक ऐसी रातों में एक क्रूर मनसूबे के साथ कहीं Twilight killer तैयार हो रहा है, तो कहीं अंडरवर्ल्ड की मीटिंग शुरू होने वाली है....तो कहीं कोई किसी से मिलने गया.....और कोई अपने खतरनाक इरादों के साथ झुंड में निकला,.......मनसूबे किसी के और दोष रात पर!
बंकर का वह बाथरूम खाली पड़ा हुआ था, बाथटब की बर्फ पिघल कर पानी हो गयी थी और वो कुर्सियां अब भी वेसी ही बाथटब के पास लगी हुई थी पर वहाँ पर कोई नहीं था। यह कोल का कमरा था जो इस वक्त खाली पड़ा हुआ था एक बजे से शीशे के सामने वो तैयार हो रहा था, अपने पूरे कपड़े पहनने के बाद ही उसने टी-शर्ट को दांय कंधे के ऊपर से सरकाया जहां पर बर्फ की ठंडक से जमा हुआ उसका मांस सूखा सा दिख रहा था और गर्दन के पास उस कंधे की मांसपेशियों में एक सुराख था जिसके आर-पार देखा जा सकता था। एक आयताकार रुई का बैंडेज जिसके चारों ओर मेडिकल वाला टेप लगा हुआ था, उसने उसे हाथ में लिया, एक हाइड्रोजन पेरोक्साइड का पाउडर भरकर अपने कंधे के सुराख पर कुड़ेल लिया, फिर उस बैंडेज को ठीक से घाव पर चिपका लिया। उसके उसके चेहरे पर दर्द का कोई भाव नहीं था, अपनी काली कम्बी जैकेट उठाई और उसे पहन कर टोपी सर पर रखी। पूरे शरीर पर जैकेट के नीचे बुलेटप्रूफ जैसे पैड्स लगे हुए थे। अपनी चोटी सी कटाना और पुरानी रिवॉल्वर को लंबे जैकेट में छुपाते हुए वह कोल के कमरे से बाहर निकल गया।
पर जब उसे वहाँ खड़े हुए गार्ड्स और घूमते लोगों की संख्या रोज से आधी लगी तो, कुछ देर पहले सहेली की बात जो उसने बाथटब में पड़े हुए सुनी थी, सच मालूम पड़ने लगी। बनकर से बाहर निकलने के लिए एक लिफ्ट सिस्टम था, जय के कदम उसी ओर थे।
“आज इतने कम लोग क्यों है यहाँ पर?” लिफ्ट के पास खड़े हुए 2 गार्ड्स जिनका रंग धूप में घूसम कर काला नहीं हुआ था, जय ने सवाल किया
अचानक जय को देखकर दोनों सकपका गए। कल ही वो बेसुध सी हालात में कॉल के द्वारा लाया गया था, उसके घाव से काफी खून बह रहा था यह बात लगभग सभी को पता थी। डॉक्टर ने कहा था कि उसे ठीक होने में कम से कम 1 हफ्ता लगेगा! पर उसे इस वक्त अपने आंखों के सामने खड़ा देख कर आश्चर्य हो रहा था क्योंकि जय हमेशा की तरह शांत दिख रहा था, घायल नहीं।
“आज अंडरवर्ल्ड की एक जरूरी मीटिंग है, ज्यादातर लोग वही पर गए है बॉस के साथ” एक गार्ड ने हाथ में M-23 ऑटोमैटिक राइफल पकड़े हुए कहा। जय ने सुना और लिफ्ट की ओर जाने लगा तो दोनों गार्ड्स ने उसका रास्ता रोक लिया
“बॉस ने कहा है कि तुम उस मीटिंग में बिल्कुल नहीं जाओगे” गार्ड बोला “वो नहीं चाहती कि न्यूज़ के बाद अब तुम अंडरवर्ल्ड की मीटिंग में छा जाओ”
“मुझे उस मीटिंग से कोई मतलब नहीं है, मैं वहाँ नहीं जा रहा हूँ” जय ने उसके बहुत करीब खड़े होकर कहा
“हमें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। तुम्हे वहाँ नहीं जाना है मतलब नहीं जाना है” गार्ड्स ने सख्ती से कहा “इसलिए बेहतर होगा कि तुम हमसे झूठ न बोलो”
ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगा कि गुस्से का जरा सा भी भाव जय के अंदर आया हो। वह आगे बढ़ा, वो उन गार्ड्स के इतने पास खड़ा हुआ कि उनके बीच की हवा पतली हो गयी। जय की वो आंखे किसी खंजर से कम तीव्र नहीं थी, उसका बे-भाव चेहरा उसे और भी खतरनाक बना रहा था। गार्ड्स का माथा गीला हो गया, जय ने उन दोनों के कान में कहा
“झूठ उन से बोला जाता है जिन से ‘डर’ लगता हो!.....क्या तुम्हे सच में लगता है कि मैं तुम से डरता हूँssss.....” जय की ठंडी आवाज ने दोनों के रोंगटे खड़े कर दिए।
उसकी आवाज मात्र ने दोनों के रोंगटे खाए कर दिए, वह आवाज शांत थी पर उसके अंदर के तूफान को अभी उन दोनों न ने महसूस किया था। डर की सिरहन के साथ दोनों लिफ्ट से दूर हो गए, दिल ऐसे धड़क रहा था जैसे अब बाहर नही निकल आएगा। जय सीधे लिफ्ट में चढ़ा और लिफ्ट के दरवाजे बंद होकर ऊपर की ओर जाने लगी।
अपनी जेब में से एक स्मार्टफोन निकाल कर उसने एक न्यूज आर्टिकल निकाला। जिसमें लिखा था
“ह्यूमन ट्रेफिकिंग में लिप्त सरकारी अस्पताल को किया गया सील, पुलिस की जांच जारी”
उसमे उस अस्पताल की तस्वीर भी थी जिसे जय आसानी से पहचान गया, एक यहीं अस्पताल तो था जो कार्गो यार्ड के सबसे पास होने बाद भी एम्बुलेन्स भेजने में असमर्थ था। जय की अन्हकों में कोई चमक नहीं थी पर उस तस्वीर और आर्टिकल को कुछ देर देख कर उसने रख दिया......शायद उसे अपनी अगली मंजिल का पता चल चुका था।
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रूबी के स्वागत में तालियों की कोई कमी नहीं थी, नीचे खड़े हुए लोग जय को जाने पहचाने नहीं लग रहे थे। सभी ने अच्छे कपड़े पहने हुए थे, उनका व्यवहार ही देख कर कोई भी कह सकता था कि वो सभी अमीर लोग ही थे। जितने अमीरों की जानकारी पूरे महाराष्ट्र में नहीं होगी, आंकड़ों से कहीं ज्यादा अमीर आज वहाँ पर मौजूद थे, इन्ही तालियों और हर्षोल्लास के बीच
“वाह, क्या रौनक है इस महफ़िल की” राम ने हिमांशु के पास खड़े होकर कहा
“कहीं से किसी को भी शक नहीं होगा कि, इस चमचमाती रोशनी में.....शहर से इतने करीब ‘अंडरवर्ल्ड’ मीटिंग रखी हुई होगी” राघव ने नजरें सामने किये हुए कहा
“यहाँ पर मुझे तो कोई भी अंडरवर्ल्ड का नहीं लग रहा है?....क्या हम सच में एक आम पार्टी में आये है?” टीना ने हिमांशु से सवाल किया।
हिमांशु चुपचाप उन सभी की बातें सुन रहा था पर उसका मन किसी बात को लेकर चिंतित था, असल में जैसे उसे कुछ सवालों के जवाब चाहिए थे। उसने किसी के सवाल का कोई जवाब नहीं दिया, देना भी चाहता तो इंतजार करना पड़ता!... रूबी के नीचे आते ही सभी को वेटरों ने जाम के गिलास पकड़ा दिए थे। कुछ देर पहले पानी सी वाइन दी गयी थी पर इस बार लाल रंग की और सुनहरी नक्काशीदार गिलास में शराब बिलख रही थी। रूबी ने अपना जाम ऊपर किया,
“आज की शाम, हमारे नाम!” रबी के साथ ही सभी ने अपने अपने जाम हवा में ऊंचे उठाये और ‘हमारे नाम’ दोहराया “आपके मनोरंजन के लिए हमने एक द्वंद युद्ध का आयोजन किया है, उम्मीद है जब तक मैं अपनी एक जरूरी मीटिंग खत्म करूँ... तब तक आप सभी का एक बेहतरीन समय मेरी पार्टी में गुजरे”
लोगों की खुशी भरी, मौज-मस्ती से भरी हुई किलकारियां सुनते ही एक वेटर हिमांशु के पास आकर खड़ा हो जाता है। पुनीत, टीना और राम-राघव यह देख कर थोड़ा आश्चर्य करते है क्योंकि उस वेटर के हाथ में एक बड़ा सा टैब था जिसकी स्क्रीन पर एक इनविटेशन था....अंडरवर्ल्ड की मीटिंग में शामिल होने का! और इनविटेशन भेजने वाले का नाम था ‘शेली एडेन’.....
