ट्वीलाइट किलर भाग -15
ट्वीलाइट किलर भाग -15
हिमांशु के साथियों की पिछली रात बहुत ही बेकार रही थी। कल रात की की हुई सारी की सारी तैयारी धरी की धरी रह गयी। ‘जय’ को पकड़ने के इतने करीब थे कि अब कुछ बहुत ही आसान लग रहा था पर जैसे नहाते समय साबुन फिसल जाता है न! ठीक वैसे ही जय, सभी के सामने से निकल गया और...जाते-जाते यह भी बतला गया कि वो अब कोई सिविलियन नहीं है जो ‘हैंड्स-अप’ कहने पर हाथ उठा कर खड़ा हो जाये। रात को जय के भागते ही मीडिया अपना बोरिया बिस्तर लेकर करन की बिल्डिंग तक पहुंच गई...जय को छत पर ड्रोन्स के जरिये देखने वाली मीडिया ने तुरंत ही अपनी-अपनी व्यक्तिगत रिपोर्ट टी वी पर लाइव कर दी जैसे कि सब कुछ उन्होंने अपनी इन दोनों आंखों से होते हुए देखा है। हिमांशु की किस्मत अच्छी थी कि जब मीडिया के ड्रोन उड़ते हुए छत की ओर आ रहे थे तब जय ने पुनीत के सारे ड्रोन्स तबाह कर दिए थे जिसके धमाके के कारण हिमांशु मीडिया के ड्रोन्स से बच गया, उसके बाद लाइट आने से ठीक पहले हिमांशु और उसकी टीम वहां से भाग निकलने में सफल रही। अब अतुल जैसे ही मीडिया के घेरे में आया, उस से भी तरह-तरह के सवाल पूछे गए जिसका बहुत ही अच्छा जवाब देकर वो वहां से अपनी फ़ोर्स के साथ लौट आया! रिपोर्ट ने पूछा था;
“पुलिस की इतनी सुरक्षा के बाद भी करन प्रसाद को मार दिया गया! क्या इस से यह साबित हो जाता है कि अब यह पुलिस के बस की बात नहीं है? क्या ‘जय’ जो कि एक सामान्य प्रकाशन कंपनी का मालिक था उसे रोक पाना इतना मुश्किल है?”
फलेश की पटाखे की लड़ी की तरह जलती-बुझती रोशनी ने अतुल को रोशन कर दिया था। हर एक चैनल का रिपोर्टर ठसाठस भरी हुई भीड़ में अपना माइक और पीछे उनके कैमरामैन कैमरा पकड़े हुए बहुत ही आतुरता से अतुल के जवाब की प्रतीक्षा कर रहे थे।
“देखिये करन के पास अपनी गार्ड्स की फौज और अलग से बुलाये हुए ‘मशीनरी’ थे जो कि हर तरह से उसकी सुरक्षा में सक्षम थे। हम भी अपनी तरफ से हर तरह से तैयार थे पर लाइट जाने के बाद अचानक ही किसी भूत की तरह वो कातिल प्रकट हुआ, अंदर भी पहुंच गया और 2 खतरनाक मशीनरी को भी मार गिराया! करन जिसे अपनी सुरक्षा व्यवस्था पर पूरा यकीन था जब वो खुद ही कुछ नहीं कर पाया तो भला पुलिस क्या कर सकती थी? हाँ, अगर वो कातिल सामने से आया होता तो हम उसे पकड़ लेते पर वो अंदर कब गया, कैसे गया यह अभी इन्वेस्टीगेशन में पता चलेगा”
“आप बार-बार कातिल कह रहे हैं ! पर अभी जानते हैं कि वह कातिल ‘जय अग्निहोत्री’ ही है, क्या आप इस बात से इनकार कर रहे है?” एक बार फिर सारे माइक जी अतुल के मुंह में घुसने को हुए"
“हां, मुझे नहीं लगता यह कातिल ‘जय अग्निहोत्री’ है” अतुल की बात सुनते ही सभी की आतुरता उसकी अगली बात पर आ कर अड़ गई “केवल उस कातिल का चेहरा जय से मिलता है पर हम पूरे यकीन से नहीं कह सकते कि वह जय ही है! वेसे भी आप लोग खुद ही सोच कर देखिए, एक ऑफिस वर्क करने वाला इतनी आसानी से किसी का खून कर सकता है भला?.........पर अभी मैं इस पर ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा, वेसे भी बिना सबूत की बात, बात नहीं होती। बाकी की जानकारी आपको इन्वेस्टीगेशन टीम से मिल जाएगी!”
अतुल की आवाज में इतनी दृढ़ता और गंभीरता थी कि फिर कोई उसके पीछे सवाल लेकर नहीं भागा और वो अपनी फ़ोर्स को रिलीव करके घर को निकल गया। सी बी आई की टीम ने सामने से घटना के बाद आने का नाटक किया, खासकर राजन ने पर पूरी घटना को उसने भलीभांति संभाल लिया जैसे यह सब बहुत आम था। इन्वेस्टीगेशन रात तक चलने वाला था और सुबह की खबरों पर सभी की नजर थी.......पर कुछ नजरें उस घटनास्थल से बिल्कुल भी ना हटी थी जैसे सच से भी कहीं ज्यादा की तलाश उन्हें थी। वो कोई सरकारी निगाहे नहीं थी बल्कि अंधरे से झांकती. अपरिचित निगाहे थीं ..................
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हिमांशु का टीम बेस
आज की सुबह कंट्रोल रूम में सभी टेबल कुर्सी के साथ बैठे हुए थे, कोई चाय बिस्कुट कहा रहा था तो कोई कॉफी के कश ले रहा था। सभी से मतलब, लगभग सभी थे। हिमांशु कल रात से ही बहुत शांत था उसने किसी से कुछ नही कहा और सारी रात ट्रेनिंग रूम में ही बिताई! करीब 4 बजे से गोलियों की हल्की बारिश सी बूंदों जैसी आवाज आने लगी थी, जय के सबसे करीब वहीं था और एक स्टेप से वो जय को पकड़ने से चूक गया था, इसलिए सारा गुस्सा ट्रेनिंग करके खुद पर निकाल रहा था...और अब तक वहीं अकेला था जो कि कंट्रोल रूम में सभी के साथ नहीं था। हिमांशु की टीम के लोगों से कुछ दूर टेबल कुर्सी और कॉफी के सफेद बड़े-बड़े कप लिए आसुना और निहारिका चुपचाप उन सभी को काम करते हुए देख रही थी, देख क्या रहीं थी! बल्कि घूर रहीं थी!
कारण यह था कि कल रात जब सभी आये थे तो चेहरे कुछ शर्म के मारे झुके हुए थे, उन में हार साफ दिख रही थी। पुनीत को पहली बार गुस्से में दीवार पर हाथ पटकते हुए देखा था, जब वो सभी लौट कर आये तब भी निहारिका और आसुना वहीं पर बैठी हुई थी। हिमांशु की सूनी नजरें जैसे ही आसुना कि आंखों से मिली, आसुना सीधे उठ कर अपने कमरे में चली गयी, उसके बाद सीधे निहारिका के साथ सुबह ही सामने कंट्रोल रूम में आई और तब से ही वो दोनों सभी को घूर रहीं थी।
पुनीत अपने टैब को कंट्रोल रूम के एक पैनल से जोड़ कर कुछ फाइल्स और ब्लड सैम्पल्स को देख रहा था। टीना अपनी स्नाइपर राइफल को साफ कर रही थी, उसके पास एक आधुनिक टूल-बॉक्स भी था जिसमे कुछ अलग तरह के औजार और उपकर्णीय हिस्से थे। राम-राघव कंट्रोल पैनल के किनारे से लटक रहे एक ग्लास स्क्रीन पर न्यूज़ देख रहे थे जिसकी कम आवाज भी अच्छे से सुनाई दे रही थी, उस न्यूज़ को सुनने में आसुना और निहारिका दोनों को ही इंटरेस्ट था!
