तेरा भाई तेरे साथ है
तेरा भाई तेरे साथ है
एक आधा पागल सा दिखने वाला व्यक्ति एक साथ कई राखियां लिए रक्षा बंधन के दिन इधर उधर टहल रहा था। जब किसी की कलाई पर बंधी राखी को देखता तो मचल उठता और आसमान की ओर ताकने लगता,काश! मेरी भी कोई बहन होती तो मेरी कलाइयों में भी दो चार राखी बंधा होता। एकाएक ठीक उसके जैसा ही आधा पागल सी दिखने वाली लड़की वहां आ टपकी और उसकी कलाईयों को पकड़ कर राखी बांधने लगी। उसने हाथ झटक दिया "दूर हटो मेरी कोई बहन वहन नहीं है जाओ अपने भाई को राखी बांधना।"
लड़की जबरदस्ती पर उतर आई "कोई बात नहीं तू मेरा भाई नहीं तो क्या हुआ? किसी का तो भाई होगा।ला दे हाथ बढ़ा मैं बांध देती हूॅं। मेरा भी कोई भाई बहन नहीं है फुटपाथ पर पली बढ़ी" और इतना कह कर उसकी कलाईयों पर राखी बांध दिया। उसकी रूलाई फूट पड़ी । अपनी हाथ में पकड़ी हुई सारी राखियां देते हुए "ले इसे भी बांध दे।"
लड़की "पर इतनी सारी राखियां एक साथ किस लिए?"
उसने कहा - "मेरी कितनी बहनें थी कुछ याद नहीं लेकिन जब मैं छोटा था तब मेरी कलाइयां राखियों से लद जाया करती थी। एक दिन ऐसा सैलाब आया कि घर के सारे लोग एक साथ पानी में बह गए और मैं सड़क पर आ गया यह भी याद नहीं कि मैं कितना छोटा था। बस सड़क पर बिना रूके चलता रहा और चलते चलते कब बड़ा हो गया याद नहीं।"
एक बार फिर उसकी कलाई राखियों से लद गइ। राखी बांध लड़की चलने को हुई तो उसने रोक लिया "ऐ रूको।"
लड़की रूक गई "अब क्या है?"
"मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ भी नहीं है रूपया दो रूपया।"
लड़की "कोई बात नहीं रहने दे फिर कभी मिलूं और तुम्हारे पास कुछ हो तो दे देना।"
"रूक मैं कुछ करता हूॅं", राहगीरों से चिल्ला चिल्ला कर "भाई आज राखी है और इस बहन ने मेरी कलाई को राखियों से लाद दिया है कुछ मदद करो।"
कोई कहता साला पागल है तो कोई एक दो रूपया दे देता। देखते देखते सौ दो सौ रूपया इकट्ठा हो गया। मांगी गई पैसे देते हुए ये ले तुम्हारे कपड़े बहुत गन्दे हैं अपने लिए नई फ्राॅक ले लेना।
" नहीं मुझे कुछ नहीं लेना।"
लड़का "क्यों नहीं लेना?'
"इन गन्दे कपड़ों में तो लोग मुझे नोच कर खा जाना चाहते हैं और यदि नए कपड़े पहन लिए तो उठा ले जाएंगे फिर मेरी इज्जत आबरू का क्या होगा?"
लड़का कपड़े की दुकान की ओर बढ़ते हुए "चल मैं देखता हूॅं तुझे कौन छेड़ता है तेरा भाई तेरे साथ है।"