तीन घनचक्कर चंपा के चक्कर में (प्रीक्वेल) चैप्टर-३
तीन घनचक्कर चंपा के चक्कर में (प्रीक्वेल) चैप्टर-३
आज दोपहर गुलफाम नगर के, 'खुला आसमान,' सिनेमा में, 'पत्थर दिल हसीना,' फिल्म को देखने गए दो कुंतल के पांच फ़ीट लम्बे फुटबॉल जैसे झम्मन लाल ने एक लड़की को देखकर सीटी मारी तो उस लम्बी-छरहरी लड़की ने अपनी लकड़ी की मोटी सैंडल से उसकी आधी गंजी खोपड़ी पीट कर रख दी थी। बाद में लड़की पर दया खा कर बीरा और हीरा नाम के दो मुर्ख झम्मन से भिड़ गए थे, उन्हें लड़ते देख एरिया का दरोगा लक्क्ड़ सिंह उन्हें सिनेमा से उठा लाया था और हवालात में बंद कर दिया था।
हवालात की ६ बाई १० की कोठरी में बैठे झम्मन, बीरा और हीरा एक दुसरे को खा जाने की नजर से देख रहे थे।
"क्यूँ बे मोटे मिल गया मजा लड़की छेड़ने का। अब पड़ के सड़ पुलिस की हवालात में।" — बीरा ने झम्मन को गाली देते हुए कहा।
"तुम्हें भी तो मजा मिल रहा है बेटे हीरोपंथी दिखाने का, ना तुम उल्लू मुझसे भिड़ते ना पुलिस उठा के हवालात में डालती तीनों को।" —झम्मन ने पलटवार करते हुए कहा।
"अबे तुम दोनों बकवास करते रहोगे या यहाँ से बाहर निकलने की भी कुछ सोचोगे?" —हीरा ने जलते-भुनते हुए कहा।
"बाहर कैसे निकलेंगे? कहाँ से लाएंगे ६० हजार दरोगा लक्क्ड़ सिंह को देने को?" —झम्मन चिढ़ कर बोला।
"सब तेरी वजह से हुआ है मोटे, एक बार बाहर निकल जाएँ यहाँ से तेरी चटनी ना बना दी तो मेरा नाम बीरा नहीं।" —बीरा ललकारते हुए बोला।
"इरादा तो अपना भी यही है, एक बार बाहर निकल जाऊँ पापड़ बना दूंगा तुम दोनों के।" — झम्मन ने भी उसी लहजे में ललकारा।
"क्या चक-चक लगा रखी है तीनों ने, चलो साहब ने बुलाया है।" —एक हवलदार ने हवालात का गेट खोलते हुए कहा।
दरोगा लक्क्ड़ सिंह थाने के आँगन में मजमा लगाए बैठा था मजमे में समाज सेवक दिलदार सिंह भी शामिल था।
"क्यूँ बे चूज़ों क्या सोचा है तुमने?" —कुर्सी पर बैठा दरोगा लक्क्ड़ सिंह उन्हें देख कर बोला, "यही से जमानत चाहिए या चालान काट कर भेज दू जेल?”
"हमारे पास तो अब कुछ भी नहीं है जो था आपके सिपाहियों ने छीन लिया।" —झम्मन कलप कर बोला।
"देखो बे बगैर दाम चुकाये तुम लोग छूटने वाले तो नहीं हो इसलिए दाम का इंतजाम कर लो नहीं तो दो घंटे में तुम्हारा चालान कटवा कर जेल भेज दूंगा और धारा लगाऊंगा दंगा-फसाद और गुंडा एक्ट की।" —दरोगा लक्क्ड़ सिंह गुर्राकर बोला।
अचानक दरोगा लक्कड़ सिंह दिलदार की और देख कर बोला- "क्यों दिलदार सिंह कुछ मदद करेगा इन चूजों की?"
"क्यों दरोगा जी खैरात बाँटने का ठेका लिया है मैंने?"
