Manisha Debnath

Inspirational

4.8  

Manisha Debnath

Inspirational

महावारी या बीमारी??

महावारी या बीमारी??

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"यार निराली बड़े दिनों बाद एक अच्छा सा प्रोजेक्ट मिला है। हमरा तो सपना था ना की हम सबसे कुछ अलग करे अलग उभर कर आए। ताकि किसी तरह हम दोनो बहेने मिल कर समाज में किसी तरह का बदलाव ला पाए। और यही सही मौका है कुछ कर दिखाने का" नैना अपनी जुड़वा बहन निराली से।


देखो स्टूडेंट्स, हमारे मेडिकल कॉलेज ने एक प्रोजेक्ट रेडी किया है। जिसमें हम १० अलग अलग टीम बनाएंगे। और उन टीम्स को अपने शहर में अलग अलग हिस्सों में जा कर भिन्न भिन्न प्रकार के सर्वे करने होंगे। जैसे की अगर टीम A है तो वो औरतों के स्वास्थय जीवन के बारे में सर्वे कर इस पर अपना काम कर सकते है।

टीम B औरतों के बालो के झरने का कारण और उपाय देने के ऊपर काम कर सकते है।

टीम C पेडियाट्रिशन और बच्चो को होने वाली बीमारियों के बारे में जानकारी और सुझाव दे सकते है।


ऐसे ही आप अपना अपना सब्जेक्ट खुद चुन सकते हैं। आपको इसके लिए अगले ६ महीने का समय दिया जाता है। आप सबलोग हमारे भविष्य के होने वाले डॉक्टर्स है, जिस लिए इस प्रोजेक्ट के जरिए आपको अच्छा अनुभव भी प्राप्त होगा साथ ही आप अपने पेशेंट्स को किसे हैंडल करेंगे और किस तरह उनको समझेंगे और उनकी समस्याओं को सुलझाएंगे उसको आप बेहतर तरीके से समझ पाएंगे। तो स्टूडेंट्स देरी किस बात की? अपना अपना। टीम चुन लीजिए और किसी भी तरह का सवाल हो या कोई सुझाव या कोई मदद की जरूरत हो तो बेझिझक आप मुझसे आकर मिले। मैं आपकी मदद करने की पूरी कोशिश करूंगी।

और हां जिसका बेहतरीन प्रदर्शन होगा उसको साल के अंत में मेडल मिलेगा और सर्टिफिकेट तो सबको दिया जाएगा।" सीनियर प्रोफेसर शालिनी मैडम बोली।


नैना और उसकी बहन निराली ने मिल कर ५ स्टूडनेट्स का अपना एक टीम तैयार कर लिया। बाकी बचे स्टूडेंट्स ने भी अपना अपना टीम रेडी कर एक प्रोजेक्ट का चयन भी कर लिया।

नैना और निराली दोनो ही सही बहने थी। और दोनो ही एक ही कॉलेज में डाक्टरी की पढ़ाई कर रही थी। दूसरे दिन सबने अपना अपना सब्जेक्ट चुन कर प्रोफेसर शालिनी मैडम को दे दिया। सबके प्रोजेक्ट्स अलग अलग थे।

लेकिन नैना और निराली का टीम बहुत ही खास प्रोजेक्ट के ऊपर सर्वे करना चाहते थे। वो था महावारी का विषय... नैना और निराली मिल कर अपने शहर में घर घर जा कर यह पता लगाने की कोशिश करने वाले थे की औरतों को माहवारी के बारे में कितना पता है?? अगर पता है भी तो क्या वो अपने बच्चो से खुल कर इस बारे में बात करते है? अगर नही तो क्यों नहीं करते? और जो कुछ पुराने सोच विचार वाली औरतें है खास उनको समझाने के काम करना था, की माहवारी एक बीमारी नही इसे एक बीमारी की तरह मत देखिए। यह तो हर औरत के लिए हर महीने आने वाले अच्छे दिन है। और इतना ही नहीं निराली की टीम शहर के स्कूल्स में जा कर teenage लड़कियों को माहवारी के बारे में शिक्षा भी देना चाहती थी। और उनकी अलग अलग अपनी उन मुस्किल दिनो वाली कहानियां भी सुन न चाहती थी।

प्रोफेसर का नैना और निराली का यह सुझाव काफी अच्छा लगा। जिस वजह से प्रोफेसर ने उनसे कहा...