“तो, फिर मिलते है। ......डांस के वक्त” एरीना के उस कुँए जैसे हिस्से को घेरने से पहले एक बार फिर सभी ने अपने जाम टकराए और अपने रास्ते हो लिए।
रूबी सीढ़ियों से वापस ऊपर चली गयी, आनंद के साथ। हिमांशु को आये हुए इनविटेशन में उसके अलावा टीना, पुनीत और राम-राघव के भी नाम मौजूद थे। सभी इस बात को लेकर कंफ्यूज थे कि जाएं या न जाये पर हिमांशु तो पक्का जाने वाला था, आखिर सवालों के जवाब भी तभी मिलेंगे जब उन सवालों को सही इंसान से पूछा जाए। उस वेटर ने अदब से झुक कर हिमांशु को रास्ता दिखाया, उन सीढ़ियों के दोनों तरफ से कमरों के लिए रास्ते थे। उन में से एक पर चलते हुए कोने में एक कमरे के सामने वो वेटर रुका, अपनी जेब से के चाबी निकले और दरवाजा खोला......सभी की आंखों में हैरानी थी क्योंकि जिसे वह कमरा समझ रहे थे वह असल में दरवाजे के पार एक लिफ्ट थी।
“इस तरफ....” वेटर का अदब बिल्कुल भी कम नहीं हुआ था उसके कहने पर पहले हिमांशु अंदर गया और उसके ठीक बाद सभी अंदर गए। वेटर ने सभी के अंदर आते ही दरवाजा बंद किया और लिफ्ट के एक ओर लगे हुए स्कैनर में अपनी आंखों को स्कैन किया। ऊपर जल रहे इंडिकेटर के हरे होते ही लिफ्ट चल पड़ी......नीचे की ओर। हिमांशु के साथियों के मन में बहुत सवाल थे पर इस वक्त पूछने के लिए न ही यह सही जगह थी न ही वक्त सही था। करीब 3 मंजिल नीचे जाने के बाद लिफ्ट के खुलते ही सामने 20 कदम की दूरी पर एक गोलाकार कमर था जिसके के दरवाजे थे और हर दरवाज़े पर लंबी सी बंदूक लिए हुए कुछ गार्ड्स थे। जब उस गोलाकार कमरे के पास जाकर उन्हों के आस-पास देखा तो जान गए कि इस कमरे तक आने की अलग अलग लिफ्ट्स थी जो वहीं आकर रुकती थी।
थोडे भारी मन से हिमांशु ने गार्ड्स को दरवाजा खोल का इशारा किया। दरवाजे के खुलते ही सबसे पहली नजर उस बड़ी सी काले रंग की अंडाकार टेबल पर पड़ी जो कि कुछ-कुछ दूरी पर कुर्सियों से घिरी हुई थी पर जब वो नदर गए तो वो अकेले नहीं थे। उन कुर्सियों में सबसे आगे की ओर रूबी बैठी हुई थी जिसके पीछे आनंद खड़ा हुआ था। पास में बांयी ओर एक हल्के घुंघराले बालों वाली लड़की बैठी थी जिसके पीछे भी 4 सादे मास्क लगाए हुए गार्ड्स खड़े थे, हिमांशु को देखते ही उस लड़की ने ‘Hi’ करते हुए हाथ हिलाया, एक हल्की सी मुस्कुराहट से जैसे उसका स्वागत किया। बाकी 2 कुर्सियों के सामने 2 लैपटॉप रखे हुए थे जिसमें 2 चेहरे थे, अलग ही समझा रहा था कि वो नकली चेहरे है और आखिर की 2 कुर्सियां खाली थी जिन में से एक पर खुद हिमांशु बेठ गया, उसके साथी पीछे खड़े हो गए।
“वेलकम ऑफिसर हिमांशु राणा!” रूबी ने हिमांशु की आंखों में देखते हुए कहा “पता था अगर तुम मुम्बई में ही हो तो यहाँ जरूर आओगे......ये है मिस शेली, इंडियन अंडरवर्ल्ड में आयात-निर्यात करने वाली, 3 हेड्स में से एक”
