Rahul Wasulkar

Tragedy

5.0  

Rahul Wasulkar

Tragedy

तन की कीमत

तन की कीमत

5 mins
477



 

शहर के बड़े बाजार में नटवरलाल की एक छोटी सी किराने की दुकान थी ।वहीं पास में एक कमरे के छोटे घर में मालिनीबाई रहती थी , मालिनीबाई अपने बेटे और माँ के साथ जैसे तैसे दूसरों के घर में बर्तन मांज कर और साफसफाई करके अपना जीवन गुजारा करती थी , विधवा होने के कारण आस पास के अधेड़ उम्र के कई लोग उसपर बुरी नजर रखते थे ।नटवरलाल भी उनमें से एक था ।

उधारी देने के कारण अपना रोजमर्रा का सामान मालिनीबाई वहीं से लेती थी , पर एक दिन जब दुकान पर कोई नही था , और मालिनीबाई सामान लेनी पहुँची तब नटवरलाल अपनी सीमा लांघ गया ।

नटवरलाल - "आ गयी मालिनी फिर सामान लेने ? पिछला उधार याद है ना ?" 


मालिनीबाई - "हाँ याद है नटवरभैया, अभी इतना सामान दे दो महीने की शुरुआत में थोड़ी उधारी कम कर लूंगी।


नटवरलाल - "कब तक ऐसा ही चलता रहेगा ?" मालिनी ,लगता है अब ब्याज लगाना पड़ेगा ।"


मालिनीबाई - "नहीं नटवर भैया , ब्याज मत लगाओ , रकम ही बड़ी मुश्किल से दे पाती हूँ । 


नटवरलाल - "ठीक है , एक काम कर अंदर आ और तेरा सामान बांधने में मेरी मदद कर। "


मालिनीबाई के दुकान के अंदर आते ही बड़ी होशियारी से नटवरलाल उसे दुकान के अंदर एक कोने में सामान लेने भेजता है।मालिनीबाई जैसे ही एक कोने में पहुँचती है नटवरलाल मालिनीबाई को दबोच कर उसका मुंह बंद कर देता है और कहता है ।।

"देख मुझे जो करना है करने दे फिर तेरा सारा पैसा माफ , और आवाज करने की कोशिश की तो तुझे में क़भी सामान नहीं दूंगा ।"


मालिनीबाई - "नटवरभैया, ऐसा घोर पाप मत करो में आपको भैया बोलती हूं , मुझे जाने दो।"


नटवरलाल- "तुझे कैसे जाने दूँ , मालिनी , इतनी उधारी दी है थोड़ा ब्याज तो लेने दे , पूरी कीमत वसूल करने दे ।"

मालिनीबाई - "भैया में आपके पूरे पैसे महीने की शुरुआत तक दे दूंगी , पर ऐसा मत करो ।" 


नटवरलाल- अरे पगली , तुझे आज पूरा मौका दे रहा हूँ । तेरे तन की कीमत से उतार दे सारी उधारी , ब्याज ऐसा मौका दुबारा नहीं आएगा।"


मालिनीबाई (कुछ सोचकर)-" ठीक है नटवरभैया पर आज नहीं, मैं कल आती हूँ ।" 


तभी दुकान पर कोई ग्राहक आता है और मौका देख मालिनीबाई भी दुकान से बाहर आ जाती है । 

ग्राहक को सामान देते हुए 

नटवरलाल - "मालिनी रुक, बात करनी है ।"

ग्राहक जाते ही , "देख मालिनी आज जो कहा अच्छे से सोच तू मुझे खुश करेगी तो तुझे सामान मैं मुफ्त में दिया करूँगा , और अगर यह बात बाजार में पता चली तो सोच तुझे सामान भी नहीं मिलेगा , और तेरा बेटा और माँ भूख से मरेंगे ।कल सोच कर इसी समय पे आ जाना और जवाब दे देना ।


मालिनीबाई डर और परेशान हो कर घर चली गयी , रात भर सोचती रही अपने बेटे , माँ, भूख और नटवरलाल की हरकतों पर।कहती तो किसे कहती आसपास रहने वाले सभी मर्दों की नजर लकड़बग्घों की तरह लगती थी। दूसरा दिन निकला मालिनीबाई ने रात भर सोच कर जवाब हासिल कर लिया था । नटवरलाल ने जिस समय बुलाया था उस समय से उलटे मालिनीबाई तब दुकान पर गयी जब वहां ग्राहकों की भीड़ थी । 

दुकान पर पहुँचकर ।। 


मालिनीबाई - "हाँ , नटवर भैया में अभी तैयार हूं , आप तैयार हो क्या ?"

सभी ग्राहक मालिनीबाई की तरफ देखने लगे । 

नटवरलाल " नहीं " के इशारे करने लगा ।


मालिनीबाई - "नटवरभैया मेरे हाथों की जितनी कीमत होगी , उतना मुझे खाने का तेल दे दो , 

मेरे पैरों की जितनी कीमत होगी उतनी शक्कर तोल दो , अपनी माँ और बेटे के लिए जितना मैं पसीना बहाती हूँ उसका आटा तोल दो , यह जो रोज बुरी नजरें मुझे घूरती है मेरे तन को देखती हैं फिर भी में सब सह लेती हूं वो तोल कर मुझे दाल देदो । और फिर भी आप को कम लगे तो मेरे तन की जिनती कीमत लगती है उसके हिसाब से मुझे दुकान का कुछ सामान दे दो ।। 

शायद आपके लिए यह कीमती है और मेरे लिए मेरे बेटे और माँ से कीमती कुछ नहीं तो आपको जैसा ठीक लगे वैसा मुझे तोल कर सामान देदो । 


यह जवाब सुन नटवरलाल को अपनी गलती का एहसास हुआ , आजूबाजू के ग्राहक स्तब्ध हो गए कि यह क्या था और क्यों हुआ।


नटवरलाल शर्म से पानी हो गया बहुत दिनों बात किसने उसे आईना दिखा दिया ।

नटवरलाल - "मुझे माफ़ करना मालिनी बहन , मैंने तुम्हारी बेबसी का फायदा उठाना चाहा , मुझे माफ़ कर दो बहन कि मैंने तुम्हारी कीमत तन से लागाई , मैं गुन्हेगार हूँ तुम्हारा। तुम मुझे भैया बोलती रही और मैं राक्षसों जैसा व्यवहार कर गया , तुम्हें मुझे जो सजा देना चाहो मुझे मंजूर है ।" 


मालिनीबाई - "बस भैया मैं यही सोचकर आयी थी कि , आप को आप की गलती एक बार दिख जाए । आपने मेरी बहुत बार मदद की है मैं आपको नीचा दिखना नहीं चाहती थी बस आप जो गलत राह पर चल दिए थे वही बताना चाहती थी और कृपया कर फिर कभी किसी और कि कीमत उस के तन से मत लगाना बस यही आपसे मांगती हूँ ।" 

इतना कह कर मालिनीबाई रोते हुए घर चली गयी , पर नटवरलाल की इंसानियत जगा गयी , उसी शाम नटवरलाल मालिनीबाई के घर खुद सामान लेकर पहुँचा , और मालिनीबाई की माताजी से कह गया कि आप परेशान न हो माँ , अब मालिनी का एक भाई भी है और आपका बेटा आपको जब जरूरत हो कोई परेशानी हो मुझे बस आवाज दे दें । और हाथ जोड़कर मालिनीबाई की तरफ माफी वाली नजरों से देख कर चला गया ।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy