Manisha Debnath

Inspirational

4.7  

Manisha Debnath

Inspirational

मिस इंडिया

मिस इंडिया

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मोहल्ले के आस पड़ोस में आज बहुत शोर मचा हुआ था। वह शोर किसी के लड़ाई झगड़े वाला नहीं था। बल्कि शोर मोहल्ले की मिस इंडिया आज घर आने वाली थी।


(कुछ दो साल पहले की बात है)


"देखिए जी हमारी इतनी हैसियत तो नहीं है कि हम अपनी बेटी के लिए इतने बड़े-बड़े सपने देखे... अवनी ने भले ही कहा है आपसे कि वह मॉडलिंग करना चाहती है, पर आपने देखा नहीं है ? या कैसे-कैसे छोटे कपड़े पहन के लड़कियां घूमती है!! और हम कैसी जगह पर रहते है!! और हमारा समाज... क्या यह सब अवनी के लिए ठीक रहेगा? आप ही सोचिए ना जी!!" अवनी की मां कंचन जी बोली।


"क्या बातें हो रही है? मां आप फिर से शुरू हो गई!! आपकी प्रॉब्लम क्या है? मेरा साथ आपको देना चाहिए!! पर अफ़सोस पापा मेरा साथ देना चाह भी रहे है तो आप मना कर रही ह!! आप उनको रोक रहे हो!!" अवनी बोली।


"बेटा इसमें तेरी मां का कोई कसूर नहीं है। बचपन से तेरी मां ऐसे समाज में पली-बढ़ी है जहां औरतों को अपना सर ऊंचा करने की इजाजत ही नहीं दी जाती। और हम जैसे साधारण परिवार जिनका का गुजारा ही हर दिन के काम करने से होता है... उनके तो कोई सपने ही नहीं होते!!" अवनी के पिता गोविंद जी बोले।


अपने पिताजी की यह बात सुन अवनी ने तुरंत अपने पिताजी से गंभीर सवाल करने शुरू कर दिए।

"तो क्या हुआ पापा हम गरीब है, साधारण परिवार से है, अच्छे कपड़े पहन नहीं सकते... हम फैशन नहीं कर सकते, तो क्या मुझे सपने देखने का कोई हक नहीं? क्या मुझे सपने देखने बंद कर देना चाहिए? क्या सिर्फ इसी वजह से मैं अपना सर ऊंचा नहीं उठा सकती?"


"ऐसा किसने कहां बेटा!! तुझे जो करना है कर, तेरे पापा हमेशा तेरे साथ है... हर एक आफत और मुसीबत में तुझसे पहले खड़े रहेंगे... तू हमारे समाज रिश्तेदार और मोहल्ले वालों की फिक्र ही मत कर!! एक बात याद रखना बेटा... अभी जमाना ऐसा है कि, जब तुम कुछ अच्छा करने जाओगे तो तुम्हारे विरोध में बाकी सब लोग खड़े हो जाएंगे!! और तभी समझना कि तुम सही राह पर चल रही हो। तू बाकी सबकी चिंता छोड़ दे अब तेरे पापा है ना वह सब संभाल लेंगे!!" गोविंद जी बोले।


दरअसल अवनी मॉडलिंग करना चाहती थी। लेकिन अवनी का परिवार बहुत ही गरीब और साधारण सा बस्ती में रहने वाला था। गोविंद जी मजदूरी कर अपना घर चलाते थे। लेकिन उन्होंने अपनी एक लौती बेटी को पढ़ा लिखा कर बड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। मां कंचन जी भी घर में सिलाई कढ़ाई का काम कर अपने पति का हाथ बटाती। ऐसे ही अवनी के परिवार का गुजारा चलता गया। पिता गोविंद जी बेटी को मॉडलिंग करने की इजाजत तो दे देते है.. लेकिन उनका समाज और रिश्तेदार उनको तरह-तरह की बातें सुनाने लगते है। अवनी की मां कंचन जी को भी आते जाते लोग ताने मारते है। और गोविंद जी को बेहनकने की कोशिश करते है। लेकिन गोविंद जी को तो बस अपनी बेटी की खुशियां ही नजर आ रही थी।


मॉडलिंग शुरू करने के कुछ 2 महीने बाद ही टीवी पर यह खबर आती है कि मिस इंडिया की प्रतियोगिता कुछ ही दिनों में शुरू होने जा रही है। अवनी ने सबसे पहले उस प्रतियोगिता में भाग लेना जरूरी समझा। और घर आकर उसने अपने पिताजी से अपनी बात साझा की। तो पिता गोविंद जी बहुत खुश हुए!! लेकिन दुखी भी थे!! कि वह अपनी बेटी का यह सपना कैसे पूरा करेंगे!! बेटी के प्रतियोगिता के लिए इतना सारा पैसा कहां से लाएंगे!!

