त्यौहार क्यों
त्यौहार क्यों
कभी-कभी त्यौहार हमें बहुत सी बातें सिखा जाते हैं जो रोज की जिंदगी में हम नहीं देख पाते।
त्यौहार..उत्सव !
मुझे लगता है कि किसी भी त्यौहार को लेकर कोई भी बंधन नहीं रखना चाहिए कि यह करना जरूरी है या वह करना जरूरी है ।
उत्सव होते हैं ,दिल की खुशी के लिए। इसलिए जिस काम को करने से हमें दिल की खुशी मिलती है हमें वह करना चाहिए ।आजकल सब की दिनचर्या बहुत व्यस्त है। किसी के पास किसी के भी लिए समय नहीं है ,पर इन उत्सवों की वजह से एक दिन तय हो गया जब सब अपनों से मिलने या बात करने के लिए समय निकालते हैं और मकान फिर से एक बार घर बन जाता है ।जो सीमा पर हमारे जवान हमारे लिए अपनी जान की भी परवाह नहीं करते उन्हें भी अपने परिवार के साथ उत्सव मनाने का अधिकार है और देखा जाए तो उनका अधिकार हमसे भी ज्यादा है । जो भी हम उत्सव मनाते हैं, अगर हम अपनों के साथ हैं, तो बस उनकी वजह से !!
इसलिए हम सब का भी यह कर्तव्य बनता है कि हम उनके परिवार के साथ उत्सव मनाए। थोड़ा समय उनके परिवार के लिए भी निकालें और उनको भी यह अहसास कराएं कि हम भी उनका परिवार हैं ।
तो चलो दिल से दिल मिलाते चलें, खुशियों के दीपक जलाते चलें ।
हाथ से हाथ मिलाते चलें ,
सब दुखों को दूर भगाते चलें और परिवार की एक एक कड़ी को जोड़ते चलें।