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Bhunesh Chaurasia

Others

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Bhunesh Chaurasia

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लिखो कुछ भी लिखो कोई तो पढ़ेगा

लिखो कुछ भी लिखो कोई तो पढ़ेगा

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लेखक खाली बैठा था उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था तो सेवई घास ले ली और जोड़ियां बांटने में जुट गया।जोड़ियां बांटते हुए भी जब मन नहीं लगा तो सोचने लगा अब क्या करूं?कुछ देर सोचा और लिखने के लिए डायरी उठा ली लेकिन लेखक की कलम मेज से कहीं इधर उधर हो गई थी सो कुछ लिख न सका।लेखक एक बार फिर खाली बैठा फिर सोचा क्यों न कोई किताब ही पढ़ ली जाए पर समझ नहीं आ रहा था कि क्या पढ़े?लेखक को कविता पढ़ने और लिखने में बड़ी रूचि थी सो कविता पुस्तक उठा ली अभी दो चार पन्ना ही पलटा होगा कि मन उब गया।

लेखक एक बार फिर सोच में पड़ गया। घर में ठाली बैठे दोपहर हो गई थी सुबह से सिर्फ दो बार चाय पी थी।मन किया कुछ खा लूं सो पत्नी से कह कर दो ब्रेड कटलेट बनबा ली और खाने बैठ गया पर गलती से नमक ज्यादा हो गई तो पत्नी को बुरा भला कह घर से बाहर निकल लिया।

अभी सड़क पर आया ही था कि सोचने लगा कहां जाऊं गर्मी के दिन धुप बहुत तेज थी एक पेड़ के नीचे बैठ गया।

लेखक का दुर्भाग्य पेड़ पीपल का था और इतनी आक्सीजन मिल गया कि कुछ देर गहरी सांस लेने के बाद सद्भावना पार्क की ओर निकल गया।सद्भावना पार्क में कविता जी टहल रही थी और लेखक वहीं पार्क में बने सीमेंट की आराम कुर्सी पर बैठ गया।पार्क में बैठने के बाद भी लेखक का मन नहीं लग रहा था। 

लेखक फिर सोच में पड़ गया अब क्या करूं ये मन भी न बड़ी अजीब चीज है लग गया तो लग गया नहीं लगा तो नहीं लगा।मन लगाने के लिए लेखक ने जेब में रखे शस्त्र निकाल ली।

अब लेखक के जेब में शस्त्र कहां से आ गया।अरे वही मोबाइल फेसबुक निकाला तो उसी की लिखी रचना को किसी ने अपने फेसबुक दीवार पर लगा दिया था गनीमत ये कि नाम उसी का था।

फेसबुक पेज के पन्नों को पलटते हुए एकाएक यू ट्यूब लिंक का एक विडियो चल गया सरकाई लो खटिया जाड़ा लगे।लेखक ने मोबाइल फोन बंद किया और जेब में रख लिया।

एक बार फिर मन नहीं लग रहा था।

लगा फेसबुक बनाने वाले को गरियाने साला क्या बेकार चीज बनाई है सबके सब काम धंधा छोड़ कर इसी में लगे रहते हैं।ऊपर से उ गाना लिखने वाले कैसे लोग थे भला खटिया सरकने से कहीं गर्मी आती है सरकाई लो खटिया जाड़ा लगे।लेखक एक बार फिर सोचने लगा मन नहीं लग रहा था किया करूं कहां जाऊं, तभी उसे लौट के बुद्धिजीवी घर को आए याद आ गया।

चलो घर चलते हैं वहां सबसे पहले कुछ खाऊंगा क्योंकि भूख बहुत लगी है और पत्नी से सबसे पहले माफी मांगूंगा और ब्रेड कटलेट बची होगी तो खा लूंगा और यदि नहीं बची होगी तो पत्नी के साथ लगकर कुछ खाने के लिए स्पेशल बनाऊंगा उसके बाद एकाध कहानी नहीं तो लघुकथा लिखूंगा।बस सोचा और चल दिया।

रास्ते में एक टी स्टॉल दिखा तो चाय पीने बैठ गया चाय पी पैसे दिए और चल दिया।कुछ दूर चला तो सोचने लगा कि पत्नी से माफी किस मुंह से मांगूंगा ऐसा करता हूं कि उसके लिए कुछ खरीद लेता हूं जो उसे अच्छा लगता हो।तब ख्याल आया कि उसे किया अच्छा लगता है कुछ याद नहीं। हां याद आया जब भी कुछ ले जाता हूं तो पहले ले लेती है फिर उनमें कमियां ढूंढने लगती है। अचानक लेखक के कदम ठिठक गए।

एक बार फिर से लेखक सोच में डूब गया उसे महसूस हुआ कि उसकी लेखनी की नैया डूबने वाली है। और इतना कुछ मन में लिखते हुए नंगें पांव घर लौट आया तत्पश्चात चुपके से लिखने वाले टेबल पर बैठ गया।

लेखक की उदासीनता स्पष्ट झलक रही थी क्योंकि इन दिनों उसकी लिखी रचना किसी अखबार पत्र पत्रिकाओं में सुर्खियां नहीं बटोर पा रही थी।



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