स्वार्थ
स्वार्थ
बेटा, कल अपनी मम्मी को लेने स्टेशन टाइम से पहुंच जाना । कुछ दिन बहू - बेटे के साथ रहेगी तो कुछ अच्छा महसूस करेगी । जब से बीमार रहने लगी है बहुत ही अकेला महसूस करने लगी है । नरेन अपने बेटे मनुराज से फोन स्पीकर पर बात करते हुए उत्साहित नजर आ रहा था ।
मनुराज दूसरी ओर से थोड़ा हिचकिचाते हुए - पापा , आप मम्मी को अगले महीने यहाँ भेज दें । अभी काम वाली बाई एक महीने के लिए अपने गांव गई है और दूसरी भी कोई नहीं मिल रही ।रुद्राक्ष भी आजकल प्रिया को बहुत तंग करने लगा है । ऐसे में प्रिया को घर का काम मैनेज करने में दिक्कत होगी ।
नरेन के सामने दो साल पहले का दृश्य घूमने लगा कि कैसे कोरोना के दौरान मनुराज और प्रिया के कोरोना के चपेट में आने की खबर सुन रुद्राक्ष और बहू - बेटे की सेवा करने पार्वती लाख मना करने पर भी अपनी सेहत की परवाह किए बगैर उसके घर दौड़ गई थी । इससे पहले कि वह अपने बेटे से कुछ कह पाता , फोन कटने की ध्वनि से उसका ध्यान टूट गया ।
इधर पार्वती बड़े भारी मन से अपने बैग से कपड़े , रुद्राक्ष के लिए उपहार और खिलौने , प्रिया के पसंदीदा देसी घी से बने बेसन के लड्डू बाहर निकालने लगी ।
