तारे की कहानी
तारे की कहानी
कल रात एक सपना देखा,
सपने में एक तारा देखा।
झिलमिल करता तारा,
लगा आँखों को बहुत ही प्यारा।
तारा बोला," माँग लेना मुराद मेरे जाने पर,
कहते हैं, पूरी होती है मुराद मेरे टूटने पर।"
मैं भी बोली, "चल पगले, अगर मुराद पूरी करने के लिए किसी को टूटना पड़े,
ये मुझे नहीं मंजूर, मुरादें बेशक, अधूरी ही रहें।
तू भी वहीं, मैं भी यहीं, देखती हूँ कौन करता है इंतज़ार,
तकता है कौन, कि तू हो ज़ार-ज़ार।"
किसी के टूटने का इंतजार!!! क्या ये हैं नेक इरादे??
सच्चे दिल से मांगनी होती हैं, नेक सी मुरादें।
माँग ले अगर यही मुराद तारे के होने पर,
तो एक क्या, हजार मुरादें पूरी होंगी, इंसानियत दिखाने पर।
ऐ तारे, अब मत टूटना किसी की मुराद के लिए,
तू भी तो अपने परिवार का है प्यारा, फिर क्यों जुदा होना किसी और के लिए।
जब तुझे तेरे परिवार के साथ खुश देखकर माँगे कोई मुराद,
तो समझ लेना वही है नेक दिल इंसान, जो लाएगा सबके जीवन में बहार।
सुनना उसकी मुराद जो तुझे टूटने पर न करे मजबूर,
बल्कि तुझे अपनों के साथ खुश देखकर अपनी भी भूल जाए मुराद।
यही होता है दिल का रिश्ता, जो बाँधे एक डोर को दूसरी डोर से,
और यही होती है इंसानियत, जो खुद के सुख के लिए किसी के टूटने का इंतज़ार न करे।
अब तुम चमककर रोशन करो हम सबकी जिंदगी,
और अपनी इस सादगी से, हम सब में भर दो नवीन संचार।
