Manisha Debnath

Others

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Manisha Debnath

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ब्रेक के बाद...

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देखो अंजलि यह बात सही है कि मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूं। और अपनी जिंदगी भी तुम्हारे नाम करना चाहता हूं लेकिन मैं यह सब अपने माता-पिता के विरुद्ध जाकर नहीं करना चाहता।" अनीश अंजलि से


"अनीश तुम सही कह रहे हो बल्कि मैं खुद भी नहीं चाहती थी कि मैं अपने मां-बाप को दुखी का कोई गलत कदम उठा लो क्योंकि अगर तुमने ऐसा किया भी तो हम खुश नहीं रह पाएंगे!! जब तक हो सके हम अपने मां बाप को शादी के लिए बनाएंगे और अगर वह मानते हैं तो ही हम यहां से अपना कदम आगे बढ़ाएंगे!!" अंजलि अनीश से।


अनीश एक स्मार्ट हैंडसम और बहुत ही होनहार लड़का था। कॉलेज में सबसे पॉपुलर और पैसे वाला लड़का अनीश एक गरीब घर की और बहुत ही साधारण सी लड़की अंजलि को अपना दिल दे बैठता है। कॉलेज में आते ही अनीश अपने चारों तरफ से अंजली और अंजली की हंसी को भी ढूंढा है जैसे मानो उसे अंजलि की एक आदत सी हो गई हो। 1 दिन भी अगर अंजलि कॉलेज नहीं आती तो अनीश बेचैन हो उठता। धीरे-धीरे पूरे कॉलेज में अनीश और अंजली की जोड़ी बहुत ही फेमस हो गई। कॉलेज के स्टाफ और स्टूडेंट्स में उनके प्यार के चर्चे थे। लेकिन जहां उनका बेपनाह प्यार था। वहां दोनों में एक उलझन भी थी कि अगर उनको शादी करनी है तो पहले उन्हें अपने परिवार वालों को मनाना होगा। और जो कि नामुमकिन सा था। अंजलि के पिता का एक साइकिल रिपेयरिंग का स्टोर हुआ करता था। और उधर अनीश के पिताजी एक स्टील फैक्ट्री के मालिक थे। दोनों के खानदान में जमीन आसमान का फर्क था।


कॉलेज के बाद जब अंजलि और अनीश एक दूसरे से शादी करने की बात करते हैं तो दोनों एक दूसरे से एक ही बात कहते हैं कि उन्हें अपने माता-पिता के विरुद्ध जाकर कोई गलत कदम नहीं उठाना है। वह अपने माता पिता की सहमति से ही शादी करनी है। वरना उन्हें एक दूसरे को भूल जाना होगा।

दोनों के कॉलेज की 3 साल की पढ़ाई पूरी हो जाती है। अनीश अब विदेश जाने की तैयारी करता है। क्योंकि पिता भुवन जी अनीश को एमबीए की पढ़ाई के लिए लंदन भेजना चाह रहे थे‌। लेकिन उससे पहले अनीश अपने माता-पिता से अंजलि के बारे में बात करने की कोशिश करता है,


"पीता जी मुझे आपसे कुछ कहना है..." अनीश बोला।


"हां बेटा, जो चाहिए वो बताओ... अब तो तुम थोड़े दिन के ही मेहमान हो फिर तो तुम विदेश चले जाओगे!! बताओ बेटा क्या बात है?" भुवन जी बोले।


"मां... मुझे वह... मुझे एक लड़की से प्यार है!! और मैं उससे शादी भी करना चाहता हूं!!" अनीश बोला।


"हां तो क्या दिक्कत है? यह तो अच्छी बात है हम तुम्हारे लिए लड़की ढूंढते पर अच्छा है कि तुमने ही खुद अपने लिए लड़की ढूंढ ली। और हमें यकीन है कि तुमने लड़की अच्छी ही ढूंढी होगी!! बिल्कुल हमारे बराबर की क्यों? वैसे कौन है वह लड़की? क्या नाम है? शायद नाम बता दो तो मैं उन्हें पहचान सकूं। क्योंकि, शहर के बड़े बड़े लोगों की पहचान तो हमसे है ही!! तो शायद उन्हीं में से कोई लड़की तुमने अपने लिए पसंद कर ली हो बताओ बेटा कौन है वह लड़की?" अनीश की मां और पिताजी बोले।


"पिताजी वह कोई ऊंचे खानदान की नहीं है। बल्कि उसके पिता की साइकिल की दुकान है। उसका नाम अंजली है। और मैं उससे बेहद प्यार करता हूं। बल्कि हम दोनों ही एक दूसरे के बिना नहीं जी सकते।"


"क्या तुम्हें शहर में और कोई लड़की नहीं मिली? अरे तुम्हारे कॉलेज में ही तो वह शर्मा जी की बेटी काव्या भी तो थी!! क्या तुम्हारी नजर उस पर नहीं पड़ी? माफ करना बेटा हमें ऐसी लड़की नहीं चाहिए!! जिसका खानदान हमारी बराबरी का न हो। और आज के बाद तुम उस लड़की से दोबारा नहीं मिलोगे। अभी तुम विदेश जाओ एमबीए करो और अच्छी सी नौकरी करो उसके बाद हम आपके लिए बहुत अच्छी लाखों में एक रिश्ता लेकर आएंगे।" भुवन जी बोले।