"ये तेरे जैसे ही है, लगा ले काम पे।"
"क्यों बे किसी काम के हो तुम?" —दिलदार सिंह ने उन तीनों को घूर कर देखा।
"क्या काम करना है हमें?" —तीनों ने मन में आशा लिए पूछा।
"शहर के उत्तर में भैंसो का तबेला है मेरा वहां चारा और गोबर ढोने वालों की जगह खाली है बोलो करोगे काम?" —दिलदार सिंह ने पूछा।
"क्या मिलेगा?" —झम्मन ने पूछा।
"रहना फ्री, खाना फ्री, पाँच हजार पगार और बदमाशी की तो बेहिसाब डंडे, तुम तीनो की पहली तन्खा १५ हजार जाएगी दरोगा लक्कड़ सिंह के पास, बोलो हो तैयार?" —दिलदार सिंह ने पूछा।
"दिलदार सिंह ये १५ हजार की क्या बात है, ६० हजार तय है इन तीनो की रिहाई के........." —दरोगा लक्कड़ सिंह हड़बड़ाकर बोला।
"अरे दरोगा जी इन तीनो के कोई हजार रुपये ना दे मैं तो फिर भी १५ हजार दे रहा हूँ, लेना हो तो बोलो नहीं तो तुम जानो या ये तीनों जाने।" —कहकर दिलदार सिंह उठ खड़ा हुआ।
"अरे क्या करते हो उस्ताद हम तैयार है, निकाल लो हमें यहाँ से।" —झम्मन तड़फ का बोला, बीरा और हीरा ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलायी।
दिलदार सिंह ने मुड़कर दरोगा लक्कड़ सिंह की तरफ देखा।
दरोगा लक्कड़ सिंह ने बेबसी के साथ उन चारों को देखा और बोला— "मंदी का दौर है नहीं तो जेल में सड़ा देता तीनो को, जा ले जा इन्हे दिलदार।"
दिलदार सिंह ने जेब से पाँच सौ-पाँच सौ के दो नोट निकाल कर दरोगा लक्कड़ सिंह के हाथ पर रख दिए और बोला— "ये रखो पेशगी, बाकि आते-जाते ले लेना।
दरोगा लक्कड़ सिंह ने जल-भुन कर दोनों नोट अपनी जेब में डाल लिए।
दो घंटे बाद झम्मन, बीरा और हीरा तबेले में टोकरे उठाये भैंसों का गोबर ढो रहे थे। दिन हफ्तों में गुजरे और एक महीना पूरा हो गया और तीनों ने दिलदार सिंह के हाथ पैर जोड़ कर तबेले से रिहाई पाई और चल पड़े अपने-अपने ठिकानो पर।
सड़क के पार किसी फिल्म की शूटिंग चल रही थी। तीनों उत्सुकतावस शूटिंग देखने पहुंचे और देख कर हक्के-बक्के रह गए कि जिस लड़की के कारण वो पुलिस से पिटे तबेले में बेगार की वही लड़की डांस की शूटिंग कर रही थी।
"कौन है बे ये?" —बीरा ने पास खड़े दर्शक से पूछा।
"अबे अँधा है क्या, फिल्म की हीरोइन है ये, जूली नाम है इसका।" —उस दर्शक ने खूबसूरत जूली से निगाहें ना हटाते हुए बताया।
"अबे ये तो वही लड़की है बे जिसकी वजह से हमारी दुर्गति हो रही थी, अभी मजा चखाता हूँ इसे।" —झम्मन गुर्रा कर बोला।
"अबे तेरा बुरा वक़्त आ गया लगता है, जा मर........." कहकर बीरा और हीरा ने वहां से खिसकना चाहा लेकिन धाड़ की जोरदार आवाज ने उनके कदम रोक लिए।
पीछे मुड़कर देखा तो दिखा की झम्मन शूटिंग कैमरा की केबल में उलझ कर गिरा पड़ा था, सूटिंग के माइक, मिरर सब बिखरे पड़े थे।
अचानक फिल्म की हीरोइन चिल्ला कर बोली— "ये मोटा मुझे छेड़ने आया था.........."
बात की बात जूली के फैन झम्मन पर टूट पड़े और कोई चिल्ला कर बोला— "ये दोनों भी इसके साथ थे।"
इससे पहले की बीरा और हीरा भाग पाते भीड़ ने उन्हें दबोच लिया और तीनों की जमकर धुनाई हुई। पुलिस आयी और तीनो को उठा कर थाने में ले गयी।
"क्यों बे सुधरोगे नहीं तुम तीनों?" —दरोगा लक्कड़ सिंह ने तीनों को एक-एक लात मारते हुए कहा।
उनके बहुत हाथ-पैर जोड़ने पर दरोगा लक्कड़ सिंह ने उनके टेम्पररी मालिक दिलदार सिंह को बुलाया और बहुत सौदेबाज़ी के बाद दिलदार सिंह ने दो महीने की बेगारी के १५ हजार दरोगा लक्कड़ सिंह के हाथ पर रखे।
दो घंटे बाद तीनों फिर से भैंसों के तबेले में टोकरे सिर पर रख कर गोबर ढो रहे थे।
