Poonam Singh

Drama

3  

Poonam Singh

Drama

" स्वीकृति"

" स्वीकृति"

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"क्या बात है बेटा कुछ दिनों से परेशान दिख रहे हो ?" 

कंधे पर हाथ का स्पर्श पाकर उसने चौंक कर पीछे मुड़कर देखा ,"पापा आप ?.. कुछ खास नहीं....बस यूँ ही ...।"

" नहीं.., मैं कई दिनों से देख रहा हूँ तुम ठीक नहीं लग रहे हो। खुलकर बताओ क्या बात है ?"

पिता ने उसकी आँखों में उमड़ रहे हजारों प्रश्न और दुविधा को महसूस किया। पिता की तरफ एकटक नज़रें टिकाए बेटे ने अपना मुख नीचे की ओर झुका लिया।

पिता ने उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा, "अपने पापा पर विश्वास रखो, कहो क्या बात है ? "

पिता की विश्वास भरी वाणी सुनकर उसने फिर पूरी हिम्मत जुटाकर कहना शुरू किया, "पापा! आज मुझे अपने आप पर बहुत शर्म आ रही है। आपने मुझे पढ़ाया लीखाया इस लायक बनाया कि मैं अपने पैरों पर खड़ा हो सकूँ , आपके जीवन का स्तंभ बनूँ । किन्तु मैं इस काबिल नहीं ...।" कहते हुए वह सुबक सुबक कर रोने लगा,". पापा आप तो जानते ही होंगे .. मैं..मैं.. शारीरिक रूप से सामान्य नहीं.., मैं आम लोगो की तरह नहीं हूँ..। "

पिता समझ गए। तुरंत ही उसका हाथ और मजबूती से पकड़ लिया और कहा, " जानता हूँ बेटा ! बस इतनी सी बात से परेशान हो गए थे ?" 

बेटे ने यह सुनते ही उनकी तरफ आश्चर्य भरी नजरों से देखा।

"यह तो कुदरती बात है । इसमें तुम्हारा क्या क़सूर ?तुम जैसे भी हो मेरे बेटे हो।"

" पापा ! आप मुझे उन अलग तरह के लोगो के हवाले तो नहीं कर देंगे ना ..?"

" बिल्कुल नहीं ! तुम जैसे भी हो मेरी औलाद हो।"

"मगर पापा.. परिवार, समाज के लोग सब कभी ना कभी समझ जाएँगे और आपकी बदनामी होगी । उनका सामना हम कैसे करेंगे ?"

"तुम परिवार, समाज की तनिक भी चिंता मत करो मैं हूँ ना, सब संभालने के लिए ! जहाँ तक सामना करने की बात है , अपने अस्तित्व को सकारात्मक रूप से स्वीकार कर लो सारी समस्या खत्म !" पिता ने मुस्कुराते हुए कहा।

फिर उन्होंने बेटे को समझाते हुए कहा , " सबसे बड़ी बात यह है की ..हम, ..तुम सब ईश्वर की कृति हैं। वो हमे जिस भी आकार में ढ़ाले उसे सहर्ष स्वीकार करना चाहिए । ऐसे चुनौतीपूर्ण काम ईश्वर उन्हीं को देते हैं जो इसे संभाल पाने में सक्षम होते हैं और मैं ईश्वर प्रदत्त इस दायित्व का पूर्णरूपेण निर्वहन करूँगा। " पिता ने प्रेम पूर्वक अपना हाथ उसके सिर पर फेरते हुए कहा।

अपने जीवन में नई किरण की आशा देख बेटे की आँखे छलछला उठी और उसने कहा, "आप कितने अच्छे है पापा !"

"और मुझसे भी अच्छा मेरा बेटा।" जिंदगी मुस्कुरा रही थी।


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