“कल रात के ‘करन मर्डर केस’ में अभी तक जांच चल रही है, मामला काफी गंभीर होने के कारण अब तक कोई भी रिपोर्ट बाहर नहीं आयी है। करन प्रसाद के शव को लेकर भी अब तक कोई खास बात सामने नहीं आयी, बताया जा रहा है कि उनकी मौत की वजह अब तक पता नहीं चली है। उसके अलावा उन 2 मशीनरियों के बारे में यह बात सामने आई है कि वे दोनों ही ‘स्टील टाइड’ सिक्योरिटी सर्विस से करन प्रसाद द्वारा हायर किये गए थे। उनके शवों को सिक्योरिटी सर्विस, जर्मनी हेडक्वार्टर भेज दिया गया है। ....................रही बात ‘ट्वी लाइट किलर ’ की तो अब तक उसके बारे मे कोई भी जानकारी नहीं जुटाई जा सकी है, महाराष्ट के मुख़्यमंत्री के अनुसार यह केस सी बी आई को ही हैंडल करने दिया जाए। पहले कहा जा रहा था कि जय अग्निहोत्री ही ‘ट्वी लाइट किलर ’ है पर कल रात अतुल सावरकर, पुलिस इंस्पेक्टर थाना-वासी..के द्वारा दिए गए बयान ने इस बात को झुठला दिया है और अब सभी जानना चाहते है कि......’ट्वी लाइट किलर ’ की असली पहचान क्या है?......................आगे और भी जानकारी के लिए बने रहिये हमारे साथ!”
“एक ही रात में जय से ट्वी लाइट किलर का नाम चढ़ गया, अब इसे कहते है सनसनी!” पीछे बाहर से आते हुए अतुल की आवाज आते ही पुनीत ने न्यूज़ वाला पैनल बन्द कर दिया। अतुल सुबह-सुबह नीले रंग के ट्रैक-सूट-पेंट में तैयार अंदर आया था,
“आइए, बैठिए महाराज!” राम ने पास रखी हुई 2 खाली कुर्सियों में से एक को थोड़ा पास खिसकाया और बैठने का इशारा किया “कल रात के आपके बयान ने तो लोगों का नजरिया ही बदल दिया। अब लोगों को लग रहा है कि वो हत्यारा जय नहीं हो सकता, ऊपर से न्यूज़ वालों ने तो उसे ‘ट्वी लाइट किलर ’ की उपाधि दी दी”
“हाँ, सही कहा। वेसे ‘ट्वी लाइट किलर ’ बहुत ही फैंसी नाम है ना?” अतुल ने बैठकर कहा
“बिल्कुल है, मुझे तो पसन्द भी आया” राघव ने अजीब तरह से मुस्कुराते हुए कहा “जय नाम सिविलियन को ही शोभा देता है, ‘ट्वी लाइट किलर ’ होने से कम से कम अब यह नहीं लगेगा कि हम किसी सिविलियन को मारने जा रहे है” राघव के लिए जय मुजरिम से ज्यादा कुछ नहीं था पर राम को अब जय को जानने में काफी दिलचस्पी हो गयी थी, पहली बार दोनों के ओपिनियन एक दूसरे से अलग थे
“हिमांशु कहाँ पर है?” अतुल का सवाल जैसे वीराने में गूंज गया
“मैं यहां पर हूँ!” ट्रेनिंग रूम से नहाकर बाहर आते हुए हिमांशु के बदन पर आधी गीली सफेद टी शर्ट और लोअर थी। कल रात के मुकाबले अब उसका स्वभाव हल्का हो गया था। “आज इतनी सुबह आ गया, रेशमा ने कुछ कहा नहीं?”
हिमांशु ने सभी को देखते हुए, अतुल के पास वाली कुर्सी पर अपनी जगह बनाई। टीना ने उसे एक कॉफी का कप पकड़ाया
“नहीं यार, वो तो कल रात को देर तक जाग कर टी वी देख रही थी। यहीं, करन की न्यूज़ और न्यूज़ में मेरे छोटे से इंटरव्यू को पता नहीं क्यों बार-बार देख रही थी?”