"तुम दोनो ने बढ़िया सोचा है, लेकिन यह जितना सुन ने में अच्छा लगता है, उतना ही मुस्किलो से भरा हुआ है। इतना आसान नहीं है। और क्यों की हमारा समाज इस विषय पर खुल कर किसे से बात नहीं करता। उनको इस बारे में बात करने में भी झिझक महसूस होती है। यह तक की खुद की बेटी से भी नही। पर इसमें अगर मेरी कोई भी मदद चाहिए तो मैं हमेशा आपके साथ हूं। हम कॉलेज के बाद कोई caffee में मिल कर इसके बारे में अधिक चर्चाएं कर सकते है।"


दूसरे दिन नैना और निराली ने एक स्कूल में जा कर अपना काम शुरू किया। और बाकी बची टीम के स्टूडेंट्स घर घर जा कर औरतों के साथ बात करनी शुरू की। ऐसे ही दोनो बहने ने रिक्वेस्ट से सारी गर्ल्स को एक हॉल में शिफ्ट किया। और साथ में उनकी कुछ लेडीज स्टाफ भी शामिल हुई। उन दोनो ने सबसे पहले अपने महावारी के समय की खुद की कहानी सबके साथ सांझा की...

"हेलो, फ्रेंड्स... में निराली और में नैना... हम दोनो ही अली दोस्त है। हम आज आई पीरियड्स के बारे में बताने और कहानी सुनाने आए है। और इस कहानी का नाम है, "हमारे अच्छे दिन" हम आज आपको पहले एक कहानी सुनाएंगे और उसके बाद आपसे कुछ सवाल किए जाएंगे, जिनको भी उसका जवाब देना है वह अपनी उंगली ऊपर करे!!

कुछ आधे घंटे में कहानी खत्म हुई। और अब थोड़ी देर बाद सवाल जवाब सुरू हुए, उनमें से एक लड़की ने अपनी कहानी सुनाई।


"दीदी... जब में पहली बार माहवारी पर हुई थी, तब मुझे लगा था की पीछे लगा हुआ गहरा दाग किसीने मेरे साथ किया हुआ गंदा मजाक किया है!! लेकिन जब बैग और अपने दुपट्टे से ढक मैं किसी तरह घर पहुंची तब मां मुझे छुपते छुपाते तुरंत कमरे के अंदर ले गई और कहां...

"बेटा किसी को बताना मत और 7 दिन के लिए रसोई घर में मत जाना। पानी को भी छूना नहीं। अपने पिताजी से मिलना भी नहीं..."

मुझे लगा कि मैं किसी बीमारी का शिकार हो गई हूं। लेकिन फिर मुझे मेरी दोस्त ने बताया कि यह महावारी है। जो हर लड़कियों को एक समय के बाद हर महीने इन मुश्किल दिनों का सामना करना पड़ता है। और उससे पहले मैंने इसके बारे में कभी नहीं सुना था..."


नैना और निराली ने वहां बैठे ऐसे कुछ स्टूडेंट्स की अपनी अपनी कहानी सुनी। और उनको माहवारी के बारे में हर एक छोटी से छोटी चीज का जिक्र किया और उनमें जागरूकता फैलाई।

इतना ही नहीं उन 6 महीने के अंदर नैना, निराली और उसकी टीम ने ऐसे 10 स्कूलों में जाकर सर्वे किया और जागरूकता फैलाने की कोशिश की। बाकी सभी टीमों ने भी अपना अच्छा प्रदर्शन किया था।


अब अंत में रिजल्ट की बारी थी। नैना और उसकी टीम को सबसे अलग और बेहतर महावारी के ऊपर प्रदर्शन और जागरूकता फैलाने का काम करने के लिए उन्हें मेडल दिया गया।

कॉलेज में तो प्रोजेक्ट खत्म हो गया था। लेकिन जब 5 साल बाद नैना और निराली साथ में डॉक्टर बन चुके थे, तब भी उनका यह प्रोजेक्ट जारी रहा। और आज भी नैना निराली और उसकी टीम मिलकर माहवारी के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने का प्रयास कर रही है। और इस काम में उनकी कॉलेज की प्रोफेसर शालिनी मैडम आज भी उनका साथ दे रही है।



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