Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win

Riya yogi

Drama

4.4  

Riya yogi

Drama

तरसती निगाहें

तरसती निगाहें

3 mins
349


हर रोज में उन्हें खामोश सा देखती उनकी आँखों में ना जाने किस बात की उलझन समझ ना पाई की बैठे बैठे ना जाने क्या सोचते है।  उलझन भरी आँखों में हजारो सपने दबे हुए थे मानो किसी प्रश्न का उत्तर ढूढ़ रहे थे। एक संकोच है मन में की बेटी के घर रह रहे है ना जाने ये दुनिया क्या कहेगी। उस पिता के मन में ये प्रश्न रोज उथल पुथल मचा रहे है। खामोश सी ये निगाहे अपने बेटे के एक फ़ोन का रोज इंतजार कर रही है पर आज भी उन सरकारी अफसर का फ़ोन नहीं आया। वो सरकारी अफसर अपनी ही एक अलग दुनिया में ही व्यस्त है जिन्हे आज भी उनके बूढ़े माँ बाप की याद ही नी आई। आज बड़ी हिम्मत कर अपनी नाती से कहा की बेटा जरा मामा के घर फ़ोन लगाना। रिंग बज रही थी उधर से एक आवाज आई हेलो कोन इधर से थरथराती धीमी आवाज में कहा बेटा में बोल रहा हूँ अच्छा दादा जी कैसे हो आप। बस बढ़िया हूँ। पुरे परिवार को मेरा ढेरो आशीर्वाद सदा खुश रहो 

धीमे धीमे बाते हो रही थी पर उनके बेटे ने फ़ोन ले कर उनसे आज भी बात नहीं की। उधर से फ़ोन कट कर दिया गया। 

आँखों में थोड़े आंसू और मंद मंद मुस्कान के साथ नानाजी ने फ़ोन देते हुए कहा हो गई बात अच्छा लगा। ना जाने कोई कितनी आसानी से अपने माँ बाप को भूल जाते है ।  ये सोच सोच कर कलेजा जले जा रहा था मन में गुस्से का बारूद फटने ही वाला था  की नानाजी ने एक चुटकुला सुना दियामें भी हँस पड़ी। मन में अब शिकायत कम हुइ क्यों की आज अच्छा लगा की नाना नानी हमारे साथ रहते है परिवार में दादा दादी की कमी भी पूरी हो गई।

 पर बड़ा बुरा लग रहा है की उस पिता ने सारा संघर्ष अपने बच्चो के जीवन को सवारने में लगा दिया।   अपने सारे सपनो की बलि केवल इसलिए चढ़ा दी की उनके बेटे के सारे सपने साकार हो सके उसे एक अच्छी नौकरी मिल जाए मेरे बेटे की टेंशन कम हो। पिता ने अपने सारे फर्ज पुरे इस आस में उनका बेटा ही तो उनका ध्यान रखेगा। बेटे को नौकरी भी मिली। सरकारी स्कूल में मास्टर जी बने। ना जाने किस गांव में पोस्टिंग हुई तो पिता से कहा - पापा में इतनी दूर नहीं रह सकता में ये नौकरी छोड़ रहा हूँ यंहा बहुत परेशानी हे मुझे। 

अरे बेटा टेंशन मत ले में हु न ये बोलकर लग गए काम पर की बस किसी तरह से अपने बेटे का पास के गांव में ही तबादला करवा दू। 

रोज उस छोटे से गांव से भोपाल आते जाते। सरकारी दफ्तर में बहुत चप्पलें घिसी और आखिर में बेटे को पास के गांव में ही पोस्टिंग मिल गई सब खुश हुए। 

कुछ साल बीते बेटे का परिवार भी बड़ गया अब बेटे ने अपना ट्रांसफर गांव से बहुत दूर करवा लिया अपना पूरा परिवार साथ ले कर चले गए। अपना नया आशियाना बनाने। माता पिता बस यही गांव में रहेंगे हम आया करेंगे मिलने। 

पिता की ख्वाईशो को बर्बादी की कगार पर छोड़कर चले गए। 

आज भी ये सारी बाते मन में एक चुभन दे जाती है की वाकई इस दिन के लिए उनके बेटे बड़े हुए है। 

अभी कुछ समय पहले ही नानी को कैंसर बताया कई मेहमान मिलने आए पर। उस माँ के हाल जानने का बेटे के पास अब भी वक्त न निकला। 

भगवान का शुक्र था की नानी को कैंसर नहीं था। हम तो बड़े खुश हुए। पर आज भी वो दोनों अपनी तरसती निगाहों से अपने बेटे को देखना चाहते हे उनके पर पोते और पोतियो से मिलना चाहते है

वो निगाहें आज भी रास्ता देख रही है किसी अपने के आने का बड़ी बेसब्री से।   


Rate this content
Log in

More hindi story from Riya yogi

Similar hindi story from Drama