“हेलो.....” शेली ने हाथ हिला कर एक बार फिर हिमांशु से अभिवादन किया जिस पर हिमांशु ने कोई भी जवाब नहीं दिया। उसके मन के सवाल उमड़ रहे थे, वो जल्दी से रूबी से वो सवाल करना चाहता था जिसने उसे बहुत ज्यादा सस्पेंस मैं रखा हुआ था।
“आज ये दोनों क्यों नहीं आये शेली?” रूबी ने अपना ध्यान हिमांशु से हटाया “प्रभु और श्रेय ने आज तक कभी भी मीटिंग मिस नहीं कि....?” रूबी के चेहरे पर एक सवालिया रूख़ आ गया
“पता नहीं! कह तो रहे थे कि नहीं भी आएंगे तो ये लैपटॉप AI उनकी तरफ से भाग लेंगे और ऑडियो डेटा रिकॉर्ड केर लेंगे....हो सकता है कोई कारण हो, ना आने का...” शेली के आखिरी शब्दो में जैसे कोई बात थी जो उसने इस वक्त छुपा कर रखी थी पर हिमांशु वो यह आसानी से समझ आ गया।
“ठीक है तो मीटिंग शुरू करते है” रूबी के इतना कहते ही सभी का ध्यान रूबी की ओर चला गया। वह कमर बहुत शांत था, गार्ड्स से भरा हुआ था और शेली के गार्ड्स जैसे हिमांशु के साथियों पर नजर रखे हुए थे। बाकी हर कुर्सी के पीछे खड़े हुए गार्ड्स चौकन्ने थे।
“जैसा कि सभी को मालूम होना चाहिए कि यह मीटिंग क्यों रखी है पर फिर भी मैं एक बार बताना चाहूंगी।....चायनीज अंडरवर्ल्ड, अपने कदम आगे बढ़ा रहा है। उसने बर्मा और पाकिस्तान के अंडरवर्ल्ड को पूरी तरह से कंट्रोल कर लिया है और उसका अगला टारगेट हम है!” रूबी की यह बात कुछ नई नहीं थी, हिमांशु ने अपने पिछले मिशन में ली-जियांग के अंदर ही इस बात का पता लगा लिया था कि चायनीज अंडरवर्ल्ड का प्लान अपनी जड़ों को बाकी देशों में गहरी करना है। उद्देश्य तो पता नहीं चला पर अच्छा तो बिल्कुल नहीं हो सकता था।
“मैं जानना चाहता हूँ कि मेरा इस स क्या संबंध है?” हिमांशु ने बेरूखी से कहा “मेरा तो अंडरवर्ल्ड से कोई भी नाता नहीं है, और मुझे लगता है कि....तुम में से कुछ को पता भी है कि मैं कौन हूँ?...” हिमांशु की नजरें शेली से होते हुए रूबी पर आ टिकी जो आनंद को बिल्कुल भी पसंद नही आया पर उसने खुद पर काबू रखा।
“तुम्हारा अभी का मिशन चायनीज अंडरवर्ल्ड को परेशान कर सकता है या मैं यह कहूँ की शायद जल्दी ही चायनीज अंडरवर्ल्ड के लोग तुम तक पहुँचने की कोशिश करेंगे। और मुझे यकीन है कि तुमने कुछ पीले चेहरे वालो को यहाँ-वहाँ मंडराते हुए देखा ही होगा....यह केवल अंडरवर्ल्ड को चिंतित नहीं करता बल्कि यह देश के लिए भी बहुत बड़ी चिंता का विषय है” शेली ने हिमांशु की बात का टका सा जवाब दिया, हिमांशु ने कुछ भी नहीं कहा और शेली की बात सुनी। अधूरी बातों को सुन कर एक निर्णय पर आना हिमांशु की आदत में नहीं था।
“क्या तुम्हें पता है कि वो लोग कौन है जो चायनीज अंडरवर्ल्ड से जुड़े हुए है?........वैसे तुम्हे तो पता ही होगा न? ‘जय’ ने बताया ही होगा!” हिमांशु ने अंधेरे में तीर छोड़ा, वह कन्फर्म करना चाहता था कि ‘जय’ अंडरवर्ल्ड से जुड़ा हुआ है या नहीं,
“अगर Twilight killer हमारे साथ होता तो क्या मैं तुम्हे यहां पर बुलाती?” शेली ने शांति से जवाब दिया पर जवाब इतना सटीक था कि हिमांशु को इस बात का अहसास हो गया कि ‘जय’ अंडरवर्ल्ड के साथ नहीं है।