“क्योंकि कल रात तेरे बोलने का तरीका बहुत ही अलग था। ऊपर से जय को जय न कह कर तूने अच्छा ही किया! वरना बिना मतलब के जय की फैमिली को क्रिटिसाइज किया जाता” आसुना और निहारिका की ओर देखते हुए उसने कहा
“वैसे अब तक तो तुम लोगों ने अपना काम खत्म कर लिया होगा न?...तो चलो! जरा कल के इंसिडेंट को रिवाइज करते है!”
हिमांशु की टीम के चेहरे पहले से कहीं ज्यादा चमक रहे थे, जैसे कल कोई हार नहीं थी बल्कि सीखने का एक पायदान था। उनकी इस बहादुरी को देख कर आसुना के चेहरे पर मुस्कान आ गयी, ठीक वैसी ही मुस्कान जो उसे प्यारी बनाती थी। निहारिका भी अब समझ चुकी थी यहीं वो लोग है जो नवल को इंसाफ दिलवा सकते है।
“तो पहली और सबसे इम्पोर्टेन्ट क्वेश्चन!” सभी की कुर्सियां कंट्रोल पैनल की ओर मुड़ गयीं “करन के मौत की असली वजह क्या है?...हम सभी जानते है कि जय ने करन को किसी हथियार से नहीं मारा और जहर देने के भी कोई ट्रेसेस नहीं थे। उसका शरीर नीला नहीं पड़ा था बल्कि हल्का सफेद होकर ऐसे ठोस से हो गया था जैसे कोई मोम का पुतला हो! आखिर ऐसा कैसे हुआ?”
यह सवाल सच में दिलचस्प था! उन दो गार्ड्स को जय ने अपने हाथों से मारा था जबकि करन को उसने अपने हाथों से नहीं मारा था, किसी ऐसे तरीके से मारा था जिस से उसकी मौत का पता नहीं चल पा रहा था पर लक्षण विकट थे।
“मैने मेडिकल टेस्ट से इस बात का पता लगा लिया है कि करन की मौत का क्या कारण था?” पुनीत ने हिमांशु के सवाल का जवाब देना चाहा, सभी के कान खड़े हो गए “वेसे तो शरीर में शराब के अलावा किसी भी तरह का कोई भी ड्रग नहीं मिला, न ही कोई जहर! पर जब ब्लड सैंपल की बारीकी से जांच की तो......”
पुनीत ने कंट्रोल पैनल की स्क्रीन पर एक वीडियो दिखाया जिसमें करन की मौत के बाद के ब्लड टेस्ट की जांच थी। उसके खून में अलग से जमे हुए क्रिस्टल्स को हाई पावर इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप से दिखाया गया था जिस से उसके खून में कुछ अजीब सा दिखा था!
“यह तो कुछ क्रिस्टल जैसा दिख रहा है, जैसे फिटकरी हो?” अतुल ने कहा
“बिल्कुल सही कहा पर यह क्रिस्टल्स फिटकरी के नहीं है बल्कि ‘इथाइलीन ग्लाइकोल’ के है जिसे करन की वाइन मैं मिलाया गया था और यह कोई आम इथाइलीन ग्लाइकोल नहीं था बल्कि हाइली क्रिस्टलाइन द्रव्य था जिस ने शरीर में घुलते ही रक्त को धीरे-धीरे गाढ़ा करना शुरू किया पहले खून धीमा हुआ, फिर नसों में ब्लॉकेज आने लगा, सांस लेने में दिक्कत और फिर शरीर जगह-जगह से फटने लगा। बेहद दर्दनाक मौत होती अगर यह वाइन के साथ मिला कर नहीं दिया होता, शराब के नशे ने इसके दर्द काफी हद तक कम कर दिया होगा पर फिर भी! यह किसी को तड़पाने का बहुत दर्दनाक तरीका था!”
