खुशी
खुशी
किसी बड़ी खुशी के इंतजार से बेहतर है कि हमें छोटी-छोटी बातों में खुशी ढूंढनी चाहिए। जब हम छोटे थे तो क्या सोचते थे ? यही ना कि हम कब बड़े होंगे ? कब इस पढ़ाई से छुट्टी मिलेगी ?कब अपनी मर्जी के मालिक बनेंगे ? पर आज जब हम इतने बड़े हो गए हैं तो क्या सोचते हैं बचपन कितना अच्छा था ?
काश वह पल लौट आएं! हम वह पल याद करके कितना खुश होते हैं और कभी यह भी लगता है कि शायद हम वह पल सही से एंजॉय नहीं कर सके। इसलिए जिसने छोटी-छोटी बातों में खुशी ढूंढी है वही उसके लिए सबसे बड़ी खुशी है।
जिस तरह सीढ़ियों पर चढ़कर हम मंजिल तक जा सकते हैं उसी तरह इन छोटी-छोटी खुशियों से ही हम ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं। वक्त ना ही किसी के लिए रुका है और नहीं रुकेगा । अगर हम इस चलते वक्त में अपनी छोटी-छोटी खुशियां ढूंढ लेते हैं तो यह यही वक्त हमें अपनी मंजिल तक भी पहुंचाएगा।