“अभी कुछ समय पहले ही हमे पता चला कि वो चायनीज अंडरवर्ल्ड के लोग कौन है?....और सच कहूँ तो यह बहुत ज्यादा चिंता का विषय है!” रूबी ने भारी आवाज में कहा
“तोssss... कौन है वो लोग!” हिमांशु ने पूछा
“ चीन का सबसे ताकतवर कातिल दल! ‘वू क्लान’!....मुझे उम्मीद है कि यह नाम ही काफी है यह बताने के लिए की हम किस खतरे में आ फसे है!” रूबी के मुह से ‘वू क्लान’ का नाम सुनते ही लगभग सभी का मुह बिगड़ गया। हिमांशु ‘वू क्लान’ ली-जियांग में भिड़ चुका था वह उनकी ताकत से परिचित था हिमांशु को अंदाज तो था कि शायद ‘वू क्लान’ मुम्बई में है पर अब यह बात कन्फर्म हो गयी थी! उसके पास Twilight killer से भी बड़ी एक समस्या सामने थी।
“वैसे हमारे साथ एक बहुत ही इम्पोर्टेन्ट गेस्ट है जो इस सब मे बहुत ही उपयोगी साबित होंगे”
रूबी के इतना कहते ही आखिरी खाली कुर्सी के पीछे का दरवाजा खुला और एक आदमी अंदर चलता हुआ आया। उसका कद काफी ऊंचा था, चेहरे पर अजीब सा मास्क और ऊपर चादर जैसा कुछ पहना हुआ था। उसके कदम कमरे में पड़ते ही ऐसा लगा जैसे किसी आदमखोर ने कमरे में एंट्री की है। जो लोग दूसरों की जान लेने में लिप्त होते है, इस तरह के लोगों की मौजूदगी में एक अजीब सी खूनी गंध होती है जो हमारा सबकॉन्शियस (Subconcious) माइंड एक पल में पहचान जाता है। जो लोग हिमायती नहीं होते, अक्सर इस तरह के लोगों की उपस्थिति के दौरान बेहद ताकतवर डर के शिकार हो जाते है, हाथपैर फूल जाते है, दिल शरीर से बाहर भागने को होने लगता है, पसीना जैसे खत्म ही नहीं होता और होंठ फड़फड़ाते है पर आवाज नहीं निकलती। दिमाग चीख-चीख कर कहता है कि ‘भाग जायो यहाँ से’....यह डर मौत का होता है। हिमांशु के शरीर में जब सिहरन दौड़ गयी तो बाकियों का हाल तो और भी खराब था, खासकर पुनीत जैसे कोई मूरत हो गया था। वह आदमी अकेला आया था बिना किसी गार्ड के, इतना ही काफी था यह बताने के लिए कि वह कितना खतरनाक है। उसने कुर्सी ग्रहण की, हिमांशु जानना चाहता था कि आखिर यह है कौन?...आज तक उसका इतने खतरनाक आदमी से सामना नहीं हुआ था और...वह इस वक्त भी किसी भी हालत में उस आदमी से दूर रहना चाहता था।
“तो सभी के सामने पेश है हमारे सबसे जरूरी मेहमान...मिस्टर ‘शियाबेई वू’! वू क्लान के लीडर!” रूबी का इतना कहना था कि सभी को जैसे बिजली का झटका लगा! किसी अनहोनी की आशंका ने उस कमरे की हवा खराब कर दी...................
अभी कुछ देर पहले ही कहा गया था कि ‘वू क्लान’ चायनीज अंडरवर्ल्ड के इस खतरनाक प्लान के पीछे है, फिर ‘वू क्लान’ का लीडर इस मीटिंग में क्या कर रहा था? क्या रूबी ‘वू क्लान’ से मिली हुई है क्योंकि मेहमान का दर्जा उसी ने दिया था? तो अब क्या मीटिंग खत्म और लड़ाई शुरू होने वाली थी या उस से भी कुछ बुरा......
जानने के लिए पढ़ते रहिये, ट्विलाइट किलर।