थोड़े तो आंसू टपका लो
थोड़े तो आंसू टपका लो
"अब तो हमारी शादी होने जा रही है, क्या बॉस कहिए!! आपका क्या कहना है इस बारे में?"
"अमम... या मैडम मैं बहुत खुश हूं, कि मुझे मेरी पसंद की लड़की मिल रही है, बस गम सिर्फ इसी बात का है की अब पूरी जिंदगी उसकी बक बक सुननी होगी, और मेरा वॉलेट भी खाली रहेगा!! अब आज़ादी वाली जिंदगी ही खतम हो जायेगी..."
यह सुन सलोनी अपने मंगेतर श्यामल के पीछे माइक लेकर भागती है। और श्यामल खुद को बचाता हुआ अपनी सासु माँ के पीछे जाता है।
"मां आप बीच में आखिर क्यूं आई, देखिए ना शादी के बस १० दिन पहले ही यह बोल रहे हैं कि , मैं उनको भरी पडूंगी, और मुझसे शादी कर के इनकी आज़ादी छीन जायेगी!!" तुम रुको... मैं तुम्हे छोडूंगी नही!! इतना ही तकलीफ है तो क्यों शादी कर रहे हो? के दो अपने परिवार से की बारात लेकर नही जाना है!! मुझे तो और बहुत से मिल जायेंगे तुमसे अच्छे और सुधरेहुए!! सुना था मर्द शादी के बाद बदल जाता है, तुम तो अभी से बदलने लगे हो!!" सलोनी अपने मंगेतर से।
"अरे जानेमन मैं तो मज़ाक ही कर रहा था!! रुको तो... मां आपकी बेटी अगर शादी के बाद भी ऐसे ही झाड़ू या डंडा लेकर भागी तो मैं सीधा आपके पास चला आऊंगा!!"
"बिलकुल बच्चे हो!! १० दिन बाद तुम दोनो की शादी है, और दोनों को लड़ने से ही फुरसत नहीं। अब तो बड़े हो जाओ दोनो।" सलोनी की मां और श्यामल की सास बोली।
"हां जीजाजी आज ही देख लीजिए अच्छे से हमारी बहन को अब तो सीधा शादी पर ही मिलन होगा आपदोनो का!!" सलोनी की बहन बोली।
श्यामल और सलोनी दोनों ही बचपन से पड़ोसी थे। वह तब से ही एकदूसरे के साथ रहे। सलोनी के पिता जब अपनी बेटी को स्कूल छोड़ने जाते तो साथ में श्यामल को भी साथ ले चलते।
क्योंकि श्यामल के पिताजी एक नेवी ऑफिसर थे। जिस वजह से कम वक्त ही अपने परिवार के साथ अपना समय बिताते। श्यामल और सलोनी जैसे बचपन में एकदूसरे के पक्के दोस्त हुआ करते ऐसे फिर बड़े होते कब एकदूजे से प्यार कर बैठे पता ही ना चला। और फिर परिवार तो उन के रिश्ते से पहले ही राजी थे, अब दोनो की १० दिन बाद शादी होने जा रही थी। लेकिन तब तक भी दोनो की तकरार यूं ही बनी रही। और फिर शादी वाले रात को भी जो हुआ वो काफी रोमांचक था...
"कहां हो तुम यार, आज के दिन भी लेट? कभी तो समय पर आए नही हो तुम, और अपनी शादी के दिन भी तुम इतना समय लगा रहे हो... जल्दी आओ मुझसे अब नही रहा जा रहा, एक तो यह महंगा लहंगा!! उफ्फ..." सलोनी अपनी शादी वाले रात को तैयार हो कर शायमल को फोन लगती है।
उधर श्यामल का घर आसपड़ोस में ही होने के कारण बारात घर से थोड़ी दूर बुआ के घर हो कर आने वाली थी। और तब उस माहौल मैं भी दोनो की तकरार जारी थी...
"अरे... सब लोग डांस कर रहे है... यहां मैं घोड़ी पर बैठा हुआ हूं!! एक तो मुझे भी डर लग रहा है, की कही यह घोड़ा ही मुझे लेकर भाग न जाए!! और तुम्हें अपने लहंगे की पड़ी है!!"
इतने में श्यामल के हाथ से उसके रिश्तेदार फोन ले लेते है, और बारात आगे की और बढ़ती है। बारात दरवाजे पर होती खड़ी होती है, सलोनी श्यामल को ऊपर से देखती है, ऊपर की तरफ श्यामल की नजर पड़ते ही वह सलोनी को देख आंख मारता है, तो सलोनी भी ऊपर से आंख दिखाती है, जैसे वह कह रही थी, कि बस एक बार हमारी शादी हो जाने दो... फिर देखती हूं तुम्हें!!
शादी अच्छे से हो जाती है। अब विदाई का समय आता है, सब राह देख रहे थे की कब सलोनी के आंखों में थोड़े से भी आंसू निकले। लेकिन निकलते कैसे!! उसका ससुराल भी तो बस यही कुछ दो घर की दूरी पर था। फिर यह देख श्यामल सबके नजरो से बच, चुपके से सलोनी की कमर में जोर से चिमटी काट लेता है। सलोनी जोर से चिल्लाती है, और श्यामल कहता है, चिल्लाना नही है, तुमको रोना है... रो लोगी थोड़ा तो मेकअप बिगड़ नही जायेगा, थोड़े तो आंसू टपका लो!! देखो सब रह देख रहे है बस सिर्फ तुम्हारे रोने की, विदाई की रसम पूरी हो जायेगी!!"
लेकिन सलोनी नाटक कैसे करती, ऐसे ही अंत में सलोनी की विदाई खिलखिलाहट के साथ ही होती है।
और आज शादी के १२ साल बाद भी जब उनका ९ साल का बेटा होता है, उसके सामने भी दोनो की तकरार चलती रहती है। और बेटा अपने माता पिता को रोज ऐसे लड़ते देख सर पीटता है... ।

