Manisha Debnath

Inspirational

4.8  

Manisha Debnath

Inspirational

मुझे माफ़ करना प्रियतमा

मुझे माफ़ करना प्रियतमा

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"तुम एक स्कूटर क्यों नहीं ले लेते, आखिर कब तब मैं ऐसे तुम्हारे साथ बेइज्जत होती रहूंगी... सच में कह देती हूं तुम्हें अथर्व अगर तुमने अपनी जिद नहीं छोड़ी तो मैं तुमको छोड़ कर अपने मायके चली जाऊंगी!!" नीलंजली बोली।


"देखो तुम्हें जहां जाना है जाओ, मैंने शादी से पहले भी तुमसे कहा था की, मेरी इतनी हैसियत नहीं है, की मैं तुम्हें जिंदगी की सारी खुशियां दे पाऊं, जिसकी तुम हकदार हो... लेकिन सब जान बूझ कर भी तुमने मुझसे ही शादी करना ठीक समझा!! और यह मेरा शौक है यूं समझ लो मेरी जिंदगी है!! अगर तुमसे बाद कोई अता है तो सिर्फ यह है!!" अथर्व बोला।


"फिर तुमने मुझसे प्यार ही क्यों किया? और शादी भी तो मैंने तुमसे हमारे प्यार के खातिर ही तो किया, तो क्या इसमें मेरी गलती है की मैंने तुमसे शादी कर ली!! अगर मैं तुमसे प्यार करती हूं और शादी किसी और से तो क्या मैं वहाँ खुश रह पाती?" नीलंजल बोली।


"देखो नीलंजलि अगर तुम मुझसे सच में प्यार करती तो यूं मुझे मजबूर करने की कोशिश ना करती, बल्कि तुम मेरा साथ निभाती। लेकिन बात बात पर तुम मायके जाने की बात कह कर मुझे यह सोचने में मजबूर करती हो की क्या सच में तुमने मुझसे प्यार किया भी है या नही!!" अथर्व बोल।


दरअसल कॉलेज के समय से ही अथर्व और नीलंजलि एक दूसरे से प्यार करते थे। तब अथर्व कॉलेज का सबसे चहीता विद्यार्थी हुआ करता था, क्यों की वह तीन बार साइकिल की रेस में स्वर्ण पदक जीत चुका था, जिस वजह से नीलंजलि अथर्व से प्यार कर उससे शादी करने का फैसला लेती है। शादी भी हो जाती है लेकिन फिर दोनों में अनबन शुरू हो जाती है। जिस बीच नीलंजलि रूठ कर अपने मायके चली जाती है...


"तुम्हें ऐसे उसे अकेला छोड़ कर नहीं आना चाहिए था बेटा!! आखिर शादी का फैसला पहले तुम्हारा ही था ना!!


"हां पर मां अब मुझे लग रहा है की मैंने अथर्व से शादी कर के जीवन की सबसे बड़ी गलती कर दी है। उसका उसके कॉलेज तक साइकिल चलाना ठीक था, लेकिन मुझे नहीं पता चला की अब उसका यह शौक जुनून बन गया था। वह आज भी जहां जाता है साइकिल से ही जाता है। और मुझे शर्मिंदगी महसूस होती है, की गाड़ियों के जमाने में वह ऐसे साइकिल पर कैसे घूम सकता है, जब तक वह अपनी जिद नहीं छोड़ेगा मैं लौट कर नहीं जाऊंगी... देखती हूं कब तक मेरे बीना रह पता हैं!!"


अथर्व का साइकिल चलाना शौक था लेकिन अब जुनून जरूर बन गया था, जहां नौजवान आजकल साइकिल लेकर स्कूल और कॉलेज जाने से कतराते वहां अथर्व साइकिल से ही अपनी हर मंजिल तय करता, लेकिन अब उसका इरादा पक्का था की वह अपनी साइकिल पर ही शिवजी के धाम केदारनाथ का दर्शन करें!! क्यों की अथर्व हमेशा से एक अलग सोच वाला नौजवान था, उसमें कुछ अलग करने का जज़्बा था जो हर किसी में नहीं होता!! उसकी साथ उसकी जीवन साथी नीलंजलि हो या ना हो उसे उसको कोई फर्क नहीं पड़ा और आखिर में उसने अपनी साइकिल यात्रा शुरू की और एक महीने में वह अपनी यात्रा पूरी कर चुका था, और यह देख देश के लोग उसकी तरफ आकर्षित हुए जा रहे थे!! क्यों की ऐसी यात्रा आज तक किसी ने नहीं पूरी की थी, वह देश का पहला नौजवान था जो अपने साइकिल से केदारनाथ शिवजी के धाम पहुंचा था। अथर्व के लौटने के बाद उसे एक के बाद एक पुरस्कार मिलने लगे!! वह हर जगह छाने लगा था। उसके जुनून और हिम्मत के चर्चे होने लगे थे। यह देख नीलंजलि को पछतावा होता है, की जब वह अथर्व से प्यार करती थी, तो छोड़ कर मायके चले आने के बजाय उसका साथ देना चाहिए था। लेकिन अथर्व भी जैसे ही यात्रा से लौट अपने शहर घर आकर सारे पुरस्कार प्राप्त कर लेता है तो वह तुरंत अपनी प्रियतम नीलंजलि के पास जाता है, और उसे अपने साथ चले आने की विनती करता है, और साथ में माफी भी मांगता है,


"मुझे माफ़ करना नीलंजलि, उस वक्त मैंने तुम्हें ना चुन कर पहले अपने जुनून को चुना... लेकिन मैंने अपना सपना पूरा कर लिया है, और अब बारी हैं की मैं तुम्हारे हर अपने पूरे करूं जिसकी तुम हकदार हो!!" अथर्व बोला।


"नहीं अथर्व माफ़ी तो मुझे तुमसे मांगनी चाहिए!! क्यों की तुमने आज इतना नाम नहीं कमाया होता अगर उस वक्त तुमने मुझे चुना होता!! और मुझे तुम्हारा साथ देना चाहिए था, पर मैं तो रूठ कर अपने मायके ही चली आई, जिसका मुझे एहसास हो गया है की मैं गलत थी, भले ही वह तुम्हारा जुनून था, लेकिन वह जुनून तुम्हारी जीत के लिए था!! और साथ में मेरी भी तो जीत हुई!! मुझे माफ़ कर देना!!" नीलंजली बोली।


"नहीं नीलंजलि कभी कभी कुछ बातों को समझना और समझना दोनों ही बहुत मुश्किल होता है!! और उस समय न मैं तुम्हें समझा पाया और ना तुम समझ पाई! बीती बातों को जाने दो और अब हम अपने जीवन की नई शुरुआत करते है!!" अथर्व बोला।


अथर्व के जुनून के बीच एक समय के लिए भले ही उसकी अपनी साथी प्रियतमा नीलंजलि आई, लेकिन उसका जुनून कुछ अच्छा करने के लिए था, जो उसने उस वक्त अपनी साथी या अपने सपनों के बीच अपने जुनून को चुना ताकि वह जीवन में कुछ कर सके। उसके पक्के इरादे की वजह से ही आज वह देश भर में चर्चित था।


(यह कहानी एक सच्चे घटना से प्रेरित है, कहानी का कुछ हिस्सा इसमें काल्पनिक लिया गया है साथ ही व्यक्ति, स्थान और कुछ घटनाएं यहां पूरी तरह से काल्पनिक है।)


धन्यवाद,



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