पर वह कहते है ना, कि इरादा अगर मजबूत हो और अगर आप कोशिश करें तो भगवान भी आपका साथ देते है।

गोविंद जिन सेठ के वहां मजदूरी करते थे, उन्होंने उस सेठ से बात की और सेठ ने कोई सवाल ना पूछते हुए खुशी-खुशी गोविंद जी को ₹50000 का लोन दे दिया। अब 50000 भी इतने बड़े प्रतियोगिता में कम पड़ रहे थे। तो मां कंचन जी ने कहा,

"कपड़े और गहनों की फिकर तू मत करना... कपड़े मैं तुझे गूगल से देखकर जो फिल्मों में हेरोइन पहना करती है ना वैसे फैशन वाले सी दूंगी!! किसी को पता भी नहीं चलेगा कि कपड़े मॉल में से आई है या यह तेरी कलाकारी मां का कमाल है!!"

"हां वो तो है... अगर आज आप पढ़ी लिखी होती तो बड़ी फैशन डिजाइनर होती क्योंकि कलाकारी तो आपकी बहुत ही लाजवाब है मां!!"


अब समय आ गया था। प्रतियोगिता शुरू हो चुकी थी। एक के बाद एक सुंदर लड़कियां मिस इंडिया के प्रतियोगिता में भाग लेकर अपनी प्रतिभा दिखा रही थी। उनमें से एक अवनी भी थी पहले चरण में अवनी दसवें नंबर पर थी। फिर देखते ही देखते अवनी भी अपनी प्रतिभा बिखेरते हुए वह आखरी प्रतियोगिता में तीसरे नंबर पर आ चुकी थी। अब सबकी नजर उस मिनी मिस इंडिया के ताज पर ही थी... जो अब तीन लड़कियों में से किसी एक को पहनाया जाने वाला था। और भाग्य वश नाम अनाउंस होते ही अवनी का परिवार खुशी से उछल पड़ता है!! क्योंकि अवनी मिस इंडिया बन चुकी थी। अवनी के सर पर वह मिस इंडिया का ताज किसी राजकुमारी से कम नहीं लग रहा था। आखिर वो अपने पिताजी की राजकुमारी ही तो थी!!


अवनी एक गरीब परिवार से होते हुए भी अपने माता-पिता का सर गर्व से ऊंचा कर देती है। पर उसमें उसका जितना योगदान था उसके परिवार और पिता गोविंद जी और मां कंचन जी का भी बराबर का योगदान रहा। मां के सिले हुए कपड़े पहनकर तो वह मिस इंडिया बनी थी। और पिता गोविंद जी की वजह से अवनी को जीतने का हौसला मिला!! अवनी को आगे बढ़ने की हिम्मत मिली।


अपने समाज और अपनी परिस्थितियों से लड़कर भी अवनी मिस इंडिया बनी थी। और आज के दिन अवनी मिस इंडिया का ताज लेकर अपने मोहल्ले में आ चुकी थी। पहले अवनी के छोटे कपड़े पहनें हुए देख लोग ताने मारने वाले और परिवार को बेइज्जत करने वाले यही मोहल्ले के लोग, आगे आकर अवनी की एक झलक पाना चाहते थे। आज जब अवनी का ताज देखने और खास अवनी को बधाई देने के लिए मोहल्ले में काफी भीड़ उमड़ पड़ी थी। ढोल नगाड़े से अवनी और उसके परिवार का स्वागत किया गया। आज गोविंद जी और कंचन जी दोनों के आंखों में आंसू आ गए थे।

आज उनकी बेटी अवनी ने यह साबित कर दिया था कि, एक मजदूर की बेटी होते हुए भी वह सपने देख उसे पूरा भी कर सकती है।


(इस कहानी में दर्शाए गए सभी पात्र घटनाएं और परिस्थितियां काल्पनिक है।)

धन्यवाद,



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