“इथाइलीन ग्लाइकोल तो पेट्रोल को ठंडे इलाकों में जमने से बचने में इस्तेमाल होता है ना?” टीना ने पूछा
“हाँ, यहाँ पर उसी इथाइलीन ग्लाइकोल की बात हो रही है पर यह वाला इथाइलीन ग्लाइकोल, एसिटिक एसिड और एक किसी तरह के कंपाउंड साल्ट(नमक) का मिश्रण था इसलिए यह कहना आसान होगा कि जो इथाइलीन ग्लाइकोल इस्तेमाल हुआ है वह नये तरीके से बनाया हुआ था” पुनीत ने अपनी बात का स्पष्टीकरण दिया
“पर क्रिस्टल्स तो ‘प्योर’ सॉल्यूशन का बनता है ना? और ब्लड तो बहुत सारे द्रवों और कोशिकाओं से बना होता है! वह कैसे क्रिस्टल बन गया?” हिमांशु का यह सवाल निहारिका के पल्ले पड़ चुका था क्योंकि निहारिका का पसंदीदा विषय केमिस्ट्री ही था। बाकी सभी को थोड़ा अंदाज हो गया था
“यहीं तो बात है सर! इस इथाइलीन ग्लाइकोल ने केवल रेड ब्लड सेल्स को क्रिस्टल बनाया जिस कारण केवल 70% ब्लड ही क्रिस्टल बना बाकी रक्त बहता रहा और करन की दर्दनाक मौत का कारण बन गया। इस तरह की प्लानिंग किसी अजूबे से कम नहीं है, खासकर इथाइलीन ग्लाइकोल का इस तरह का इस्तेमाल भी!”
पुनीत की बात एकदम सही थी, एक आम केमिकल का इस तरह का इस्तेमाल बहुत ही आश्चर्यजनक था क्योंकि जय ‘कॉमर्स’ का स्टूडेंट था तो यह और भी अचरज की बात थी कि उसे इस तरह का ज्ञान था। सच में ज्ञान बहुत ही ताकतवर हथियार होता है। अच्छे से इस्तेमाल करो तो वरदान नहीं तो शाप होता है।
इथाइलीन ग्लाइकोल- यह आपकी कार में एंटी फीज़र के रूप में है। यह सस्ता है। यह इतना सरल दिखता है। इसका एक मध्यम विषाक्तता स्तर है, हालांकि, मीठा स्वाद आसानी से उस सीमा को पार कर सकता है, जिससे एथिलीन ग्लाइकॉल को अधिक खतरनाक ऑक्सालिक एसिड में चयापचय किया जा सकता है। इसे जानवरों और पालतू जानवरों से दूर रखें, क्योंकि वे एक खाद्य स्रोत के रूप में तरल को गोद में लेने की संभावना रखते हैं। यदि आप बड़ी मात्रा में एथिलीन ग्लाइकॉल का सेवन करते हैं, तो मृत्यु धीमी होती है, 72 घंटों के दौरान व्यवस्थित रूप से अंग प्रणालियों को बाहर निकालती है। उपचार अनाज इथेनॉल का प्रशासन है, क्योंकि इथेनॉल आपके शरीर में बंधन के लिए एथिलीन ग्लाइकोल के साथ प्रतिस्पर्धा करता है।
सभी के मन में कुछ-न-कुछ चल रहा था और अभी तो केवल करन की मौत पर ही सवाल हुए थे। जिन लोगों ने अब तक केवल सामान्य सीधी-सीधी लड़ाइयां लड़ी और देखीं थी उनके लिए यह सब बहुत ज्यादा था। हिमांशु की तीन के चारों सोल्जर आतंकवादी हमलों को नेस्तनाबूत करने में सक्षम थे पर अब तक उनका सामना किसी ऐसे से नहीं हुआ था जो ताकत से ज्यादा टेक्नीक और ज्ञान का सहारा लेता हो, ठीक वैसा ही पुलिस और अतुल के साथ था। एक पल के लिए टीना और राम की नजरें आसुना पर आ रुकी जैसे पूछ रहीं हो ‘तुम्हे तो यह सब पता ही होगा न,पहले से!’......हिमांशु उन दोनों का मन भांप गया,
“वैसे तुम चाहो तो हमारी मदद कर सकती हो न."
आसुना,...निहारिका?” हिमांशु ने उन दोनों की ओर देखा “जय के बारे में जितने रहस्य अभी बनते जा रहे है उनसे कहीं ज्यादा तुम दोनों जानते होंगे?...पर कोई जबरदस्ती नहीं है! जनता हूँ किसी अपने के खिलाफ जाना बहुत मुश्किल है पर......!”
