Manisha Debnath

Drama

4.8  

Manisha Debnath

Drama

प्यारी हिनल

प्यारी हिनल

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464


मैं कभी दादी मां के हाथ साथ बैठकर कहानियां सुना करूंगी!! तो कभी मैं अपनी नानी मां के हाथ के बने समोसे और जलेबीयों के मजे लूंगी!! मुझे आज से घर में दादी मां के प्यार के साथ साथ नानी मां का भी प्यार चाहिए..." हिनल अपने पिता से बोली।

रिद्धिमा और रघुवीर की शादी हुए 10 साल हो गए थे। अब रिद्धिमा की 8 साल की बेटी भी थी। जो अभी स्कूल में पढ़ती थी। रिद्धिमा की शादी जब हुई थी तब रिद्धिमा अपने मां-बाप की इकलौती बेटी थी। मां बाप ने बड़े प्यार से रिद्धिमा का हाथ रघुवीर के हाथ सौंप दिया।

रिद्धिमा के पति पिताजी की एक ऊंचे पद पर सरकारी नौकरी हुआ करती थी। घर में पैसों की कोई कमी नहीं थी इसलिए पिता जीवन जी ने अपनी बेटी की शादी में उसे सोने के गहनों से भर दिया था।

और क्यों ना करते हर मां-बाप का आखिर सपना होता है कि उनकी बेटी ससुराल जाकर खुश रहे। कोई उसे रोक-टोक ना करें।

और जब उनकी परिस्थिति अच्छी थी और रिद्धिमा उनकी एकलौती बेटी थी तो जीवन जी ने अपनी आधी संपत्ति अपनी बेटी के नाम कर दी। और बेटी के शादी के 3 साल बाद ही वे रिटायर होकर सारी जिम्मेदारियों से मुक्त हो अपनी पत्नी गंगा जी के साथ सुखी जीवन बिता रहे थे।

शादी के बाद रिद्धिमा का जीवन सुखी से बीत रहा था। रिद्धिमा अपने सास ससुर के साथ ही रहती थी। रघुवीर भी राजेंद्र जी और कुंती जी का एकलौता बेटा था।

लेकिन दुर्भाग्यवश शादी के कुछ एक साल में ही राजेंद्र जी को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो जाती है। उसके बाद रिद्धिमा ने अपनी सास का खास ख्याल रखने का जिम्मा उठा लिया। और रघुवीर भी अपने पिताजी के मौत के बाद अपनी मां को अकेलापन महसूस नहीं होने दिया।

और खास उसी वजह से रघुवीर और रिद्धिमा ने शादी के एक साल बाद ही फैमिली प्लानिंग शुरू कर दी। और कुछ 2 साल बाद ही उनको एक बेटी हुई, नाम था "हिनल"।

अब कुंती जी अपनी पोती को लेकर घर में खुशी महसूस कर रही थी। अब हिनल 8 साल की हो चुकी थी। हिनल को अपनी दादी मां की कहानियां सुन सोने की आदत पड़ चुकी थी। और थोड़े दिन बाद...

"बेटा जल्दी तैयार हो जाओ, हमें नानी मां के घर जाना है!! नानू आपके बीमार हो गए हैं ना!!" रिद्धिमा अपनी बेटी से।

"पर मां... मैं अब दादी से कहानियां नहीं सुन पाऊंगी!! हम वापस कब आएंगे? आपको पता है ना दादी मां की कहानियां सुने बिना मुझे नींद नहीं आती!!" हिनल अपनी मां से।

"आपके नानू जैसे ही ठीक होंगे आप जल्दी से भाग कर अपनी दादी के मां के पास आ जाना!! और तब तक आपको नानी मां कहानियां सुनाया करेगी। मैं आपकी नानी मां को कह दूंगी कि हमारी हीनल को कहानियां सुने बिना नींद नहीं आती!!" कुंती जी अपनी पोती से।

रिधिमा अपनी बेटी हिनल को लेकर अपने मायके चली जाती है। क्योंकि, पिता जीवन जी की अचानक तबीयत खराब हो जाती है। और ऊपर से शहर और गांव में हर तरफ कोरोनावायरस ने अपने पैर पसारे हुए थे। रिद्धिमा को डर सता रहा था कि कहीं उसके पिताजी को भी कोरोनावायरस न हो!!

और जिसका डर था वही हुआ जीवन जी को कोरोनावायरस ही था। अब हर दिन उनका ऑक्सीजन लेवल भी कम होता जा रहा था। आसपास के सारे अस्पताल कोरोनावायरस से भर गए थे। किसी तरह ज्यादा पैसे लगाकर रघुवीर और रिद्धिमा ने जीवन लाल जी को शहर से दूर एक बड़े अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कर दिया।

आखिर में लाई कोशिशों के बाद भी जीवन जी को बचा नही पाए और कोरोना में ही उनकी मौत हो गई। परिवार किसी तरह इस दुख से संभल गया था। लेकिन अब पूरे घर में गंगा जी अकेली रह गई थी। जिस वजह से रिद्धिमा अपनी बेटी हिनल को लेकर अपने मायके आने जाने में लगी रही। ताकि उसकी मां को अकेलापन महसूस ना होने पाए।

जीवन जी ने अपनी पत्नी के नाम घर और पैसे तो छोड़े थे। लेकिन उम्र के साथ-साथ किसी अपने का साथ होना बहुत जरूरी है।

हिनल अब अपनी नानी मां से घुल मिल चुकी थी। और वह नानी मां का दुख भी समझने लगी थी। उनकी भावनाओं को वह स्पर्श करने लगी थी। और वह भी जानती थी कि उसकी मां उसे बार-बार नानी मां के पास क्यों ले आती है।

अगले दिन वह अपने घर आकर अपने पिताजी से कहती है,

"पापा अगर दादी मां हमारे साथ रहती है, तो नानी मां भी हमारे साथ क्यों नहीं रह सकती? हम एक साथ क्यों नहीं रह सकते? दादी मां के पास आप हो मां है मैं हूं!! पर नानी मां अपने घर में बिल्कुल अकेली ही रहती है। कितना मजा आएगा ना पापा, जब मैं रोज रात को दादी मां की कहानियां सुना करूंगी। और फिर सुबह नाश्ते में नानी मां के हाथ के समोसे और जलेबियां खाया करूंगी!! आप नानी मां को कहिए ना वह अब हमारे साथ ही रहे!!" हिनल अपने पिता से।

"हिनल सही कह रही है, रघु तू गंगा जी को समझा और उन्हें हमारे साथ रहने के लिए कह दे। वैसे भी इतने बड़े घर में अकेला रहना ठीक नहीं। पैसे होने से ही इंसान को दूसरे इंसान की जरूरत खत्म नहीं हो जाती..." कुंती जी अपने बेटे से।

"पर मां नहीं मानेगी!! कहेगी बेटी के घर का पानी भी पीना पाप है... तो रहने की तो बहुत दूर की बात है!!" रिद्धिमा अपनी सास से।

"ठीक है मां.. मैं नानी मां को समझाऊंगी!! उनको कहूंगी कि वह मेरे लिए, मेरे साथ ही रहे!! वह मुझे मना नहीं कर सकती!!" हिनल अपनी मां से।

दूसरे दिन हिनल अपने पिता और मां को लेकर नानी के पास जाती है। नानी मां को समझा-बुझाकर वह अपने घर अपने साथ ले आती है।अब घर में हिनल को दादी मां के साथ-साथ नानी मां का प्यार भी मिलता है। और रिद्धिमा की सास कुंती जी को भी गंगा जी के रूप में हमउम्र साथी मिल जाती है।


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