दिखावे की खुशियाँ
दिखावे की खुशियाँ
"कितना वक़्त हो गया है हमें कहीं साथ गए, याद भी है पिछली बार हम साथ कब और कहाँ गए थे। कभी मेरे लिए भी समय निकाल लिया करो। सुबह ऑफ़िस के लिए निकलते हो और देर रात घर आते हो। मेरा भी मन करता तुम्हारे साथ वक़्त बिताऊँ। सिर्फ पैसा कमाना ही तो जिंदगी की ज़रूरत नहीं।" सुबह का नाश्ता परोसते परोसते शीना अपने पति जतिन से नाराज़गी जता रही थी। "बहुत देर हो रही है बॉस के साथ मीटिंग है देर हो गई तो नौकरी ही खो बैठूँगा, हम रात को बात करेंग " कह कर जतिन जल्दी जल्दी ऑफिस के लिए निकल गया।
ऑफिस में समय मिलने पर जब शीना की बात याद आई तो उसे महसूस हुआ कि वह सही कह रही है। लगभग डेढ़ साल पहले अपनी तीसरी वर्षगाँठ पर ही हम शिमला गए थे। उसके बाद वक़्त ही नहीं निकाल पाया मैं उस के लिए। आखिर वो मेरा थोड़ा समय ही तो चाहती है। वो पैसा भी किस काम का जो मेरी पत्नी के चेहरे पर मुस्कान ना ला सके। बिना ज्यादा समय गंवाए जतिन ने फोन उठाया और शीना और अपने लिए 4 दिन का गोआ हॉलिडे पैकेज बुक करा लिया।
रात को खाने की टेबल पर जतिन ने शीना से कहा- "मेरे साथ वक़्त बिताना चाहती थी न तुम। आँफिस के बैग में तुम्हारे लिये कुछ तोहफ़ा है। देख कर तो आओ जरा। "जैसे ही शीना ने बैग से निकला लिफ़ाफ़ा खोला तो खुशी से झूमने लगी। "तुम कितने अच्छे हो जतिन" कह कर उसे गले से लगा लिया। जतिन भी शीना के चेहरे पर खुशी ला कर अच्छा महसूस कर रहा था।
अपनी ख़ुशी ख़ुशी में शीना भी बोले जा रही थी - "कितना मज़ा आएगा गोआ में। हम खूब सारी शॉपिंग करेंगे और खूब सारी फ़ोटो कराएंगे। सारी फोटोज़ मैं फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अपलोड करूँगी। जिन पर खूब सारे कमेंट्स देख कर मेरी सब सहेलियों को मुझसे जलन होने लगे। बड़ा इतराती रहती हैं जगह जगह की फोटोज़ डाल कर। अब मैं भी दिखा सकूँगी उन्हें कि मैं भी उनसे किसी मायने में कम नहीं।"
यह सब सुनकर जतिन की मुस्कान फीकी पड़ गयी क्योंकि वह शीना को दिखावे के दलदल में धँसता देख रहा था।