बेखबर
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आज की मेरी कहानी का शीर्षक आप लोगो के लिए थोड़ा अजीब होगा लेकिन ये कहानी बहुत लोगो की एक ऐसी जिंदगी को बयां करने वाली है एक ऐसे शख्स को भी बयां करने का प्रयास मैंने अपनी कहानी में किया है जिसे दुनिया के किसी भी काम से कोई मतलब नहीं ......
राज जिसे दुनिया में क्या चल रहा , घर पर सबके क्या हाल है इससे कोई मलतब नहीं राज जो बेहद ही बत्तमीज और अल्हड लड़का जिसे सिर्फ खुद की ही परवाह है और किसी की भी नहीं और किसी ओर की परवाह हो भी तो कैसे उसे अपने शौक पुरे करने से फुर्सत तो मिले........ निहायती बत्तमीज राज के ऐसे अनेको शौक है जिससे यह कहना भी कम पढ़ जाये की वह क्या शौक नहीं रखता ....... कहते है की चरित्र का निमार्ण अगर बचपन में ही सही हो तो आगे भी वैसा ही होता है ,और नहीं तो फिर स्थिति आज मेरी कहानी में दिखाए गए किरदार राज की तरह। ....
वही उसकी माँ जो उसे समझा- समझा के थक चुकी है ,ये सभी काम उसकी सेहत के लिए बुरे है ,उसके पिताजी भी उसे समझाते समझाते परेशान हो चुके है |
वही सभी लोग उसके व्यव्हार से भी बेहद परेशान रहते है , वो हमेशा शराब पीकर घर वालो को परेशान करता है ...... और अब आलम ये है के पडोसी भी उसके इस व्यव्हार से कतराने लगे है और उसके परिवार वालो को भी उसके इस व्यव्हार के कारण बहुत कुछ सुनना पड़ता है ..... ...
राज के मामा जो अभी अभी भोपाल से आये है,........ उन्हें भी राज का व्यव्हार पसंद नहीं आया और वो जाते -जाते अपनी बहन को एक सुझाव देकर चले गए की जल्द इसकी शादी करवा दो तो ये सुधर जायेगा..... अब राज की माँ को भी अपने भाई का ये सुझाव ठीक लगा और वे अपने बेटे के लिए लड़की खोजने लगी। ......
(लेकिन क्या राज की माँ सही विचार कर सकेगी या नहीं )........ आइये देखते है
अब राज की माँ को लड़की खोजते खोजते २ महीने से ज्यादा हो चुके है .......
और अब उन्हें एक अच्छी लड़की मिल गई है .... लड़की पढ़ी लिखी है घर के सभी कामो में निपुण और वह एक कंपनी में काम करती है , और वह घर को बखूबी चलाना जानती है, हां तो उसका नाम है सुनिधि जैसा उसका नाम है कुछ वैसे ही उसके काम भी आइये देखते है इसकी किस्मत को क्या मंजूर है .....
सुनिधि अपने माँ बाबा का अच्छे से ख्याल रखती है .घर की हर छोटी -बड़ी चीजों का ध्यान रखती खुद की सेहत का और अपने माँ बाबा की सेहत का बेहद अच्छे से ध्यान रखती है अचानक एक दिन राज के माता- पिता अपने बेटे राज के लिए सुनिधि का हाथ मांगने जाते है . ...जब सुनिधि वहाँ उपस्थित नहीं होती है सुनिधि के माता पिता उनका अच्छे से स्वागत करते है ....और लड़के के बारे में पूछते है -तब राज के माता- पिता उसकी बुरी आदतों को भूलते हुए कुछ यूँ राज के चरित्र का चित्रण करते है की हमारा बेटा पढ़ा लिखा ग्रेजुएट है और उसका एक गाड़ियों का शो रूम है .जिससे वो अच्छा खासा कमा लेता है ,...... कुछ यही बाते करते करते उन लोगो का वक्त बीत जाता है और अब राज के माता पिता सुनिधि के माँ बाबा से विदा लेते है और कहकर जाते है की वे उन्हें अपना सुझाव बताये जो भी हो। ...
उनके जाने के बाद सुनिधि के माँ बाबा भी इसी सोच में लग गए की एक न एक दिन तो उसकी शादी करनी ही है तो क्यों न अभी ही कर दी जाये क्युकी अब वो ही वृद्ध हो चुके है ...... वो सुनिधि के आने के बाद उसे सब बताते है उनकी बाते और चिंता देखकर सुनिधि भी शादी के लिए तैयार हो जाती है और वह नए -नए सपने देखने लगती है की उसके होने वाले पति का व्यवहार भी बिलकुल उसी की तरह होगा और वह बहुत सहायक होगा उसके हर काम में वह यह सपना भी देखने लगी की हम दोनों मिलकर अपने परिवार को बेहद खुश रखेंगे
पर उसके सारे सपने सपने ही रहेंगे उसे पता नहीं था..........
