स्वर्ग का सफर
स्वर्ग का सफर


दो साधु बड़ी बड़ी बातें करते हुए खुशी खुशी स्वर्ग को जा रहे थे, क्योंकि भगवान ने उन्हें खुद स्वर्ग में आने का निमंत्रण दिया था। तभी रास्ते में एक बिल्ली उनका रास्ता काट गई ! उन्होंने सोचा, कि स्वर्ग का सफर, और उस पर से इस बिल्ली का रास्ता काटना,
ये तो बहुत बड़ा अपशगुन हो गया..! इस अनहोनी पर उन साधुओं को बिल्ली पर इतना गुस्सा आया, कि उन्होंने उसकी पूंछ पकड़ कर उसे हवा में उछाल दिया..! और फिर जैसे ही वो स्वर्ग के द्वार पर पहुंचें, तो उस बिल्ली को पहले से ही वहां देख कर आश्चर्य में पड़ गये। तभी एक ऐसा करिश्मा हुआ, कि उन्हें उस बिल्ली के शरीर में साक्षात विष्णु भगवान नज़र आने लगे और इससे पहले, कि वो कुछ समझ पाते, स्वर्ग का द्वार इस भविष्यवाणी के साथ बंद हो गया, कि अभी अभी आप दोनों साधुओं ने इस निरीह बिल्ली को यूं हवा में उछालने का जो पाप किया है।
उससे मुक्त होने हेतु आपको तब तक पुनः पृथ्वी पर रहना होगा, जब तक किसी मजबूर प्राणी की जान बचाने का आपको सौभाग्य न प्राप्त हो..!