“ठीक है” आसुना अपनी कुर्सी से उठ कर खड़ी हो गई, सभी को एक नजर देखा जैसे कुछ ढूंढ रही हो। उसका चेहरा आ पहले की तरह मुरझाया हुआ फूल नहीं था “हम दोनों तुम्हारी मदद करेंगे, आखिर तुम पर इतना भरोसा तो किया ही जा सकता है। .....हम मदद जरूर करेंगे पर ऐसे ही नहीं। जय को जानने के लिए तुम्हे ढूंढना होगा, अगर हिमांशु सही है तो तुम चारों इन्वेस्टीगेशन में सी बी आई जितने ही अच्छे होने चाहिए। मुझे ऐसे सवाल और कड़िया दो....जो मुझे तुम्हे सच बताने पर मजबूर कर दे। मदद करूंगी पर ऐसे ही”
“मंजूर है।“ हिमांशु ने उसकी बात खत्म होते ही सीधा जवाब दिया, निहारिका ने भी आसुना की बात मैं हामी मिलाई।
बाकी सभी ने भी आंखें घुमा कर इस बात को स्वीकार किया, टीना जय मैं दिलचस्प थी, पुनीत भी जय के व्यक्तित्व से प्रभावित था और राम-राघव की अपनी बात थी। अतुल बस उस जय को वापस देखना चाहता था जिसके साथ बैठ कर वो अक्सर कॉफी पिया करता था।
“और कुछ भी जो तुम बताना चाहोगे पुनीत?” हिमांशु के चेहरे के कोने में हंसी थी
“वैसे इस बारे में मैंने या फिर किसी ने भी अब तक कोई असल छानबीन नहीं कि है पर शायद मुझे पता है कि जय सर अंदर कैसे पहुंचे थे, किसी को भी बिना खबर लगे!”
पुनीत ने सर धीरे-धीरे हिलाया जैसे उसकी गर्दन अकड़ गयी हो। अब यह सवाकल था जिसने सभी को ज्यादा परेशान किया था। कंट्रोल पैनल की बड़ी स्क्रीन पर करन की बिल्डिंग का ब्लूप्रिंट दिखने लगा.
“ग्राउंड फ्लोर पर रिसेप्शन के अलावा केवल एक बड़ा सा किचन है जिस से जुड़ा हुआ नीचे एक स्टोरेज रूम भी है जिसके अंदर खाने पीने की, शराब जैसी चीजें रखी जाती है” सभी उसे ध्यान से सुन रहे थे “वो स्टोरेज रूम नीचे सीवर पाइप लाइन से पास है, शायद जय सर वहीं से ऊपर आये हों और समय मिलते ही पेंट्री कर में घुस गए हो और उसी समय के बीच वाइन में अपन बनाया हुआ इथाइलीन ग्लाइकोल डाल दिया हो
“सम्भव है! ये हो सकता है, हम एक बार इन्वेस्टीगेशन और करके देखते है...और उसे कन्फर्म करते है!” अतुल ने तेज आवाज में सभी से कहा
“और कुछ...कुछ अलग और अजीब?” हिमांशु जैसे कोई ऐसी जानकारी चाहता था जिस से उसे कोई बहुत ही जरूरी बात पता चल सके।
“वो आदमी जो दूसरी छत से खड़े होकर जय सर की मदद कर रहा था, वह जरूर उस वक्त अंदर कंट्रोल रूम में मौजूद था जब यह सब हुआ और हमारी ही नजरों से बचता हुआ वो नीचे लोगों के साथ बाहर निकला होगा। उसने कंट्रोल रूम को अपने तरीके से ऑपरेट किया होगा ताकि जय सर का पता न चल पाए। और... वो बहुत अच्छा निशानेबाज है, ग्रेनेड लॉन्चर से इतनी ऊपर निशाना लगाना ठीक वैसा ही था प्लास्टिक की गेंद को तेज हवा में सीधे उछलने की कोशिश करना”
“हाँ, वो जो भी था, अपने काम में माहिर था” हिमांशु ने टिप्पणी की “तुम कुछ कहना चाहोगी टीना?”
