टोटका

टोटका

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घर ख़ानदान की वो सबसे बड़ी बेटी थी तो स्वभाविक ही था कि वो सबकी लाडली भी थी। ऊँची शिक्षा प्राप्त करके वो सफलता के शिखर पर विराज मान थी पर कहतें है ना कि ईश्वर सबको सब कुछ नहीं देता। उसको सारे गुण ईश्वर ने दिये थे पर रूप नहीं दिया था। यह जरूर था कि अपनों को वह बहुत प्यारी लगती थी पर विवाह के लिये लड़कों की पसन्द की सूची में कहीं वो ना आती थी तो कहीं लड़का उसके गुणों व ऊँचे पद प्रतिष्ठा के आगे ठहर ना पाता था।

माता-पिता उसके योग्य वर ढूँढने की हर कोशिश कर नाकाम हो चुके थे। उससे छोटी बहन भाइयों के अब विवाह होने शुरु हो गये थे। तभी अचानक उसका अपनी चचेरी छोटी बहन के विवाह में जाना हुआ वहाँ हल्दी की रस्म के समय नाउन ने उसकी दादी ये कहा कि वैसे तो बिटिया पढ़ी-लिखी है वो मानेगी नहीं पर एक बार यह टोटका भी आजमा कर देख लीजिये। छ: माह में बिटिया की शादी हो जायेगी। हालाँकि पढ़े लिखे परिवार में किसी का मन इस तरह की बाते मानने को तैयार ना था पर कहतें हैं ना कि जब इंसान हताश निराश होता है तो उसकी तार्किक सोच हार जाती है।

बस उन लोगों ने हामी भर दी करना भी कुछ खास नहीं था दुल्हन के लगने वाली हल्दी जरा सी उस कन्या को लगा देनी थी जिसके विवाह में समस्या आ रही थी। यह काम भी चुपके से नाउन ने कर दिया और होनी देखिये छ: माह के भीतर सुयोग्य वर से विवाह कर के वह कन्या ससुराल चली गयी। अनजाने में ही घर के लोगों को कन्या का विवाह जल्दी कराने का एक टोटका मिल गया। अब तो हर विवाह मे विवाह योग्य कन्या के लोग विवाह वाली हल्दी लगाने का टोटका करने लगे। धीरे-धीरे यह विवाह की रस्म में शामिल हो गई। रस्मों के प्रथम शिखर पर स्थापित हो गया।


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