अब जैसे तैसे राज को भी शादी के लिए मना लिया गया उसके परिवार द्वारा........ ......
अब शादी का दिन भी नजदीक आ गया दोनों के घर में सब तैयारी चल रही है वही सुनिधि बेहद खुश है और राज को अब भी कोई फर्क नहीं है वो अपने सारे शौक में लीन है........
अब शादी के बाद सुनिधि अपने ससुराल आई है, उसके ससुराल वालो का व्यवहार तो सही है लेकिन ससुराल आते ही उसे अपने पति का एक नया रूप देखने को मिला ठीक वैसा नहीं जैसा उसके माता पिता द्वारा दर्शाया गया उसके बिलकुल विपरीत उसका रूप उसे देखने को मिला ...... पर राज कहाँ बदलने वाला था | उसे तो दुनिया से कोई मतलब था ही नहीं...... और न ही अपने परिवार से ....
अब राज और सुनिधि की शादी को दो साल बीत गए है.... उनके यहां एक नन्ही परी ने जन्म लिया उसके आने के बाद सुनिधि को लगा शायद अब राज सुधर जाये लेकिन राज तो अपनी ही जिंदगी में मस्त था.......
इसी बिच एक खबर सुनिधि के घर से आती है जहाँ उसे पता चलता है उसके पिताजी का देहांत हो चूका है..... थोड़े दिन वहाँ जाकर वह सोचती है के शायद अब वापस ससुराल जाना ठीक नहीं है लेकिन अपनी बेटी का विचार कर वह वापस जाने को तैयार हो जाती है .....
राज के कुछ व्यभिचार अब ज्यादा ही बढ़ चुके है वह अब अपनी पत्नी को भी पीटने लगा है थोड़े समय के अच्छे दिखावे के बाद आज उसका वही व्यवहार वापस सबको हैरान करने वाला था ,.....वह अपनी बेटी का ध्यान भी नहीं रखता और सुनिधि इस बात से अच्छी तरह परिचित थी की जब वह व्यक्ति अपने माता पिता का ध्यान नहीं रख सकता और न ही अपनी पत्नी का ध्यान रख सकता है, तो अपनी बेटी का ख्याल क्या रखेगा अब सुनिधि के जीने का सहारा उसकी बेटी थी और उसकी बेटी के लिए वह..........
अब उसने एक छोटी- सी बुटीक की दुकान खोली है, जिससे वो अपनी बेटी को अच्छा पढ़ा लिखा सके | उसे आगे बढ़ा सके और उसे वह सब करने दे, जो वह करना चाहती थी,.... इसी बिच उसे फिर एक दुखद खबर मिलती है ,की उसका रहा -सहा सहारा उसकी माँ वो भी इस दुनिया में नहीं रही वह बहुत रोती है.....
अब वह सोचती कैसे वह राज के साथ रहेगी जो उससे रोज मारपीट करता है और उसकी बेटी का ध्यान भी नहीं रखता है.......
पर उसे पता है के समाज के तानो के बिच ही उसे जीना जैसे- तैसे खुद को संभाल,..... वह राज के साथ तो रह लेती है लेकिन रोज राज का सुनिधि को शराब पीकर मरना और तो और उसके कमाए सारे पैसे को जुए में उड़ा देना जिससे सुनिधि तंग आ चुकी थी लेकिन वह करती भी तो क्या उसे रहना तो उसी के साथ था
अब राज की हद और बढ़ने लगी अब वह अपनी बेटी को भी मारने पीटने लगा था उसे अपनी बेटी को रुलाने में बड़ा मजा आता था
लेकिन सुनिधि करती भी तो क्या ......
एक दिन सुनिधि ने फैसला किया की अब वह अपनी बच्ची को रोने नहीं देगी और वह राज को बिना बताये अपनी बेटी को लेकर दूसरे शहर चली गई उसने सोचा की शायद ये देख राज सुधर जाये लेकिन राज तो राज है | उसे क्या करना घर आया और देखा की घर कोई नहीं है तो भी उसे कोई फर्क नहीं पड़ा और वह सोचने लगा चलो दोनों से पीछा छूटा ..... लगभग ढाई साल तक सुनिधि ने राज का इंतजार किया, के वो उसे ढूंढते हुए आएगा लेकिन उसका ये भ्रम भी समय के साथ टूट चूका था सुनिधि भी अपना नया काम शुरू कर चुकी थी अब सुनिधि पूरी तरह से राज को भूल चुकी है अपने अतीत में बीते वो बुरे पल भुला चुकी है और अब उसकी बेटी को वह अच्छा पढ़ा लिखा रही है और वह चाहती है की उसकी बेटी हमेशा खुश रहे ................