“राजन जय को मारना चाहता था पकड़ना नहीं, इसके अलावा यहीं कहूंगी की हमे और जानने की जरूरत है। ना केवल जय के बारे में बल्कि राजन के बारे में भी”
सभी के चेहरों से सहमति टपक रही थी,
“और तुम दोनों?” राम-राघव से भी हिमांशु ने पूछा
“नहीं! कुछ नहीं” दोनों लगभग यहीं जवाब दिया, पर इस से हिमांशु को कोई भी लीड नहीं मिली कि वो आखिर आगे किसे मारने वाला है?
सभी चुप थे कि हिमांशु ने अपनी जेब में हाथ डाला और एक पुराना सा रिकॉर्डर निकाला। सामने टेबल पर रखा, यह वहीं रिकॉर्डर था जो जय छोड़ गया था और इसमें करन का आखिरी बयान था! हिमांशु ने यह अब तक न खुद सुना था न ही किसी और को दिया था।
“यह रिकॉर्ड शायद जय का है जो वो करन के पास या तो गलती से छोड़ गया था या फिर जानबूझ कर...”
हिमांशु ने उसे चालू किया तो थोड़ी-थोड़ी रेडियों की खरखराहट भरी आवाज आई, जिनके साथ जय और करन की वार्तालाप कम सवाल जवाब शुरू हुए। सभी उनकी हर एक बात को ध्यान से सुन रहे थे, करन की दर्द और नशे से भरी हुई टूटी आवाज रीढ़ में सिहरन दौड़ा रही थी पर जैसे ही उन्होंने सुना कि करन ने इस बात को कबूल किया कि वहीं ह्यूमन ट्रेफिकिंग के पीछे था, उस सिहरन की जगह गुस्से की चिंगारियों ने ले ली। अब सभी को समझा आ गया था कि हिमांशु का शक एकदम सही था,
सुनना जारी रहा और भी 2 सवाल सुने गए, कुछ नाम सामने आए तो सभी को इस बात की खुशी हुई कि अब उन्हें कुछ जरूरी खबर तो पता चली पर जैसे ही हिमांशु की नजर आसुना और निहारिका के चेहरे पर गयी तो वह सन्न रह गया। आसुना थोड़ी परेशान जरूर थी पर निहारिका का पीला पड़ा हुआ चेहरा यह बता रहा था की इस रिकार्डेड नाम के बारे में वह दोनों ही कुछ ऐसा जानती है जिस पर उन्हें यकीन नहीं हो रहा!
“एक,,,बार वह रिकॉर्ड फिर से दूसरे सवाल से चलाना जरा...” उसकी आवाज थोड़ी घबराई हुई थी
हिमांशु ने रिकॉर्डिंग को पीछे करते हुए वहीं दूसरे सवाल जिसके जवाब में किसी का नाम था, उसे चलाया। हर एक शब्द को गौर से सुन रही निहारिका की आंखें वह नाम सुनते ही बड़ी हो गयी जैसे कोई भयानक चीज देख-सुन ली हो! सभी उसकी हालत देख कर दंग थे, उसके रोंगटे खाए हो रहे थे
“यह कैसे हो सकता है?....’सौरभ’ इस सब में कैसे शामिल हो सकता है?....” निहारिका के शब्दों से ज्यादा उसके पैर लड़खड़ाये, आसुना ने उसे पकड़ कर वापस कुर्सी पर बिठाला। वह चुप हो गयी
“यह क्या कह रही है आसुना? क्या तुम लोग भी इस ‘सौरभ’ को जानते हो?”
आसुना ने हामी भरी, सभी की ओर एक बार देख कर गहरी सांस ली और उसके शब्दो ने एक नईं कहानी सुना दी!
“सौरभ और जय का पुराना इतिहास है, उम्मीद नहीं थी उसका नाम फिर से सुन ना पड़ेगा भी इस तरह!”
“क्या मतलब” हिमांशु ने आश्चर्य के भाव से पूछा
“करन के मुताबिक, सौरभ ने उसे यह काम करने में शामिल किया था पर......सौरभ तो काफी सालों से भारत में ही नहीं है क्योंकि उसे देश से निकाल दिया गया था!.......”