उधर जब अंजलि भी अपने घर वालों से अनीश के बारे में बात करती है तो घर वाले यह कहकर मना कर देते हैं, की इतने ऊंचे खानदान में हम अपनी बेटी को विदा नहीं कर सकते।

वह तो बेटी अंजलि के लिए सरकारी नौकरी वाला नौजवान ढूंढ रहे थे। ताकि उनका परिवार साधारण हो और उनकी बराबरी का हो। और शादी के बाद भी दोनों परिवारों के बीच कोई ऊंच-नीच ना होने पाए।

अंजलि और अनीश एक दूसरे को फोन करते हैं और आखरी अलविदा कह देते हैं...

"अंजलि मुझे माफ करना, मेरे माता-पिता हमारे रिश्ते से सहमत नहीं है हमें अब अलग होना होगा।"

"नहीं अनीश माफी तो मैं भी तुमसे मांगना चाहती हूं, क्यों की मेरे मां बाबा भी हमारे रिश्ते को सहमति नहीं दे पाए हैं। क्योंकि तुम्हारा इतना बड़ा खानदान है वह रिश्ते में कोई ऊंच-नीच नहीं चाहते, ना चाहते हुए भी हमें एक दूसरे से अलग होना होगा।"


कुछ 10 साल बाद अनीश जब विदेश से अपने वतन अपने देश लौटता है तो उसे अंजली की बहुत याद आती है। वह इतने सालों में भी अंजलि को भूल नहीं पाया था। लेकिन मन में यह भी सोच रखा था कि अभी तक तो अंजली की शादी होकर बच्चे भी हो गए होंगे। इन बीते 10 सालों में अनीश ने अपने माता पिता से ना के बराबर ही बात की थी। क्योंकि वह अंजलि से जुदा होने पर बहुत दुखी था। जब अनीश घर लौटा तब भी उसका दुखी चेहरा देख उसके माता-पिता बहुत चिंतित हो गए। लेकिन फिर...


"बेटा अनिस, कल तुम तैयार रहना हमें तुम्हारे लिए लड़की देखने जाना है।" भुवन जी बोले।


अनीश अपने पिताजी की यह बात सुन कोई जवाब ना देते हुए अपने कमरे की ओर चला जाता है। दूसरे दिन अनीश तय समय पर तैयार हो जाता है। और गाड़ी में बैठ वह लड़की वालों के घर जाने के लिए निकल पड़ते हैं। लेकिन अनीश रास्ता देख उलझन में पड़ जाता है कि यह रास्ता तो अंजलि के घर तक ही जाता था। और कुछ ही देर में अनीश की गाड़ी ठीक अंजलि के घर के सामने ही रुकती है।

अनीश कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है। अंदर से अंजलि को बाहर आते हुए देखता है, तो खुशी से फूले नहीं समाता। और अपने पिताजी की तरफ सवालों से भरे नजरो से देखता हैं,

"क्या हुआ बेटा? अब तो खुश हो ना!! बेटा जब तुम विदेश चले गए उसके बाद तुमने हमसे 1 दिन भी ठीक से बात नहीं की। यहां तक कि अपनी मां से भी नहीं। और इसकी वजह शायद अंजलि ही थी। जिस वजह से हमने बहुत सोचा, और 1 दिन हमने अंजली के पिता जी से मुलाकात की और सारी बात कही। तब हमने तुम्हारा और अंजली का रिश्ता पक्का कर दिया। क्योंकि हमें यह उचित लगा। बच्चों की खुशी में ही तो मां-बाप की खुशी होती है। और तुम दोनों का प्यार तो जब 5 साल में भी खत्म नहीं हुआ तो आगे भी कैसे हो पाता!! अगर हम तुम्हारी शादी किसी और लड़की के साथ कर भी देते तो तुम जिंदगी भर हमें ही कोसते रहते..."


अपने पिताजी की बात सुन अनीश के आंखों में आंसू आ जाते हैं। और वह अपने पिता जी और अंजलि के पिता जी के पैर छूते हुए आशीर्वाद लेता है। कुछ एक माहिनेक बाद दोनो की शादी होती है, शादी के मंडप में भी दोनों बहुत ही खुश थे एक दूसरे के साथ आंखें लड़ाते हुए प्यार भरी शैतानियां करते हुए... अपनी जिंदगी एक दूसरे के हाथों में सौंपते हुए वह सात फेरे ले रहे थे। अब अंजलि और अनीश विदेश में जाकर अपना सुखी जीवन बिता रहे थे।


माता पिता से बढ़ कर इस दुनिया में कोई और नहीं होता। बच्चो की खुशी का खयाल हर माता पिता को होता ही है। बस जरूरत है तो सिर्फ उन्हें एकदूजे को समझने की।



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